Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
08-26-2018, 09:48 PM,
#8
RE: Behen ki Chudai मेरी बहन कविता
“अच्छा…बेटामख्खनलगारहाहै….”
“नहींदीदी…आपसचमेंबहुतअच्छीहो….औरबहुतसुन्दरहो….” इस पर दीदी हंसते हुए बोली “मैंसबमख्खनबाजीसमझतीहूँबड़ीबहनकोपटाकरनिचेलिटानेकेचक्करमें…..हैतू….” मैं इस पर थोड़ा शर्माता हुआ बोला “हाय…नहींदीदी….आप….” दीदी ने गाल पर एक प्यार भरा चपत लगाते हुए कहा “हाँ…हाँ…बोल…..” मैं इस पर झिझकते हुए बोला” वोदीदीदीदी…आपबोलरहीथीकीमैं….दि…दि…दिखादूंगी….”. दीदी मुस्कुराते हुए बोली “दिखादूंगी…क्यामतलबहुआ…क्यादिखादूंगी….” मैं हकलाता हुआ बोला ” वो….वो…दीदीआपनेखुदबोलाथा…कीमैं….वोग्वालिनवालीचीज़….”
“अरेयेग्वालिनवालीचीज़क्याहोतीहै….ग्वालिनवालीचीज़तोग्वालिनकेपासहोगी…मेरेपासकहाँसेआएगी…खुलकेबतानाराजू….मैंतुझेकोईडांटरहीहूँजोऐसेघबरारहाहै…. क्यादेखनाहै”

“दीदी…वो…वोमुझे…चु….चु…”

“अच्छातुझेचूचीदेखनीहै….वोतोमैंतुझेदिखादियाना…यहीतोहै…लेदेख…” कहते हुए अपनी ब्रा में कसी दोनों चुचियों के निचे हाथ लगा उनको उठा कर उभारते हुए दिखाया. छोटी सी नीले रंग की ब्रा में कसी दोनों गोरी गदराई चूचियां और ज्यादा उभर कर नजरो के सामने आई तो लण्ड ने एक ठुनकी मारी, मगर दिल में करार नहीं आया. एक तो चूचियां ब्रा में कसी थी, नंगी नहीं थी दूसरा मैं चुत दिखाने की बात कर रहा था और दीदी यहाँ चूची उभार कर दिखा रही थी. होंठो पर जीभ फेरते हुए बोला “हाय…नहीं…दीदीआपसमझनहींरही….वोवोदू…सरीवालीचीज़चु…चु…चुतदिखाने….केलिए…”

“ओहहो…तोयेचक्करहै…. येहैग्वालिनवालीचीज़…..सालेग्वालिनकीनहींदेखनेकोमिलीतोअपनीबड़ीबहनकीदेखेगा….मैंसोचरहीथीतुझेशरीरबर्बादकरनेसेनहींरोकूंगीतोमाँकोक्याबोलेगी….यहाँतोउल्टाहोरहाहै….देखोमाँ…तुमनेकैसालाडलापैदाकियाहै….अपनीबड़ीबहनकोबुरदिखनेकोबोलरहाहै….हायकैसाबहनचोदभाईहैमेरा….मेरीचुतदेखनेकेचक्करमेंहै…उफ्फ्फ….मैंतोफंसगईहूँ…मुझेक्यापताथाकीमुठमारनेसेरोकनेकीइतनीबड़ीकीमतचुकानीपड़ेगी….”

