RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--8
गतान्क से आगे…………………………….
दीदी अपनी अलसाई आवाज़ में कहती जातीं .."वाह रे वाह ..तू भी कितना कुछ सीख लिया ...मेरी हर जागेह चुदाइ कर रहा है .. देख ना एक चूत के ना मिलने से तुझे और कितनी नयी नयी जागेह मिल रही है मुझे चोद्ने को...........हाां चोद रे किशू ...चोद ले रे ..जहाँ जी चाहे चोद ..सब कुछ तेरा ही तो है ....हाआँ अपनी ख्वाहिश पूरी कर ले..मैं भी तुझे खुश देखना चाहती हूँ ..... आआआहह चाट और चाट ..और चूस ....उईईईईईईई .....हाआँ मेरी नाभि के अंदर जीभ घूसा ...हाआँ ........जीभ से वहाँ भी चोद .....उफफफफफफफफफफ्फ़ ...........आाआऐययईईई.....हाँ हां ऐसे ही ....." वह अपना पेट और उपर कर लेती ..जिस से मेरी जीभ और भी अंदर घूस जाती उनकी नाभि में ....
और मेरा चाटना , चूसना , जांघों को चोद्ना ज़ोर और ज़ोर पकड़ता गया ..उनकी जंघें टाइट और टाइट होती गयी....उनकी जंघें मेरे लौडे के रस से इतनी गीली थीं के मुझे लंड पेलने में कोई दिक्कत नहीं होती ..एक दम मक्खन जैसा था
दीदी की चूत से भी लगातार पानी रिस रहा था, उन्हें अपनी नाभि में मेरे जीभ का चलाना बहुत ही एग्ज़ाइट कर रहा था .....
अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर मस्ती में डूबी थीं ..और मैं उन्हें उनके पेट से उनको जकड़ा था , मुलायम और सपाट पेट ....जीभ नाभि के अंदर डाल देता ..और लंड जांघों के बीच एक अजीब मस्ती के सफ़र का आनंद ले रहा था..
"आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह......हाईईईईईईईईई..हाां किशू.........मेला बच्छााआआ ....आआआआअहह ....."
" दिदीइ.....आआआआआ ......बस और नहीं .......ऊऊऊऊऊऊ ..." और मैं उनके जांघों पर जोरदार पिचकारी चोद्ना शुरू कर दिया ...जांघों पर ..उनके पेट पर ...उनकी छाती पर ..लॉडा हाथ से थामे झटके पर झटका देता जाता ..मेरे रस की गर्मी..उसकी तेज़ फूहार से दीदी का सारा बदन झुरजुरी से कांप उठा और वह भी चूतड़ उछाल उछाल कर अपनी चूत से पानी छ्चोड़े जा रही थी ........
हम दोनों के अंदर की सारी मस्ती , सारी खूषी , सारी ललक बाहर आ रही थी ..एक दूसरे पर हम छिड़के जा रहे थे ....
कुछ देर तक हम ऐसे एक दूसरे की बाहों में पड़े थे......
अब तक सुबेह काफ़ी निकल चूकि थी ..बाहर चिड़ियों का चहचाहना और सूरज की किरणों ने हमारी आँखें खोलीं ....
दीदी ने अंगडायाँ लेते हुए मुझे अपने उपर से हटाया ......उफ़फ्फ़ दीदी की अंगड़ाई ने फिर से मेरे अंदर हलचल मचानी शुरू कर दी....
पर इसके पहले के मैं कुछ कर पाता , "बस किशू ....देख अब सब लोग जाग गये हैं ..कोई आ जाए तो मुश्किल हो जाएगी..मैं जा रही हूँ " और वो मेरे लौडे को कस के दबाती हुई बाहर निकल गयी ....
मैं दीदी को देखता रहा.......और फिर मैं भी बाथरूम के अंदर चला गया ...
उस दिन नाश्ते के टेबल पर जब दीदी ने मुझे खिलाना शुरू किया ..मेरी माँ ने दीदी के हाथ थामते हुए कहा "अरे पायल ..अब तो तू इसे अपने हाथ से खाने दे...तू जब चली जाएगी तो किस के हाथ से खाएगा ..क्या भूखा ही रहेगा ..??" और फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा "किशू तू भी खुद से खाना शुरू कर दे ..दीदी का लाड़ प्यार बहुत हो गया..!"
मैं जानता था एक दिन ये होनेवाला ही है ..मैं चूप रहा.....मुझे अंदर से जैसे किसी ने झकझोर दिया था..मैं आसमान से सीधे ज़मीन पर आ टपका था..वास्तविकता और सचाई मेरे सामने खड़ी थी.....
दीदी समझ गयीं मुझे गहरा धक्का लगा था ....." ठीक है बुआ ..पर आज तो खिलाने दे ..कल से किशू खुद ही खाएगा ..है ना किशू .....?"
