RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--6
गतान्क से आगे…………………………….
दरवाज़ा भिड़ा था ....थोड़ी सी फाँक थी दोनों पल्लों के बीच , मैने कान लगाया ..अंदर हल्की हल्की हँसी की आवाज़ आ रही थी ....फुसफुसाहट की आवाज़ आ रही थी ..जैसे दो लड़कियाँ आपस में बातें कर रहीं हो ....बीच बीच में खीखिलाने की भी आवाज़ आती ....और कभी मस्ती में सिसकारियों की भी आवाज़ शामिल हो जाती ...
मैने दरवाज़े के पल्लों की फाँक से अंदर झाँका ...
अंदर की हालत देख मैं चौंक गया .... ये उनका एक और ही रूप था ....अंदर स्वेता दीदी और दीदी दोनों लगभग नंगे एक दूसरे की शरीर से खेल रहे थे ....एक दूसरे की चूचियाँ मसल रहे थे ..बातें भी कर रहे थे ..कभी एक दूसरे को चूम भी लेते .... ...दोनों की साड़ियाँ अस्त व्यस्त ..ब्लाउस और ब्रा से चूचियाँ बाहर निकलीं ..जांघों से उपर तक साड़ी .....
बस एक दूसरे में खोए .....दुनिया से बेख़बर ....
स्वेता दीदी , दीदी की बहुत अच्छी सहेली थीं ..उनकी शादी दो साल पहले हुई थी ..पर पता नहीं क्यूँ , अभी काफ़ी दिनों से अपनी माँ के साथ ही रहती हैं ..अपने पति के यहाँ नहीं जातीं ...
दीदी से काफ़ी घुल मिल गयीं थीं और शायद पुर मोहल्ले में दीदी की स्वेता दीदी ही एकमात्र सहेली थीं ..दिखने में ठीक ठाक थीं ..काफ़ी आकर्षक ...मीडियम शरीर ..सांवला पर चमकता चेहरा ....भारी भारी चूचियाँ और सब से आकर्षक थे उनके मचलती चूतड़ ....
उन से (स्वेता दीदी से ) मेरी कोई खास बात चीत नहीं थी ..बस ऐसे ही हाई ..हेलो ...
मैने उन दोनों को उनके खेल में डिस्टर्ब करना नहीं चाहा ... वापस लौट गया ... मुँह हाथ धो लिया ..पर मुझे जोरों की भूख लगी थी ....और दीदी थी के अपने कमरे में स्वेता दीदी के साथ अपनी भूख मिटा रहीं थीं..मेरी भूख की उन्हें परवाह ही नही थी ..
मैने वहीं बाहर से आवाज़ दी " दीदी आप कहाँ हो.....मुझे जोरो की भूख लगी है ....."
मेरी आवाज़ उन तक पहून्च गयी ..और थोड़ी देर बाद उनके कमरे का दरवाज़ा ख़ूला ...दीदी बाहर आईं ...पर अब तक उन्होने अपने आप को दुरुस्त कर लिया था ....स्वेता दीदी अंदर ही थी ..
बाहर आते ही दीदी ने मुझे गले लगाया " अले ..अले मेला बच्चा ..कब आया रे तू स्कूल से ..मुझे आवाज़ क्यूँ नहीं दी ???"
मन में तो आया के कहूँ " आआप आवाज़ कहाँ सुनती दीदी ..अंदर आप दोनों तो अपनी ही आवाज़ निकालने में मस्त जो थीं....." पर मैने कहा " नहीं दीदी बस अभी अभी आया हूँ ..पर देखा आपके कमरे का दरवाज़ा भिड़ा था ..इसलिए आवाज़ दी ....आप शायद सो रही होंगी इसलिए उठाया नहीं.."
" हां रे वो हैं ना स्वेता ..मेरी सहेली उसी के साथ मैं लेटी थी ..बेचारी बहुत दिनों के बाद तो आज आई थी ..हम लोग गप्पें मार रहे थे ....चलो मैं तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ .."
