RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"क्या तुम मेरे भाई के साथ ऐसा कर सकते हो?" उसने हंसते हुए
मुझसे कहा.
मैने पहले सोनाली की तरफ और फिर विजय के लंड की ओर देखा.
सही बोलूं तो मुझे अच्छा तो नही लगता पर में सोनाली की खुशी के
लिए कुछ भी कर सकता हूँ. में कुछ कहता इससे पहले फोन की
घंटी बजने लगी.
सोनाली फोन की तरफ बढ़ी और उसने फोन उठा लिया, उसकी चूत से
अभी भी वीर्य की बूंदे . रही थी.
"हेलो, हां पिताजी में सोनाली बोल रही हूँ," सोनाली ने फोन पर
कहा.
"क्या?" सोनाली बोली, "ठीक है मे और विजय एक घंटे मे घर पहुँच
जाएँगे," कहकर उसने फोन रख दिया. उसके चेहरे पर हवैइयाँ उड़
रही थी.
"पिताजी, थे फोन पर वो परिवारिक मीटिंग करना चाहते है 11.00
बजे घर पर." सोनाली ने विजय से कहा.
विजय के चेहरे पर अस्चर्य था, "क्यों ऐसा क्या हुआ?"
सोनाली आकर मेरी गोद मे बैठ गयी और मुझे बाहों मे भर लिया और
बोली "पिताजी और मम्मी का किसी बात पर झगड़ा हो गया और वो दोनो
अलग होना चाहते है."
करीब डेढ़ घंटे बाद हम लोग उसके घर पर थे. शायद झगड़ा
कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया था. सोनाली की मम्मी कुछ दिन अपनी बेहन के
पास जाकर रहना चाहती थी, और पिताजी बच्चो के पास यहीं घर
पर रहेंगे जब तक हालत नही सुधर जाते.
ये उनके परिवार का मामला था इसलिए में शांत बैठा था.
प्रियंका रोए जा रहे थी और सोनाली उसे दिलासा दे रही थी.
उसी दिन दोपहर को में सोनाली के कमरे मे उसके बिस्तर पर बैठा
था और उससे बात कर रहा था.
"सोनाली तुम्हे पता है कि मुझे आज रात को जाना होगा." मैने कहा.
सोनाली मेरे पास बैठी थी, उसने अपना सिर मेरे कंधे पर टिका
रखा था, "हां मुझे पता है."
"तुम अगर कहो तो में अपना ये प्रोग्राम कॅन्सल कर तुम्हारे साथ रह
सकता हूँ." मैने उससे पूछा.
सोनाली ने मुझे चूम लिया, "नही मे ठीक हूँ, तुम जाओ. ये बड़ा काम
है, बड़ी पिक्चर है." मैने अपनी गर्दन हिलाई, "तो फिर इसे छोड़ो
मत." सोनाली ने कहा.
"में ठीक रहूंगी तुम चिंता मत करो, फिर विजय और प्रियंका भी
तो मेरे साथ है." सोनाली ने कहा, "हम लोग पिताजी को समझाएँगे,
सब ठीक हो जाएगा."
तीन घंटे बाद हम एरपोर्ट पर थे. मैने सोनाली को बाहों मे भरा
और जोरों से चूम लिया. फिर उसे विदा कर में प्लेन की ओर बढ़
गया. पीछे उसे छोड़ गया अपने परिवार के हालात से निपटने के लिए.
किसे क्या पता था कि आने वाले छह हफ्तों मे क्या होगा. मुझे रत्ती
भर भी अंदेशा नही था कि जो चुदाई की दास्तान मेरे सोनाली, विजय
और प्रियंका के बीच शुरू हुई थी ये रूप ले लेंगी. मुझे बाद मे
पता चला कि ये तो शुरुआत थी.
* * * * * * * *
सोनाली अपने बिस्तर पर नंगी लेटी थी. मुझे उसकी चूत सॉफ दिखाई
दे रही थी. उसने अपने हाथ मे डिल्डो पकड़ रखा था, मैने पहचाना
कि वो डिल्डो उसकी बेहन प्रियंका का था. वो वेब कॅम से देखते हुए मेरी
तरफ मुस्कुरा रही थी.
सोनाली ने उस नकली लंड को चूमा फिर अपने मुँह मे ले उसे गीला
करने लगी. जब वो पूरी तरह से गीला हो गया तो उसने उस लंड को
अपनी चूत मे घुसा लिया. वो जोरों से उस नकली लंड को अपनी चूत के
अंदर बाहर करने लगी. जब वो झाड़ गयी तो उसने उस लंड को अपनी
चूत से बाहर निकाला और उस पर लगे अपने पानी को चाटने लगी.
उसने मुस्कुरा के मेरी ओर देख आँख मार दी. उसे भी मज़ा आ रहा
था और मुझे भी ये सब देखकर.
मेरी प्रेमिका वहाँ अपनी बेहन के नकली लंड से अपने आपको चोद रही
थी वही मे उसे हज़ारों मील दूर बैठा उसे होटेल के कमरे मे वेब
कॅम पर देख रहा था.
सोनाली के इस दृश्य ने मेरे शरीर मे आग भर दी थी. मेरा लंड
पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था. मैने अपने लंड को अपनी पॅंट
से बाहर निकाला और मुठियाने लगा.
वो मुझे कंप्यूटर के उपर लगे वेब कॅम से देख रही थी. में अपने
वेब कॅम के सामने बैठा अपने लंड को मुठिया रहा था. कनेक्षन
इतना अच्छा था कि हम दोनो एक दूसरे को अच्छी तरह देख सकते थे.
सोनाली उस नकली लंड को अपनी चूत मे एक बार फिर डाल अंदर बाहर
कर रही थी, साथ ही वो बड़बड़ा रही थी जैसे मुझे चिढ़ाना
चाहती हो, "ओह हाआअँ ये लंड किठनाआ आआछ है. इसने तो
मेरिइइ चूऊत ही फ़ाआआद दी है…………"
मैने देखा कि जब भी वो उस लंड को अपनी चूत से अंदर बाहर करती
उसकी चूत से पानी चुउउने लगता. सोनाली ने दीवार का सहारा ले
अपनी टाँगे हवा मे उठा रखी थी, जिससे उसकी चूत का नज़ारा सॉफ
दिखाई दे रहा था. मुझे वेब कॅम से उसकी गान्ड का छेद भी सॉफ
नज़र आ रहा था जिसे मैने कुछ दिन पहले ही चोदा था.
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