मैं क्या बोलता ??? ..एक बहुत ही आभार से भरी नज़रों से दीदी की ओर देखा ..दीदी अपने आँचल से अपनी आँखें पोंछते हुए मुझे खिलाने लगीं.
शाम को जब स्कूल से आया ..दीदी ने दरवाज़ा खोला ...... आज फिर घर में सन्नाटा था ..
" कहाँ हैं सब लोग दीदी ..???" मैने पूछा ..
'' माँ और बुआ शादी की शॉपिंग को गये हैं और पापा ( मामा) और फूफा ऑफीस से कब तक आएँगे किसे मालूम..????"
मेरे चेहरे पे चमक आ गयी ..मेरा मन गुदगुदी से खिल उठा
मैने दीदी को अपनी बाहों में जाकड़ लिया , अपने सीने से लगाता हुआ उन्हें चूमने लगा
" ओओओओओओह्ह दीदी यानी के हम दोनों अकेले .....??????"
" अरे बाबा अभी तो छ्चोड़ ना किशू ..चल हाथ मुँह धो ले साथ में नाश्ता करते हैं ....फिर कुछ और .." और मुस्कुराते हुए मुझे अपने से अलग किया .
तभी कॉल बेल की तीखी आवाज़ आई........
" अभी कौन आ गया.." मैने झुंझलाते हुए बड़बड़ाता हुआ दरवाज़ा खोला..
बाहर स्वेता दीदी खड़ी थीं.........
मैं एक टक उन को(स्वेता दीदी) देखता रहा....मेरी आँखें चौंधिया गयीं , पालक झपकने को तैयार ही नहीं ....
उन्होने कपड़े इस तरह पहेन रखे थे.....कपड़े बदन ढँकने के बजाए उन्हें और उभार रहे थे...मानों एक एक अंग कपड़ों को चीरता हुआ बाहर आ जाए ...पतली और तंग टाइट ब्लाउस ......उनकी चूचियों की उभार छुपाने की नाकामयाब कोशिश में जुटी थीं ....गले से नीचे नंगा सीना ........साड़ी नाभि से नीचे ....पेट उघ्ड़ा ......आँचल कंधों से फिसलता हुआ .........
" अरे क्या देख रहा है किशू ..मुझे अंदर तो आने दे..क्या बाहर ही खड़ी रहूं..???" स्वेता दीदी की आवाज़ से मेरा ध्यान उनके शरीर से उनकी आवाज़ पर आया....
"ओह..अरे हां आइए ना .." और मैं दरवाज़े से हट ता हुआ उन्हें अंदर आने का इशारा किया....
मटकती हुई चाल से स्वेता दीदी अंदर आईं .....मैं उनके पिछे था ...उनकी मटकती चाल से उनके दोनों चूतड़ साड़ी से उछल बाहर आने को मचल रहे थे.... उधर उनके चूतड़ उछल रहे थे और इधर मेरे पॅंट के अंदर भी उछल कूद मची थी.......
" पायल कहाँ है किशू..?" उन्होने हंसते हुए पूछा .
"दीदी शायद किचन में हैं ...आप जाइए ना ..देख लीजिए .." मेरा गला सूख रहा था .....स्वेता दीदी की मटकती चाल से , उनकी अजीब मुस्कान से ..उनकी तीखी और पैनी नज़रों से ..मानों वह मुझे खा जाना चाहती हों .....
थोड़ी देर बाद दोनों दीदी किचन से बाहर निकलीं ..
पायल दीदी ने कहा " चल किशू मेरे रूम में ...हम तीनों नाश्ता करते हैं ....."
स्वेता दीदी हाआँ में हां मिलाते हुए मुझे अपनी बाहों से अपने बगल भींच लिया , मैं झिझकता हुआ उनके करीब हो गया
" अरे झिझक क्यूँ रहा है किशू ..मैं भी तो तेरे लिए पायल जैसी ही हूँ ना ..बस तू जैसे अपनी पायल दीदी के साथ खूल कर रहता है ना ......मेरे साथ भी ऐसे ही रहना ..क्यूँ पायल मैने ठीक कहा ना ..??" और मुझे अपने से और भी करीब चिपका लिया ...मैं उनके गुदाज और मुलायम शरीर के स्पर्श , उनके बालों की सुगंध , उनके साँसों के झोंकों से मदहोश हुआ जा रहा था
" अरे हां किशू तू ज़रा भी मत हिचकिचा..स्वेता दीदी बहुत अच्छी हैं , तुम्हारे लिए मेरे से कुछ भी कम नहीं ........." और पायल दीदी की इस बात पर दोनों जोरों से हँसने लगी और हम दीदी के कमरे के अंदर आ गये थे ..
