08-23-2018, 11:37 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Kamukta Story कामुक कलियों की प्यास
रचना- हाँ भाई हाँ.. अब क्या लिख कर दूँ..!
अमर की आँखों में एक चमक सी आ गई और ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपने आप लंड पर चला गया, लेकिन जल्दी ही वो संभल गया।
अमर ने खाने का ऑर्डर कर दिया, दोनों ने आराम से खाना खाया और कुछ इधर-उधर की बातें करने लगे।
लंच के बाद वो वहाँ से घर के लिए निकल पड़े।
घर पहुँच कर रचना ने एक मादक अंगड़ाई लेते हुए कहा- ओह भाई बहुत खाना खा लिया.. अब तो नींद आ रही ही.. आआ उउउ..!
रचना कुछ नहीं बोलती और बैग उठा कर अपने रूम में चली जाती है। अमर भी उसके पीछे-पीछे रूम में चला जाता है।
रचना बैग को साइड में रख कर बेड पर गिर जाती है।
अमर- यह क्या है? अब तुम दिखा रही हो या नहीं..!
रचना- दिखाऊँगी न..! भाई थोड़ा आराम तो करने दो..!
अमर- ठीक है, करो आराम, मैं जाता हूँ और अब मुझसे बात मत करना.. ओके..!
रचना- ओह भाई.. आप तो नाराज़ हो गए.. अच्छा बाबा.. यहाँ बैठो, मैं अभी दिखाती हूँ आपको !
रचना बैग से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई और कपड़े पहन कर बाहर आई।
रचना- यह देखो, कैसी लग रही हूँ भाई, मैं?
अमर- अच्छी लग रही हो, अब दूसरा ड्रेस भी पहन कर दिखाओ।
रचना- भाई मैंने एक ही ड्रेस लिया है, दूसरा ललिता का है.. ओके..!
अमर- मैं जानता हूँ कि दूसरा ललिता का है, पर तूने अपने लिए और भी कुछ लिया है न..! वो पहन कर दिखाओ।
रचना- आर यू क्रेजी..! आप क्या बोल रहे हो..! मैंने और क्या लिया है?
अमर- अंडर-गारमेंट्स लिए हैं न..!
रचना- तो आप का मतलब मैं आपको वो पहन कर दिखाऊँ.. भाई आप ठीक तो हो न..!
अमर- इसमें ठीक होने की क्या बात है, तुमने वादा किया था ओके.. और उसमें क्या है?
रचना- भाई मुझे शर्म आ रही है, आप कैसी बात कर रहे हो?
अमर- क्यों.. स्वीमिंग के समय में भी तो सिर्फ़ अंडरवियर में तुम्हारे सामने होता हूँ और तुम भी तो स्विम सूट में मेरे सामने आती हो..!
रचना- वो दूसरी बात है भाई, ऐसे बिकनी में आना अच्छा नहीं लगता न…!
अमर- अरे पागल.. बड़ी-बड़ी फिल्म स्टार बिकनी में पोज़ देती हैं और 5 साल पहले याद है हम जंगल में घूमने गए थे, तब बारिश में भीग गए थे और सारे कपड़े गीले हो गए थे, तब मॉम ने हमें नंगा ही गाड़ी में बैठाया था। दूसरे कपड़े भी नहीं थे हमारे पास..!
रचना- भाई उस समय हम छोटे थे न.. तो चलता है..!
अमर- तो अब कौन से बड़े हो गए और क्या फ़र्क पड़ गया है, अब यार तुम तो कहती हो कि मुझे फिल्म में हीरोइन बनना है, ऐसे शरमाओगी तो तुम हीरोइन कैसे बन पाओगी?
रचना- हाँ भाई.. मेरा बहुत मन है कि मैं हीरोइन बनूँ..।
अमर- तेरा काम बन सकता है, आज जो मेरा दोस्त मिला था न.. शरद..! वो दुबई में ही बड़ी-बड़ी फिल्मों में पैसा लगाता है, उसकी बहुत पहचान है। अमिताभ से लेकर शाहिद कपूर तक और कटरीना से लेकर सोनाक्षी तक सब के साथ उसका उठना-बैठना है।
रचना- ओह.. रियली भाई..! आप उससे बात करो न.. प्लीज़ मुझे भी कोई रोल दिलवा दे..!
अमर- ओके मैं बात कर लूँगा, पर पापा को क्या कहोगी?
रचना- पापा की टेंशन मत लो, मैं उनको मना लूँगी, बस आप एक बार बात तो करो अपने दोस्त से..!
