RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--12
गतान्क से आगे…………………………….
पायल दीदी की चिट्ठि
किशू ...ऊऊऊऊऊऊः किशू ...उफफफफ्फ़ कितना तडपाएगा रे .... मैं सात समुंदर दूर हूँ यहाँ ,
तेरी बहुत याद आती है ...नहीं रे ..याद क्यूँ..तू तो हमेशा मेरे साथ है किशू ..हमेशा ..क्या एक पल भी तू मुझ से दूर हुआ ...नहीं किशू ...कभी नहीं रे..कभी नहीं .....
तू तो अब जवान हो गया है..मैं जानती हूँ किशू तेरे पर क्या बीत रही होगी ....मैं समझ सकती हूँ रे......मेरे बिना तू भी कितना तड़प रहा होगा .....
मैं बस आ रही हूँ किशू..तेरे पास ....बहुत जल्द ...पर तू ये मत समझना के मैं तीन बचों की माँ बन गयी ..तो मेरी चूत तेरे लायक नहीं रही..नहीं किशू .ये तेरी अमानत थी ना मेरे पास..तू देखना ये अभी भी उसी हालत में है .....मैने इसे बहुत सहेज़ के रखा है रे ..अपने किशू के कुंवारे लंड के लिए ....हाआँ किशू बहुत सहेज़ा है इसे .....आख़िर मेरे किशू की अमानत जो है ...
देख ना तेरी याद इसे भी कितना तड़पाती है.....कितनी गीली है ....तेरे नाम से ही ....
मैं और मेरी चूत ...उफफफफफफ्फ़ ..तेरे कुंवारे लंड के लिए ...तुम से पहली बार चूद्ने के लिए ....हाआआं ..रे कैसा लगेगा जब तू मुझे अपनी बाहों में लेगा और मेरी चूत में धक्का लगाएगा ..?? पर किशू ज़रा संभाल के .....मेरी चूत अभी अभी भी बहुत नाज़ुक है रे ..देख लेना ........उफफफफफफफ्फ़ ....अब और वेट नहीं कर सकती .......
मैं टेलिग्रॅम से एग्ज़ॅक्ट डेट और फ्लाइट नंबर. भेजूँगी......
कीश्यूवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूऊवूयूयुयूवयू आइ लव यू .........
और फिर मैने देखा चिट्ठी के अंत में फुल स्टॉप की जागेह एक उंगली की टिप के बराबर गोलाकार छाप थी , मानो वहाँ पानी की बूँद गिर गयी हो......
मैं मुस्कुरा उठा ....उफफफफ्फ़ दीदी के अंदाज़ सही में निराले थे ..चूमने लगा उस जागेह को .....सूंघने लगा ...दीदी की चूत का रस भी निराला ही था......
मैं उनके आने का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था........
और फिर वो दिन और वो पल जिसका मुझे हर पल इंतेज़ार था....वो सुनेहरा पल जब दीदी का टेलिग्रॅम मेरे हाथों में था....
दीदी एक हफ्ते के बाद की फ्लाइट से आ रहीं थीं.
मैं खुशी से झूम उठा......आख़िर इतने इंतेज़ार और इतनी तड़प के बाद ..दीदी और हमारे बीच सिर्फ़ सात दिनों की दूरी थी.....सिर्फ़ एक हफ़्ता ...
पर ये आखरी एक हफ़्ता , बीते तीन सालों से भी ज़्यादा लग रहा था..मैं बहुत बेसब्र था...और साथ में काफ़ी एग्ज़ाइटेड भी ....दीदी की चूत की कल्पना से ही मेरा लंड तन तना उठता ....
स्वेता दीदी उस शाम को मेरी मूठ मारते मारते थक गयी ......जितनी बार मैं झाड़ता ..फिर लंड खड़ा हो जाता ....
"अफ ...किशू ..तेरा लंड अब बिना चूत के अंदर गये शांत नहीं होनेवाला .....इतना ही बेचैन है तो चोद ले मुझे ..मैं पायल को समझा दूँगी...." और वह मेरी पलंग पर अपनी सारी उपर करते हुए टाँगें फैला लेट गयीं ....
मेरा भी बहुत मन कर रहा था..पर फिर दीदी की बात
"मेरी चूत तेरी अमानत है रे किशू..मैने इसे बहुत सहेज़ के रखा है..""
मुझे हथौड़े की तरह मश्तिश्क में लगी ..मैं संभाल गया ...
स्वेता दीदी की सारी नीचे कर दी उनकी चूत ढँक दी .
" नहीं स्वेता दीदी .....इतने दिनों तक मैने सब्र किया .....सात दिन और सही.....मैं दीदी को अपना कुँवारा लंड ही भेंट में दूँगा ....उनके आने की भेंट ...."
" वाह रे तुम दोनों भाई-बहन का प्यार ....काश मेरा भी तेरे जैसा भाई होता ...." उनकी आँखों में आँसू की कुछ बूँद छलक रही थी ...
