RE: Porn Sex Kahani तरक्की का सफ़र
“ठीक है जब तुमने कह दिया तो मुझे करना ही पड़ेगा”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन ऑफिस में पहुँच कर मैंने आयेशा को पार्टी में आने की दावत दी तो वो बोली, “सर, मैं खुशी से शामिल होती मगर लगता है मैं नहीं आ पाऊँगी।”
“क्यों क्या बात है?” मैंने पूछा।
“सर, मेरे अब्बू शायद नहीं आने देंगे, उन्हें मेरी बहुत चिंता रहती है”, आयेशा ने कहा।
“तुम इसकी चिंता मत करो, तुम्हारे अब्बा से मैं बात कर लूँगा।”
“तो ठीक है सर, मैं आ जाऊँगी”, आयेशा ये कहकर चली गयी।
मैंने आयेशा के अब्बू से बात कर उन्हें मना लिया।
शाम को प्रीती ने मुझसे पूछा कि पार्टी कौन से दिन रख रहा हूँ तो मैंने कहा कि, “शनिवार को! मैंने रजनी से कह दिया है कि वो टीना को साथ ले आये और मैंने एम-डी को भी दावत दे दी है। हमारी नयी साथी आयेशा होगी।”
शनिवार को मैंने आयेशा के अब्बू से इजाज़त लेकर आयेशा को उसके घर से पिक किया। “आज तो बहुत सुंदर दिख रही हो..... क्या बात है..... कहीं कहर बरसाने का इरादा है”, मैंने आयेशा दो देखते हुए कहा।
“नहीं सर! ऐसा कुछ नहीं है, बस अपने बदन पर थोड़ा पर्फ्यूम छिड़का है और ये ड्रेस अपनी सहेली से उधार ली है ताकि मैं पार्टी में तमाशा ना बन जाऊँ”, आयेशा ने जवाब दिया।
“पर ये ड्रेस ज्यादा देर तक तुम्हारे बदन पे नहीं रहेगी।”
“क्यों सर? क्या पार्टी में चुदाई भी होगी?” उसने पूछा।
“हाँ... थोड़ी नहीं, बहुत सारी होगी”, मैंने कहा।
“फिर तो मज़ा आ जायेगा सर”, ये कहकर वो मुझसे चिपट गयी।
मैंने भी उसे अपने नज़दीक कर लिया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। मैं बीच-बीच में उसके निप्पल भींच देता था तो उसके मुँह से जोर से सिसकरी निकल पड़ती थी।
“सर, आपने तो मुझे अभी से गीला कर दिया, मैं अपनी सहेली को कपड़े पर लगे दाग के बारे में क्या बताऊँगी?”
“तुम समझदार हो! कोई ना कोई बहाना ढूँढ ही लोगी”, कहकर मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
जब तक हम घर पहुँचे आयेशा एक बार झड़ चुकी थी। जब हम घर में दाखिल हुए तो आयेशा को देख कर एक दम सन्नाटा छा गया। आयेशा ने जब रजनी और टीना को वहाँ देखा तो चौंक पड़ी, “सर! मिस रजनी और मिस टीना ऐसी पार्टी में यहाँ क्या कर रही हैं?”
“डरो मत! ये हम में से ही एक है, और इनकी चूत मैंने ही फाड़ी थी”, मैंने आयेशा को बाँहों में भरते हुए कहा।
“नसीब वाली हैं ये कि आपने इनकी चूत फाड़ी”, कहकर वो मुझसे चिपक कर खड़ी हो गयी।
“दोस्तों!!! ये आयेशा है!” मैंने उसका परिचय कराते हुए कहा।
“इस परी को तो सबसे पहले मैं ही चोदूँगा”, विजय अपने लंड को सहलाते हुए बोला। आयेशा सिर्फ़ मुस्करा के रह गयी।
“आयेशा! मेरी बाँहों में आ जाओ, हमें समय नहीं गंवाना चाहिये”, विजय अपनी बाँहें फैला कर बोला।
आयेशा अपना पर्स वहीं ज़मीन पर गिरा दौड़ के उसकी बाँहों में समा गयी।
आयेशा को विजय के पास जाते देख मैं रजनी और टीना के पास गया, “अच्छा हुआ रजनी! तुम लोग आ गये।”
“हम आ तो गये पर तुम्हें नहीं मालूम जब अंकल यहाँ पहुँचे और टीना को यहाँ देखा तो हंगामा हो गया”, रजनी बोली।
“ऐसा क्या हुआ.... मुझे बताओ?” इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
“अपने पापा को यहाँ देख टीना भी चौंक गयी, और जब अंकल जोर से इस पर चिल्लाये कि वो यहाँ क्या कर रही है तो एक बार मैं भी घबरा गयी, पर टीना ने शांती से उन्हें कहा कि वही... पापा जो आप कर रहे हैं, आप यहाँ चोदने आये हैं और हम चुदवाने।”
“आओ देखता हूँ कि तुमने सही जवाब दिया कि नहीं”, मैंने टीना को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।
सामुहिक चुदाई का दौर शुरू हो चुका था। चारों तरफ गर्मी का माहोल था, जिसके मन में जो आये वो उसे चोद रहा था। सब पर शराब और चुदाई का नशा सवार था और चुदाई का शुमार पूरे जोर पर था। पार्टनर्स बदले जा रहे थे, पूरे घर में सिसकियों और गहरी सांसों के अलावा और कोई आवाज़ नहीं थी।
रात बारह बजे जब सब थक गये तो मैंने आयेशा को उसके घर छोड़ा और घर आकर प्रीती की बाँहों में सो गया।
दूसरे दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा आयेशा वक्त से पहले ही आ गयी थी। मेरे आते ही उसने सब रिपोट्र्स और एक एपलीकेशन मेरी टेबल पर रख दी।
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