RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--10
गतान्क से आगे…………………………….
मैं उन के होंठ चूसने लगा ..उनके होंठ कुछ मोटे मोटे थे..मैने अपने होंठों से उन्हें दबाया और बूरी तरह चूसने लगा ..स्वेता दीदी तड़प उठीं ..उन्होने मुझे और भी जोरों से चिपका लिया .....और अब उन्होने पॅंट के बटन खोल मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया था.
उसे बड़े प्यार से हल्के हल्के दबाती , निचोड़ती...जैसे गाय के थन से दूध निचोड़ते हैं ....उफफफफफफफफ्फ़ ..उन्हें मेरा ककड़ी की तरह कड़ा लंड थामने में बड़ा अच्छा लगता था ......बीच बीच सिर्फ़ अंगूठे और उंगली से चॅम्डी भी उपर नीचे करती जाती .....
मैं पागल हो उठा ..उनकी ब्लाउस के अंदर हाथ डाल उनकी चूचियाँ हाथ में भर लिया और जितनी मस्ती में आती उतने ही जोरों से दबाता जाता ......
स्वेता दीदी ने देखा दरवाज़ा बंद था .....
उन्होने ब्लाउस और ब्रा एक झटके में खोल दिया ...और अपनी साड़ी को भी घूटनों तक उठा लिया ..
मेरा दूसरा हाथ उन्होने अपनी चूत पर रख दिया .....
मैं उनकी अब तक गीली चूत पर अपनी हथेली फेरना चालू कर दिया ...वो कराह उठीं ....
मेरा लॉडा सहलाना तेज़ पकड़ता जाता ..और साथ में मेरा उनके होंठ चूसना , चूचियाँ दबाना और चूत का सहलाना भी तेज़ होता जाता ....उनकी चूत काफ़ी फूली फूली ...थोड़ी चौड़ी फाँक और थोड़ी ढीली थी ....हाथ चलाने में उंगलियाँ ऐसी चलती मानों फिसल रही हों .....
मैं भी सिसकारियाँ ले रहा था ...उन्हें अपने से और चिपकाता जाता ...
स्वेता दीदी भी मंद मंद करहती जातीं ......
"उईईई माअं ..हाँ किशू ऐसे ही ..हाआँ ..और तेज़ '....हाआँ मेरे भाइय्या .....आआआआआआआआआहह......"
मेरी हथेली उनके चूत रस से पूरी तरह गीली थी ..बीच बीच में उन्हें चाट जाता ...
स्वेता दीदी अपनी चूतरस का चाटना देख काफ़ी मस्ती में आ जातीं ....
तब तक उनके हाथ में मेरा लॉडा भी अपनी पूरी लंबाई में आ गया था ..इतने दिनों के बाद आज पहली बार इस तजुर्बे का मज़ा कुछ और ही था .......
मैने उन्हें अपने से और भी बूरी तरह चिपका लिया और ...".दीदी दीदी ..." का चीत्कार करते हुए उनके हाथ में अपनी पिचकारी छ्चोड़ दी....
मैं झटके देता जाता अपने लंड से और इधर मेरी उंगलियाँ भी और तेज़ हो गयीं उनकी चूत पर ...इतनी फिसलन थी वहाँ .......
" हाआँ ..हाां मेला बच्चा..पायल का बचा .....आ जा ..आ जाआअ " और उन्होने अपने हाथ मेरे लौडे रख पूरे का पूरा पानी अपने हाथों में भर लिया और फिर उसी ले में अपनी चूतड़ उछाल उछाल मेरी हथेली में अपना रस छ्चोड़ने लगी...
थोड़ी देर बाद जब हम अपने अपने रस पूरी तरह एक दूसरे की हथेलियों में खाली कर चूके ....एक दूसरे की आँखों में देखते हुए अपने हथेलिया चाट चाट पूरी तरह सफाई कर लिए.....
"किशू ...कैसा लगा ..?" स्वेता दीदी ने पूछा .
" बहुत अच्छा दीदी ....आज मुझे बहुत हल्का लग रहा है....."
" हाँ किशू मुझे मालूम था ..तुझे इसकी ज़रूरत है.....अच्छा अब मैं जाती हूँ ...और तू अपनी पढ़ाई में मन लगाना .."
"हाँ स्वेता दी..,,,,"
उस दिन के बाद मैं फिर कभी दीदी की यादों से उदास नहीं होता ...वरन उनकी याद से मुझ में और भी कुछ अच्छा करने का हौसला बढ़ जाता ..मेरे मन में ये बात घर कर गयी ...... ........ दीदी मेरी प्रेरणा हैं ,,मेरी कमज़ोरी नहीं .....दीदी ..दीदी...आइ लव यू ..आइ लव यू दीदी .....आइ लव यू सूऊऊ मुचह......