कुछ ही देर बाद पायल दीदी हाथ में नाश्ते से भरी थाली लिए आ गयीं और रोज की तरह बैठ कर मुझे गोद में खींच कर बिठा लिया ..पर मैं उनकी गोद से उठ गया और उनके सामने ही बैठ गया ..दीदी चौंक पड़ीं ..
"ये क्या किशू ..???क्या हुआ ..क्यूँ उठ गया.....मैने नाश्ते में देर की इस वजेह से गुस्सा है मेरे से ..??? ""
"नहीं दीदी ...मैं गुस्सा नहीं हूँ..!" मैने कहा
" फिर क्या बात है ..??"
" अब ऐसे गोद में बैठ मुझे खाना अच्छा नहीं लगता ..." मैने अपनी नज़रें झूकाते हुए कहा ...
" पर क्यूँ ..?? अभी तक तो तुझे बड़ा अच्छा लगता था...आज क्या हुआ ..??"
" मुझे शर्म आती है .." मेरी नज़रें अभी भी झूकि थीं
ये सून कर दीदी जोरों से हंस पड़ीं ....
" ह्म्म्म्म तो ये बात है..अब मैं समझी ..कल रात के बाद से तू काफ़ी बड़ा हो गया है ....हाँ रे बड़ा तो तू हो ही गया है .. काफ़ी बड़ा ....."मेरे लंड की ओर देखते हुए उन्होने कहा ..और हँसने लगीं...मैं झेंप गया .....
"पर जब रात में मेरे सामने नंगा पड़ा था तो शर्म नहीं आई ..???" उनके चेहरे पर एक बहुत ही शरारत भरी मुस्कान थी ..
" उस समय की बात और थी दीदी..आप भी तो नंगी थी ..हिसाब किताब बराबर थी.." मैने भी उनको आँखों में देखते हुए कहा .
" वाह रे मेरे भोले राजा ..एक ही दिन में तो तू बहुत बड़ा हो गया है..बातें भी बड़ी बड़ी कर लेता है ...ठीक है बाबा ..चल मेरे हाथ से नाश्ता तो करेगा ना ...???" उन्होने बड़े प्यार से अपने हाथ में नीवाला ले मेरी ओर बढ़ाया ..
मैने झट मुँह खोल नीवाला मुँह में ले लिया , और कहा
" दीदी ..मेरा वश चले तो आप के हाथों से जिंदगी भर ऐसे ही ख़ाता रहूं ...हां दीदी ..जिंदगी भर ..." और मैं उनकी ओर एक टक देख रहा था
उनकी आँखें भर आई ..मेरी बात सुन कर ...
उनका गला भर आया
"जिंदगी भर कहाँ रे.....अब तो मैं बस और कुछ ही दिनों की मेहमान हूँ यहाँ ..फिर किसके हाथ से खाएगा .." दीदी अब रो रहीं थी ...और मुझे खिलाए भी जा रही थी..
" दीदी प्ल्ज़्ज़ रो मत ...नहीं तो मैं नहीं खाऊंगा ...जब जाओगी तब देखी जाएगी..अभी तो हम साथ हैं ना ..??"
" हां रे ..तू शायद ठीक कह रहा है...अब मेला बच्चा सही में बड़ा हो गया है...."
मैने उनकी आँखो से आँसू पोंछे ..और उनके हाथ से नीवाला ले खाता रहा.....
तभी उनके कमरे से स्वेता दीदी निकलीं ..दरवाज़ा एक दम से खोलते हुए .....
"वाह वाह ..क्या प्यार है भाई बहन में .... अरे पायल मैं भी हूँ , यहाँ ...कब से अंदर इंतेज़ार कर रही थी तेरा ..पर तू तो बस ....खोई है भाई के साथ ."
