RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--9
गतान्क से आगे…………………………….
हम दोनों एक दूसरे से चिपके थे..और हम दोनों को स्वेता दीदी अपनी बाहों में भरते हुए चूमे जा रही थी......
"वाह रे वा किशू ..तू तो कमाल का हाथ और मुँह चलाता है .......पायल की ट्रैनिंग अच्छी है......" वो बोलती जाती और चूमती जाती.....
"अरे स्वेता अभी तो शो चालू हुआ है ..चल पलंग पर तीनों साथ लेट ते हैं फिर शो का असली मज़ा शुरू होगा...."
और स्वेता दीदी हंसते हुए हम दोनों भाई बहन को अपने से लगाते हुए पलंग की ओर खींचते हुए चल पड़ीं ..........
स्वेता दीदी ने हमें पलंग पर लिटा दिया ..दोनों दीदियो ने अपने भाई को बीच में कर ..मेरे अगल बगल लेट गयीं ..
मैने दोनों की तरफ देखा ..पायल दीदी अधखिली फूल थीं तो स्वेता दीदी पूरी तरह खिली हुई फूल .....
कोई किसी से कम नहीं .....पायल दीदी के शरीर में एक अजीब मादक सुगंध थी ...और स्वेता दीदी का शरीर मुलायम और रस से भरपूर .उन्हें चूसने का मन करता था और पायल दीदी को काट खाने का .......
तभी स्वेता दीदी ने पायल को कहा " पायल ज़रा टाइम का भी ख़याल रखना ..कहीं कोई आ ना जाए .."
" अभी बहुत टाइम है स्वेता ..अभी तो सिर्फ़ 530 बजे हैं .....और शादी की शॉपिंग से वो लोग सात-आठ बजे के पहले नहीं आ सकते ...चल जल्दी कर ना , सोच क्या रही है..???? देख ना किशू कितना मस्त हो कर लेटा है हमारे बीच ......" पायल दीदी ने कहते कहते अपनी टाँगें मेरे पैरों पर रखते हुए मुझे अपनी तरफ खींच लिया ......और मेरे बाल रहित सीने पर अपनी लॅप लपाति जीभ रख दी और लगी चाटने
मैं उनके इस अचानक हमले से चिहूंक उठा ..मेरा सारा शरीर सिहर उठा.....
मैं भी उनकी चूचियाँ अपने हाथों में ले दबाने लगा .........
इधर स्वेता दीदी अपनी चूत मेरे चूतड़ से लगाते हुए घिसने लगीं और मेरा लंड अपने हाथ में भर लिया और हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया ..
मेरे चूतड़ काफ़ी मस्क्युलर और टाइट थे , ये मेरे क्रिकेट खेलने का असर था, भाग दौड़ करने के चलते मेरा शरीर काफ़ी मस्क्युलर था .........और अब तक पूरे बाल नहीं आए थे इसलिए चिकने भी थे....स्वेता दीदी की चूत जैसे मेरे चूतड़ पर फिसल रही थी.........मैने अपनी चूतडो की मसल और भी टाइट कर ली...उन्हें अपनी चूत मेरे गतीले चूतड़ पर घिसने में और भी मज़ा आने लगा..उनके घिसने की स्पीड बढ़ती जा रही थी ...और मेरी चूतड़ उनकी चूतरस से सराबोर हो रहा था....
दीदी मेरे सीने पर ..मेरे सीने की घूंदियो पर जीभ चलाती जातीं ..मेरा पूरा बदन कांप उठ ता..और मैं उतने ही जोरों से उनकी चूचियाँ मसल देता ......जैसे आटा गून्ध्ते हैं ...दीदी की मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी .......मैं उनके आर्म्पाइट पर भी टूट पड़ा........एक अजीब सूगांध थी वहाँ ..मैने अपनी नाक वहाँ लगाई ..और लंबी साँस ले कर सूंघ रहा था, और फिर उसे चाटने लगा ..दीदी ने अपना हाथ और उपर कर दिया .....आहह पूरा आर्म्पाइट मेरे कब्ज़े में था
तीनों फिर से एक दूसरे से चिपके थे और अपनी अपनी हरकतों में मस्त ..
एक दूसरे की शरीर से मनमानी किए जा रहे थे..कोई रोक टोक नहीं , जिसे जहाँ मन आता चाट लेता ..चूस लेता .......
मेरा लॉडा स्वेता दीदी के हाथो में जकड़ा फन्फना रहा था ...कड़क और कड़क होता जाता
दीदी मुझे बूरी तरह चाटे जा रही थीं ..मेरे होंठ चूसे जा रही थी..
अब मैने अपना एक हाथ दीदी की जांघों के बीच ले गया दीदी ने झट अपनी टाँगें फैला दी.उनकी चूत खूल गयी ,,मेरी उंगलियाँ चूत की फाँक में दौड़ रही थी ..
