RE: Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी
कमसिन जवानी-4
गतान्क से आगे...........................
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अगले दिन भी गोशी घर पर अकेली रहती है मा उसकी वापस नहीं आई........घर पर अकेला होने क बावजूद वो उमैर को बुलाती हैं..
उमैर गोशी के घर जाता है...दोनो बैठ कर प्यार भरी बाते करते ही हैं..
शाम के 7 बज चुके थे....जाने का समय हो चुका था कि अच्चानक ज़ोर ज़ोर से बारिश होने लगती है..ये देख कर गोशी की खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं रहता है..."आअज उमैर मेरा और सिर्फ़ मेरा है"सोच सोच कर आनंदित होती रहती है..
उमैर:-क्या यार अब क्या होगा जानू ..देखो बारिश हो रही है..
गोशी:-तो क्या हुआ...आज यहीं रुक जाओ ना......बदल गरज रहे हैं...मुझे डार्र लग रहा है और उसकी पीठ से ज़ोर से लिपट जाती हैं..
उमैर अपने घर वालों को कॉल कर देता है कि आज वो एक फरन्ड के यहाँ ही रहेगा,..
उमैर:-आओ ना गोशी बारिश में भीगते हैं...(प्यार में पागल उमैर उसके साथ खूबसूरत लम्हे व्यतीत करना चाहता था)
गोशी को तो जैसे हरी झंडी ही मिल........दोनो छत पर जाते हैं और बारिश में भीगते हैं...
भीगते हुए दो मदमस्त जोड़े बारिश में नाचते मोर के जैसे प्रतीत होते हैं...अचानक उमैर की नज़रें गोशी के जिस्म पर पड़ती हैं तो उसके तो जैसे होश ही उड़ जाते हैं..बारिश में उछल रही गोशी की कुरती उसके जिस्म से चिपक गई थी ...उसका पतला और छोटा सा पेट सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था.....उसकी सुंदर नाभि ने तो जैसे उमैर के होश ही उड़ा दिए थे...
उमैर ने निगाहो को पलटने की कोशिश करी लेकिन बेचारा क्या करता ..था तो मर्द का ही दिल ना..
गोशी को मालूम था कि वो उसे ऐसे ही देख रहा है.और सामने से आकर ज़ोर से उमैर के सीने में खुद को समा लेती है..":देखो जान मज़ा आरहा है ना"..गोशी बोली..
उमैर उसके बालों में लगे क्लुचेर को निकाल देता है..और भीगते बालों को आज़ाद कर देता हैं...
बारिश में ही भीगते हुए उसके बालो में अपने हाथों को फिराने लगता है..
पहली बार उमैर किसी के साथ स्वयं ही ऐसा कर रहा था उसे खुद नहीं मालूम था के वो ऐसा क्यूँ कर रहा है..और गोशी भी तो यही चाहती थी..........
बालों में हाथ फिराते फिराते झुक कर हल्के से उसके कानो को काट लेता है...
गोशी:- आह ..आह श्ह
गोशी के कान में उमैर उससे पूछता है"जान आज अगर..,.."उसकी बात को टालते हुए गोशी पागलों की तरह उससे लिपट जाती है..और बात आगे बढ़ते हुए बोलती है"आज जो करना है कर दोना जान...जो भी चाहो करो "..
सुनकर ही संमीर उसे अपनी बाहों में उठा लेता हैं...बारिश मे भीग कर गीली हो चुकी हुस्न की मल्लिका का स्पर्श ही उसे पागल बनाने के लिए काफ़ी था...
और नीचे आ जाता हैं..उसे बेड पर बैठा देता है...गीले बालों से टपकता रस,आखों मे शरारत,और कपकपाते होठ ये सब देखकेर ही उमैर उस पर झपट्टा मारता है है..और दोनो ही एक दूसरे से लिपट जाते हैं..
बिजली की गरज और तेज़ बारिश दोनो के मिलन के लिए एक अलग ही रोमांच पैदा कर रही थी................................
गोशी के जिस्म से आरही मादक खुश्बू उमैर के रग- रग मे समाए जा रही थी..उमैर ने गोशी की गीली पलकों को चूमा ...और अपने होठों के द्वारा उसके नर्म कंपित होठों को अपने मूह मे ले लिया...ह्म्म उमैर के लिए ये सब किसी स्वप्न से कम नहीं था...आख़िर वह ये सब शादी के बाद ही करना चाहता था..लेकिन उसे क्या मालूम था कि ज़िंदगी कैसे मोड़ लेगी.............................
उमैर ने होंठो को चूस्ते हुए उसकी गर्दन मे अपना मूह घिसना शुरू करा..वहाँ गोशी को तो जैसे कोई होश ही नहीं रहा..कि अब उसके साथ क्या हो रहा है..उमैर धीरे धीरे हाथों को उसकी कुरती के उपेर से ही पेट पर फिराता है..कमरे मे गर्मी और वासना का उफान ज़ोरों पर आजाता है...
हल्के हाथों को उसके बूब्स पर ले जाता है और धीरे धीरे उन्हे गोल गोल घुमा कर अपनी मुठ्ठी में समेट लेता है...
उमैर का तो जैसे पॅंट ही फट जाएगा उसे ऐसा लगता है...उसकी कुरती को थोड़ा उपेर करके नंगे पेट पर हाथ फिराना शुरू करता है..और उसकी नाभि मे अपनी उंगली हल्के हल्के फिराता है.
अहह..अहह हम्म ऑच....जाअँ...प्ल्ज़ अब और मत तरसाओ प्ल्ज़....गोशी मरी जा रही थी...
उमैर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था...उसकी कुरती उतार देता है....बादलों की गरज उसकी उत्तेजना को और बड़ा रही थी....
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