RE: Desi Sex Kahani मेरी प्रेमिका
"जब विजय मुझे जोरों से चोद रहा था तो में भी उसका साथ दे
रही थी. मेरा मन कर रहा था की वो और जोरों से मुझे चोदे, में
उसके वीर्य को अपनी चूत मे महसूस करना चाहती थी. उस समय मुझे
इस बात की परवाह नही थी कि में अपने सगे भाई से चुदवा रही
हूँ, बल्कि उत्तेजना मुझ पर इस कदर हावी थी कि में एक छिनाल की
तरह उसे और जोरों से चोदने के लिए कह रही थी. मेरे पास कोई
चारा भी नही था, उसने मुझे पकड़ ही इतनी कस कर रखा था, की
मेरे घुटनो तक उसके धक्के से छिल गये थे." सोनाली ने कहा.
उसकी गान्ड के छेद में अपनी ज़ुबान घूमाते हुए मेने अपनी दो उंगलियाँ
उसकी गीली चूत मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगा. उसी समय
सोनाली की चूत ने पानी छोड़ दिया.
"ऊहह हाआआं ओह मेरा छूट रहाा है." उसके सिसकने
की आवाज़ कमरे माइयन गूँज उठी.
मेरा काम अभी ख़तम नही हुआ था, में अपनी ज़ुबान को उसकी गान्ड मे
घुमाता रहा और अपनी जीब से उसकी गान्ड का और कहानी का स्वाद ले
रहा था. मेरा लंड तन कर इतना कड़ा हो गया था कि लगा कि मेरी पॅंट फाड़
कर बाहर आ जाएगा.
"बताती रहो रूको मत, जहाँ तक मुझे याद है उन दिनो तुम गर्भ निरोधक
गोलियाँ भी नही ले रही थी." मेने उससे कहा.
"हां तुम सही कह रहे हो, इस बात का मुझे ख़याल ही नही आया."
सोनाली ने जवाब दिया.
"विजय तुम्हे गर्भवती भी कर सकता था." मेने सोचते हुए कहा.
"हां कर सकता था, और अगर हो जाती तो एक नई कहानी बन जाती,
पर शुक्र है भगवान का कि नही हुई." सोनाली बोली, "राज चलो ना
ड्रॉयिंग रूम मे सोफे पर चलते है."
हम लोग ड्रॉयिंग रूम मे सोफे पर आगाये. सोनाली ने अपनी स्कर्ट के
हुक खोल उसे निकाल दिया और ज़मीन पर फैंक दिया. उसकी पैंटी जो
अभी तक उसके घुटनो मे फँसी हुई थी उसे भी उतार दिया उसने. फिर
वो आकर मेरे बगल मे सोफे पर बैठ गयी.
मेने अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकाला और उसे रगड़ने लगा.
"लाओ में तुम्हारे लिए कर देती हूँ." कहकर सोनाली ने मेरे लंड को
अपनी मुट्ठी मे भींच लिया. वो एक अलग अंदाज़ से लंड को मुठिया रही
थी. वो बड़ी धीरे धीरे मेरे लंड को मुठिया रही थी शायद वो
मुझे और बताना चाहती थी.
"तुमने बहोत बड़ा ख़तरा मोल लिया था उसका पानी अपनी चूत मे
छुड़वा के." मेने कहा.
"हो सकता है लिया हो, पर इससे भी बड़ा ख़तरा तो मेने बाद मे
लिया था." सोनाली मेरे लंड को मसल्ते हुए बोली.
"में समझा नही तुम क्या कहना चाहती हो?" मेने पूछा.
"राज देखों जब एक बार बात खुल ही गयी है तो में तुम्हे पूरी
कहानी सुनाती हूँ." ये कहकर उसने मेरे लंड पर अपनी गिरफ़्त बढ़ा
दी जो मुझे अच्छी लग रही थी.
उसी वक़्त में सोच रहा था कि वो क्या कह रही है. पिछली रात तो
उसने कहा था कि उसके भाई ने उसे एक बार ही चोदा था और वो किस्सा
वहीं ख़त्म हो गया था. क्या इसके आगे भी कोई बात है.
"सुनो राज, मेने तुम्हे पूरी सच्चाई नही बताई थी. मेरी बात ध्यान
से सुनो और फिर तुम फ़ैसला करना कि में ग़लत थी या सही." सोनाली
ने कहा, वो मेरे लंड को जोरों से मुठिया रही थी, और इसी अवस्था
मे मेरे लिए सोचना मुश्किल हो जाता था.
सोनाली ने बताया कि उस रात जब उसकी भाई विजय ने उसकी चूत खुद
के वीर्य से भर दी थी, उसके बाद वो अपने अपने कमरे मे चले गये
थे. सोनाली बिस्तर पर बैठ अपने भाई के वीर्य को अपनी उंगलियों मे
लेकर चाट रही थी. उसे वीर्य का स्वाद काफ़ी पसंद है.
तभी विजय ने उसके कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दी, "दीदी क्या में
थोड़ी देर के लिए अंदर आ सकता हूँ, मुझे तुमसे कुछ बात करनी
है."
सोनाली ने सोचा कि वो अपने बदन को ढक ले, लेकिन जब उसने सोचा कि
थोड़ी देर पहले ही तो वो उससे चुदवा चुकी है तो तन ढके या ना
ढके क्या फरक पड़ता है, "हां क्यों नही अंदर आओ ना." सोनाली ने
कहा.
विजय ने कमरे मे कदम रखा. उसने अपनी शॉर्ट और टी-शर्ट पहन
रखी थी. उसके हाथ मे उसका डिजिटल कॅमरा था. सोनाली को नंगी
देख वो वहीं रुक गया, "हे भगवान सोनाली तुम कितनी सेक्सी लग रही
हो. सही मे राज नसीब वाला है."
"पर आज की रात तो तुम्हारे भी नसीब खुल गये लगता है." सोनाली
ने जवाब दिया.
विजय मुस्कुराया और उसके सामने कुर्सी पर बैठ गया, "सोनाली तुम्हारी
चूत तो अभी भी चूह रही है."
"और तुम्हारा लंड भी तो खड़ा है," सोनाली ने उसके शॉर्ट मे बने
तंबू की ओर इशारा करते हुए कहा.
"यही तो बात है जो में तुमसे करने आया हूँ. देखो सोनाली जो
मेने आज किया उसके लिए में बिल्कुल भी शर्मिंदा नही हूँ, बल्कि
मुझे बहोत अच्छा लगा. तुम्हे चोदने में मुझे बहोत मज़ा आया."
विजय ने कहा.
सोनाली ने कुछ जवाब नही दिया, और सोच रही थी उसकी बात का क्या
उत्तर दे, मज़ा तो उसे भी आया था.
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