Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
08-26-2018, 09:48 PM,
#9
RE: Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
थी “हायमेरानिकलरहाहै….हायभाई…निकलरहाहैमेरापानी….पूराजीभघुसादे….साले…..बहुतअच्छा….ऊऊऊऊऊ…..सीईईईईईइ….मजाआगयाराजा…मेरेचुतचाटूसैयां….मेरीचुतपानीछोररहीहै………..इस्स्स्स्स्स्स्स्स……मजाआगया….बहनचोद….पीलेअपनीदीदीकेबूरकापानी….हायचूसलेअपनीदीदीकीजवानीकारस…..ऊऊऊऊ…….गांडू……” दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. दीदी की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला “हट…माधरचोद….क्याकररहाहै….गांडमारेगाक्या….फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया.

मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली “हायराजूबहुतमजाआया….अच्छाचूसताहै…तू…. मुझेलगरहाथाकीतूअनारीहोगामगरतुनेतोअपनेबहनोईकोभीमातकरदिया….उससालेकोचूसनानहींआताथा…खैरउसकाक्या…उसभोसड़ीवालेकोतोचोदनाभीनहींआताथा….तुनेचाटकरअच्छामजादिया… इधरआ,……आना…वहांक्योंखड़ाहैभाई…..आयहाँबिस्तरपरबैठ….” दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली “हूँ….खड़ाहोगयाहै….इधरआतोपासमें….देखू….” मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली “अबकभीहाथसेमतकरना…..समझाअगरमैंनेपकड़लियातोतेरीखैरनहीं…..मारतेमारतेगांडफुलादूंगी….समझा….” मैं दीदी के इस धमकी को सुन नासमझ बनने का नाटक करता हुआ बोला “तोफिरकैसेकरू….मेरीतोशादीभीनहींहुईहै….” फिर गर्दन झुका कर शरमाने का नाटक किया. दीदी ने मेरी ठोडी पकड़ गर्दन को ऊपर उठाते हुए कहा “जानतातोतूसबकुछहै…..फिरकोईलड़कीक्योंनहींपटाताअभीतोतेरीशादीमेंटाइमहै…..अपनेलिएकोईछेदखोजले….” मैं बुरा सा मुंह बनाता हुआ बोला “हुह…मुझेकोईअच्छीनहींलगती…सबबसऐसेहीहै…..” दीदी इस पर थोड़ा सा खुंदक खाती हुई बोली “अजीब लड़का है…बहनचोद…तुझे अपनी बहन के अलावा और कोई अच्छी नहीं लगती क्या…..”. मैं इस पर शर्माता हुआ बोला “…मुझेसबसेज्यादाआपअच्छीलगतीहो……मैं…..”
“आये…।हाय…ऐसातोलड़काहीनहींदेखा…।बहनकोचोदनेकेचक्करमें….भोसड़ीवालेकोसबसेज्यादाबहनअच्छीलगतीहै…. मैंनहींमिलीतो……मुठमारतारहजायेगा…॥” दीदी ने आँख नाचते हुए भौं उचका कर प्रश्न किया. मैंने मुस्कुराते हुए गाल लाल करते हुए गर्दन हिला कर हाँ किया. मेरी इस बात पर रीझती हुई दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली “हायरेमेरासोना….मेरेप्यारेभाई…. तुझेदीदीसबसेअच्छीलगतीहै….तुझेमेरीचुतचाहिए….मिलेगीमेरेप्यारेभाईमिलेगी….मेरेराजा….आजरातभरअपनेहलब्बीलण्डसेअपनीदीदीकीबूरकाबाजाबजाना……अपनेभैयाराजाकालण्डअपनीचुतमेंलेकरमैंसोऊगीं……हायराजा…॥अपनेमुसलसेअपनीदीदीकीओखलीकोरातभरखूबकूटना…..अबमैंतुझेतरसनेनहींदूंगी….तुझेकहीबाहरजानेकीजरुरतनहींहै…..चलआजा…..आजकीराततुझेजन्नतकीसैरकरादू…..” फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. दीदी भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली“जराचाटकेगीलाकर… बड़ातगड़ालण्डहैतेरा…सुखालुंगीतो…..सालीफटजायेगीमेरीतो…..” एक बार मुझे दीदी की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो दीदी की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में दीदी को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे दीदी की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए दीदी की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्या बिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर दीदी की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. दीदी दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब दीदी अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख दीदी मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला “दीदीप्लीज़….ओह….सीईईअबनहींरहाजारहाहै….जल्दीसेअन्दरकरदोना…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ……ओहदीदी….बहुतअच्छालगरहाहै….औरतुम्हारीचु…चु….चु….चुतमेरेलण्डपरबहुतगर्मलगरहीहै…

