RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"सोनाली मालिश करो, रूको मत, नही तो नसों मे ठंडक भर
जाएगी." पिताजी ने कहा.
सोनाली उनकी गान्ड के थोड़ा उपर मालिश करने लगी. वो अच्छी तरह
से मसल मसल कर मालिश कर रही थी. उसे अपने पिताजी की गान्ड
बहोत अच्छी लग रही थी, वो उसे छूना चाहती थी पर ऐसा कर ना
सकी.
"सोनाली तुम्हारे हाथों मे तो सही मे जादू है, कितनी अच्छी तरह
से मालिश करती हो तुम." पिताजी ने कहा.
"थॅंक यू, पिताजी."
"क्या तुमने विजय की भी कभी ऐसी मालिश की है?" पिताजी ने उससे
पूछा.
"पिताजी बड़ा अटपटा सा सवाल है आपका." सोनाली ने धीरे से कहा.
ऊए बुड्ढ़ा क्या जानना चाहता है, सोनाली ने मन ही मन सोचा.
"पर वो तुम्हारी मालिश करता रहता है, है ना?"
"आप ऐसा क्यों कह रहे हैं पिताजी, अगर मुझे मालिश की ज़रूरत
होगी तो में राज से कहूँगी, विजय से क्यों मालिश कर्वाउन्गि."
सोनाली ने जवाब दिया.
"में पीठ की मालिश की बात नही कर रहा, में दूसरी जगह की
मालिश की बात कर रहा हूँ." पिताजी थोड़ा हंसते हुए बोले.
पिताजी की बात सुनकर सोनाली को पसीना आ गया. उसके हाथ उनकी
गान्ड पर जहाँ थे वही रुक गये.
सोनाली के पिताजी ने करवट बदली और लेट गये. सोनाली उनके पास
बैठी थी, वो सॉफ देख रही थी कि पिताजी का लंड सख़्त और खड़ा
था.
"पिताजी…….."
उसके पिताजी ने उसकी आँखों मे देखा, "सोनाली साइड के ड्रॉयर मे
देखो?"
सोनाली ने अपने हाथ पौन्छे और साइड का ड्रॉयर खींच कर खोल दिया.
उसने देखा कि कल रात की पैंटी उस ड्रॉयर मे पड़ी थी. सोनाली के
साँसे जहाँ की तहाँ रुक सी गयी.
सोनाली के पिताजी ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "कल रात तुम दोनो
काफ़ी मज़े ले रहे थे, तुम दोनो की सुनाई देती सिसकारियों से तो
ऐसा ही लग रहा था. तुम दोनो की सिसकने और करहाने की आवाज़
सुनकर में नीचे आया. फिर जब तुम दोनो फारिग हो गये तो मैने
नीचे आने का बहाना बनाया जिससे तुम दोनो डर ना जाओ.
सोनाली को इतनी शरम आ रही थी कि वो अपने पिताजी की आँखों मे
आँखे नही मिला पा रही थी. वो अपने अपने आपको कोस रही थी कि
उसने विजय के साथ उसके कमरे मे चुदाई क्यों नही की.
उसके पिताजी उठकर उसके पास बैठ गये. फिर प्यार से उसकी थोड़ी
पकड़ कर बोले, "मेरी समझ मे नही आ रहा कि में तुमसे क्या
कहूँ? कितने दिनो से चल रहा है तुम्हारे और विजय के बीच?
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