अमर- ओके कर लूँगा.. यार, अब तुम जल्दी से बिकनी पहन कर आओ, मैं भी तो देखूँ कि मेरी बहन कैसी दिखती है।
रचना शरमाति हुई बाथरूम में जाकर ब्लैक वाला सैट पहन कर बाहर आई।
अमर तो नजरें गड़ाए उसकी गदराई जवानी को देखने लगा- दूधिया बदन पर काली ब्रा में उस के मम्मे बाहर निकलने को बेताब थे और उसकी पैन्टी चूत को छुपाने में नाकाम हो रही थी।
अमर का लंड पैन्ट में तन गया था।
रचना- ऐसे क्या देख रहे हो भाई?
अमर- देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी सुंदर है।
रचना- रियली भाई.. थैंक्स..!
अमर- ब्रा-पैन्टी में इतनी खूबसूरत लग रही हो, अगर ये भी ना हो तो क्या मस्त लगोगी..!
“धत्त भाई.. आप भी..!” बोल कर रचना भाग जाती है और बाथरूम बन्द कर लेती है।
अमर- रचना क्या हुआ यार.. प्लीज़ बाहर आओ न..!
रचना- बस भाई.. मैंने आपको दिखा दिया, अब मैं कपड़े पहन कर आ रही हूँ।
अमर- क्यों वो रेड, पिंक और ब्राउन भी तो हैं वो भी पहन कर दिखाओ न..!
रचना- दो ललिता के लिए हैं, मेरी नहीं हैं भाई..!
अमर- अच्छा रेड वाली तो दिखाओ न..!
रचना- नहीं भाई अब आप अपने दोस्त से बात करो पहले.. उसके बाद आप जो कहोगे मैं दिखा दूँगी।
अमर- सच्ची..! जो मैं कहूँ.. वो दिखाओगी तुम?
रचना- हाँ भाई पक्का वादा है, पर आप बस अपने दोस्त से बात करो।
अमर- ओके.. मैं अभी उसको फ़ोन करके कल मिलने को बोलता हूँ, अब तो आ जाओ बाहर..!
रचना- भाई आप जाओ मैं थक गई हूँ बाथ लेकर सोऊँगी अब..!
अमर- ओके मैं अभी जाता हूँ और शरद से बात करता हूँ।
अमर वहाँ से अपने रूम में आया और शरद को फ़ोन करके ‘बहुत जरूरी काम है’ कह कर शाम को मिलने को बुलाया।
शरद से बात करने के बाद अमर नंगा हो गया और अपने लंड को सहलाने लगा।
अमर- ओह माई स्वीट सिस्टर, तेरे मम्मे क्या कमाल के हैं, उफ.. तेरा गोरा बदन, तेरी चूत भी कितनी प्यारी होगी.. आह आ आ.. साली बहुत नखरे हैं तेरे.. अब देख कैसे तुझे मजबूर करता हूँ नंगी होने के लिए।
रचना के नाम की मुठ मार कर अमर शान्त हो गया और सो गया।
शाम को अमर तैयार होकर बाहर निकला और घर से थोड़ी दूर एक स्टोर के पास खड़ा हो गया। करीब 5 मिनट में शरद भी आ गया। अमर कार देखकर झट से अन्दर बैठ गया, शरद ने कार को आगे बढ़ा देता दिया।
शरद- हाँ भाई.. अब बोल ऐसा कौन सा जरूरी काम है जो तूने अर्जेंट बुलाया है?
अमर- अरे यार तू गाड़ी चला, बस मैं बताता हूँ सब..!
शरद- वैसे जाना कहाँ है, यह तो बता यार..!
अमर- जाना कहीं नहीं है, बस कार को हाइवे पर ले ले.. लॉन्ग-ड्राइव भी हो जाएगी और बात भी..!
शरद- अच्छा ठीक है, अब तू बात तो शुरू कर यार..!
अमर- यार तेरे तो फिल्म वालों से बहुत कनेक्शन हैं, मेरी बहन के लिए बात करनी है तुझसे..!
शरद- क्या..! फिल्म में तेरी बहन को रोल चाहिए..! कौन सी बहन को..!
अमर- यार सुबह तो देखा है रचना को..!
शरद- अच्छा.. अच्छा कैसा रोल चाहिए.. उसे..! वो तो यार अभी बच्ची है।
अमर- उसको हीरोइन का रोल करना है।
शरद- तेरा दिमाग़ खराब है क्या..! हीरोइन का रोल नहीं होता, वो फिल्म की मेन किरदार होती है, और दूसरी बात अभी यार वो बहुत छोटी है।
अमर- अरे यार तुम बात को समझ नहीं रहे हो.. रोल-वोल कुछ नहीं दिलवाना है, उसको बस ये तसल्ली देनी है कि तुम उसको हीरोइन बना दोगे।
jaySuper memberPosts: 8057Joined: 15 Oct 2014 22:49Contact:
Contact jay
Re: कामुक कलियों की प्यास
Unread post by jay » 29 Jan 2015 22:24
शरद- ऐसा क्यों.. यार अपनी ही बहन को धोखा दे रहे हो, पूछ सकता हूँ क्यों..?
