RE: Holi Mai Chudai Kahani
हम दोनों का दिन-दहाड़े का ये काम तो सुहागरात के अगले दिन से ही चालू हो गया था. पहली बार तो मेरी जेठानी जबरदस्ती मुझे कमरे में दिन में कर आई और उसके बाद से तो मेरी ननदें और यहाँ तक की सासु जी भी……. सच्ची, बड़ा ही खुला मामला था मेरी ससुराल में……
एक बार तो मुझसे ज़रा सी देर हो गई तो मेरी सासु बोली, “बहु, जाओ ना… बेचारा इंतज़ार कर रहा होगा…”
“ज़रा पानी ले आना…” तुरन्त ही ‘उनकी’ आवाज सुनाई दी.
“जाओ, प्यासे की प्यास बुझाओ…” मेरी जेठानी ने छेड़ा.
कमरे में पँहुचते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया. उनको छेड़ते हुए, दरवाजा बंद करते समय, मैंने उनको दिखा के सलवार से छलकते अपने भारी चूतडों को मटका दिया. फिर क्या था.? वो भी कहाँ कम पड़ने वाले थे.? पीछे आके उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया और दोनों हाथों से कस-कस के मेरे मम्मे दबाने लगे. मेरे कमसिन कबूतर छटपटाने लगे. ‘उनका’ पूरी तरह उत्तेजित हथियार भी मेरी गाण्ड के दरार पे कस के रगड़ रहा था. लग रहा था, सलवार फाड़ के घुस जायेगा.
मैंने चारों ओर नज़र दौडाई. कमरे में कुर्सी-मेज़ के अलावा कुछ भी नहीं था.
मैं अपने घुटनों के बल पे बैठ गई और उनके पजामे का नाडा खोल दिया. फन-फ़ना कर उनका लंड बहार आ गया. सुपाडा अभी भी खुला था, पहाड़ी आलू की तरह बड़ा और लाल. मैंने पहले तो उसे चूमा और फिर बिना हाथ लगाये अपने गुलाबी होठों के बीच ले चूसना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मैं Lolypop की तरह उसे चूस रही थी और मेरी जीभ उनके Pi Hole को छेड़ रही थी.
उन्होंने कस के मेरे सर को पकड़ लिया. अब मेरा एक मेहन्दी लगा हाथ उनके लंड के Base को पकड़ के हल्के से दबा रहा था और दूसरा उनके अंडकोष (Balls) को पकड़ के सहला और दबा रहा था. जोश में आके मेरा सर पकड़ के वह अपना मोटा लंड अंदर-बाहर कर रहे थे. उनका आधे से ज्यादा लंड अब मेरे मुँह में था. सुपाडा हलक पे धक्के मार रहा था. जब मेरी जीभ उनके मोटे कड़े लंड को सहलाती और मेरे गुलाबी होठों को रगड़ते, घिसते वो अंदर जाता…. खूब मज़ा आ रहा था मुझे. मैं खूब कस-कस के चूस रही थी, चाट रही थी.
उस कमरे में मुझे चुदाई का कोई रास्ता तो दिख नहीं रहा था. इसलिए मैंने सोचा कि मुख-मैथुन कर के ही काम चला लू.
पर उनका इरादा कुछ और ही था.
“कुर्सी पकड़ के झुक जाओ…” वो बोले.
अंधा क्या चाहे…. दो आँखें….. मैं झुक गई.
पीछे से आके उन्होंने सलवार का नाडा खोल के उसे घुटनों के नीचे सरका दिया और कुर्ते को ऊपर उठा के Bra खोल दी. अब मेरे मम्मे आजाद थे. मैं सलवार से बाहर निकलना चाहती थी, पर उन्होंने मना कर दिया कि जैसे झट से कपडे फिर से पहन सकते है, अगर कोई बुला ले तो…..
इस आसन में मुझे वो पहले भी चोद चुके थे पर सलवार पैर में फँसी होने के कारण मैं टाँगे ठीक से फैला नहीं पा रही थी और मेरी चुत और भी ज्यादा कस चुकी थी.
शायद वो ऐसा ही चाहते थे.
एक हाथ से वो मेरा जोबन (Boobs) मसल रहे थे और दूसरे से उन्होंने मेरी चुत में उँगली करनी शुरू कर दी. चुत तो मेरी पहले ही गीली हो रही थी, थोड़ी देर में ही वो पानी-पानी हो गई. उन्होंने अपनी उँगली से मेरी चुत को फैलाया और सुपाडा वहाँ Center कर दिया. फिर जो मेरी पतली कमर को पकड़ के उन्होंने कस के एक करारा धक्का मारा तो मेरी चुत को रगड़ता, पूरा सुपाडा अंदर चला गया.
दर्द से मैं तिलमिला उठी. पर जब वो चुत के अंदर घिसता तो मज़ा भी बहुत आ रहा था. दो चार धक्के ऐसे मारने के बाद उन्होंने मेरी चुचियों को कस-कस के रगड़ते, मसलते चुदाई शुरू कर दी. जल्द ही मैं भी मस्ती में आ कभी अपनी चुत से उनके मोटे हलब्बी लंड पे सिकोड़ देती, कभी अपनी गाण्ड मटका के उनके धक्के का जवाब देती. साथ-साथ कभी वो मेरी Clit, कभी Nipples पिंच करते और मैं मस्ती में गिन्गिना उठती.
तभी उन्होंने अपनी वो उँगली, जो मेरी चुत में अंदर-बाहर हो रही थी और मेरी चुत के रस से अच्छी तरह गीली थी, को मेरी गाण्ड के छेद पे लगाया और कस के दबा के उसकी Tip अंदर घुसा दी.
“हे…अंदर नहीं……उँगली निकाल लो…..प्लीज़…” मैं मना करते बोली.
पर वो कहा सुनने वाले थे.? धीरे-धीरे उन्होंने पूरी उँगली अंदर कर दी.
अब उन्होंने चुदाई भी Full Speed में शुरू कर दी थी. उनका बित्ते भर लंबा मुसल पूरा बाहर आता और एक झटके में उसे वो पूरा अंदर पेल देते. कभी मेरी चुत के अंदर उसे गोल-गोल घुमाते. मेरी सिसकारियाँ तो कस-कस के निकल रही थी.
उँगली भी लंड के साथ मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर हो रही थी. लंड जब बुर से बाहर निकलता तो वो उसे Tip तक बाहर निकालते और फिर उँगली लंड के साथ ही पूरी तरह अंदर घुस जाती. पर उस धक्का पेल चुदाई में मैं गाण्ड में उँगली भूल ही चुकी थी.
जब उन्होंने गाण्ड से गप से उँगली बाहर निकली तो मुझे पता चला. सामने मेरी ननद की टेबल पर Fair & Lovely Cream रखी थी.
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