मेरी नज़र उन पर पड़ी ....आलमास्त जवानी का नमूना थी स्वेता दीदी ..उनके बोलने का लहज़ा ऐसा कि मानो सारा कमरा खिलखिला उठा हो.......बहुत हँसमुख और खूली खूली .... जो अंदर था ..वो बाहर भी ....हर जागेह सही उभार ...बलके थोड़ा ज़्यादा ही ..लगता था जैसे मेरे जीजू ने काफ़ी इस्तेमाल किया था उनकी उभारों का .साड़ी से बाहर निकलने को बस तैयार ....
मैं उन्हें घूरे जा रहा था ....
तभी उन्होने कहा " अरे क्या घूर रहा है मुझे ..अपनी पायल दीदी को घूर ना ....अपनी आँखों में बसा ले अछी तरह ........" और हँसने लगीं ....
" तू भी ना स्वेता .. चूप कर ..थोड़ी देर रुक ..किशू का खाना हो गया है ... तू अंदर बैठ मैं बस आई ...." दीदी ने स्वेता दीदी की तरफ घूरते हुए कहा ....
" ठीक है बाबा जाती हूँ ..जाती हूँ ...मैं भला तुम दोनों के बीच कबाब में हड्डी क्यूँ बनूँ ....है ना किशू..???" और फिर मेरी तरफ बड़े प्यार से देखते हुए जैसे आई वैसे ही दरवाज़ा जोरों से बंद करते हुए अंदर चली गयीं ..
" उफफफफफफफफफ्फ़.. एक दम तूफान है ये लड़की .....अच्छा किशू अब तू हाथ मुँह धो ले और अगर बाहर खेलने जाना है तो जा ..मैं ज़रा स्वेता से बातें कर लूँ ...." और फिर मेरी तरफ भेद भरी निगाहें डालते हुए कहा " तू पूछता है ना हमेशा , मैने वो सब बातें कहाँ से सीखीं? तो सून ये ही हैं मेरी गुरु.........." और फिर मुस्कुराते हुए अंदर चली गयीं .
मैं सोचता रहा जब चेली इतनी मस्त हैं तो फिर गुरु का क्या हाल होगा ...अल्मस्त .....!!!
मैने हाथ मुँह धोया और बाहर निकल गया दोस्तों के साथ खेलने...
खेल कूद कर शाम को वापस घर आया ..तब तक माँ और मामी भी पड़ोस से वापस आ गये थे ....और दीदी उनके साथ बातें कर रही थी....
मैं चूप चाप अपने कमरे में चला गया और फ्रेश हो कर पढ़ाई में लग गया ..
उस दिन होम वर्क काफ़ी ज़्यादा मिला था .और कुछ डिफिकल्ट सम्स भी मुझे सॉल्व करने थे जिन्हें मैं क्लास में नहीं कर पाया था ......मैं काफ़ी देर तक इन्ही सब में जुटा रहा ...
तभी दीदी अंदर आईं और बहुत खुश थीं मुझे पढ़ाई में इतना तल्लीन देख ....
"हां किशू .... बस ऐसे ही मन लगा कर पढ़ .....अच्छा चल अब खाना खा ले ..देख अभी वहाँ बुआ और माँ भी हैं ..कुछ ऐसी वैसी हरकत मत कर बैठना ..... "
" कैसी हरकत दीदी ..???" और मैं हरकत में आ गया ... उन्हें अपने से चिपकाते हुए उनकी चूचियाँ मसल्ने लगा और उनके होंठ पे अपने होंठ लगाए जोरों से चूसना शुरू कर दिया .
दीदी ने भी मुझे अपनी बाहों से लगा लिया ..दोनों एक दूसरे से चिपके रहे इसी तरह ..की दीदी ने मुझे झट अपने से अल्ग किया ...वो हाँफ रही थी ..उनकी सांस उखड़ी थी ..पर फिर भी उन्होने कहा
" ह्म्म्म्मम..तू अब सही में बड़ा हो गया है रे ......