अमर- अरे यार धोखा नहीं दे रहा.. बस उसको बकरा बना रहा हूँ।
शरद- अरे यार वो लड़की है, उसको बकरा नहीं बकरी बनाओ हा हा हा हा..!
अमर भी हँसने लगता है और अपने मन में कहता ही बकरी नहीं उसको तो मैं घोड़ी बनाऊँगा..!
शरद- क्या सोच रहा है..!
अमर- कुछ नहीं यार.. बस ऐसे ही..!
शरद- अच्छा यह बता कि मेरे बोलने से वो मान जाएगी क्या?
अमर- नहीं यार वो बहुत स्मार्ट है, ऐसे नहीं मानेगी.. तू थोड़ी एक्टिंग करना.. बस आज रात को तू मेरे घर आ जा, बाकी क्या करना है ये तू खुद सोच लेना..!
शरद- ओके, मैं 9 बजे आऊँगा लेकिन यार एक बात कहूँ मुझे उसकी कुछ पिक लेनी होगी, ताकि उसको लगे कि रियल में उसको फिल्म में रोल दिलवा रहा हूँ।
अमर- हाँ क्यों नहीं यार.. ले लेना..!
शरद- यार वो तेरी सग़ी बहन है.. डर रहा हूँ कुछ गलत ना हो जाए..और कहीं तुमको बुरा ना लग जाए।
अमर- क्यों मुझे को क्यों बुरा लगेगा यार..!
शरद- अब यार तू तो जानता ही है न.. कि आजकल की हीरोइन कैसी होती हैं.. उसी टाइप के पिक लेने होंगे..!
अमर- तो ले लेना न..! यार मुझे कुछ बुरा नहीं लगेगा, मैं तो खुद उसको बोल कर आया हूँ ये सब बातें कि फिल्म लाइन में शर्म नाम की कोई चीज नहीं होती है, वो रेडी है यार..!
शरद- यार एक बात समझ नहीं आ रही.. तू आख़िर चाहता क्या है.. साफ-साफ बता न..! अपनी सग़ी बहन को मेरे सामने अध-नंगा करने को भी तैयार है, यार मुझे ये सिर्फ़ बकरा बनाने की बात तो नहीं लगती.. बात कुछ और ही है..!
अमर- अरे यार अब तुझसे क्या छिपाऊँ, तू अध-नंगी की बात कर रहा है, मेरा बस चले तो उसको पूरी नंगी कर दूँ.. पागल हो गया हूँ मैं उसकी जवानी देख कर..!
शरद- क्या तू होश में तो है..! वो तेरी सग़ी बहन है यार..!
अमर- तो क्या हुआ दुनिया में बहुत से बहन-भाई चुदाई करते हैं.. मैं कर लूँगा, तो कौन सी आफ़त आ जाएगी..!
शरद- यार तेरे मन में यह ख्याल आया कैसे और इस गंदे काम में तेरी मदद करके मुझे क्या मिलेगा..!
!
अमर- मेरे मन में ये कैसे आया, इस बात को गोली मार और रही तेरे फायदे की बात..! तो यार तू भी चूत का स्वाद चख लेना..!
यह सुनकर शरद की आँखों में चमक आ गई क्योंकि वो तो सुबह ही रचना पर फिदा हो गया था और उसे इस बात का अफ़सोस भी था कि अमर कैसा भाई है, जो अपनी बहन को चोदना चाहता है, पर दिल में ख़ुशी भी थी कि उसको एक कच्ची कली बिना मेहनत के चोदने के लिए मिल रही है।
यह सुनकर शरद की आँखों में चमक आ गई क्योंकि वो तो सुबह ही रचना पर फिदा हो गया था और उसे इस बात का अफ़सोस भी था कि अमर कैसा भाई है जो अपनी बहन को चोदना चाहता है, पर दिल में ख़ुशी भी थी, कि उसको एक कच्ची कली बिना मेहनत के मिल रही है।
अमर- क्या सोचने लगा यार? अभी से मेरी बहन के ख्यालों में खो गया क्या?
शरद- नहीं यार… वो बात नहीं है, पहले में रचना से मिलूँगा, उसके बाद ही कुछ बता पाऊँगा कि तुम्हारा प्लान कितने दिन में पूरा होगा और हाँ, वहाँ उसके सामने मैं जैसा भी बर्ताव करूँ, तू ज़्यादा बीच में मत बोलना, ओके..!
अमर- ओके.. यार बस तू उसको पटा लेना, एक बार वो ‘हाँ’ कर दे, तो मज़ा आ जाएगा।
शरद- अब चलें, बात बहुत हो गई है..!