तीन चार दिनों केबाद दीदी की चिट्ठी आई..उन दिनों ना मोबाइल था ना इंटरनेट ..बस चिट्ठि का ही सहारा रहता था ...
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था चिट्ठि देख.....मुझे ऐसा लगा मानो दीदी की चिट्ठी नहीं वो खुद मेरे सामने हैं और मुझ से बातें कर रही हैं ....
मैं काफ़ी एग्ज़ाइटेड था ...चिट्ठि खोली ..काफ़ी लंबी थी ...वाह ससुराल में भी उन्हें इतनी लंबी चिट्ठि लिखने का मौका मिल गया .....
चिट्ठि पढ़ के मुझे काफ़ी अच्छा लगा ..उस दिन स्वेता दीदी के साथ बात चीत और उनका मेरा लंड सहलाना ..और आज दीदी की चिट्ठि ..मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था ..दीदी ने चिट्ठि में अपना पूरा दिल खोल दिया था ...यहाँ से जाने के बाद का पूरा डीटेल लिखा था उन्होने ...
धड़कते दिल से मैने लिफहफ्हा खोला ..जाने क्या बीत रही होगी पायल दीदी पर ..आख़िर इतनी लंबी चिट्ठि में उन्होने क्या लिखा है..??? ..चिट्ठी निकाली....चिट्ठि क्या थी , पूरा पोथा ही था....मैने पढ़ना शुरू किया और बस पढ़ता ही गया ....एक बार ..दो बार ...बार बार पढ़ता रहा ......
मैं कितना खुश था ......
दीदी की चिट्ठि
किशू ..
कैसा है रे .....तू बहुत रो रहा था ना....मैं भी बहुत रोई ....बहुत आँसू बहाई रे .....पर क्या करें ये दिन तो एक ना एक दिन आना ही था ....पर तेरे जीजा .... मैं उनको गौरव पुकारती हूँ ..येई है उनका नाम ...इतने अच्छे हैं और इतने अंडरस्टॅंडिंग ..मुझे बहुत अच्छे से संभाल लिया किशू...मुझे ज़रा भी महसूस नहीं होने दिया के मैं किसी पराए मर्द के साथ हूँ ....
और किशू खास कर तो पहली बार जब उन्होने मुझे चोदा ..क्या बताऊं किशू ..उन्होने तुम्हारी पायल दीदी को ज़रा भी तकलीफ़ महसूस नहीं होने दी ..तुम्हारी चूत (हाँ किशू ये तो तुम्हारी ही अमानत है ना मेरे पास जब तक के तू इसे चोद नहीं लेता ) को इतने संभाल संभाल कर चोदा है....मानों ये गुलाब की पंखुड़ीयाँ हों और छूने से इसकी पंखुड़ीयाँ बिखर ना जायें ....
तुम खुश होगे के तुम्हारी दीदी को इतना प्यार करने वाला पति मिला ...
देख ना किशू ...पहली रात जब वो हमारे कमरे में आए ..उन्होने सिर्फ़ प्यार किया ..मुझे खूब चूमा ...चुचियाँ भी हल्के हल्के दबाई ...और मुझ से कहा " पायल मैं जानता हूँ शादी के रस्मों रिवाज़ को पूरा करने में तुम कितनी थक गयी होगी ..मैं भी थका हूँ ..आओ हम एक दूसरे की बाहों में आराम करते हैं ...एक दूसरे को महसूस करते हैं .. बाकी काम कल करेंगे ..."
सही में किशू उन्होने जैसे मेरे दिल की बात कह दी हो ..एक तो मैं थकि थी ..दूसरी तुम्हारी याद भी बहुत आ रही थी ...चुदाई का बिल्कुल मूड नहीं था ....
मैने खुश होते हुए कहा " जैसी आप की मर्ज़ी...."
पर गौरव का आराम करने का भी अपना ही अंदाज़ था ..
उन्होने अपने सारे कपड़े उतार दिए ..और धीरे धीरे मुझे भी नंगा कर दिया किशू..हाई मैने अपनी आँखें बंद कर लीं शर्म से ....
उन्होने मेरा हाथ चेहरे से हटाया ..मेरी ओर बस एक तक निगाहों से देखते रहे , मुझे अपनी बाहों में लिए , मुझे अपने से चिपकाए ..अपने बगल में लिटा लिया ....मेरी कमर के उपर अपनी टाँगें रख दी ...और हम दोनों आमने सामने मुँह किए बातें करते रहे .....मैने तुम्हारे बारे भी उनको बताया ...अरे नहीं नहीं वो सब बातें नहीं रे ..सिर्फ़ अपने भाई बहन वाले प्यार की बातें ....
