RE: Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी
कमसिन जवानी-7
गतान्क से आगे...........................
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शाम को 5 बज चुके थे...अजय और सपना दोनो घोड़े बेचकर सो रहे थे...सपना की नींद खुलती है तो वह खुद को पूरी नंगी अजय की बाहों में पाती है,,..अजय का एक हाथ सपना की दाई चूची पर था...और सपना भी उसके तरफ करवट लेकेर उसके सीने से लगी हुई लेटी थी...वह उठती है और अजय के होठों को अपने मूह मे ले लेती हैं...अजय के होठ चूसे जाने के कारण उसकी नींद खुल जाती है और एक टक उसे देखने लगता है...
सपना:-(अंगड़ाई लेते हुए)
उआआआह्ह्ह ...जान कल रात को तो तुमने जान ही निकाल दी थी मेरी ..लेकिन बोहोत मज़ा आया...कैसे चोदे जा रहे थे..देखना पड़ेगा ..मेरी फट तो नहीं गई..(मुस्कुराते हुए )
अजय फिर भी उसे देखता रहा बिल्कुल एक टक होकर ..सपना उसके सीने पर अपने हाथ घुमाने लगती है..अजय उसे धक्का बेड पर देता है और खुद उठ कर खड़ा हो जाता है..
अजय:-ओयय जा रहा हूँ..
सपना:-(हड़बडकेर)कल तो बोहोत मज़े से चुदाई कर रहे थे अचानक जाने क्यूँ लगे??
अजय:-तो क्या तेरी चूत मे अपना लंड ही घुसाए रहू 24 घंटे,,??
सपना को ऐसे उत्तर की उम्मीद नहीं थी...वो भी अजय के नेचर को अब समझ गई थी..
अजय को दीन दुनिया की मस्ती से ही फ़ुर्सत नहीं थी खुद में ही खुश रहना तो कोई उसी से सीखे...वो लाइफ को एंजाय करने में यकीन रखता था...
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वहाँ कलसूम मॅम और सिन्हा सर दोनो नज़ायज़ संबंध में बँधे ऐसे धंढेख़ोर थे जो कॉलेज के लड़को को उनके शौक पूरे करने का लालच देकर या फिर उन्हे भारी रकम देकर असंतुष्ट औरतों या आँटिओ की प्यास बुझाने के लिए सप्लाइ करते थे,....
लड़के कॉलेज के ही रहा केरते थे जिन्हे पहले कलसूम मॅम फसाया करती थी...और फिर उनको पैसे और अन्या शौको का लालच देकर उन्हे ग़लत राह पर जाने को प्रेरित करती थी या यूँ माने लड़के सप्लाइ करती थी..........
उमैर को फसाना मात्र ही उसका मुख्य उद्देश्य था..ये काम उस जैसी चुदी चुदाई आंटी के लिए करना आसान काम नहीं था इसलिए अपनी लड़की को मुंबई से बुलाया था...और उमैर गोशी की हवस का शिकार हो चुका था...
अगले दिन...!!!
गोशी और उमैर कॉलेज में टेहल रहे थे...गोशी उमैर से मिलने के लिए कॉलेज आती जाती रहती थी..उन्हे देखकेर अजय वहाँ आ गया ...
अजय:-अर्रे भाई..और आप भी हैं..कैसी हैं गोशी जी..?(मुस्कुराकर)
गोशी:-अच्छी हूँ तुम कॉन हो वैसे????????
उमैर दोनो का परिचय करवाता हैं...
उमैर:-गोशी ही`इज माइ बेस्ट फरन्ड जान से भी प्यारा दोस्त हैं..और अजय ये गोशी ...(धीरे से) "तेरी भाभी"...
अजय गोशी की रेस्पॅक्ट करता था आख़िर वो उसके दोस्त की अमानत थी..
परिचय होने के बाद उमैर गोशी दोनो जाने लगते हैं..
उमैर:-चल भाई शाम को मिलते हैं....कोचैंग में
जाते जाते गोशी अजय से हाथ मिलकर बाइ कहती है और अपनी बीच की उंगली से अजय की हथेली को खुजा देती हैं...
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