दीदी की ऐसे बोलने पर मेरा सारा जोश ठंडा पर गया. मैं सोच रहा था अब मामला फिट हो गया है और दीदी ख़ुशी ख़ुशी सब कुछ दिखा देंगी. शायद उनको भी मजा आ रहा है, इसलिए कुछ और भी करने को मिल जायेगा मगर दीदी के ऐसे अफ़सोस करने से लग रहा था जैसे कुछ भी देखने को नहीं मिलने वाला. मगर तभी दीदी बोली “ठीकहैमतलबतुझेचुतदेखनीहै….अभीबाथरूमसेआतीहूँतोतुझेअपनीबुरदिखातीहूँ” कहती हुई बेड से निचे उतर ब्लाउज के बटन बंद करने लगी. मेरी कुछ समझ में नहीं आया की दीदी अपना ब्लाउज क्यों बंद कर रही है मैं दीदी के चेहरे की तरफ देखने लगा तो दीदी आँख नचाते हुए बोली “चुतहीतोदेखनीहै…वोतोमैंपेटिकोटउठाकरदिखादूंगी…” फिर तेजी से बाहर निकल बाथरूम चली गई. मैं सोच में पड़ गया मैं दीदी को पूरा नंगा देखना चाहता था. मैं उनकी चूची और चुत दोनों देखना चाहता था और साथ में उनको चोदना भी चाहता था, पर वो तो बाद की बात थी पहले यहाँ दीदी के नंगे बदन को देखने का जुगार लगाना बहुत जरुरी था. मैंने सोचा की मुझे कुछ हिम्मत से काम लेना होगा. दीदी जब वापस रूम में आकर अपने पेटिकोट को घुटनों के ऊपर तक चढा कर बिस्तर पर बैठने लगी तो मैं बोला ” दीदी….दीदी…मैं….चू…चू…चूचीभीदेखना…चाहताहूँ”. दीदी इस पर चौंकने का नाटक करती बोली “क्यामतलब…चूचीभीदेखनीहै….चुतभीदेखनीहै….मतलबतूतोमुझेपूरानंगादेखनाचाहताहै….हाय….बड़ाबेशर्महै….अपनीबड़ीबहनकोनंगादेखनाचाहताहै….क्योंमैंठीकसमझीना…तूअपनीदीदीकोनंगादेखनाचाहताहै…बोल, …ठीकहैना….” मैं भी शरमाते हुए हिम्मत दिखाते बोला “हांदीदी….मुझेआपबहुतअच्छीलगतीहो….मैं….मैंआपकोपूरा…नंगादेखना….चाहता…”

“बड़ाअच्छाहिसाबहैतेरा….अच्छीलगतीहो…..अच्छीलगनेकामतलबतुझेनंगीहोकरदिखाऊ…कपड़ोमेंअच्छीनहींलगतीहूँक्या….”

“हायदीदीमेरावोमतलबनहींथा….वोतोआपनेकहाथा….फिरमैंनेसोचा….सोचा….”

“हायभाई…तुनेजोभीसोचासहीसोचा….मैंअपनेभाईकोदुखीनहींदेखसकती….मुझेख़ुशीहैकीमेराइक्कीससालकानौजवानभाईअपनीबड़ीबहनकोइतनापसंदकरताहैकीवोनंगादेखनाचाहताहै….हाय…मेरेरहतेतुझेग्वालिनजैसीऔरतोकीतरफदेखनेकीकोईजरुरतनहींहै….राजूमैंतुझेपूरानंगाहोकरदिखाउंगी…..फिरतुममुझेबतानाकीतुमअपनीदीदीकेसाथक्या-क्याकरनाचाहतेहो….”.

मेरी तो जैसे लाँटरी लग गई. चेहरे पर मुस्कान और आँखों में चमक वापस आ गई. दीदी बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी हो गई और हंसते हुए बोली “पहलेपेटिको़टऊपरउठाऊयाब्लाउजखोलू…” मैंने मुस्कुराते हुए कहा “हायदीदीदोनों….खोलो….पेटिको़टभीऔरब्लाउजभी….”