अमर- हाँ चलो.. अभी ललिता भी नहीं होगी.. तो आराम से उससे बात हो जाएगी।
शरद- यह ललिता कहाँ है?
अमर- मेरी छोटी बहन ललिता अपनी सहेली के यहाँ गई हुई है, रात तक ही आएगी, तब तक रचना को पटाते हैं।
शरद ने हाँ में सर हिलाया।
शाम के 6 बजे दोनों अमर के घर पहुँच गए। अमर अपने कमरे में शरद को बैठा कर खुद रचना के रूम में गया।
उस समय रचना तैयार हो रही थी, शायद सोकर उठी होगी और नहा कर तैयार हो रही थी, उसके लंबे बाल भीगे हुए थे, वो उनको सुखा रही थी।
रचना- अरे भाई आप.. आओ न..! कहाँ चले गए थे आप.. मैं आपके रूम में गई, तो आप नहीं थे..!
अमर- मेरी स्वीट सिस्टर, तेरे लिए ही बाहर गया था। कोई अच्छा सा ड्रेस पहन कर मेरे रूम में जल्दी से आ जा। शरद आया है तुमसे मिलने ! मैंने उससे तेरे लिए बात कर ली है।
रचना- ओह.. वाउ.. भाई आप कितने अच्छे हो.. मैं बस अभी आई..!
अमर- कोई अच्छी सी ड्रेस पहनना.. वो तेरा इंटरव्यू लेंगा। पहले तो उसने मना कर दिया था, पर मैंने दोस्ती का वास्ता दिया, तब यहाँ आया है। अब बाकी तुम संभाल लेना..!
रचना- ओके भाई, अब आप जाओ वो अकेले बैठे होंगे। मैं बस 5 मिनट में तैयार होकर आई.. !
अमर वापस शरद के पास गया और उसे समझा दिया कि अब संभाल लेना.. वो आती होगी।
तकरीबन दस मिनट बाद रचना कमरे में दाखिल हुई तो दोनों उसको देख कर बस देखते ही रह गये..
रचना ने गुलाबी जालीदार टॉप पहना हुआ था, जिसमें से उसकी काली ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी और उसका गोरा बदन भी दिख रहा था।
नीचे एक काले रंग की शॉर्ट-स्कर्ट जो जरूरत से कुछ ज़्यादा ही छोटी थी। यूँ समझो कि बस चूत से कोई 2-3 इंच नीचे तक..
अगर कोई थोड़ा सा झुक कर देखे तो उसकी पैन्टी भी दिखाई दे जाए।
उसकी गोरी-गोरी जांघें क़यामत ढहाने को काफ़ी थीं।
शरद- ओह वाउ… यू लुकिंग गॉर्जियस..!
रचना- थैंक्स शरद जी..!
अमर भी बस उसकी खूबसूरती को देखता ही रह गया। दोनों के लौड़े पैन्ट में तन गए थे।
शरद- आओ रचना.. यहाँ बैठो..!
रचना उन दोनों के सामने कुर्सी पर बैठ जाती है, जैसे उसका इंटरव्यू होने वाला हो।
अमर- रचना मैंने बड़ी मुश्किल से शरद को यहाँ बुलाया है, ये कुछ पूछना चाहते हैं..!
शरद- अब बस भी करो, तुम ही बोलते रहोगे या मुझे भी बोलने दोगे?
अमर- सॉरी यार..!
शरद- देख यार बुरा मत मानना, वैसे तो हम दोस्त हैं, पर काम के मामले में किसी तरह का दखल पसंद नहीं करता हूँ। अब चुप रहो, मुझे रचना से बात करनी है।
रचना- आप क्या पूछना चाहते हो?
शरद- सबसे पहली बात तो यह कि इतनी कम उम्र में तुमको हीरोइन बनने का ख्याल कैसे आया?
रचना- मेरी उम्र कम कहाँ है, पूरी 18 की हो गई हूँ, आलिया भट्ट भी तो इसी ऐज की होगी..! वो कैसे बन गई?
शरद- ओहो आलिया की बराबरी कर रही हो जान.. उसका बाप डायरेक्टर है, समझी तुम..!
रचना चुपचाप उसकी तरफ देखने लगी।
“ओहो.. सॉरी मैंने ‘जान’ बोल दिया.. दरअसल यह मेरी आदत है कि काम के समय बात करते समय सामने वाले को ‘जान’ बोलता हूँ।”
रचना- कोई बात नहीं आपने जान ही तो बोला है न…! और रही बात मेरे हीरोइन बनने की, तो आपकी इतनी पहचान कब काम आएगी..! प्लीज़ शरद जी प्लीज़..!
अमर- हाँ यार, मेरी बहन के लिए तुमको इतना तो करना ही होगा..!
|
|
|