RE: Free Sex Kahani कौन सच्चा कौन झूठा
चंपा की आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी
दीपक , चंपा के सामने आया चंपा ने अपने दोनो हाथो को पकड़ा हुआ था और अपनी
चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी, दीपक चंपा की चुचियो को चूसे जा रहा था
चंपा ने ज़ोर से दीपक के कान को काट लिया ,दीपक एक दम से पीछे हुआ और अपने
कान को मसल्ने लगा
चंपा की तरफ देख , और हल्का सा मुस्कुरा दिया चंपा ज़ोर हस पड़ी ,दीपक झट
से आगे आया और चंपा के होंठो को चाटने लगा ,चंपा ने भी अपनी जीभ दीपक के
मूह मे डाल दी
दोनो ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे को प्यार कर रहे थे ,चंपा ने अब अपने हाथ
भी अलग कर लिए थे , दीपक चुचियो को ज़ोर से मसल्ते हुए अपना हाथ चंपा की
चूत पर ले गया ,झांतो मे हाथ लगते ही उसे गीले पन का एहसास हुआ ,चंपा बहुत
गरम थी अपने होंठो को बार-2 अपने दाँतों मे दबा रही थी
दीपक ने जैसे ही अपनी उंगली अंदर करने की कौशिश की चंपा दीपक से चिपक गयी
और दीपक के कंधे को चूमने लगी
दीपक: मेरी तरफ देखो,क्या हुआ
चंपा: कुछ नही (बहुत धीरे से बोली)
दीपक ने चंपा काहाथ अपने लंड पे फिर से रखा
दीपक ने चंपा का हाथ फिर से अपने लंड पे रखा , चंपा को एक गरम रोड का एहसास
हुआ ,चंपा नीचे बैठी अंडरवेर को नीचे किया सामने लंबा लंड झांतो से भरा
हुआ,सूपड़ा एक दम लाल.
अपने हाथ मे लंड पकड़ा और दीपक की तरफ उपर देखा ,दीपक भी चंपा की तरफ देख
रहा था ,चंपा ने लंड को आगे पीछे किया ,दीपक मज़े मे चूर था
दीपक ने चंपा को उपर खड़ा किया
चंपा खड़ी हुई पर लंड अभी भी उसके हाथ मे ही था ,दीपक चंपा के होंठो को
चूसे जा रहा था अपने हाथो से चुचियो को दबाए जा रहा था ,चंपा लंड आराम से
हिला रही थी
दोनो थक गये थे खड़े खड़े ,आख़िर उन्होने आज इतना काम जो किया था , दीपक
चंपा का हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया ,बेड पर बैठा सामने चंपा बिल्कुल
नंगी खड़ी थी ,उसके पेट पर हाथ फिराते हुए चूमने लगा पेट को ,चंपा की हालत
और खराब होती जा रही थी
चंपा इतनी गरम थी के अब अगर दीपक उसे ना छोड़ता तो वो झाड़ जाती ,, चंपा
दीपक से अलग हुई और किचन की तरफ गयी ,दीपक हैरान हो गया के ये क्या हुआ
दीपक धीरे से बेड से उठा और सीधा किचन की तरफ़ गया, चंपा सामने खड़ी ग्लास
से पानी पी रही थी , दीपक को उसकी तरफ आता देख वो हल्का सा हसी ,दीपक चंपा
के करीब गया , उसके ग्लास से पानी पानी पिया ,ग्लास को ऐसे ही ज़मीन पर
छ्चोड़ दिया
दीपक चंपा पे झपटा सीधा अपने दाँत चंपा की दाई चुचि पे गाढ दिए , चंपा
सिहर्ररर उठी , दीपक के बॉल पकड़े और ज़ोर से खिचने लगी , दोनो एक दूसरे को
प्यार के साथ दर्द भी दे रहे थे
दीपक: दर्द हुआ
चंपा ने सिर हिला के हामी भारी
दीपक ने होंठो से होंठो को जोड़ दिया ,चंपा एक दम से दीवार से जा चिपकी
,दीपक दोनो चुचियो को बड़ी ज़ोर से पीस्से जा रहा था ( मानो जैसे कोई छोटा
बच्चा कोई नया खिलोना मिलने पर खुश होता है ,उसके साथ खेलता है )
दीपक ने चंपा का हाथ अपने लंड पर रख दिया ,चंपा उसे आगे पीछे कर रही थी
बड़े आराम से ,क्यूकी वो खुद अपनी चुचियो की पिसाई की मज़े मे चूर थी ,दीपक
बाई निप्ले को लेकर चूसे जा रहा था ,एक दम से निपल मे काट लिया चंपा के
मूह से अहह निकल पड़ी
चंपा एक दम गरम थी ,उसका दर्द उसकी गर्मी को और बढ़ा रहा था
चंपा: साहेब जी ह्म्*म्म्ममम, आराम से करिए ना
दीपक ने अपना सिर चुचियो से हटाया ,चंपा की आँखों मे उसके दर्द सॉफ दिखाई
