RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"ओह हाआअँ आआईसे हीईीई ओह मेराा चूओता!!!!!!!!" सोनाली
इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि शायद पूरा घर जाग गया होगा. उसका
शरीर जोरों से काँप रहा था, शायद उसकी चूत पानी पर पानी
छोड़ रही थी.
उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जकड़ा और मेरा लंड लंबी
पिचकारी के साथ पानी छोड़ने लगा. मेरा पानी उसकी बच्चे दानी तक
छूट रहा था. मेरा वीर्य उसके पिताजी के वीर्य के साथ उसकी चूत
मे मिल गया था. तभी मैने किसी के लंड को अपनी गान्ड पे महसूस
किया.
"गुड मॉर्निंग एवेरिबडी" विजय ने कहा. विजय ने अपना लंड कुछ देर
तक मेरी गान्ड पे रगड़ा, "क्या में?' उसने धीरे से कहा. में सोनाली
की चूत पर से हट गया जिससे वो अपनी बेहन की चुदाई कर सके.
"हाआँ वीीइजया चोडो मुझे और तुम भी अपना वीर्य पिताजी और राज
के वीर्य के साथ मिला दो." सोनाली बोल पड़ी.
विजय ने एक ही धक्के मे अपना लंड अपनी बेहन की चूत मे डाल दिया.
वो ज़ोर के धक्कों के साथ अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. में
अपनी प्रेमिका को अपने भाई से चुदते देख रहा था. उसने अपनी टाँगे
अपने भाई की कमर पर कस ली थी और उछल उछल कर उसके हर
धक्के का साथ दे रही थी. जब दोनो के शरीर आपस्मे टकराते तो
अजीब आवाज़ कमरे मे गूंजने लगी.
"ओह विजय ओह हाां चूओड़ो मुज्ज़ज्झे." सिसकते हुए सोनाली
की चूत ने पानी छोड़ दिया. विजय ने भी दो चार धक्के मार कर अपना
वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.
सुबह की चुदाई ने सबको थका दिया था, "बच्चो में नहाने जा
रहा हूँ, फिर मुझे ऑफीस का कुछ काम भी है." कहकर सोनाली के
पिताजी कमरे से बाहर चले गये.
"राज सच बताना जब पिताजी और भाई मुझे चोद रहे तो तुम्हे कैसा
लग रहा था?" सोनाली ने मुझसे पूछा.
"सच कहूँ तो में अस्चर्य में था कि इतनी चुदाई तुम कैसे करवा
लेती हो? कभी थकती नही हो?' मैने पूछा.
"क्या पता मुझे क्या हो जाता है. हर वक्त मेरी चूत मे आग लगी
रहती है, मन करता है कि हमेशा किसी मोटे लंड को अपनी चूत मे
डाले पड़ी रही." सोनाली मेरे सीने पर हाथ फिराते हुए बोली.
में क्या जवाब देता. में देख रहा था कि मेरी प्रेमिका दिन पर दिन
एक चुदासु औरत मे बदलती जा रही थी. पर मेरे साथ भी तो यही
हो रहा था. इस चुड़क्कड़ परिवार के साथ रहकर मुझे भी यही मन
कर रहा था कि मैं बस चोद्ते जाउ चोद्ते जाउ.
उसी दिन शाम को हम गार्डेन मे एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे.
विजय का चेहरा अपनी बेहन की टाँगो के बीच था. वो उसकी चूत को
चूस रहा था और मैने अपने लंड को सोनाली के मुँह मे दे रखा
था.
"आहुंम्म, ज़रा सुनिए." एक अजनबी आवाज़ सुनाई दी. हम सब ने मूड कर उस
दिशा मे देखा. एक जवान लड़का बगीचे के आख़िर मे पेड़ के सहारे
खड़ा था.
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