RE: Antarvasna kahani बाली उमर का चस्का
राज ने अलमारी से एक cd निकाली ओर dvd player में डाल दी। फिल्म शुरू हो गयी ओर साथ ही साथ उन तीनो की अय्याशी भी।
ललिता उन दोनों को बड़ी आसानी से संभाले हुए थी। एक तरफ राज का लंड हाथों में सहलाते सहलाते और तगड़ा कर रही थी दूसरी तरफ जय से अपने होंठो को चुसवा चुसवा के मदमस्त कर रही थी। ब्लू-फिल्म शुरू हो चुकी थी ओर मेरा सारा ध्यान उसमे होने वाले हवस के प्रदर्शन पे चला गया। एक इंडियन सी दिखने वाली लड़की को दो अंग्रेजो ने घेर रखा था ओर बारी बारी से उसके जिस्म से खिलवाड़ कर रहे थे। कभी मम्मे चूसते तो कभी होंठो का मदिरापान करके उसकी मदहोशी बढ़ाते। इधर राज ओर जय पूरे नंगे हो के ललिता को भी नग्न करने में जुट गये।
यह सब देख के मेरे दिल-दिमाग पे गहरा असर पढ़ रहा था। प्यार ओर हवस के बीच का फर्क अब बेमानी हो गया था। जिस राज से पहले मुझे प्यार हुआ ओर जिस जय के लिए मेरे दिल में नये जज्बात उभर रहे थे वह दोनों मेरी आँखों के सामने मेरी सहेली ओर स्कूल की सबसे चालू सरदारनी के साथ हवस का नंगा नाच खेल रहे थे। पर मैं भी तो ललिता कौर की राह पे चल पड़ी थी। अब मेरे लिए पीछे हटना संभव नही था। दो-दो हवस भरे नज़ारे देख के मेरा दिमाग मेरे काबू से बाहिर होता जा रहा था। मैंने भी अब अयाशी के समुन्द्र में डुबकी लगाने की ठान ली ओर उन तीनो के देखते देखते अपने जिस्म से स्कूल यूनिफार्म की स्कर्ट ओर शर्ट उतार के बिस्तर पे उनके साथ जा मिली।
हम चारों नंगे बेड पे ब्लू-फिल्म का आनंद ले रहे थे। मुझे नंगी देख जय ने ललिता को छोड़ के मेरे पास आ गया था। ओर फिर मेरी नंगी कमर में हाथ डाल के अपने चिकने नंगे गोरे बदन से चिपका लिया। मैं भी शरम लाज की सभी सीमाओं को लाँघ के जय से चिपक गयी। फिर जय ने मेरे रसीले होंठो का रसपान शुरू किया ओर निचे से एक ऊँगली मेरी योनि में घुसा दी। मेरी चीख निकली ओर तभी राज ओर ललिता का ध्यान मेरी ओर गया। मैं जय से अलग हो के अपनी योनि पर हाथ अखे हुए लेटी थी। जय परेशान ओर राज हैरान था। जय ने पुछा की तेरी इतनी टाइट क्यों हे। राज तो बोलता हे कि इसने कई बार ली हे तेरी। इस पर मेने कहा की राज पीछे वाली लेता हैं। मैं आगे से कुवारी हूँ।
ललिता यह बात सुन के हस दी ओर बोली - राज ने तेरी पीछे वाली सील तोड़ी है, अब आगे वाली जय तोडेगा। यह सुन के मैंने जय की ओर देखा तो वोह चमकती आँखों से मेरी ओर देख के बोला - तयार है सरदारनी अपनी सील तुडवाने को? मैं थोडा सा घबरा गयी ओर प्रेगनेंसी के डर से उनको अवगत करवाया। मुझे माँ नही बनना था इसलिए मेने उनसे बता दिया जो मेरे दिल में था।
ललिता ने हस्ते हुए कहा की घबरा मत कुछ नही होगा। में भी तो चुनमूनियाँ देती हूँ। मैं कभी प्रेग्नेंट नही हुई। मेने पुछा केसे तो उसने मुझे सेफ पीरियड, कंडोम, माला-डी और एबॉर्शन के बारे में सब बताया। जब मुझे संतुष्टि हो गयी तो में भी चुनमूनियाँ संभोग के लिए तैयार हो गयी।
मैंने जय के लिंग को हाथों में ले के मसलना शुरू किया। उधर ललिता झुक के राज के लंड को चूस रही थी जेसे ब्लू-फिल्म में हो रहा था। जय ने मुझे इशारा किया चूसने का। मैं भी झुक गयी ओर मूह खोल के उसके गोरे लंड का सुपाडा मूंह में ले के चूसने लगी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् .... क्या नज़ारा था। मोहल्ले की दो सबसे हसीन कुडियां झुक के अपने मुंह में लंड लिए हुए थीं ओर दोनों एक दुसरे से आगे बढ़ना चाहती थी। ललिता अनुभवी थी ओर लिंग को धीमी लय से चूस रही थी। वहीँ मैं जोश से भरी हुई तेज़ी से लिंग-मुंड पे अपने रसीले होंठ चला रही थी।
विकी ओर जय के जिस्म मचल रहे थे ओर वे किसी भी समय झड सकते थे। तभी राज ने अपना लंड ललिता के मुंह से खीँच लिया ओर मेरे पीछे आ गया। मैं जय का लंड चूसने में व्यस्त थी की तभी मेरे मांसल चुतडों के बीच मुझे विकी का फनफनाता लंड महसूस हुआ। मेने जय के लिंग को मुंह से निकाल के पीछे देखा तो विकी तयार था ओर तभी मेरी गांड में तेज़ दर्द के साथ उसका मोटा सुपाडा प्रवेश कर गया। मेरे मुंह से चीख निकली - हाय रब्बा ...ओउह ओह आओह ... आज तो बहुत मोटा लग रहा है, राज!"
राज अपने फूले हुए लंड को मेरी गांड की गहराइयों में अंदर ओर अंदर करता गया तेज़ धक्कों से।
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