और स्वेता दीदी अपनी एक टाँग मेरे जाँघ पर रख अपनी फैली चूत को और भी फैला ..मेरे चूतड़ से घिसे जा रही थी
उफफफफफफफफफफ्फ़ ...इस दो तरफे हमले से मैं मदहोश था ..मेरा दीदी के आर्म्पाइट चाटने की स्पीड बढ़ गयी और उनकी चूत पर उंगलियाँ भी और तेज़ चलने लगीं
तीनों कराह रहे थे...सिसकारियाँ ले रहे थे .....एक दूसरे को मसल रहे थे , चूस रहे थे चाट रहे थे......
'उफफफ्फ़.. किशू तेरा लॉडा कितना हसीन है रे ..कितना चिकना और कड़क ........" स्वेता ने कहा
" तो फिर रोका किसने है स्वेता ..ले ले ना अपने मुँह में .." पायल दीदी ने कहा
और मुझे दीदी ने सीधा लिटा दिया..मेरा लॉडा तननाया हवा से बातें कर रहा था....स्वेता दीदी मेरे पैरों के बीच आ गयीं और लॉडा अपने हाथों से थामते हुए मुँह अंदर कर घूसा दिया ..मेरा लॉडा उनके गरम गरम मुँह के अंदर था ...जीभ . होंठ और हाथों का कमाल मेरे लौडे पर चल रहा था ..मैं मस्ती में भरा था ,,मेरी आँखें बंद थीं....
स्वेता दीदी की शादी का एक्सपीरियेन्स यहाँ काम आ रहा था उनके हाथों की जाकड़, होंठों की पकड़ और जीभ के फेरने से मेरा बूरा हाल था.........लंड अकड़ रहा था ..मेरे पूरे शरीर से सारी सिहरन और मस्ती लंड में बिजली की करेंट की तरह दौड़ रही थी...सब कुछ वहाँ जमा होता जा रहा था , किसी भी समय फॅट पड़ने को तैयार.....
और फिर जैसे बादल फॅट ता है ..मुझे भी ऐसा ही महसूस हुआ......मेरा लंड फॅट पड़ा और मेरा चूतड़ उछाल मारता हुआ स्वेता दी के मुँह में लंड से गरम गरम लावा फूट पड़ा....
मैं झटके पे झटका ख़ाता रहा ..स्वेता दीदी मुँह खोले मेरा रस अंदर लेती रही ..उनका मुँह भर गया......गाल पर भी छींटे थे.....होंठों पर भी फैले थे ....
दीदी उठ कर बैठ गयी ...स्वेता का चेहरा अपने हाथों में ले मेरा रस चाट चाट कर उनका पूरा चेहरा सॉफ कर दिया ......
" उफफफफफफ्फ़ कितना टेस्टी है रे किशू का लंड और उसका रस..." स्वेता दीदी ने मुँह के अंदर का रस निगलते हुई बोल उठीं ..
" तभी तो मैने कहा था ना चूस मेरे भाई का लंड....."
पायल दीदी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मुझे अपने सीने से चिपका लिया , मैं सूस्त उनकी चूचियों के उपर सर रखे आँखें बंद किए पड़ा रहा .....
थोड़ी देर बाद मैने आँखें खोलीं ..दोनों मेरे अगल बगल लेती थीं ..टाँगें फैलाए ..चूत फैलाए अपनी अपनी उंगलियों से सहलाती हुई ......
उनकी उंगलियाँ मैने हटाते हुए अपनी उंगलियों से दोनों ओर की दोनों चूतो को सहलाने लगा....
दोनों चूतो का अपना ही मज़ा था .....स्वेता दीदी की चूत फैली थी , मुलायम थी और दीदी की चूत मुलायम पर टाइट ...
मैं मज़े ले ले कर उन्हें सहलाए जा रहा था .. पहले से ही दोनों काफ़ी गरम थीं , मस्त थी और मेरे द्वारा फिर से उनकी चूत सहलाने से वह और भी मस्ती में आ गयीं ..
दोनों ने मुझे जाकड़ लिया ..........और फिर मेरे जाँघ पर अपनी अपनी जाँघ रखे चूतड़ उछाल उछाल अपनी अपनी चूत का रस छोड़ने लगी .......
मैने अपने हाथ दोनों तरफ फैलाए उन्हें अपने से और भी चिपका लिया .......
हम तीनों अब एक थे
दोनों मेरे सीने पर अपना सर रखे हाँफ रहे थे .....और फिर शांत हो कर पड़े रहे .....
तीनों एक दूसरे की बाहों में पस्त हो कर ..अपने अंदर का सारा रस खाली कर ..;एक निचोड़े हुए नींबू की तरह बिल्कुल खाली हो गये थे ......