फिर बातें करते हम दोनों कब सो गये कुछ पता ही नहीं चला ..सुबेह उठी तो देखा वो मेरे गले में बाहें डाले एक बच्चे की तरह , बिल्कुल तुम्हारी तरह मुझ से लिपटे सो रहे थे
मैने गौरव को उठाया ...पर वो तो किसी और ही मूड में थे..उन्होने मुझे फिर से जाकड़ लिया और लगे चूमने ..." आज रात तैयार रहना पायल ..आज तो बस मैं रहूँगा और तेरी बेशक़ीमती चूत ...." और ये कहते ही उन्होने मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में लेते हुए मसल दिया ....अफ मैं सर से पावं तक सिहर उठी किशू .....मेरी चूत से गंगा बह रही थी .....
फिर वो उठ गये ..और लेटे रहे ..मैं बाथ रूम चली गयी ..तैयार होने ...
दिन भर मैं अपनी पहली चुदाई के बारे सोचती रही ..कभी डर लगता ...पर गुदगुदी भी होती ...कभी मज़े में सिहर उठ ती.....दिन भर मैं एक अजीब ही ख़यालों में थी ...
जैसे तैसे रात हुई ..
मैने उस रात खाना भी कम ही खाया .....स्वेता ने मुझे बताया था .. चुदाई के पहले पेट पूरा भरा नहीं होना चाहिए वरना मज़ा नहीं आता ....
किशू तू मेरी बातों से नाराज़ तो नहीं है ना रे.....तू ही तो मेरा अपना है रे ..जिस से मैं सब बातें खूल कर कर सकती हूँ .....
किशू ...मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ ...बहुत ...
हाँ तो रात हुई ...मैं पलंग के एक कोने में घूँघट निकाल .....नयी नवेली दुल्हन बनी....गौरव का इंतेज़ार कर रही थी .......
वे आए ..दरवाज़ा अच्छी तरह बंद कर दिया .....मेरी ओर ताकते हुवे .....धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए मेरे बगल आ कर बैठ गये .....
मैने अपनी घूँघट के अंदर से ही सर उठा कर देखा ..बहुत बेसब्री थी उनके चेहरे पर..उन्होने फ़ौरन मेरी घूँघट उठाया ....मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए लगे मेरे होंठ चूसने .......
पहले तो मैने अपना चेहरा हटाने की नाकाम कोशिश की ....उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी...उन्होने चूमना जारी रखा और चूमते चूमते उन्होने कब चूसना शुरू कर दिया ..मैं बिल्कुल खो गयी उनके साथ ......मुझे लगा मैं भी उनका साथ दूं ..पर मैं तो नयी नवेली दुल्हन थी ना किशू ..शर्मो-हया की मूरत ...मैं बस हल्की सिसकारियाँ लेते हुए मज़ा ले रही थी ..
मेरी साड़ी अस्त व्यस्त हो गयी ...आँचल नीचे गिरा था , पलंग पर..मेरी छाती पर सिर्फ़ ब्लाउस था ..उन्होने मेरे होंठ चूसना जारी रखते हुए ब्लाउस के उपर से ही मेरी चूचियाँ मसलनी शुरू कर दी....उफ्फ किशू ..मैं एक दम से सिहर उठी ..उनका मेरी चूची सहलाना भी ऐसा था मानों किसी बहुत नाज़ुक सी चीज़ को हाथ लगा रहे हों ...कहीं टूट ना जाए ......मेरी सिसकारियाँ बढ़ती गयीं ..मेरे हाथ भी अपने आप उनके कंधों को झिझकते हुए जाकड़ लिया...
"पायल झिझक काहे की ...मुझे अच्छे तरह जकडो ना ......ठीक है मैं तुम्हारी झिझक दूर किए देता हूँ....." और उन्होने एक एक कर मेरे सारे कपड़े उतार दिए .....मैं बिल्कुल नंगी थी ..अपना मुँह छुपाए .....
फिर मेरे सामने पलंग से उतर खड़े हो कर ..अपने भी कपड़े उतार दिए ....
हम दोनों बिल्कुल नंगे थे ..मेरी नज़रें झूकि थी ..पर वे एक टक मुझ देखे जा रहे थे ......
उफ़फ्फ़ किशू ..मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी ....
मेरे पास बैठ ते हुए उन्होने मुझे सीने से लगाया ...मेरी चूचियाँ उनके सीने से चिपकी थीं ...मेरा सर उनके कंधों पर था ..... बार बार मुझे अलग करते मुझे देखते फिर सीने से लगा लेते ......उफ़फ्फ़ मैं पागल हो रही थी ....और मेरी शर्मो-हया भी ख़त्म हो रही थी ......