“इस…॥स……स…।बेशर्मपूरानंगाकरेगा….चलतेरेलिएमैंकुछभीकरदूंगी….अपनेभाईकेलिएकुछभी…पहलेब्लाउजखोललेतीहूँफिरपेटिको़टखोलूंगी….चलेगाना…” गर्दन हिला कर दीदी ने पूछा तो मैंने भी सहमती में गर्दन हिलाते हुए अपने गालो को शर्म से लाल कर दीदी को देखा. दीदी ने चटाक-चटाक ब्लाउज के बटन खोले और फिर अपने ब्लाउज को खोल कर पीछे की तरफ घूम गई और मुझे अपनी ब्रा का हूक खोलने के लिए बोला मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. दीदी फिर सामने की तरफ घूम गई. दीदी के घूमते ही मेरी आँखों के सामने दीदी की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी दीदी के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो दीदी मुस्कुराती हुई बोली “अरे, रेइतनाउतावलामतबनअबतोनंगाकरदियाहैआरामसेदेखना….ले…देख…” कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला “हाय…दीदीपकड़े…”

“हाँ…हाँ….पकड़लेजकड़…लेअबजबनंगाकरकेदिखारहीहूँतो…छूनेक्योंनहींदूंगी….लेआरामसेपकड़करमजाकर……अपनीबड़ीबहनकीनंगीचुचियोंसेखेल….” मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ दीदी की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. दीदी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की दीदी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे दीदी गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो दीदी सिसयाते हुए बोली “आह….आ…हा….सी…सी….येक्याकररहाहै…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मारडाला….सालेमैंतोतुझेअनारीसमझतीथी….मगर….तू….तोखिलाड़ीनिकलारे…..हाय…चूचीचूसनाजानताहै…..मैंसोचरहीथीसबतेरेकोसिखानापड़ेगा….हाय…चूसभाई…सीईई….ऐसेहीनिप्पलकोमुंहमेंलेकरचूसऔरचूचीदबा….हायरसनिकालबहुतदिनहोगए…..” अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली “हायराजू….सीईई…ई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ….चूसले…..पूरारसचूस…..मजाआरहाहै….तेरीदीदीकोबहुतमजाआरहाहैभाई…..हायतूतोचूचीकोक्रिकेटकीगेंदसमझकरदबारहाहै….मेरेनिप्पलक्यामुंहमेंलेचूस….तूबहुतअच्छाचूसताहै….हायमजाआगयाभाई….परक्यातूचूचीहीचूसतारहेगा…..बूरनहींदेखेगाअपनीदीदीकीचुतनहींदेखनीहैतुझे…..हायउससमयसेमराजारहाथाऔरअभी….जबचूचीमिलगईतोउसीमेंखोगयाहै….हायचलबहुतदूधपीलिया…..अबबादमेंपीना” मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली “साले….हरामी….चूची…छोड़….कितनादूधपिएगा….हायअबतुझेअपनीनिचेकीसहेलीकारसपिलातीहु….चलहटमाधरचोद…..” गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो दीदी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला “हायदीदीबूरकारसपिलाओगी…हायजल्दीसेखोलोना…” दीदी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली “हाराजामेरेप्यारेभाई….अबतोतुझेपिलानाहीपड़ेगा…ठहरजाअभीतुझेपिलातीअपनीचुतपूराखोलकरउसकीचटनीचटाऊंगीफिर…देखनातुझेकैसामजाआताहै….” पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में दीदी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच दीदी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. दीदी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली “हाय…भाईऐसेनहीं….ऐसेठीकसेनहींदेखपाओगे….दोनोंजांघफैलाकरअभीदिखातीहूँ…फिरआरामसेबैठकरमेरीबूरकोदेखनाऔरफिरतुझेउसकेअन्दरकामालखिलाउगीं…घबरामतभाई…मैंतुझेअपनीचुतपूराखोलकरदिखाउंगीऔर…।