बस येई ..जो तू अभी कर रहा था...वहाँ ज़रा शांत रहना ...." और अपना हाथ नीचे करते हुए मेरे लंड को जोरों से मसल दिया ..मेरे मुँह से "आआआआआआआह्ह्ह्ह डीडीिईईई ..." निकला
" बस जल्दी एयेए ..मैं टेबल पर तेरा इंतेज़ार कर रही हूँ ..." और हंसते हुए बाहर चली गयी....दीदी के अंदाज़ भी निराले थे .....
मैं रूम से बाहर निकला ..दीदी डाइनिंग टेबल पर मेरा इंतेज़ार कर रहीं थी ....पर साथ में माँ और मामी भी बैठीं थी ..
मैने दीदी की ओर एक शुक्रिया से भरी नज़रों से देखा ...इसलिए कि उन्हें मेरे उनके गोद में ना बैठने की बात याद थी ..और उन्होने खाना टेबल पर लगाया था. मैं उनकी बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया..
मैने देखा दोनों माओं के आँखों में अश्चर्य था ....
"अरे क्या बात है पायल....आज किशू तेरी गोद के बजे कुर्सी पर बैठा है ..???" मेरी माँ ने दीदी से पूछा..
" हां बुआ ...अब हमारा किशू बड़ा हो गया है..उसे गोद में बैठना अच्छा नहीं लगता ..." दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा ..
दोनों माएँ ज़ोर से हंस पड़ी और मामी ने कहा " हां पर तू भी तो अब ज़रा इन बातों का ख़याल रख ...अब तू ससुराल जानेवाली है ...देखो किशू को तेरा कितना ख़याल है...तू तो बस बच्ची बनी है अभी तक ....."
" चलो अच्छा है दोनों अब बड़े हो रहे हैं .." माँ ने जवाब दिया ....
तभी दीदी ने अपना कमाल दिखा ही दिया ..टेबल के नीचे एक हाथ डाल कर मेरे लंड को जोरों से दबा दिया .....इस एक दम से हमले से मैं उछल पड़ा ......
पर माँ और मामी को कोई शक़ ना हो ...इसलिए हालात पर क़ाबू रखते हुए मैने कहा " अरे माँ नीचे लगता है कोक्रोच मेरे पैर पर चल रहा था.....ज़रा टेबल के अंदर नीचे से कल फ्लिट डाल देना ...."
दीदी मेरी बात से हैरान थी ...और आँखों ही आँखों में उहोने मुझे शाबाशी दे दी और अपने हाथ की पकड़ और भी मजबूत कर ली ..और दूसरे हाथ से मुझे खिलाना शुरू कर दिया ..उनके हाथ के कमाल से मैं सिहर रहा था ....
" हां बेटा ..हो सकता है ...फ्लिट डाले भी काफ़ी दिन हो गये हैं ..मैं कल ही इसकी सफाई कर दूँगी ...तुम दोनों खाओ इतमीनान से ..मैं गरम रोटियाँ लाती हूँ ."
और दोनों औरतें चली गयीं किचन के अंदर .
"उफफफफफफ्फ़ दीदी आप भी ना ......अगर कहीं किसी ने देख लिया होता..????"
" ऐसे कैसे देख लेती ....और अब तू तो बड़ा हो गया है ना ....देख कैसे सब संभाल लिया तू ने .." अब मेरे लंड को अच्छी तरह दबा दबा के सहला रही थी और खाना भी खिलाए जा रही थी .....
मैने भी मौके का फ़ायदा उठाया और अपना हाथ भी टेबल के नीचे से उनकी जांघों के बीच ले जाते हुए उनकी चूत को उंगलियों से दबाना शुरू कर दिया .....अब उछलने की बारी उनकी थी ....पर वहाँ हम दोनों के अलावा और कोई नहीं था .....
हम मज़े लेते हुए खा रहे थे .....
तभी मामी गरम रोटियाँ लिए किचन से बाहर आईं ...टेबल पर रख दी और अंदर चली गयीं ..
हम दोनों अब सम्भल कर बैठ गये थे और जल्दी ही खाना हो हो गया ..मैं उठ गया
दीदी भी उठ गयी और उन्होने फुसफूसाया " मेरा दरवाज़ा भिड़ा रहेगा ..तू आ जाना ..रात में .."