मेरी समझ में कुछ कुछ तो आ ही रहा था ..लगता है दीदी ने अपने और मेरे बारे स्वेता दीदी को सब कुछ बता दिया था ......
मुझे स्वेता दीदी ने अपनी गोद में बिठा लिया ...मैने पायल दीदी की ओर देखा ....मानो मैं कह रहा हूँ...." दीदी मैं जब आप की गोद में नहीं बैठ ता इनके गोद में कैसे बैठूं ..??"
दीदी ने मेरी नज़रों की बात समझ ली और कहा " मेरा राजा भाय्या ..आज पहली बार है ना स्वेता दीदी के लिए ..तू उनकी गोद में आज बैठा रह .." और फिर स्वेता दीदी की तरफ देखते हुए कहा .." स्वेता ..किशू अब बहुत बड़ा हो गया है ..... " और फिर दोनों हँसने लगे ..
" हां रे पायल सही कह रही है तू ..मैं भी देख रही हूँ ना .." और उन्होने मेरे पॅंट के अंदर बने तंबू की तरफ इशारा किया .......जो काफ़ी उँचा हो गया था ..मेरे चूतड़ उनकी गद्दे जैसी मुलायम और गर्म जांघों के उपर था और मुझे अच्छा लग रहा था ...
फिर उन्होने झट अपनी उंगलियों से पॅंट के बटन खोल दिए और कहा " देखें तो ज़रा कितना बड़ा हो गया है ...????"
बटन खुलते ही मेरा लंड उछलता हुआ बाहर आ गया.........अभी भी 4-5 इंच के बराबर तो था ही पर काफ़ी मोटा था ...........
स्वेता दीदी ने झट उसे अपनी मुट्ठी से पकड़ लिया और सहलाने लगीं जैसे उसे महसूस कर मेरे बड़े होने का सबूत देख रही हों ..
पायल दीदी ने मुझे खिलते हुए स्वेता दीदी से पूछा.." क्यूँ दीदी ..अब हो गयी ना तस्सली .? कितना बड़ा है अब मेरा किशू ...??"
उनकी पूरी हथेली मेरे मोटे लंड से भरी थी ...स्वेता दीदी उसे हल्के हल्के दबाते हुए कहा "हां री पायल बहुत बड़ा हो गया है " और धीरे से मेरे लंड की चॅम्डी उपर नीचे करने लगीं ..
मेरे पूरे बदन में झुरजुरी होती जा रही थी ...उन दोनों की बातों से स्वेता दीदी से मेरी झिझक भी दूर हो गयी थी.........
दीदी का हाथ मुझे खिला रहा था और स्वेता के हाथ मेरा लंड सहला रहे थे .दोनों दीदी के बीच मैं मस्ती और आनंद के लहरो में हिचकोले ले रहा था..मैने अपने आप को उनके हवाले कर दिया था...
मेरा खाना ख़त्म हो चूका था दीदी ने थाली उठाई और किचन में रख घर के दरवाज़े को अच्छी तरह बोल्ट कर दिया , वापस आईं और हमारे बगल बैठ गयीं
मैं अभी भी स्वेता दीदी की गोद में ही था ........और मेरा लंड उनके हाथ में ...स्वेता दीदी को मेरा चिकना लंड सहलाने में बड़ा मज़ा आ रहा था...... शायद जितना मज़ा मुझे आ रहा था उस से कहीं ज़्यादा उन्हें ..उनकी आँखें बंद थी और अब एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी और दूसरा हाथ अपनी साड़ी के अंदर डालते हुए अपनी चूत सहला रही थी......
दीदी ने स्वेता की हालत देखी.उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा था......पतली और तंग ब्लाउस के अंदर चूचियाँ कड़क हो गयीं थीए , नंगा सीना दिल की तेज़ धड़कनों से उपर नीचे हो रहा था........
उन्होने चूपचाप उनके ब्लाउस के बटन खोल दिए ..ब्लाउस उनके सीने से अलग कर दिया और ब्रा के स्ट्रॅप्स एक झटके में ही खोल दी...उनकी कड़क चूचियाँ मेरे चेहरे पर उछलती हुई लगी.....मैं उनकी चूचियाँ देखता रहा...गोल गोल ..भारी भारी , नुकीली पर गोल घुंडिया एक दम टाइट ........
" अरे देख क्या रहा है मेरे भोले राजा...मेरी चूचियाँ तो ऐसे चूसता है जैसे आम चूसता है.........चल इन्हें भी चूस ..." दीदी ने मुझे बड़े प्यार से फटकारा और स्वेता की एक चूची अपने हाथ से थामते हुए मेरे मुँह में ठूंस दी....
