RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--28
गतान्क से आगे..............
इसी तरह दो हफ्ते बीत गये. हमारा चुदन चुदाई का खेल चलता रहा कभी मैं ऊपेर चला जाता और कभी तनवी नीचे आ जाती और इन दो हफ्तों में शायद दो या तीन दिन ही हमने यह खेल नही खेला वरना रोज़ ही हम इस में मशगूल रहे. जिम क्लब का बोर्ड लग गया था. मेंबर्ज़ डालने के लिए तनवी को मैने बोल दिया था. तनवी लड़कियों से बात करके उन्हें तैयार करने का काम शुरू करने वाली थी. उधर मरियम काएक्सपेरिमेंट बहुत पॉज़िटिव रहा था. दो हफ्तों में मरियम अपने पुराने लेवेल के बहुत करीब पहुँच गयी थी और वो तनवी को थॅंक्स बोलने भी आई थी. तनवी ने उसको समझा दिया था के वो अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान दे ताकि अब जो उसमे इंप्रूव्मेंट्स नज़र आनी शुरू हुई हैं वो बनी रहें. मरियम प्रॉमिस करके गयी थी के वो ऐसा ही करेगी और क्योंकि अब उसकी जिगयसा शांत हो चुकी थी इसीलिए वो अपनी पढ़ाई पर ज़्यादा कॉन्सेंट्रेट कर पा रही थी. प्रिया और नेहा ने भी मेरे कहने पर तनवी से बात की थी और वो भी अपनी पढ़ाई के बारे में संतुष्ट थीं कि अब वो अच्छी तरह से कॉन्सेंट्रेट कर रही हैं. मैने सब रेस्पॉन्सिबिलिटी तनवी को दे दी थी और वो अब मेरे द्वारा मार्क की गयी लड़कियों पर ध्यान दे रही थी. मैने तनवी को सीक्ट्व की कोई जानकारी नही होने दी थी. वो सारी स्टडी मैं खुद ही करता था और किसी भी लड़की के बारे में यदि मुझे कोई शक़ होता तो मैं तनवी को उसकी मार्क्स की डीटेल दे देता था और फिर वो नज़र रखती थी और निश्चय करती थी कि आगे क्या करना है.
क्लब की मेंबरशिप के लिए काफ़ी अप्लिकेशन्स आ गयी थीं.तनवी ने 18-20 साल की लड़कियों को मेंबरशिप देनी शुरू कर दी और 8 लड़कियाँ मेंबर भी बन गयी थीं. जिम स्टार्ट कर दिया था और तनवी सुबह ही 6 बजे से 7 बजे तक सबको एक्सर्साइज़ करवाती थी. वो एक जानकार लड़की होने के कारण सब ठीक से संभाल पा रही थी. मैं भी वहीं अपनी एक्सर्साइज़ करता था और मेरा टाइम भी वही था. मेरा एक्विपमेंट हेवी था और अलग कोने में था. तीन तरफ दीवार थी और एक तरफ ग्लास था और उसी तरफ डोर भी था. मेरी पीठ ग्लास की तरफ होती थी पर अंदर मिरर लगे होने से मैं पूरे हॉल को आराम से देख सकता था. बाहर से बहुत ध्यान से देखने पर भी केवल इतना नज़र आता था कि अंदर कोई है या नही. मैं अंदर अपनी एक्सर्साइज़स करता था 40-45 मिनट तक और फिर बाहर मेरे रूम के सामने गर्ल्स के लिए तोड़ा सा हेवी एक्विपमेंट भी था उनके लिए जो ज़्यादा वेट लॉस के लिए एक्सर्साइज़ करना चाहती थीं. उनको एक्सर्साइज़ मैं करवाता था और केवल 15 मिनट. तनवी ने पहले 15 मिनट का एरोबिक एक्सर्साइज़ का रुटीन बनाया था बॉडी वॉर्म-अप के लिए फिर 30 मिनट बॉडी टोनिंग की लाइट एक्शेरेरसिसेस का रुटीन था और एंड में 15 मिनट हेवी एक्सर्साइज़ वाली लड़कियाँ मेरी तरफ आ जाती थीं और बाकी लड़कियों को तनवी वेट मेंटेनेन्स एक्सर्साइज़स करवाती थी. लड़कियों में दो तो मेरे पड़ोस में से थीं कोयल 18 साल और शिल्पी 19 साल और दो मेरी कॉलोनी की ही थीं बिंदु 18 साल और ऋतु 20 साल और पास ही रहती थीं. बाकी 4 लड़कियाँ थोड़ी दूर से आती थीं और इनमें दो बहनें नाज़िया 20 साल और ज़ाकिया 22 साल भी थीं और बाकी दोनो लड़कियाँ थीं निक्की 18 साल और नीशी 21 साल. सभी लड़कियाँ सुंदर ही थीं पर दोनो बहनें और दो और लड़कियाँ, एक मेरे पड़ोस की शिल्पी और एक मेरी कॉलोनी की ऋतु कुच्छ ज़्यादा ही सुंदर थीं. वैसे जवानी से भरपूर हर लड़की सुंदर ही दिखती है.