और जब इस बार उन्होने मुझे अपने सीने से चिपकाया ..मुझ से रहा नही गया ..मैने भी उन्हें अपने हाथों से जाकड़ लिया ..दोनों एक दूसरे की बाहों में एक दूसरे से चिपके , एक दूसरे को महसूस कर रहे थे .....दिल की धड़कनें ...सांस .....शरीर सब कुछ एक दूसरे में समाते जा रहे थे ...मानों हम एक दूसरे का जायज़ा ले रहे हों....
फिर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरे उपर आते हुए मुझे चूमने लगे ..चूसने लगे ..चूचियाँ मसल्ने लगे ...उफफफफफफफ्फ़..किशू मैं कांप रही थी ..सिहर रही थी .....
मेरी टाँगों को अपनी टाँगों से बूरी तरह जाकड़ लिया था उन्होने .......और फिर अचानक उन्होने अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया और सहलाने लगे ...मैं एक दम से चिहूंक उठी .....मेरे चूतड़ उछल पड़े .......
एक हाथ उनका मेरी चूचियाँ बारी बारी से मसलता जाता ...बड़े प्यार से ....दूसरा हाथ चूत सहला रहा था ...मेरे होश ठिकाने नहीं थे .....चूत गीली होती जाती ...जितनी गीली होती उनकी उंगलियाँ और तेज़ और तेज़ मेरी चूत की फांकों के बीच दौड़ती जाती .......उफफफफफफ्फ़ ...और फिर उन्होने मेरे होंठों को भी चूसना शुरू कर दिया ..किशू मैं पागल हो रही थी .....चूत के अंदर खलबली मची थी ....मन करता खुद अपने हाथों से उनका मदमस्त लंड अंदर ले लूँ .....
उन्होने मेरी बेचैनी समझते हुए कहा "पायल रानी इतना बेचैन मत हो मेरी जान .....मैं भी अपना लंड अंदर घूसेड़ने को बेचैन हूँ ..पर तुम्हारी कुँवारी चूत है ना...खूब गीली होने दो .... तभी तो मेरा मोटा लंड अंदर आराम से जाएगा ...
मैं क्या कहती किशू ..बस आँखें बंद किए मस्ती में पड़ी थी ..
काफ़ी देर तक उन्होने मेरी चूत मसली ..फिर मेरी चूत को अपनी उंगलियों से फैलाया ...चूत के होल के अंदर एक उंगली डाली ....उफफफफफफ्फ़ .....मुझे थोड़ा सा दर्द महसूस हुआ ..पर थोड़ी देर अंदर बाहर करने के बाद मुझे मज़ा आने लगा ..मैं सिहर रही थी ..सिसक रही थी ..मेरा पूरा बदन कांप रहा था ...
उन्हें लगा कि मेरी चूत अब काफ़ी गीली और ढीली हो गयी है ....
उन्होने अपने लौडे को ....... तंन और कड़क लौडे को चूत की होल पर रखा और अपने हाथों से घिसने लगे ..मैं मस्ती में उछल पड़ी.....मन किया कि अपनी चूत उछाल कर उनका कड़क लंड अंदर ले लूँ ....पर आज तो मैं नयी नवेली दूल्हन थी ...शर्मो-हया की मूरत .....मैने अपने आप को उनके हवाले कर दिया था ....मैं मंद मंद मुस्कुरा रही थी ....बंद मुँह के अंदर ही सिसकारियाँ ले रही थी ...
वो और भी एग्ज़ाइट हो रहे थे
अब उन्होने लंड को होल के मुँह पर रखा....मेरी टाँगें फैला दी और कच से एक हल्का सा धक्का लगाया ..फॅच से सुपाडा अंदर था ....पर मुझे कोई खास दर्द नहीं हुआ .....शायद उनका मेरे चूत को काफ़ी गीली कर देने का असर था ...
थोड़ी देर ऐसे ही रहे और अब एक और धक्का लगाया और उनका लंड मेरी चूत में आधे से भी ज़्यादा अंदर था ...उफफफफफफफफफफफफफ्फ़...किशू मुझे दर्द भी महसूस हो रहा था और उसे अंदर लेने का भी मन कर रहा था ..उन्होने मुझे अपने से बिल्कुल चिपका लिया था .....और मुझे चूमे जा रहे थे ..चूसे जा रहे थे .......कितना ख़याल था उन्हें मेरा ....मेरे किशू की अमानत का ..हाँ किशू ..
क्रमशः……………………
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