मैं अपनी लप्लपाति जीभ और चुभलाते होंठों से स्वेता की चूची पर टूट पड़ा ...होंठों से दबाते हुए और जीभ से चाट ते हुए ...स्वेता कांप उठी ..उनकी मेरे लंड पर पकड़ और मजबूत हो गयी.........और अपनी चूत का सहलाना भी तेज़ हो गया .......उनके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी.........आँखें मस्ती में बंद थीं
तभी दीदी उनकी दूसरी जाँघ पर बैठते हुए अपना मुँह उनकी दूसरी चूची पर लगा दिया और लगीं उसे चूसने ...
एक साथ दोनों चूचियों की चूसाई ......स्वेता कांप उठी..उनका सारा बदन सिहर उठा...
"हाइईईईई रे हाइईइ...दोनों भाई बहन ...उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..हाआँ हाां चूसो ..मेरा पूरा रस चूस लो ..उफफफफ्फ़ "
दीदी का चेहरा मेरे चेहरे से बिल्कुल सटा था ........उनकी साँसें और मेरी साँसें टकरा रही थी...मैं बीच बीच उनके होंठों को भी चूस लेता .........
हम तीनों एक दूसरे से चिपके अपनी अपनी हरकतों में डूबे थे ..
तीनों बदहावाश थे ........ना कपड़ों का ध्यान ना अपने होश का ख़याल .....
मस्ती का आलम छाया था..इसी मस्ती में हम एक दूसरे के कपड़े उतारते जा रहे थे ..जब जिसका मूड हुआ किसी के कपड़े खींच देता ........
थोड़ी ही देर में तीनों नंगे एक दूसरे के बदन से खेल रहे थे ..एक दूसरे से लिपटे थे ..
मैं कभी स्वेता दीदी की चूची चूसता , कभी दीदी की चूचियाँ मसल देता .....कभी उनके पेट सहलाता ..कभी स्वेता दीदी की नाभि के अंदर अपनी उंगली डाल देता .....अब मैने भी स्वेता दीदी की चूत में अपनी उंगली लगाई.......उनके खुद की उंगली चलाने से पूरी तरह गीली थी उनकी चूत...मेरी उंगली लगते ही उन्होने अपनी उंगली हटा दी और अपनी उंगली पायल की चूत में लगाते हुए घिसना चालू कर दिया .......
स्वेता दीदी एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थी , दूसरे से पायल दीदी की चूत .......मेरा लंड कड़क और कड़क होता जा रहा था , मेरी मस्ती बढ़ती जा रही थी..मैं जितनी मस्ती मेी आता जाता..स्वेता दीदी की चूत उतनी ज़ोर से सहलाता जाता ..मेरी उंगलियाँ उनकी चूत की फांकों पर फिसल रही थी...और इधर स्वेता जितनी मस्ती में आती पायल की चूत उतनी ही तेज़ी से मसल्ति जाती.....
और पायल दीदी तो उनकी चूचियों पर ही टूट पड़ी थीं .............
चप..चप.....पच ..पुच...लॅप लप ...आआआ....उईईईईईई.......हाइईईईईई...की आवाज़ लगातार आ रही थी
और इसी मस्ती की दौर में स्वेता का बदन अकड़ गया ..झटके खाने लगा ....उनके हाथ ढीले पड़ गये ..और उन्होने बूरी तरह अपने चूतड़ उठाए चूत से पानी छोड़ना शुरू कर दिया ...मैं हैरान था .......उनकी चूत से धार इतनी तेज़ निकल रही थी ..मानों वह पेशाब कर रही हों ......
शायद इस तरह एक साथ दोनों चूचियों की चुसाइ , और उनके बदन का एक साथ मेरे और दीदी के सहलाने का असर था...... काफ़ी दिनों से उनकी चुदाइ भी नहीं हुई थी.......अपने पति से अलग थीं .....काफ़ी दिनों से ...इसका मिला जुला असर था ...... उनका इस तरह झड़ना
तभी दीदी ने मेरा कड़क लंड देखा ...इतना कड़ा था के हिल रहा था ,,उन्होने झट अपनी हथेली से उसे जकड़ते हुए जोरों से मुझे मूठ मारने लगीं " हाई रे मेला बच्चा ...ले अब जल्दी आ जा ...हां मेरे हाथ में ही छ्चोड़ दे ..आ ज्जा .."
मैं तो पहले ही से तड़प रहा था दीदी के दो चार बार हाथ उपर नीचे होते ही उनके हाथ में मैने पिचकारी छ्चोड़ दी ...
मैं" दीदी ..दीदी ......." की चीख मारते हुए उन से बूरी तरह लिपट गया....और उनकी चूत में उंगली घिसने लगा ...जो अब तक बूरी तरह गीली हो चूकि थी .......उनकी चूत की फाँक में दो चार बार उंगली उपर नीचे होते ही दीदी भी मुझ से लिपट गयीं और चूतड़ उछालते हुए अपनी चूत से रस की बौछार कर दी.........
क्रमशः……………………
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