मैने हां में सर हिला दिया .....
अपने कमरे में मैने अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी कर ली ..10 बज चूके थे ....
मैं दीदी के कमरे की ओर चल पड़ा....... आज मन में बहुत गुदगुदी सी हो रही थी .... सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो रहा था ..मैने हाथ से हल्के हल्के लंड पॅंट के उपर से ही सहला रहा था ..बड़ा मज़ा आ रहा था ..अंदर झाँका तो देखा मामी और दीदी बैठे बातें कर रहे थे ...मैं भी उनके साथ बैठ गया ...
बातें दीदी की शादी के गहनों के बारे हो रही थी ..... थोड़ी देर मैं सुनता रहा ..पर ना जानें क्यूँ आज मुझे उनकी शादी की बात अछी नहीं लगी ..इसलिए नहीं के वो मुझ से दूर हो जाएँगी ..पर शायद इसलिए के वो अब वो सब जो मेरे साथ करती हैं ...किसी और के साथ करेंगी ...मेरा मन जाने क्यूँ गुस्से से भर उठा ..और मैं वहाँ से अचानक उठ गया .
दीदी ने कहा "किशू ..बैठ ना कहाँ जा रहा है ....."
पर मैं उनकी बात अनसुनी करते हुए सीधा अपने कमरे में आ गया ....
थोड़ी देर बाद दीदी मेरे कमरे में आईं ....मैं लेटा था ....उन्होने पहले तो मेरे कमरे के दरवाज़ों को बंद किया ..और फिर मेरे बगल मे आ कर लेट गयीं ...और मेरे बालों को सहलाते हुए पूछा ..
"क्या हुआ किशू ..? तू वहाँ से क्यूँ वापस आ गया..क्या मेरी माँ वहाँ थी इसलिए ..???"
" नहीं दीदी....!"
"फिर क्या बात है ..बता ना ..प्लज़्ज़्ज़ ...मुझ से कुछ मत छुपा किशू ..मैं खुद इतनी परेशान हूँ अपनी शादी की बात से , और तू ये सब क्या कर रहा है..??"
" हां दीदी मैं भी परेशान हूँ आपकी शादी से ...."
" पर तू क्यूँ परेशान है..? तू तो खुश था मेरी शादी की बात से ....??"
" दीदी ........"
"हां हां किशू बोल ना ..."
"दीदी शादी के बाद आप जीजा जी के साथ भी तो वोई सब करेंगी ना ....जो मेरे साथ करती हैं ..???"
दीदी ने अपनी भवें सिकोडते हुए कहा
"हां रे करूँगी तो ज़रूर .."
" आप के शादी के गहनों की बात से मुझे अब ये लगा के आप की शादी सही में हो रही है ..... और आप किसी और के साथ ये सब करेंगी......मुझे अच्छा नहीं लगा ...मुझे बहुत गुस्सा भी आया ......." मैने दीदी से सारी बात कह दी ..ना जाने क्यूँ मैं उन से कुछ छुपा नहीं सकता था ...
" ह्म्म्म तो ये बात है ..... तू मुझे इतना प्यार करता है रे किशू ..??? तू मुझे किसी और के साथ नहीं देख सकता ..?? "
" हां दीदी .....मैं आप से बहुत प्यार करता हूँ ..बहुत ..."
" मैं भी तो उतना ही प्यार करती हूँ किशू ....."
और मैं उन से लिपट गया , उन्होने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया ..हम दोनों हिचकियाँ ले ले कर रो रहे थे ....एक दूसरे को चूमे जा रहे थे ..बार बार बाहों में जकड़े जा रहे थे ..मानों कभी अलग ना हों ...... दोनों के आँसू मिल कर एक हो रहे थे .....दोनों का गम एक था .....
काफ़ी देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे को चूमते रहे ..... सुबक्ते रहे ....
क्रमशः……………………
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