RE: Holi Mai Chudai Kahani
चीख पड़ी वो…. मौका पा के मैं बाहर निकल आई लेकिन वहाँ मेरी बड़ी ननद दोनों हाथों में रंग लगाए पहले से तैयार खड़ी थी. रंग तो एक बहाना था. उन्होंने आराम से पहले तो मेरे गालों पे फिर दोनों चुचियों पे खुल के कस के रंग लगाया, रगड़ा….. मेरे अंग-अंग में रोमांच दौड़ गया. बाकी ननदों ने पकड़ रखा था इसलिए मैं हिल भी नही पा रही थी…. चुचियाँ रगड़ने के साथ उन्होंने कस के मेरे Nipples भी Pinch कर दिये और दूसरे हाथ से रंग सीधे मेरे Clit पे. बड़ी मुश्किल से मैं छुड़ा पाई……
लेकिन उसके बाद मैंने किसी भी ननद को नही बख्शा….. सबके उँगली की… चुत में भी और गाण्ड में भी….. लेकिन जिसको मैं ढूँढ रही थी वो नही मिली, मेरी छोटी ननद…. मिली भी तो मैं उसे रंग लगा नही पाई…. वो मेरे भाई के कमरे की तरह जा रही थी…. पूरी तैयारी से, होली खेलने की…….
दोनों छोटे-छोटे किशोर हाथों में गुलाबी रंग, पतली कमर में रंग, पेन्ट और वार्निश के पाऊच….. जब मैंने पकड़ा तो वो बोली, “Please भाभी, मैंने किसी से Promise किया है कि सबसे पहले उसी से रंग डलवाउंगी…… उसके बाद आपसे… चाहे जैसे, चाहे जितना लगाईयेगा, मैं चु भी नही करुँगी…..”
मैंने छेड़ा, “ननद रानी, अगर उसने रंग के साथ कुछ और भी डाल दिया तो……..???”
वो आँख नचा के बोली, “तो डलवा लूँगी भाभी, आखिर कोई ना कोई कभी ना कभी तो……. फिर मौका भी है, दस्तूर भी है…..”
“एकदम” उसके गाल पे हल्के से रंग लगा के मैं बोली और कहा, “जाओ, पहले मेरे भैया से होली खेल आओ, फिर अपनी भौजी से………….” थोड़ी देर में ननदों के जाने के बाद गाँव की औरतों, भाभियों का झुण्ड आ गया और फिर तो मेरी चांदी हो गई……….
हम सब ने मिल के बड़ी ननदों को दबोचा और जो-जो उन्होंने मेरे साथ किया था वो सब सूद समेत लौटा दिया…… मज़ा तो मुझे बहुत आ रहा था लेकिन सिर्फ एक Problem थी…..
मैं झड़ नही पा रही थी….. रात भर ‘इन्होने’ रगड़ के चोदा था लेकिन झड़ने नही दिया था….. रात भर से मैं तड़प रही थी. और फिर सुबह-सुबह सासु जी की उंगलियों ने भी आगे-पीछे दोनों ओर, लेकिन जैसे ही मेरी देह कांपने लगी, मैंने झड़ना शुरू ही किया था कि वो रुक गई ओर पीछे वाली उँगली से मुझे मंझन कराने लगी. मेरा झड़ना उस वक्त रुक गया था. उसके बाद तो सब कुछ छोड़ के वो मेरी गाण्ड के पीछे ही पड़ गई थी……
यही हालत बेला और बाकी सभी ननदों के साथ हुई…. बेला कस कस के घिस्सा दे रही थी और मैं उसकी चुचियाँ पकड़ के कस-कस के चुत पे चुत रगड़ रही थी…. लेकिन फिर मैं जैसे ही झड़ने के कगार पे पहुँची कि बड़ी ननद आ गई…. और इस बार भी मैंने ननद जी को पटक दिया था और उनके ऊपर चढ़ के रंग लगाने के बहाने उनकी चुचियाँ खूब जम के रगड़ रही थी और कस-कस के चुत रगड़ते हुए बोल रही थी, “देख ऐसे चोदते है तेरे भैया मुझको..!?!”
चूतड़ उठा के मेरी चूत पे अपनी चूत रगडती वो बोली, “और ऐसे चोदेंगे आपको आपके ननदोई..!?!”
मैंने कस के Clit से उसकी Clit रगड़ी और बोला, “अरे तो डरती हूँ क्या उस साले भडवे से..??? उसके साले से रोज चुदती हूँ, आज उसके जीजा साले से भी चुदवा के देख लूंगी.”
मेरी देह उत्तेजना के कगार पर थी, लेकिन तब तक मेरी जेठानी आ के शामिल हो गई और बोली, “हाय तू अकेले मेरी ननद का मज़ा ले रही है, ज़रा मुझे भी मस्ती करने दे मेरी प्यारी छिनाल ननद के साथ.” और मुझे हटा के वो चढ़ गई.
मैं इतनी गरम हो चुकी थी कि मेरी सारी देह कांप रही थी. मन कर रहा था कि कोई भी आ कर चोद दे. बस किसी तरह एक लंड मिल जाए, किसी का भी. फिर तो मैं उसे छोडती नहीं. निचोड़ के खुद झड़ के ही दम लेती……………..
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