तभी स्वेता दीदी की नज़र दीवाल पर लगी घड़ी की तरफ गयी....."ऊऊऊओ माअं ,,अरे बाबा 730 बज रहें है री पायल....कुछ होश भी है......" और वह हड़बड़ाती हुई उठ गयी ..जल्दी से कपड़े पहने ..मुझे और दीदी को चूमते हुए कमरे से बाहर निकल पड़ीं
मैने उनकी तरफ देखा ...उन्होने मुड़ते हुए मेरी तरफ ऐसे देखा मानों कह रही हों...."थॅंक यू किशू ..."
मैने एक फ्लाइयिंग किस दी उनको और दीदी को फिर से चिपकता हुआ उन्हें चूम रहा था..
दीदी ने बड़े प्यार से मुझे धकेलते हुए ...मेरे लौडे को मसल्ते हुए , मुस्करती हुई उठ गयी ...और झट कपड़े पहन रूम से बाहर निकल गयीं ...
मैं उनकी मटकती चूतड़ देखता रहा....
और इसी तरह हमारे दिन बीत ते गये ... स्वेता दीदी हम से इतनी घूल मिल गयीं ..जैसे हम तीनों एक हों.....हम एक दूसरे की भावनाओं , इच्छाओं से इस कदर वाक़िफ़ हो गये .किसी को कुछ कहने की ज़रूरत नहीं होती .....मेरे दीदी की चूत को उनकी शादी तक महफूज़ रखने की बात से स्वेता दीदी बहुत प्रभावित थीं .....मेरे भावनाओं की कद्र करती थीं ..और इसलिए उन्होने भी कभी मुझे अपनी चूत में लंड अंदर डालने को मजबूर नहीं किया .....
स्वेता दीदी की भी हम बहुत कद्र करते थे..उनकी भावनाओं को ठेस ना लगे , इसलिए उनके अपने पति से अलग रहने की बात उन से ना कभी दीदी करती ना मैं .
एक दिन खुद उन्होने ही बताया ..
शादी के दो साल बाद भी उन्हें बच्चे नहीं हुए ..जैसा के हमारे समाज में होता है..सारा दोष स्वेता दीदी पर डाल उन के ससूरल वाले दिन रात उन्हें ताना देते रहते .....पति का भी उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिलता ..और कैसे मिलता ..वो खुद नपून्सक था ...... ये बात स्वेता दीदी के अलावा और किसी को नहीं मालूम थी.....
स्वेता दीदी का आभार मान ना तो दूर ..वो अपनी मर्दानगी साबित करने को मार पीट पर भी उतर आया ....ये बात स्वेता दीदी सहेन नहीं कर पाईं ..उनका स्वाभिमान उन्हें एक दिन सब कुछ छ्चोड़ अपनी माँ के यहाँ ले आया ...... उन्होने पास के सरकारी स्कूल में टीचर का काम शुरू कर दिया ..और दुबारा अपनी ससूराल की तरफ मुँह उठा कर भी नहीं देखा...
मैं और दीदी उनके इस साहस भरे कदम से उन की और भी इज़्ज़त करने लगे .. उन दिनों ये माना जाता था के लड़की की डोली ससुराल जाती है और अर्थी ही उसे वहाँ से हटाती है.... स्वेता दीदी का वहाँ से निकल आना एक बहुत बड़ा कदम था .......
हम तीनों तीन शरीर पर एक जान थे....मस्ती के दिन गुज़र रहे थे.....
और फिर आख़िर वो दिन आ ही गया .....पायल दीदी की शादी......
मेरे मामा की एकलौती संतान थी वो..बड़े धूम धाम से उन्होने पायल दीदी को विदा किया ......
मेरी जिंदगी चली गयी........मेरा रोम रोम चीत्कार रहा था..तड़प रहा था.......बिलख रहा था, मेरे हाथ पैर कट गये थे......
मेरा दिल रो रहा था..पर दीदी को हंसते हुए विदा किया ......दीदी मुझे अपने सीने से लगाए फूट पड़ीं ..उनके आंसूओ- का बाँध फूट पड़ा........पर फिर उन्होने अपने आप को संभाला,
" स्वेता ..तू मेले बच्चे का ख़याल रखना ......" और इस से पहले की उनकी छाती फाट पड़ती..उन्होने मुझे अलग किया और कार के अंदर वेट कर रहे जीजा जी के साथ बैठ गयीं ..नये साथी..नयी दुनिया और नये जीवन की शुरुआत की ओर चल पड़ीं ..
मैं खड़ा था ..जब तक के कार मेरी आँखों से ओझल ना हुई.......
कार के धुएँ ने जैसे मेरे जीवन के आहें , सब से खूबसूरत हिस्से को पूरी तरह ढँक दिया ......
स्वेता दीदी मुझे अपने सीने से लगाते हुए घर के अंदर ले गयीं .....