दोनो बहनों में से नाज़िया थोड़ी सी ओवरवेट थी लेकिन ज़्यादा नही पर फिर भी उसको ध्यान करना ज़रूरी था नही तो वो मोटी हो सकती थी. उसे 3-4 किलो वज़न कम भी करना था हिप्स और कमर से जो उसकी बॉडी के अनुपात से कुच्छ ज़्यादा भरे हुए थे. मेरे पास 3 लड़कियाँ आती थीं. बाकी की दोनो लड़कियों को मामूली सी वेट प्राब्लम थी जो की एक्सर्साइज़स से ठीक हो सकती थी. तनवी ने सबको कलॉरी चार्ट भी बना कर दिया था की अलग अलग तरह के खाने में कितनी कॅलरीस होती हैं और एक दिन में कितनी कॅलरीस कन्स्यूम करनी चाहिए जो नॉर्मल वर्किंग में बर्न हो जाती हैं और कैसी एक्सर्साइज़ से कितनी कॅलरीस बर्न होती हैं ताकि सब ज़्यादा कॅलरीस ना लें और अपने आप को मेनटेन करके रखें. और यह सब शुरू हुए दो हफ्ते होने वाले थे कि एक दिन जब मैं जिम की सीडीयाँ उतर रहा था तो देखा कि दोनो बहनें मेरे आगे थीं. नाज़िया आगे और ज़ाकिया पीच्छे थी. अचानक मैने देखा कि जैसे ही नाज़िया आखरी सीडी पर पर रखने वाली थी कि उसका पैर फिसल गया और उसने घूम कर ज़ाकिया को पकड़ने की कोशिश भी की पर पकड़ ना पाई और गिर गयी. उसकी एक टाँग अपने ही नीचे आ गयी और वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई. इतने में तनवी भी आ गयी थी तो मैने और तनवी ने दौड़ कर नाज़िया को उठाया और टेबल पर लिटा दिया.
आज उसने एक ढीला पाजामा और टॉप पहना हुआ था. पाजामा थोड़ा लंबा होने के कारण उसका पैरउसमे फँस गया था और वो गिर गयी थी. तनवी ने उसको पूछा के कहाँ लगी है और कहाँ दर्द हो रही है? उसने हाथ से बताया के दायां घुटने पर बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है. तनवी ने चेक करना चाहा तो ढीले पाजामा में कुच्छ पता नही चल रहा था. उसने तुरंत खींच कर उसका पाजामा नीचे कर दिया और एक टवल उसकी जांघों पर रख दिया. पाजामा उतार कर उसने उसका घुटना देखा तो वो अंदर की तरफ दर्द कर रहा था और थोड़ी सूजन भी आ गयी थी. तनवी ने हाथ लगाकर अच्छी तरह से चेक किया और मुझे बोला के राज इसकी जाँघ को अच्छे से पकड़ लो और जब मैं कहूँ तो क्लॉकवाइज़ हल्का सा प्रेशर रखना ताकि जाँघ दूसरी तरफ ना मूड सके. मैने अपने दोनो हाथों में उसकी जाँघ को अच्छे से पकड़ लिया और तनवी ने उसकी पिंडली पकड़ कर आंटी क्लॉकवाइज़ एक हल्का सा झटका दिया. एक हल्की सी टिक की आवाज़ हुई और नाज़िया ज़ोर से चीखने को हुई पर आआआआआआअँ करके रह गयी और मुस्कुराने लगी. तनवी की ओर देख कर बोली के यह क्या जादू किया है के दर्द एकदम गायब हो गया है. तनवी ने बताया के कुच्छ नही तुम्हारा घुटने का जोड़ हिल गया था जो मैने सेट तो कर दिया है पर अभी तुम्हें इस पर ज़ोर नही डालना है. मुझे उसने कहा के इस पर हल्के हाथ से मसाज करते रहो तब तक मैं लड़कियों की एक्सर्साइज़ शुरू करवा देती हूँ. ज़ाकिया जो सारा रुटीन अच्छे से समझ चुकी थी, को उसने अपनी जगह पर खड़ा कर दिया और कहा कि तुम सबको एक्सर्साइज़ कारवओ और मैं नाज़िया को ऊपेर ले जाकर इसको स्पेशल तेल की मालिश करती हूँ ताकि यह जल्दी ठीक हो सके.