ओहदीदी…जल्दीकरोना….क्यातुम्हारामननहींकररहाहै…..” अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए दीदी बोली “हाय…भाईजबइतनाइन्तेजारकियाहैतोथोड़ाऔरइन्तेजारकरलो….देखतेरहो….मैंकैसेकरतीहूँ….मैंकैसेतुम्हेजन्नतकीसैरकरातीहूँ….मजानहींआयेतोअपनालौड़ामेरीगांडमेंघुसेड़देना…..माधरचोद….अभीदेखोमैंतुम्हारालण्डकैसेअपनीबूरमेंलेतीहूँ…..लण्डसारापानीअपनीचुतसेपीलुंगी…घबराओमत…..राजूअपनीदीदीपरभरोसारखो….येतुम्हारीपहलीचुदाईहै….इसलिएमैंखुदसेचढ़करकरवारहीहूँ….ताकितुम्हेसिखनेकामौकामिलजाये….देखो…मैंअभीलेतीहूँ……” फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को बूर की दोनों फांको के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक फांक को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमरी उलट गई. मैं आह करके सिस्याया तो दीदी बोली “बसहोगयाभाई…होगया….एकतोतेरालण्डइंतनामोटाहै…..मेरीचुतएकदमटाइटहै….घुसानेमें….येलेबसदोतीनऔर….उईईईइमाँ…..सीईईईई….बहनचोदका….इतनामोटा…..हाय…ययय…..उफ्फ्फ्फ्फ़….” करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते चुत्तर उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड दीदी की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वोउईईईमाँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उनकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उनकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर दीदी अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई “उफ्फ्फ्फ्फ़….बहनकेलौड़े….कैसामुस्टंडालौड़ापालरखाहै….ईई….हाय….गांडफटगईमेरीतो…..हायपहलेजानतीकी….ऐसाबूरफारुलण्डहैतो….सीईईईइ…..भाईआजतुने….अपनीदीदीकीफारदी….ओहसीईईई….लण्डहैकीलोहेकाराँड….उईईइमाँ…..गईमेरीचुतआजकेबाद….सालाकिसीकेकामकीनहींरहेगी….है….हायबहुतदिनसंभालकेरखाथा….फटगई….रेमेरीतोहायमरी….” इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी और मेरा लण्ड अपनी चुत में लेती भी जा रही थी तभी अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोली“हाय….माधरचोद….आरामसेनिचेलेटकरबूरकामजालेरहाहै….भोसड़ी….के….मेरीचुतमेंगरमलोहेकाराँडघुसाकरगांडउचकारहाहै….उफ्फ्फ्फ्फ्फ…भाईअपनीदीदीकुछआरामदो….हायमेरीदोनोंलटकतीहुईचूचियांतुम्हेनहींदिखरहीहैक्या…उफ्फ्फ्फ्फ़…उनकोअपनेहाथोसेदबातेहुएमसलोऔर….मुंहमेंलेकरचूसोभाई….इसतरहसेमेरीचुतपसीजनेलगेगीऔरउसमेऔरज्यादारसबनेगा…फिरतुम्हारालौड़ाआसानीसेअन्दरबाहरहोगा….हायराजूऐसाकरोमेरेराजा….तभीतोदीदीकोमजाआएगाऔर….वोतुम्हेजन्नतकीसैरकराएगी….सीईई…” दीदी के ऐसा बोलने पर मैंने दोनों हाथो से दीदी की दोनों लटकती हुई चुचियों को अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश करते हुए दबाने लगा और अपने गर्दन को थोड़ा निचे की तरफ झुकाते हुए एक चूची को मुंह में भरने की कोशिश की. हो तो नहीं पाया मगर फिर भी निप्पल मुंह में आ गया उसी को दांत से पकड़ कर खींचते हुए चूसने लगा. दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी.
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RE: Behen ki Chudai मेरी बहन कविता - by sexstories - 08-26-2018, 09:48 PM

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