RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
अमित नो जो भी देखा उसे देख कर अच्छा लगा. पिताजी ने सोनाली को
टेबल पर दबा रखा था. उनका एक हाथ उसके सिर पर था और दूसरा
उसकी पीठ पर. उसके मम्मे टेबल पर मसल रहे थे. उनका मोटा और
लंबा लंड भयंकर रफ़्तार से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा
था.
"ओह सोनाली तूमम्महारी चूत बहूत आआछःईईई है. इसससे अच्छी
चूत मेईने आज तक नही छोदि. में तूमम्महरी चूओत रोज़ चूड़ना
चाहता हूँ."
"हाआँ पिटाआअजी आअपका लंड भी साब्से आआआछा है.. ये चूओत
आज से आअपकी आअपका जाअब दिल्ल्ल चाहे आअप इससे चोद साकते
हाीइ."
उसके पिताजी के धक्के पूरी टेबल को हिला रहे थे. एक बार तो टेबल
पर पड़ा फुल्लों का गुलदस्ता ज़मीन पर गिर पड़ा और टूट गया. काँच
के टूटने की आवाज़ भी उन्हे नही रोक पाई. वो दोनो चुदाई करते
रहे और तब तक करते रहे जब उसके पिताजी ने सोनाली की चूत मे
पानी नही छोड़ दिया. सोनाली की चूत ने भी पानी छोड़ दिया था.
फिर उसके पिताजी घूमे और उन्होने हम लोगों को देखा. जो हम ने
देखा था उससे सब इतना गरमा गये थे कि सब अपने आप से खेल रहे
थे.
"मुझे नही पता था कि तुम सब हमे देख रहे हो?"
उसके पिताजी कुछ अजीब सी स्थिति मे थे. उनका अर्ध मुरझाया लंड
भी काफ़ी बड़ा लग रहा था. सोनाली भी अब पलट कर हमे देख रही
थी. वो टेबल का सहारा लिए खड़ी थी. इतनी भयंकर चुदाई के बाद
उसकी टाँगो मे इतनी ताक़त नही थी कि वो अपने पैरों पर खड़ी रह
सके.
"मुझे नही लगता कि हम पहले कभी मिले हो?" उसके पिताजी ने अमित
को देखते हुए कहा.
"पिताजी ये अमित है. हमारे पड़ोस मे रहता है." विजय ने कहा.
"ओह इसका मतलब है ये हमारे घर मे घुस आया, मुझे कुछ इंतज़ाम
करना पड़ेगा." पिताजी कुछ चिंतित होते हुए बोले.
विजय ने अमित के लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया, "मुझे नही
लगता कि ये किसी से कुछ कहेगा, क्यों अमित मे सही कह रहा हूँ ना?"
"अच्छा है," पिताजी ने कहा, "तुम्हारा स्वागत है, तुम हम सबमे
शामिल हो सकते हो? पर लगता है तुम पहले से ही शामिल हो."
पिताजी ने कहा.
हमारा बाकी का दिन चुदाई, फिर खाना, फिर चुदाई मे गुज़रा. जब
में और सोनाली अकेले बैठे थे उसने मुझे चूमते हुए कहा, "राज
में कितनी खुश हूँ तुम्हे बता नही सकती. इस कदर एक दूसरे के
साथ रहकर हम मज़े ले रहे है."
उस दिन के बाद अमित भी उनकी चुदाई का हिस्सा बन गया था. वो अक्सर
उसँके घर जाता और सबके सब चुदाई करता. सोनाली के पिताजी भी
उसे पसंद करने लगे थे. वो विजय से भी अच्छा लंड चूस्ता था.
सोनाली के पिताजी ने उसकी गान्ड भी एक दिन मारी थी.
सोनाली के घर कुछ दिन रहने के बाद में अपने घर चला गया.
मुझे अपनी शूटिंग की तय्यारी करनी थी. इसका मतलब था स्क्रिप्ट
पढ़नी, लोकेशन देखनी, सब तय्यारियाँ करनी अपने असिस्टेंट्स के
साथ. इसी बीच मेरी गायत्री से भी बात होती रही.
वो अपने काम मे मशरूफ थी, पर वो मुझे बहोत याद करती थी, और
में भी उसे याद करता था.
थोड़े दिन बाद मुझे कुछ काम से गायत्री के सहर मे जाने का मौका
मिला. में और गायत्री करीब करीब साथ साथ ही रहे. हम ने खूब
मस्ती और चुदाई की.
जब में वापस आया तो प्रोड्यूसर्स ने बताया कि शूटिंग दो हफ्तों के
लिए कॅन्सल हो गयी है. इसका मतलब था कि मेरे पास एक महीने की
छुट्टी थी. में सीधा सोनाली के घर की तरफ रवाना हो गया.
"आओ राज तुम्हारा स्वागत है. आज घर पर कोई नही है. पिताजी
तलाक़ के फ़ैसले के लिए माँ के पास गये है. विजय अभी काम से
वापस नही आया और प्रियंका भी बाहर गयी है." सोनाली ने मुझ से
कहा.
सोनाली के सफेद कलर के टॉप पर से उसके खड़े होते निपल मुझे
दिख रहे थे. उसने ब्लू कलर की टाइट जीन्स पहन रखी थी, जिससे
उसके चूतड़ की गोलियाँ साफ नज़र आ रही थी. हम दोनो उसके कमरे
मे आ गये. मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया.
"ऊवू राज मुझे अपनी बाहों मे जाकड़ लो. मैने तुम्हारे लंड को महसूस
करना चाहती हूँ." उसने कहा.
मैने उसके कपड़े उतारने शुरू किए. उसे नंगा करने के बाद मैने
उसे बिस्तर पर धकेल दिया और खुद अपने कपड़े उतारने लगा. मैने
उसकी चूत को देखा वो एक दम सफ़ा चट थी. बालो का नामो निशान नही
था उसकी चूत पर.
"पसंद आई तुम्हे?" कहकर उसने अपनी टाँगे फैलाकर हवा मे उठा
दी. उसने अपने दोनो हाथों से अपनी चूत को और फैला दिया. उसकी
चूत का अन्द्रूनि गुलाबी हिस्सा मुझे साफ दिखाई दे रहा था. "किसका
इंतेज़ार कर रहे हो मेरे राजा. घुसा दो अपना लंड मेरी चूत मे और
आज इसका भरता बना दो." वो एक रंडी की भाषा मे बोली.
मैने एक ही झटके मे अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया. मैने उसकी
चूत को अपने लंड को जकड़ते हुए महसूस किया और उसकी चूत ने पानी
छोड़ दिया. आज उसकी चूत इतनी कसी हुई लग रही थी कि में भी
अपने आपको रोक नही पाया और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.
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