"किशू...मैं पायल तो नहीं बन सकती...पर कभी भी तू मुझे कम नहीं समझना ....."
और फिर मेरे सब्र का बाँध टूट गया.......मैं उनके सीने से लगा फूट फूट कर रो रहा था..बिलख रहा था......एक नन्हें बच्चे की तरह ......स्वेता दीदी चूप थीं .....मेरे बाल सहला रही थीं और ..मैं आँसू बहाए जा रहा था............
जाने कब रोते रोते मैं उनकी गोद में ही सो गया.....
नींद खूली तो देखा मैं पलंग पर अकेला लेटा था .........
मुझे ऐसा महसू हुआ जैसे मेरी पिछली जिंदगी ...पायल दीदी के साथ की जिंदगी ..एक सुखद सपना था .....और मैं अभी अभी ही उस मीठे सपने की नींद से जगा हूँ...
और मैं उस सुखद सपने को अपने मानो-मश्तिश्क में संजोए ...उन सुनहरे यादों का सहारा लिए अपनी नयी जिंदगी की ओर चल पड़ा
एक नया सवेरा ..एक नये दिन की शुरुआत की ओर .............
पर आगे का रास्ता उतना आसान नहीं था ..जिस रास्ते पर मेरे साथ हमेशा ..हर पल .हर वक़्त पायल दीदी मेरे हाथ थामे मेरे साथ रहती ...आज मैं उस रास्ते पर अकेला था ... बेहद अकेला....
दीदी की एक एक बात ..उनका खिलखिलाना..उनका हँसना ..उनकी प्यारी , मुलायम और गर्म गोद...उनका मुझे इतने प्यार से खिलाना ....कुछ भी तो मैं भूल नहीं पाता .....मैं बेचैन हो उठ ता ...पढ़ने बैठ ता तो वो सामने आ जाती...किताबों के हर पन्ने पर जैसे उनकी तस्वीर थी ....
मैं बस चूप चाप किताब खोले देखता रहता ....
मैं एक बेजान च्चाभी वाले खिलोने की तरह बेकार सा हो गया था ,,जैसे उस खिलोने के स्प्रिंग का तनाव ख़त्म हो चूका था ..मेरी जिंदगी के खिलोने की चाभी का तनाव ख़त्म हो चूका था ..
मैं उस शाम भी ऐसे ही टेबल पर सूस्त सा खोया खोया बैठा था .... मेरे सामने किताब खूली थी , पर आँखों में कुछ और ही था..
तभी मुझे किसी के आने की आहट हुई...देखा तो स्वेता दीदी मेरे बगल खड़ी थीं...
वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए मेरे बगल बैठ गयीं ..मुझे अपने सीने से लगा लिया ..मैं उनकी मुलायम , गर्म और गुदज चूचियों के महसूस से थोड़ा आश्वस्त हुआ ..मुझे अच्छा लगा ..
" देख किशू , पायल की याद तो आएगी ही...इतनी जल्दी जानेवाली नहीं ....और उनकी याद तो हमारे साथ हमेशा रहेगी ...मरते दम तक...पर इस तरह उनकी याद को तुम अपनी बर्बादी का कारण क्यूँ बना रहे हो किशू..उनकी याद को तो अपना सहारा बना ले मेरे प्यारे भाय्या ... उन्हें भी कितनी खुशी होगी ..." .
मैं थोड़ी देर तक बिल्कुल चूप उनकी ओर देखता रहा ....मुझे एक दम से उनकी बात ने झकझोर दिया ,,जैसे गहरी नींद से जगा दिया गया हो....स्वेता दीदी ने कितनी बड़ी बात कह दी""उनकी यादों को अपना सहारा बना लो..""
" स्वेता दीदी ,,आप ने सही कहा .....आज के बाद पायल दीदी की याद मुझे हर पल , हर वक़्त रहेगी ..वो मेरे रोम रोम में हमेशा रहेंगी. मैं उन्ही के सहारे आगे और आगे बढ़ूंगा ..काफ़ी आगे .."
इतना सुनते ही स्वेता दीदी ने मुझे अपने सीने से बिल्कुल चिपका लिया .....मुझे चूमने लगीं , मेरे होंठ चूसने लगीं
" हाँ हाँ किशू ......" और अपनी हथेली से मेरे लौडे को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगीं .. मेरे कान में फूफूसाते हुए कहा..." तभी तो मैं भी तेरा पूरा ख़याल रख पाऊँगी....वरना पायल जब आएगी मैं क्या जवाब दूँगी...???"
"हाँ स्वेता दीदी ..मुझे भी तो आप का ख़याल रखना पड़ेगा ...." मैने भी मुस्कुराते हुए उन से कहा .....दीदी के जाने के बाद ये मेरी पहली मुस्कान थी ....
क्रमशः……………………
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