RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी हवा मे छोड़ दी, दो मेरे पेट पर गिरी
और एक उसके हाथों पर. तुरंत मेरे दिमाग़ मे आया कि विजय क्या कह
रहा था. मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और उसके खड़े लंड
को देखने लगा.
उसका लंड देख कर मेरा मन भी ललचा गया. ग़लत मत समझिए
में गान्डु नही हूँ पर कभी कभी दिल मे ख़याल आ ही जाता है.
सही मे बहुत ही सुन्दर लंड था उसका.
"मेरे होने वाले जीजाजी क्या तुम मेरे लंड को मुठियाना चाहोगे?" उसने
मुस्कुरा कर अपने लंड की ओर इशारा किया.
में जवाब मे मुस्कुराया और उसके लंड को अपने हाथों मे लेकर
रगड़ने लगा.
"ओह राआाज हाां और्र्रर जूऊओरों से आआअहह अयाया मेरा
चूओता." और उसके लंड ने पानी छोड़ दिया.
उस रात सोनाली टाय्लेट मे सीट डाले उस पर बैठी थी. वो अपनी
झान्टो को सॉफ कर रही थी और में दाढ़ी बना रहा था. तभी
मैने उसे अपने और विजय के बारे मे बताया.
"क्या तुम दोनो लड़कों ने एक दूसरे के लंड को मूठ मारी?" सोनाली ने
चौंकते हुए कहा. मैने हां मे गर्दन हिलाई, "और उसने ये भी
कहा कि तुम दोनो मिलकर मुझे चोदो." मैने फिर गर्दन हिलाई.
सोनाली ने अपनी चूत के बाल सॉफ किए और बाकी की लगी क्रीम को
टवल से सॉफ किया, "साला हरामी, अपनी बेहन को रंडी समझता
है," शयाद वो नाराज़ हो गयी थी.
मैने उसके सामने आया और उसके होठों को चूम लिया, "हम दोनो ने एक
दूसरे की मूठ मारी तुम्हे बुरा लगा?"
"नही बुरा तो नही लगा. पर मैने सोचा कि हमारे बीच ये तय हो
गया था कि में विजय से दुबारा नही चुदवाउन्गि." मैने एक बार फिर
उसे चूमा और सॉफ की हुई चूत को सहलाने लगा, "एम्म्म काफ़ी अच्छी
है."
"क्या कर रहे हो राज, पहली मेरी बात का जवाब दो?" उसने मेरे हाथ को
झटकते हुए कहा.
"सही बोलू जान तो मुझे पता नही, हां जो आज उसने मेरे साथ किया
वो मुझे पसंद आया, तुम्हारा भाई मुझे अच्छा लगा. वो एक अच्छा
लड़का है. रही तुम्हारी बात तो में तुमसे प्यार करता हूँ, और
चाहता हूँ कि तुम जिंदगी के पूरे मज़े लो." कहकर मैने अपनी दो
उंगलियाँ उसकी चूत मे डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. फिर अपनी
उंगलियों को बाहर निकाल चाटने लगा.
सोनाली ने जवाब दिया, "में कल उससे बात करूँगी." मैने अपनी जेब
से अपना सेल फोन निकाला और उसे पकड़ा दिया, "तुम अभी उससे बात
क्यों नही करती, अभी से अच्छा वक़्त कौन सा होगा?"
सोनाली ने विजय का नंबर मिलाया, जब दोनो ये बात कर रहे थे
मैने अपनी उंगलियाँ फिर एक बार उसकी चूत मे डाल दी थी और अपने
अंगूठे से उसकी चूत को सहला रहा था.
"विजय मुझे तुमसे कुछ बात करनी है." सोनाली थोड़ा गुस्से मे बोली.
"हां सोनाली कहो क्या कहना है?"
"तुम अपने आपको समझते क्या हो?"
"ओह तो राज ने तुम्हे बता दिया, क्या हुआ जो तुम इस तरह पागल हो रही
हो?"
सोनाली के मुँह से हल्की सिसकी निकल रही थी, उसकी चूत पूरी तारह
गीली हो चुकी थी तभी मैने अपनी तीसरी उंगली भी उसकी चूत मे
घुसा दी, "विजय कहीं तुम राज को बहका तो नही रहे जिससे तुम मुझे
दुबारा चोद सको? में जान ना चाहती हूँ."
|