RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"तुम्हारी मम्मी ने जब पहली बार देखा था तो उसके चेहरे पर भी
यही भाव थे, वो अपने आपको इसे छूने से रोक नही पाई थी." पिताजी
उत्तेजित भावना मे बोले.
सोनाली का गला सुख रहा था और उसकी साँसे तेज होती जा रही थी.
वो अपने पिताजी के लंड की लंबाई और मोटाई मे इतना खो गयी कि उसे
कुछ भी होश नही था. उसके पिताजी ने अब उसकी दूसरी चुचि को अपने
हाथों मे ले लिया था और दोनो चुचियों को साथ साथ मसल रहे
थे भींच रहे थे.
सोनाली के मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी. जब उसके पिताजी ने उसकी टी-
शर्ट उतारने की कोशिश की तो उसने विरोध नही किया और उन्हे टी-
शर्ट उतरने दी. वो तो बस उनके लंड को देखे जा रही थी.
"इसे छूकर देखो?" पिताजी ने धीरे से उससे कहा.
सोनाली ने अपना बयान हाथ बढ़ा कर उनके लंड पर रख दिया. उसने
धीरे से उनके लंड के सुपाडे पर उंगली फिराई, ऊहह कितना बड़ा
सुपाडा लग रहा था. उससे उत्तेजना का रस चूह रहा था.
सोनाली ने उनके लंड को अपनी हथेली मे पकड़ने की कोशिश की. पर
लंड की मोटाई इतनी थी कि वो उसकी नाज़ुक और छोटी हथेली मे नही
आया. सोनाली धीरे धीरे अपना हाथ लंड पर सहलाने लगी. गरम लंड
को स्पर्श उसे मा दे रहा था.
"हां सोन्नाअली मास्लो ईईसे जूओर सीए ज़ूर से हाआँ मुठियाओ
इसे." उसके पिताजी सिसक रहे थे, उन्होने उसकी चुचियों को छोड़
दिया था और पीछे झुक अपनी कोहनी के बल हो गये थे. वो अपनी
प्यारी बेटी को अपने लंड को मुठियाते देख रहे थे.
सोनाली के पिताजी अपनी प्यारी बेटी के खड़े निपल को घुरे जा रहे
थे. उसके निपल को चूसने की बड़ी इच्छा हो रही थी उनकी, साथ ही
वो उसकी चूत की भी कल्पना कर रहे थे. उसके पिताजी ने अपना एक
हाथ बढ़ा कर पैंटी के उपर से उसकी चूत पर रख दिया. उन्होने
महसूस किया कि पैंटी चूत के रस से भीग कर गीली हो गयी थी.
सोनाली अब अपने दोनो हाथों से उनके लंड को पकड़ मसल रही थी.
"हाआँ बेटी और जूऊरू से ओह आईससे हूऊ अयाया."
सोनाली के पिताजी ने अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के उपर से ही उसकी
चूत मे घुसा दी, जैसे ही पैंटी के कपड़े ने उसकी चूत के अन्द्रुनि
भाग छुआ उसके पिताजी के लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.
गाढ़े और सफेद वीर्य की पिचकारी ठीक उसके पिताजी की जाँघो, पेट
पर और उसके हाथों मे गिरी.
"इसे चाट कर सॉफ कर दो?" उसके पिताजी ने मानो हुक्म दिया.
सोनाली अपने पिताजी के लंड से इतनी मंत्रमुग्ध थी कि उसने बिना कोई
विरोध किए अपने जीब से वीर्य को चाटने लगी.
पिताजी ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "हां बेटी अच्छी तरह
हर तरह से चाट कर सॉफ करना." पिताजी ने उसके मुँह को खुद के
लंड की तरफ कर दिया.
सोनाली ने अपने मुँह को खोल उनके लंड को अंदर ले लिया, फिर अपनी
जीब से उसे अच्छी तरह चाट कर सॉफ करने लगी.
"शाबाश बहोत ही अच्छी बेटी हो."
सोनाली को उनके वीर्य का स्वाद अच्छा लग रहा था, विजय के लंड के
वीर्य से भी अच्छा. जब पिताजी का लंड अच्छी तरह सॉफ हो गया तो
उसने लंड को अपने हाथों मे पकड़ लिया. आधा मुरझाया लंड भी उसे
काफ़ी बड़ा लग रहा था.
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