RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
मेरा लंड मुझे उसकी चूत की गहराईयो को छूता महसूस हो रहा
था. में और अंदर तक अपने लंड को घुसाने लगा.
"हाां राअज और अंदर तक घुस्सा दो. चोदो मुझे और जोरों
से." वो सिसकी.
"जैसा तुम कहो मेरी रानी." कहकर में जोरों से धक्के लगाने लगा.
मेरे लंड की दोनो गोलाइयाँ उसकी चूत के सिरे से बार बार टकरा रहे
थे. उसे दीवार के सहारे सटा में इतनी कस के धक्के मार रहा था
कि मुझे लगा कि हमने ज़रूर बगल के कमरे वालों को जगा दिया होगा.
दीवार इतनी जोरों से हिल रही थी कि बाथरूम मे समान शेल्फ से
गिरने लगा.
पर मुझे इसकी परवाह नही थी. में इतना ही चाहता था कि मेरा लंड
जितना अंदर तक घुस सके उसे जोरों से चोद्ता रहूं. आज में उसकी
चूत को फाड़ देना चाहता था. उसकी चुचियाँ मेरी छाती पर धँस
रही थी और मुझे और उत्तेजित कर रही थी.
"ओओओओः डॅयेयार्लिंग मे कब से इस वक्त का इंतेज़ार कर रही
थी. रोज़ तुम्हे सेट पर देखती थी पर तुम्हे छू नही सकती
थी. अंदर ही अंदर में मरे जा रही थी." गायत्री अपनी कमर को
उछालते हुए बोली.
"में भी, बस में अपने आपको आज रोक ना सका आज में तुम्हे हर
हालत मे चोदना चाहता था." में ज़ोर से सिसका. बड़ी मुश्किल से
मेने अपने आपको झड़ने से रोका. उसकी प्यारी चूत ने मेरे लंड को
जाकड़ लिया और निचोड़ने लग रही थी. मेने थोड़ी देर के लिया अपने
धक्के रोक दिए.
"क्या तुम्हारा छूटने वाला है?" उसने पूछा.
"हां, लगभग." मईएनए कहा.
"छूटने के पहले बाहर निकाल लेना में गोलियों पर नही हूँ और
तुमने कॉंडम भी तो नही पहना हुआ." गायत्री ने कहा.
"धात में खरीद कर लाना भूल गया." कहकर मेने अपने लंड को
उसकी चूत से बाहर निकाल लिया. गायत्री मेरी कमर से उतर मेरे
साथ खड़ी हो गयी.
"में लेकर आई हूँ, मेरे कमरे मे है." उसने कहा और मेरे लंड
को देखने लगी जो उसके रस से भीगा हुआ था. "पर में तुम्हारे लंड
को ऐसे भी तो नही छोड़ सकती." कहकर वो ज़मीन पर बैठ गयी और
मेरे लंड को मुँह मे ले चूसने लगी.
वो मेरे लंड को अपने गले तक ले चूस रही थी, में बड़ी मुश्किल
से अपने आप को रोक पा रहा था. में उसके गोरे चेहरे को अपने लंड
पर उपर नीचे होते देख रहा था.
गायत्री ने मेरे दोनो अंडकोष पकड़ लिया और सहलाने लगी, अचानक
उसने जोरोंसे एक को भींच दिया, "ओह ग्ाआयत्री ऐसा मत
करूऊ मेरा छूट जाईगा." में चिल्ला पड़ा.
इसके पहले की मेरा लंड पानी छोड़ता वो मुझसे अलग हो गयी, जिससे
उत्तेजना थोड़ी शांत हो गयी, "मेरी जान अभी नही, तुम्हारा पानी
छुड़ाने का मेरे पास दूसरा इल्लाज़ है, मेरे पीछे आओ." गायत्री ने
कहा.
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