" अरे अरे ये क्या स्वेता दीदी..मैं भी तो आप का भाई ही हूँ ना ....आप ऐसी बात फिर कभी मत करना ...."
और फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट गये ..उन्होने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और ऐसी चुसाइ की .....मेरा पूरा बदन कांप उठा और थोड़ी ही देर में उनके मुँह में ही खाली हो गया ...मैं भी उतनी ही तड़प , एग्ज़ाइट्मेंट और जोश से उनकी चूत चाटने लगा , जीभ डालने लगा ..उंगली से सहलाता रहा .... उन्होने भी चूतड़ उछाल उछाल कर अपना पानी बूरी तरह छ्चोड़ दिया...
अब मेरा लंड शांत था ...........
और आख़िर वो इंतेज़ार और बेसब्री की घड़ियाँ ख़त्म हुईं....वो दिन आ ही गया ..
उन दिनों हमारे शहर में इंटरनॅशनल फ्लाइट्स नहीं उतरते थे ....दीदी की फ्लाइट कोलकाता के दम दम एरपोर्ट पर लॅंड करनेवाली थी...हम सब यानी..मेरे मामा , मामी और मैं एक दिन पहले ही ट्रेन से वहाँ पहून्च गये , और दूसरे दिन शाम की ट्रेन से वापसी का रिज़र्वेशन भी करा लिया था...
दीदी की फ्लाइट तड़के सुबेह आनेवाली थी.
एरपोर्ट पहून्च मैं मामा और मामी को नीचे अराइवल लाउंज में बैठा कर खुद एरपोर्ट की बिल्डिंग के टेरेस पर चला गया..उन दिनों सेक्यूरिटी वग़ैरह का उतना सख़्त इंतज़ाम नहीं रहता था ....लोग टेरेस से भी आनेवाले फ्लाइट्स का व्यू लेते थे..
मैं टेरेस की रेलिंग से लगा खड़ा दूर क्षितीज़ की ओर देख रहा था...दीदी के प्लेन का इंतेज़ार कर रहा था...
प्लेन के लॅंड करने का अनाउन्स्मेंट हो चूका था ..अब किसी भी वक़्त प्लेन लॅंड कर सकती थी ..मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी थी..एक अजीब उत्सुकता , कुछ आशंका , कुछ सिहरन सी मेरे मन में आती जा रही थी ....
तभी दूर क्षिटीज़ से निकलती हुई एक गोलाकार आकृति दिखाई दी.....धीरे धीरे वो आकर पास आ रही थी ...बड़ी और बड़ी होती गयी ...और वो आकार प्लेन का शेप लिए नीचे और नीचे आ रही थी.......
जैसे ही प्लेन ने रनवे को टच किया ..मेरे दिल की धड़कान मानों रुक सी गयी ...
गड़गड़ाहाट की आवाज़ के साथ पूरा प्लेन नीचे उतार चूका था...दीदी हमारी धरती पर आ चूकि थीं ...मैं खुशी से पागल हो रहा था ...
लोग एक एक कर उतर रहे थे ....मेरी आँखें एक तक प्लेन के दरवाज़े पर लगी थीं ..
और फिर वो मेरी जानी पहचानी आकृति , मेरी जिंदगी , मेरी पायल दीदी ....बहार आती दिखाई दी ..
उनकी एक ही झलक से तीन साल का अंतराल मानों लुप्त हो गया.....समय जैसे ठहर सा गया....ये तीन साल जो काटे नहीं कट ते ..आज एक पल ने उस समय के विशाल अंतराल को एक झटके में मिटा दिया था.....
प्लेन की लॅंडिंग पोज़िशन एरपोर्ट की बिल्डिंग से काफ़ी दूर थी .....रनवे पर खड़ी एरपोर्ट की बस में सभी यात्री सवार हो गये .....
मैं भी भागता हुआ टेरेस से नीचे आ गया.......अराइवल लाउंज में मामा , मामी के साथ दीदी के बाहर आने का इंतेज़ार करने लगा ...........
मामी ने पूछा " देख लिया पायल को.... कैसी है रे ..?'
"हाँ मामी दीदी तो देखीं ..पर प्लेन इतनी दूर थी के कुछ सॉफ नहीं दिखता ...पर मामी ..जीजा जी नहीं दिखे ..? "
इसका जवाब मामा ने दिया " हाँ बेटा ..उनको कुछ दिन और रहना पड़ेगा ....वो बाद में आएँगे ...."
मेरी तो बाछे खिल गयी ..याने दीदी अकेली ......पर ये बात दीदी ने मुझे नहीं बताया ..????
शायद मुझे सर्प्राइज़ देना चाहती हों..??? दीदी के अंदाज़ भी निराले थे .....
मैं मुस्कुराता हुआ .दीदी के बाहर आने का इंतेज़ार करता रहा....
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