RE: Holi Mai Chudai Kahani
इसी बीच मैं अपने भाई के कमरे की ओर भी एक चक्कर लगा आई थी. उसकी और मेरी छोटी ननद के बीच होली जबर्दस्त चल रही थी. उसकी पिचकारी मेरी ननद ने पूरी की पूरी घोंट ली थी. चींख भी रही थी, सिसक भी रही थी, लेकिन उसे छोड़ भी नहीं रही थी.
तब तक गाँव की औरतों के आने की आहट पाकर मैं चली गई.
जब बाकि औरतें चली गई तो भी एक-दो मेरे जो रिश्ते की जेठानी लगती थी, रुक गई. हम सब बाते कर रहे थे तभी छोटी ननद की किस्मत वो कमरे से निकल के सीधे हमीं लोगों की तरफ़ आ गई. गाल पे रंग के साथ-साथ हल्के-हल्के दांत के निशान, टांगे फैली-फैली, चेहरे पर मस्ती, लग रहा था पहली चुदाई के बाद कोई कुंवारी आ रही है. जैसे कोई हिरनी शिकारियों के बीच आ जाए वही हालत उसकी थी. वो बिदकी और मुड़ी, तो मेरी दोनों जेठानियो ने उसे खदेड़ा और जब वो सामने की ओर आई तो वहाँ मैं थी. मैंने उसे एक झटके में दबोच लिया. वो मेरी बाहों में छटपटाने लगी, तब तक पीछे से दोनों जेठानियो ने पकड़ लिया ओर बोली, “हाय.! कहा से चुदा के आ रही है..???”
दुसरी ने गाल पे रंग मलते हुए कहा, “चल, अब भौजियो से चुदा. एक-एक पे तीन-तीन.” ओर एक झटके में उसकी चोली फाड़ के खींच दी. जो जोबन झटके से बाहर निकले वो अब मेरी मुट्ठी में कैद थे.
“अरे तीन-तीन नहीं चार-चार.” तब तक मेरी जेठानी भी आ गई ओर हँस के वो बोली और उसको पूरी नंगी करके कहा, “अरे होली ननद से खेलनी है, उसके कपड़ो से थोड़े ही.”
फिर क्या था थोड़ी ही देर में वो नीचे और मैं ऊपर. रंग, pant, varnish और कीचड़ कोई चीज़ हम लोगों ने नही छोड़ी…. लेकिन ये तो शुरुआत थी.
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