दे रहा था उसे, उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा लाया,जैसे कुछ बोलना चाहता
हो
दीपक: अब मैं तुम्हारा दीपक हू ,साहेब जी नही
ये सुन कर चंपा थोड़ा शरमाई, अपना चेहरा एक तरफ को कर लिया ,दीपक ने अपने
हाथो मे उसका चेहरा लिया
दीपक: क्या हुआ , क्या मेरा नाम अछा नही है ( हंसते हुए बोला)
चंपा: बहुत अछा नाम है आपका पर (बोलते हुए रुक गयी)
दीपक: ये वक्त पर बातो का नही है
दोनो ज़ोर से हस पड़े , दीपक ने चंपा को दीवार से हटाया और उसके पीछे गया ,
उसके बालो को हटाया और गर्देन को चूमता हुआ कमर तक आया ,पीछे से अपने हाथ
चंपा के पेट और चुचियो पर बारी-2 से घुमा रहा था
चंपा पागल हो रही थी ,शायद वो आज तक इतनी गरम कभी नही हुई थी, चंपा ने अपने
हाथ पीछे ले जा कर दीपक का लंड पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया ( मानो अब
वो रुक नही सकती)
दीपक को अचानक ऐसा लगा के ,उसके लंड पर जैसे आग लगी हो ,किसी जलती भट्टी पे
उसका लंड टकरा गया हो ,चंपा अपनी झांतो मे बार-2 उंगली कर रही थी ,दीपक को
समझ आ रहा था के उसे अब क्या करना है
दीपक ,चंपा के सामने आया ,उसके गालो पर अपनी पूरी जीभ फिरा रहा था ,चंपा ने
उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के मूह पर लगा दिया, दीपक हल्का पीछे हुआ एक
हल्का सा धक्का मारा पर लंड चूत पे लगा पर अंदर नही गया ,चंपा ने लंड पकड़ा
दूसरे हाथ से चूत का मूह खोला और लंड थोड़ा सा अंदर किया (गरम उबलता हुआ
लावा उसके अंदर आग लगा रहा था)
दीपक ने धक्का मारा ,चंपा के मूह से चीख निकल गयी (उसको बहुत दर्द हो रहा
था) उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े ,दीपक ने उसका दर्द देख कर थोड़ा पीछे
होकर लंड बाहर निकाल लिया
उसका हाथ पकड़ कर बेड के पास ले गया,चंपा को बेड पर बैठाया और लेटने का
इशारा किया,चंपा खुद ही खुद जल्दी से टाँगें फैला के लेट गयी ,सामने दीपक
खड़ा सीधा चंपा की टाँगो की बीच देखे जा रहा था ,चंपा भी दीपक को देख रही
थी
दीपक आज पहली बार ऐसे किसी को नंगा पूरी टाँगें खोले देख रहा था ,उसकी
आँखें चंपा की चूत से हट नही रही थी ,चंपा की आँखों से दीपक की आँखें मिली (
चंपा उसे अपनी तरफ बुला रही थी) दीपक बेड के उपर चढ़ा चंपा की टाँगो की
बीच गया अपना हाथ चंपा की चूत पे फिरा दिया ( चंपा पागल हो गयी)
चंपा ने दीपक को अपनी टाँगो मे जकड़ा ( दीपक की आहह निकल पड़ी) चंपा की
टाँग दीपक के ज़ख़्म पे लगी ,वो समझ गयी, उसने अपनी टाँगो का ताला खोल दिया
पर दीपक ने अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान ला के ,ये ज़ाहिर्र किया के
वो ठीक है,चंपा भी हल्का सा मुस्कुरा दी,दीपक थोड़ा आगे हुआ और अपनी जीभ
उसके पेट से लेकर चुचियो के बीच से निकलते हुए ,सुराई दार गर्देन पर फिराते
हुए उसके लाबो से मिला दी,चंपा ने भी उसका साथ देते हुए दीपक की जीभ को
ज़ोर चुस्स्स लिया
ऐसे ही दोनो एक दूसरे को चूसे जा रहे थे,चंपा ने अपनी टाँगें थोड़ी और
फैलाई दीपक का लंड हाथ मे लेकर अपनी चूत का मूह खोल कर अंदर किया , दीपक के
चूतादो पर हाथ ले जा कर दवाब बनाया
दीपक ,चंपा के लबो से लबो मिलाए एक दूसरे को चूसे जा रहे थे ,अब दोनो की
साँस उखाड़ रही थी थूक भी एक दूसरे के गालो पर बह रही थी (पर दोनो एक दूसरे
को छ्चोड़ना नही चाहते थे) दीपक समझ चुका था के उसका लंड चंपा की चूत के
मूह पर है (पर अब सब कुछ आराम से करना चाहता था ,पहले की तरहा उसे दर्द नही
देना चाहता था)
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