RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
गायत्री और सोनाली मे एक आम बात थी, कि जब दोनो गरम होती थी
खूब जोरों से सिसकती थी. होटेल वालों का एक पॉर्न चॅनेल था, में
उसे लगा कर देखने लगा. थोड़ी देर बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला
और खुद को मुठियाने लगा. झड़ने के बाद मे सोने की कोशिश करने लगा.
में सोच रहा था कि इस वक़्त सोनाली क्या कर रही होगी.
में आपको बताता हूँ कि वो क्या कर रही थी. में आप सभी को ये
बता दूं कि मुझे ये सब बातें सोनाली, विजय और प्रियंका ने मेरे
लौटने के बाद बताई थी. थोड़ा बहुत सोनाली ने मुझे फोन पर
बताया था पर सब कुछ नही.
जिस रात देल्ही के होटेल मे अपने लंड को रगड़ रहा था वहीं सोनाली
अपने कमरे मे रखी मछली की टंकी को सॉफ कर रही थी. उसके कमरे
मे ये इक छोटा सा अक्वेरियम था, में हर बार भूल जाता था कि उसमे
किस प्रकार की मछलियाँ थी, खैर वो अपनी उस टंकी को सॉफ कर रही
थी.
सोनाली ने सिर्फ़ ब्लॅक बार और पैंटी पहनी हुई थी, तभी प्रियंका ने
उसका दरवाज़ा खट खाटाया, "क्या में अंदर आ सकती हूँ?"
"हां क्यों नही," सोनाली ने कहा. जबसे से सोनाली, प्रियंका और
मैने साथ मे चुदाई की थी तभी से उन दोनो के संबंध सुधर गये
थे. वो पहले से ज़यादा करीब आ गये थे. जो प्यार बचपन से
कहीं दबा हुआ था वो अब उभर कर आ गया था.
"प्रियंका ने कमरे मे कदम रखा और सोनाली के बिस्तर पर बैठ
गयी. वो अभी अभी नहा कर आई थी इसलिए सिर्फ़ बाथरोब पहन
रखा था.
"क्या बात है प्रियंका." सोनाली ने पूछा.
"कुछ ख़ास नही, बस अपनी छोटी बेहन से कुछ बात करना चाहती
थी. में सोच रही थी कि तुम मम्मी पापा के बारे में क्या सोचती
हो?' प्रियंका अपनी बेहन के मम्मो को घूरते हुए बोली. उसने देखा कि
सोनाली के निपल तने हुए थे.
"मुझे नही लगता कि वो दोनो सही मे अलग हो रहे हैं, मेरा कहने
का मतलब है कि मम्मी को सिर्फ़ थोड़ा वक़्त चाहिए अपने आप के साथ.
मेरा सोचना ये है कि वो थोड़े दिनो मे वापस आ जाएँगी फिर सब
ठीक हो जाएगा." सोनाली ने कहा.
प्रियंका ने सोनाली के ड्रेसिंग टेबल से थोड़ी रूई ली और अपने पाँव
के अंगूठे के बीच फँसा दी. फिर टेबल पर से लाल रंग की नेल
पोलिश उठा नाइल पोलिश लगाने लगी, "हो सकता हो कि तुम सही कह
रही हो? पर मुझे लगता है कि पिताजी दूसरी औरतों के साथ सोते
है."
"तुम्हे लगता है, मतलब." सोनाली उसकी बात चौंक पड़ी.
"दो दिन पहले की बात है, तुम अपनी नौकरानी मीना को तो जानती ही
हो. में अपने कमरे की बाल्कनी मे सुबह बैठी सुबह की गर्मी का
मज़ा ले रही थी कि मुझे पिताजी के कमरे से कुछ आवाज़ें सुनाई
दी, मेरी जिग्यासा बढ़ गयी. वैसे तो कमरे के पर्दे डाले हुए थे,
फिर भी एक झिर्री से थी जिसमे से में झाँकने लगी."
सोनाली की भी जिग्यासा बढ़ गयी, वो प्रियंका के पास बिस्तर पर
बैठ गयी और पूछा, "फिर तुमने क्या देखा."
प्रियंका ऐसे बता रही थी जैसे उसे राज की बातें बताने मे मज़ा
आता हो, "मैने देखा कि मीना पिताजी का लंड चूस रही थी."
"में नही मानती, ये हो ही नही सकता." सोनाली ने कहा.
"अगर तुम्हे विश्वास नही है, तो एक दिन खुद अपनी आँखों से देख
लेना. मेरे ख़याल से वो जब भी पिताजी का कमरा सॉफ करने जाती है
तभी उनका लंड चूस्ति है." प्रियंका ने कहा.
"धात….में तो ऐसा सपने मे भी नही सोच सकती, पापा कितने अच्छे
इंसान है. वो ऐसा कैसे कर सकते है?' सोनाली थोड़ा विचलित होते
हुए बोली.
"क्या पता मम्मी भी ऐसा ही करती हों और इसलिए ही………" प्रियंका एक
शैतानी मुस्कुराहट के साथ बोली.
"मुझे विश्वास नही होता. में अपनी आँखों से खुद देखना चाहती
हूँ. में पापा को अपना लंड मीना से चूस्वाते हुए देखना चाहती
हूँ." सोनाली ने कहा.
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