RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
प्रियंका के चेहरे पर घबराहट उभर आई, "कहीं तुम दोनो ने
मेरी……..
"कुतिया उस तरफ देख." सोनाली ने कॅमरा की तरफ इशारा करते हुए
कहा. "अपने दिमाग़ मे भी उस टेप को चुराने की बात नही लाना, क्यों
कि वो कॅमरा सीधे कंप्यूटर से जुड़ा है, जहाँ तुम्हारी चुदाई की
टेप बन रही है."
"तो तुम दोनो ने मुझे फँसा ही लिया." प्रियंका ने कहा.
में आगे बढ़ा और उसके होठों को चूम लिया, "अगर तुम खेल खेल
सकती हो प्रियंका तो क्या हम नही खेल सकते."
थोड़ी देर तक कोई कुछ नही बोला, फिर प्रियंका बोली, "क्या हम
लिविंग रूम मे जाकर वो टेप देख सकते है."
हम सब लिविंग रूम मे आकर वो टेप देखने लगी. इससे अच्छी ब्लू
फिल्म मैने पहले कभी नही देखी थी. टेप देखने के बाद मैने
सोनाली की चूत मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर करते रहा और
प्रियंका मेरे लंड को चूस्ति रही.
सही मे इस पूरे हालत ने प्रियंका को बदल कर रख दिया. जितना वो
अपने बेहन से नफ़रत करती थी, उतना ही करीब आ गये थे दोनो आज
की रात.
पर ये कहानी का अंत नही है, आगे और भी है.
जिस दिन मैने प्रियंका मेरी प्रेमिका सोनाली की बेहन को चोदा था,
जब वो उसी कमरे में हमे देख रही थी, में विजय के साथ बैठ
कर वो टेप देख रहा था जो हमने बनाई थी. हम विजय के कमरे मे
थे और वो टेप देखने को मरे जा रहा था. उसने टेप वीसीआर मे लगा
दी.
"राज दरवाज़ा बंद कर दो?' उसने मुझसे कहा. में उठा और मैने
दरवाज़ा बंद कर दिया. वैसे तो हम दोनो ही घर पर थे पर क्या
पता किस समय कौन आ जाए.
"राज इसे देखो?" विजय ने कहा.
"क्या देखूं?' मैने उसके बगल सोफे पर बैठते हुए कहा.
मैने कभी सोचा भी नही था कि प्रियंका स्क्रीन पर नंगी इतनी
अच्छी दिखेगी. और मेरी सोनाली इतनी मादक लग रही थी कि में क्या
कहूँ, वो कुर्सी पर बैठे हुए ही ऐसी लग रही थी.
पर सोनाली कुर्सी पर ही नही बैठी रही, पर जैसे ही सोनाली ने वो
नकली लंड अपनी चूत मे डाला विजय से रहा नही गया और वो उत्तेजित
हो गया.
"राज उम्मीद है तुम्हे बुरा नही लगेगा, पर इसे देखते हुए में अपने
लंड को मुठियाना चाहता हूँ," उसने अपने पॅंट के ज़िप खोली और अपने
लंड को बाहर निकाल लिया.
मैने अपना ध्यान सीन पर जमाए रखा, सोनाली उस नकली लंड को
अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी, पर में अपने आपको रोक ना
सका और मैने विजय के लंड की ओर देखा.
विजय का लंड दिखने में काफ़ी अच्छा था. करीब 8' इंच की लंबाई
और काफ़ी मोटा था. अब में समझ सकता था कि सोनाली को उसे
चुदवाने में इतना मज़ा क्यों आया. विजय ने अपनी झान्टे बिल्कुल
सॉफ की हुई थी.
"राज तुम चाहो तो मुझे देख सकते हो, और अगर तुम भी मूठ मारना
चाहो तो मार सकते हो, मुझे बुरा नही लगेगा." विजय ने कहा.
एक बार तो मैने सोचा कि क्या सोनाली के भाई के सामने मूठ मारना
उचित रहेगा, पर फिर ये सोचा कि विजय जो देख रहा है उस मे
मैं भी तो हू फिर शरम कैसी, मैने अपनी पॅंट की ज़िप खोली और
अपने खड़े लंड को बाहर निकाल रगड़ने और मसल्ने लगा.
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