उसकीचटनीभीचटाउगीं…चलछोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही दीदी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. दीदी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली “हाय…भाई…आजातुझेमजेकरवातीहूँ ….अपनेमालपुएकास्वादचखातीहूँ….देखभाईमैंइसकुर्सीकेदोनोंहत्थोंपरअपनीदोनोंटांगोकोरखकरजांघटिकाकरफैलाऊंगीनातोमेरीचुतपूरीउभरकरसामनेआजायेगीऔरफिरतुमउसकेदोनोंफांकोकोअपनेहाथसेफैलाकरअन्दरकामालचाटना….इसतरहसेतुम्हारीजीभपूराबूरकेअन्दरघुसजायेगी….ठीकहैभाई…आजा….जल्दीकर….अभीएकपानीतेरेमुंहमेंगिरादेतीहूँफिरतुझेपूरामजादूंगी….” मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. दीदी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही दीदी की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी….काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था. कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली “राजू….ध्यानसेदेखले….अच्छीतरहसेअपनीदीदीकीबूरकोदेखबेटा….चुतफैलाकेदेखेगातोतुझे….पानीजैसानज़रआएगा….उसकोचाटकाअच्छीतरहसेखाना….चुतकीअसलीचटनीवहीहै….” दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी और बोली“सीईई….बहुतअच्छाभाई…तुम्हेआताहै…मुझेलगरहाथाकीसिखानापड़ेगामगरतूतोबहुतहोशियारहै….हाय….बूरचाटनाआताहै…. ऐसेही….राजूतुनेशुरुआतबहुतअच्छीकीहै….अबपूरीचुतपरअपनीजीभफिरातेहुए…॥मेरीबूरकीटीटकोपहलेअपनेहोंठोकेबीचदबाकरचूस…देखमैंबतानाभूलगईथी….चुतकेसबसेऊपरमेंजोलाल-लालनिकलाहुआहैना….उसीकोहोंठोकेबीचदबाकेचूसेगा….तबमेरीचुतमेंरसनिकलनेलगेगा….फिरतूआरामसेचाटकरचूसना….सीईईई…..राजूमैंजैसाबतातीहूँवैसाहीकर….” मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है. मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर दीदी ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. दीदी को भी मजा आ रहा था और वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपर
उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली “हाय राजू….बहुत अच्छा कर रहा है उछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली “हायराजू….बहुतअच्छाकररहाहै….राजा…..हाय……सीईई….बड़ामजाआरहाहै….हायमेरीचुतकेकीड़े….मेरेसैयां…..ऊऊऊउ…सीईईइ…..खालीऊपर-ऊपरसेचूसरहाहै…. बहनचोद….जीभअन्दरघुसाकरचाटना…..बूरमेंजीभपेलदेऔरअन्दरबाहरकरकेजीभसेमेरीचुतचोदतेहुएअच्छीतरहसेचाट….अपनीबड़ीबहनकीचुतअच्छीतरहसेचाटमेरेराजा….माधरचोद….लेले…..ऊऊऊऊ……इस्स्स्स्स्स…घुसाचुतमेंजीभ….मथ….दे…….” कविता दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी “हाय….राजा…जीभबाहरमतनिकालो….हायबहुतमजाआरहाहै…ऐसेही…. बूरकेअन्दरजीभडालकेमेरीचुतमथतेरहो….हायचोद….देमाधरचोद….अपनीजीभसेअपनीदीदीकीबूरचोददे….हायसैयां….बहुतदिनोंकेबादऐसामजाआयाहै….इतनेदिनोंसेतड़पतीघूमरहीथी….हायहाय….अपनीदीदीकीबूरकोचाटो….मेरेराजा….मेरेबालम…. तुझेबहुतअच्छाइनामदूंगी…. भोसड़ीवाले…..तेरालौड़ाअपनीचुतमेंलुंगी….आजतकतुनेकिसीकीचोदीनहींहैना….तुझेचोदनेकामौकादूंगी….अपनीचुततेरेसेमरवाऊगीं….मेरेभाई…..मेरेसोनामोना….मनलगाकरदीदीकीचुतचाट….मेरापानीनिकलेगा….तेरेमुंहमें….हायजल्दीजल्दीचाट….पूराजीभअन्दरडालकरसीईई…..”. दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी “
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