RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
दूसरे दिन जब सोनाली के बिस्तर मे मेरी आँख खुली तो मैने देखा
मे अकेला ही था. सोनाली वहाँ नही थी. में नीचे गया तो मुझे
सोनाली के पिताजी के कमरे से आवाज़े आती सुनाई दी. मैने कमरे का
दरवाज़ा खोला तो देखा कि सोनाली घुटनो पर थी और पीछे से उसके
पिताजी उसे चोद रहे है. उसके पिताजी अपने मोटे और लंबे लंड को
मेरी प्रेमिका की चूत मे ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहे थे.
पिताजी के हर धक्के से उसकी चुचियाँ हिल रही थी. में देख रहा
था कि बड़ी मुश्किल से सोनाली अपने पिताजी का लंड अपनी चूत मे ले
रही थी. ये लंड अब तक के लिए लंड से सबसे बड़ा और मोटा था,
चाहे जितनी क्रीम उसने अपनी चूत मे लगाई होगी.
"हाां पिीटााजी चूओडूऊ मुझीईए, फ़ाआड़ दो मेर्र्ररी चूऊत
कूओ आअज ओह हाां और जूओर से." सोनाली सिसकते हुए बड़बड़ा
र्है थी.
सोनाली ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी और चुदाई का मज़ा ले रही
थी. "ओह पित्ताजी कीतना अच्छा लग रहा है."
मैने अपनी शॉर्ट्स उतारी और अपने लंड को सोनाली के होठों पर
रगड़ने लगा.
सोनाली ने अपनी आँखे खोली और मुझे देख कर खुश हो गयी. "ओह
राज तुम उठ गये सो कर." उसने कहा और अपने होंठ खोल मेरे लंड को
अपनी गिरफ़्त मे ले लिया. अब वो अपना मुँह उपर नीचे करते हुए मेरे
लंड को चूसने लगी. वहीं उसके पिताजी जोरों के धक्के मारते हुए
उसे चोद रहे थे. "ऊऊओह ह्म्म्म्म मममममम." सोनाली मेरे लंड को
चूस्ते हुए सिसक रही थी.
मैने उसके सिर को पकड़ लिया और अपने लंड को उसके गले तक डालने
लगा. वो थोड़ा सा रुकी, पर में जानता था कि वो मेरे लंड को अपने
गले तक ले सकती है. अब में और उसके पिताजी ताल ताल से मिलकर
उसे चोद रहे थे. आज के दिन की शुरुआत अच्छी थी.
उसके पिताजी ने अपना हाथ आगे बढ़ा उसकी चुचियों को पकड़ लिए और
उसके निपल को भींचने लगे. "ऊवू पित्त्तजी मुझे आच्छा लग रहा
है, हाआँ थोड़ा और ज़ोर से भींचो ना."
"हाआँ बेटा जैसा तुम कहो." कहकर उसके पिताजी उसके निपल को
और जोरों से भींचने लगे.
में उसके मुँह मे धक्के मार रहा था. मुझे उसकी जीब अपने लंड
काफ़ी अच्छी लग रही थी. "देखो सोनाली तुम कैसी छिनाल हो गयी हो.
पीछे से अपने पिताजी के मोटे लंड से चुदवा रही हो और साथ ही साथ
अपने प्रेमी का लंड चूस रही हो."
उसके पिताजी मुझे देख कर मुस्कुराने लगे. शायद उन्हे भी अपनी
बेटी की तरह चुदाई के वक़्त गंदी गंदी बातें करना पसंद था.
उसके पिताजी को अपनी बेटी की कसी चूत शायद अच्छी लग रही थी जब
वो उनके लंड को अपनी चूत की नसों जाकड़ लेती होगी. सोनाली की चूत
थी भी काफ़ी कसी कसी.
में सोच रहा था कि सोनाली के पिताजी का लंड उसकी चूत मे लंबाई
की किस हद तक जाता था, जब वो उसकी चूत को और अंदर ही अंदर
फैला देता होगा. जहाँ में खड़ा था वहाँ से देख कर ही मेरा लंड
पानी छोड़ने को तय्यार हो गया था. में सोच रहा था कि अगर उनका
लंड सोनाली की गान्ड मे घुस गया तो उसकी गान्ड की क्या हालत होगी.
"ओ सोन्न्नली तूमम्महरी चूऊऊथ कितनी कस्िईई हु है. अब में
ज़्यादा देर तक नही रुक साकता." उसके पिताजी सिसक रहे थे.
सोनाली ने मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल दिया, "हाां पित्त्तजी
चूओद अपना रस मेरि चूओत मे, भार्र दो मेरी चूऊत को ऊवू
मेंन्न महसूस कर रही हूऊं ऑश अपपका प्ाअनी किट्त्टना गरम हाीइ."
"हाां गुडिया लीईए मेराअ सारा पानी ले ली आअप अपनी
चूऊत कू अपने पिताजी के वाइरियेयया से भर ले." जितनी जोरों से लंड
चूत मे पानी छोड़ रहा था उतनी ही तेज़ी से उनका शरीर काँप रहा
था. जब पूरा छूट गया तो उन्होने अपने और सोनाली के रस से भीगे
हुए लंड को बाहर निकाल लिया.
सोनाली बिस्तर पर घूम गयी और अपनी चूत को मेरे लंड पर घिसने
लगी. "राज मुझे चूओदो ना." वो गिड़गिडाई.
मैने उसकी गीली चूत को देखा जो उसके पिताजी के वीर्य से भरी हुई
थी. मैने बिना कुछ सोचे अपना लंड एक ही धक्के मे उसकी चूत मे
घुसा दिया. जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत मे अंदर बाहर होने लगा
उसके पिताजी का वीर्य उसकी चूत से बाहर बहने लगा.
सोनाली अब अपनी कोहनी के बल थी, "ओह्ह राज मे देख सकती हूँ किस
तरह तुम्हारा लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा है. ओह्ह्ह कितना
अच्छा लग रहा है." उसने कहा.
जहाँ मे ज़ोर के धक्कों के साथ सोनाली को चोद रहा था वही उसके
पिताजी अपने लंड को मसल्ते हुए हमे देख रहे थे, "हाां राअज
चूओड़ो मेरी बेटी को. इस राअंड्ी की चूओत को आअज फाड़ दो. उसे
आइसा ही आआचा लागता है." कहकर वो जोरों से अपने लंड को
मुठियाने लगे.
में और जोरों से चोदने लगा. मैने उसके चूतड़ पकड़े और ज़ोर से
धक्के मारने लगा. मेरे अंडकोष उसकी गान्ड से टकराते जब मे धक्के
मारता.
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