तनवी ने मुझे कहा के मैं नाज़िया को उठा लूँ और ऊपेर ले चलूं. मैने उससे अपने दोनो हाथों में उठा लिया और तनवी ने उसकी टाँग पकड़ ली और हम दोनो उसको लेकर ऊपेर बेडरूम में आ गये. मैने जब नाज़िया को उठाया तो उसने अपना एक बाजू मेरी पीठ पर करके मुझे पकड़ लिया जिस कारण उसका सुडौल मम्मा मेरी छाती से लगा और मैं चौंक गया. उसने ब्रा नही पहनी हुई थी. उसका सख़्त मम्मा मेरी छाती से दबा हुआ था और वो अपने हाथ से मेरी पीठ पर और ज़्यादा दबाव बना रही थी ताकि उसका मम्मा और ज़्याद दबे. तनवी ने नाज़िया को बेड पर लिटा दिया और उसकी टाँग के नीचे एक तकिया लगा दिया और उसको कहा के हिलना मत. मुझे उससणने कहा के घुटने के अंदर और नीचे की तरफ मालिश करते रहो और मैं तेल लेकर आती हूँ. तनवी को उसने थोड़ा साइड करके लेटने को कहा ताकि घुटने के अंदर और नीचे की तरफ मालिश हो सके. फिर वो ऊपेर चली गयी. मैने उसके घुटने की मालिश शुरू की. दोनो हाथों को घुटने पर रखा और उनको अलग दिशाओं में ले जाता. फिर उनको वापिस लाकर घुटने पर मिला देता. जैसा तनवी ने कहा था, मैं हल्के हाथ से ही मालिश कर रहा था. मैने देखा के नाज़िया मेरी ओर ही देख रही थी और मुझसे नज़रें मिलते ही वो मुस्कुरा दी.
उसकी आँखों में लाल डोरे नज़र आ रहे तहे और उनमें एक मस्ती सी नज़र आ रही थी. मैं ऐसी नज़र से अंजान नही था पर अपनी तरफ से कोई पहल नही कर सकता था. हां अपना ऊपेर जाने वाला हाथ मैं ज़्यादा ही ऊपेर ले जाने लगा और करीब करीब उसकी चूत तक ही पहुँच रहा था. उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी और उसका सीना ऊपेर नीचे होने लगा था. मैने अपने हाथ को पूरा ऊपेर ले जाना शुरू कर दिया और हर बार जब हाथ ऊपेर जाता तो उसकी जाँघ के जोड़ तक जाकर उसकी चूत को छ्छू कर वापिस आता. तनवी तब तक तेल लेकर आ गयी और मुझे देख कर बोली के दो बूँदें तेल लेकर अपने हाथों पर अच्छी तरह से लगाकर मालिश करो और हर 10 मिनिट के बाद 2-2 बूँदें तेल लगाते रहना. मैने वैसा ही करना शुरू कर दिया. यह तो कोई स्पेशल तेल ही था थोरी देर में ही मेरे हाथ काफ़ी गरम हो गये तो ज़ाहिर है की उसके घुटने पर भी सेक लग रहा होगा. गरमी तो कहीं और भी चढ़ रही थी. मैं देख रहा था की नाज़िया की साँसें भी गरम हो रही थीं और वो काफ़ी तेज़ी से साँस ले रही थी. पर मैं खामोशी से उसके घुटने की मालिश करता रहा और हर बार मेरा हाथ ऊपेर जाता तो उसकी चूत को भी टटोल कर वापिस आता. नाज़िया ने अपने हाथ हिलाने शुरू कर दिए और खुद भी हिलने को हुई तो मैने उसको रोका और कहा के हिलो मत. वो बोली की उसको बेचैनी हो रही है. मैं समझ तो रहा था के क्यों हो रही है पर उसकी बेचैनी को दूर नही कर सकता था. कुच्छ तो पहल उसको ही करनी थी.
