RE: Antarvasna kahani बाली उमर का चस्का
अब दस मिनट हो गये थे रोहित कपूर को मेरे उपर चढ़े हुए ओर अब तक मेरी प्रतिरोध करने की क्षमता ख़त्म हो चुकी थी। उलटे अब में भी अंकल का खुल के साथ देने लगी थी। मेरी सिस्कारियां बेडरूम में गूँज रही थी। मेरा तन्ना हुआ जिस्म उनके नीचे मछली की तरह मचल रहा था ओर मेरे हाथ उनके बालों को सहला रहा थे। अंकल को शायद अंदाजा नही होगा की यह कमसिन सी दिखने वाली सरदारनी कितने बड़े कारनामे कर चुकी थी इसलिए जब मेने खुल के उनका साथ देना चालू किया तो वो थोडा हैरान जरुर हुए पर फिर दोगुना जोश के साथ मुझ पे टूट पड़े ओर मेरे योवन रस का स्वाद लूटने लगे। रोहित कपूर मेरे उपर चढ़ के मुझे रगड़ रहे थे। उनके मरदाना स्पर्श से में एकदम मस्त हो गयी थी ओर खुल के उनका साथ दे रही थी। अब वह थोडा सीधे हुए ओर अपनी ज़िप खोल के अपने विशालकाय लंड को बाहर निकाल लिए। राज-जय के लंड ले ले के मुझे चुदने का चस्का लग गया था पर अंकल के आठ इंची मोटे लंड को देख के चुदने की इच्छा गायब हो गयी।
अंकल ने मेरी फ्रॉक उपर उठा दी ओर फिर पेंटी नीचे खीँच के मुझे नंगी कर दिया। मेने कुछ दिनों से सफाई नही की थी इसलिए चुनमूनियाँ पे बाल उग आये थे। अंकल ने मेरी चुनमूनियाँ अपनी हथेली में ले के मस्सल डाली जिस कारण मेरी सिसकी निकल गयी।
रोहित कपूर ने पुछा - तुम सफाई नही करती हो क्या?
मेने कहा - करती हूँ पर पिछले हफ्ते नही कर पायी अब इस एतवार को करूंगी।
यह सुन के रोहित कपूर जोश से भर गये और मेरे होंठों गालों को मुंह में भर के चूसने लगे। में भी मस्ती में उनका साथ दे के अपने योवन रस को लुटवाने लगी। अब उन्होंने मेरी गोरी चुनमूनियाँ को फैलाया और एक ऊँगली अंदर घुसा दी। में इस अचानक हुए हमले के लिए तयार नही थी। मेरी सिसकारी निकल गयी।
में: हायो रब्बा! ओऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्! आह्ह्ह्ह्ह! ऊईईईईई!
रोहित कपूर: क्या हुआ, बेबी?
में: अंकल, प्लीज़ बाहर निकालो ना ..... मुझे दर्द हो रहा हे
रोहित कपूर: बेबी, तुम तो पनिया गयी हो! देखो कितने आराम से ऊँगली खा रही हे तुमारी चुनमूनियाँ।
यह बोल के अंकल ने ऊँगली अंदर बाहर करना चालू कर दी। सही में बड़े आराम से अंदर बाहर ही रही थी।
रोहित कपूर: बेबी, तुमारी चुनमूनियाँ अंदर से बड़ी गरम हे।
में: हायो रब्बा ऊई आह ओह ओह उह्ह उह्ह उह्ह
रोहित कपूर: बेबी, मेरा लंड चूसोगी?
में: अंकल, यह भी कोई चूसने की चीज हे?
पर रोहित कपूर पे हवस का भूत सर चढ़ के बोल रहा था, वह मेरी चुनमूनियाँ से ऊँगली निकाल के मेरी छाती पे चढ़ गये और अपने विशाल कड़क लिंग को मेरे मूंह पे मलने लगे।
में: अंकल, आपका बहुत बड़ा हे।
रोहित कपूर (सवालिया आँखों से): नही बेबी, यह तो नार्मल साइज़ का हे।
में: नहीं अंकल, इतना बड़ा मेने कभी नही देखा।
रोहित कपूर (मुस्कुराते हुए): अनु बेबी, तुमने कितने लंड देखे हैं?
में अपनी गलती समझी पर तब तक देर हो गयी थी। मेरा राज़ खुल गया था ओर अब रोहित कपूर अंकल मुझ पे हावी होते चले गये। रोहित कपूर मेरे जिस्म को नोच नोच के निशान डाल रहे थे, ख़ास करके जांघों, चुतडों, चूंचियों ओर टांगों पे। में घबरा रही थी कहीं कोई आ गया तो क्या होगा। मेरे अंदर डर और उतेजना का मिला जुला भाव उफान भर रहा था। फिर तभी रोहित कपूर ने मेरी टांगें ओर चोड़ी करके खोली अपनी एक ओर ऊँगली घप से घुसेड दी, मेरी चीख निकल गयी पर रोहित कपूर ने कोई रहम नही दिखाया ओर अब उनकी दो ऊँगलीयां मेरी टाइट चुनमूनियाँ की गहराई ओर चोडाई नापने में जुट गयी। धीरे धीरे हवस का मज़ा मेरे डर पे हावी होने लगा था, रोहित कपूर भी एक कलाकार की भांति मेरे अंदर की चालू कुड़ी को बाहर निकाल रहा था।
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