नाज़िया से जब रहा नही गया तो उसने अपने दोनो हाथ उठा कर अपनी गोलैईयों पर रख दिए और उन्हे आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगी. उसके हाथों के बीच उसके छ्होटे छ्होटे निपल उसके पतले टॉप में उभर कर नज़र आने लगे थे. तनवी और नाज़िया के आने में अभी समय था. मैने नाज़िया से पूछा की क्या बात है क्या तुम्हारी तकलीफ़ बढ़ गयी है? वो बोली के नही दर्द तो नही हो रहा पर कुच्छ अजीब सा लग रहा है और वो नही जानती कि क्या हो रहा है. मैने फिर पूछा के तुम यह क्या कर रही हो? और मैने अपने हाथ उसके दोनो हाथों पर रख दिए. उसका चेहरा पूरा लाल टमाटर हो गया और वो कुच्छ नही बोली. मैने उसको फिर पूच्छा की यह क्या कर रही हो तो वो बोली के पता नही. मैने कहा के हाथ हटाओ मुझे देखने दो कही यहा भी तो नही लगी है. मैने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल कर टॉप को ऊपेर उठाया और उसके हाथों को हटाते हुए उसके मम्मे नंगे कर दिए और उनको दबा दबा के देखने का बहाना करने लगा. क्या मस्त मम्मे थे एकदम सॉलिड रब्बर की डॉग बॉल जैसे और जैसे ही मेरा हाथ नाज़िया के मम्मों पर लगा वो ज़ोर से सीत्कार कर उठी और उसने अपने हाथों से मेरे हाथों को दबा दिया और बोली के ज़ोर से मसल दो इनको बहुत अजीब सा लग रहा है. मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा. मैने कहा के मैं समझ गया हूँ के तुम्हें ठीक कैसे करना है. वो बोली तो जल्दी से करो ना जो भी करना है.
मैं तेज़ी से बाथरूम से टवल लेकर आया और उसकी गांद के नीचे लगा दिया फोल्ड करके और उसकी पॅंटी को नीचे कर दिया और उसकी चूत को देखता ही रह गया. बिना बालों की चूत की दोनो गुलाबी पुट्तियाँ आपस मे जुड़ी हुई थीं और उसके पानी से भीगी हुई थीं. मैने एक हाथ से उसकी चोटिल जाँघ को कस के पकड़ा और दूसरे हाथ की उंगली उसकी चूत की लकीर पर चलाने लगा और साथ ही अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा. नाज़िया को मैने कहा के अब जो होने वाला है वो होने देना और अपनी टाँग को मत हिलाना और अपना हाथ उसकी जाँघ से उठाकर उसके मम्मों को बारी बारी से मस्सलने लगा. 4-5 मिनट में ही नाज़िया आआआआआआआआआः ऊऊऊऊऊऊऊओ करती झाड़ गयी और मैने टवल से उसकी चूत को पोंछ कर उसकी पॅंटी ठीक कर दी और उसका टॉप नीचे करते हुए कहा कि आज के लिए उसकी बेचैनी का इतना इलाज ही काफ़ी है. उसने चौंक कर मेरी तरफ देखा और शर्मा कर अपनी आँखें झुका लीं. बहुत प्यारी लग रही थी नाज़िया पर समय ना होने के कारण मैं कुच्छ कर नही सकता था. मैने उसको पूछा के कैसे लगा? वो चुप रही तो मैने दुबारा पूछा के बताओ कैसा लगा? वो धीमे स्वर में बोली के बहुत अच्छा लगा. मैने कहा के मज़ा आया? उसने हां में सर हिलाया और आँखें मूंद लीं. मैने कहा की बाकी कल देखेंगे.
थोड़ी देर में ही तनवी और नाज़िया की आपी ज़ाकिया आ गयीं और तनवी ने नाज़िया से पूछा के अब कैसा लग रहा है? नाज़िया बोली के दर्द तो नही है तनवी ने कहा के जानती हूँ. पर अभी तुमको 3 दिन मालिश करवानी पड़ेगी फिर पूरा आराम आएगा. आज का दिन तो तुम अपना पैर नीचे नही लगाना और इस पर अपना वज़न बिल्कुल नही डालना. कल तुम्हे चेक करके ही पता चलेगा कि कैसा है और क्या करना है. फिर तनवी ने उसकी टाँग पर नीचे की ओर एक खपकची बाँध दी जो उसकी जाँघ से ले कर उसकी पिंडली तक थी और उसको कहा के इसको खोले नही. ज़ाकिया से उसने कहा के उम्मीद तो है के अब दर्द नही होगा पर अगर हो तो कोई भी पेन किल्लर टॅबलेट दे देना और कल इसको ज़रूर लेकर आना. फिर मैं और तनवी उनको मेरी कार में घर छ्चोड़ने गये क्योंकि आज वो ऑटो से आई थीं. जब हम वहाँ पहुँचे तो तनवी चौंक गयी पर बोली कुच्छ नही. मैं भी चुप ही रहा. फिर तनवी और ज़ाकिया ने जैसे नाज़िया को कार में बिठाया था वैसे ही निकल कर घर के अंदर ले गयीं और फिर तनवी वापिस आकर कार में बैठी और बोली के चलो.
क्रमशः......
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