RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
मैं उनके उपर से उठा ...और वहाँ देखा ..उनकी चूत के बाहर मेरे लंड से निकली सफेद पानी और कुछ और उनकी चूत से निकला रस का मिला जुला बड़ा ही चमकीला सा गाढ़ा गाढ़ा लगा था , उनकी चूत की फाके जो पहले , जब मैने उन्हें खड़े और नंगी देखा था, एक दूसरे से काफ़ी चिपकी थी, पर अभी दोनों फाँकें अलग थीं ..जैसे दोनों होंठ ख़ूले हों ....अंदर बिल्कुल गुलाबी लिए रस से सराबोर था ......उफ़फ्फ़ क्या नज़ारा था ..मन किया के चाट जाऊ उनकी पूरी की पूरी चूत..फिर मैने अपना चेहरा उनकी चूत के बिल्कुल करीब ले गया और अंदर देखा ,कितनी मस्त थी , अभी भी अंदर उनकी मांसल और गुलाबी चूत थोड़ी फदक रहीं थी..अभी अभी घिसाई की मस्ती पूरी तरह ख़तम नहीं हुई थी शायद ....
मुझ से रहा नहीं गया ...मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया ..अपने उंगलियों से उनकी चूत की फाँकें और भी फैला लिया ...उफफफफफफफफफफ्फ़ अंदर मुझे एक छेद दिखाई पड़ा ..वहाँ भी काफ़ी गीला था ....और मैं अपनी जीभ उनकी चूत की फांकों में लगा दी और लगा उसे सटा सत , लपा लॅप चाटने ..दीदी एक दम से उछल पड़ीं ..जैसे उन्हें करेंट लगा हो ...
उनकी आँखें पूरी तरह खुल गयीं " अरे किशू ....क्या कर रहा है रे......उफफफफफफ्फ़ बड़ाअ अच्छा लग रहा है रे ...."
" दीदी , मैं आपकी चूत चाट रहा हूँ ..मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा है..मैं और चातू ..दीदी..?????"
:" हां रे चाट चाट अच्छे से चाट......पर दाँत मत लगाना...... सिर्फ़ अपने होंठ और जीभ लगाना...."
उनकी चूत का रस और मेरे गाढ़े पानी का मिला जूला टेस्ट भी बड़ा मस्त था ..एक दम सोंधा सोंधा .....
मैने उनकी चूतड़ नीचे से जाकड़ लिया और उपर उठाया , मेरे मुँह में उनकी चूत बूरी तरह चिपकी थी ..मेरे होंठ , नाक के नीचे , नाक पर सभी जागेह रस लगा था.. मैं बस आँखें बंद किए..दीदी की बात रखते हुए अपने होंठ और जीभ से चाट ता जा रहा था ..चाट ता जा रहा था और दीदी मस्ती में सिसकारियाँ ले ले कराह रहीं थी ...उनका सारा बदन सिहर रहा था ..कांप रहा थाअ .....
" अरे वाह रे मेला बच्छााआ ...कहाँ से सीखा रे ...उफफफफफफफफफ्फ़ ......."
मैने कोई जवाब नहीं दिया ..मैं अपना मुँह वहाँ से हटाना नहीं चाहता था और भला क्यूँ ..मैं तो बस उस आनंद में विभोर उन्हे चाटता जा रहा था ...उनको क्या मालूम के हर बात बताई नहीं जाती ..कुछ बातें बस अपने आप हो जाती है .....
" हाई रीइ...ले रे किशू , और ले मेरा रस ..चूस ..चूवस ........आआआआआआआआ " और उनका चूतड़ जोरों से मेरे मुँह पर उछला और उनकी चूत से फिर से रस निकलना शुरू हो गया ..मेरे मुँह में ..मैं मुँह खोले उनकी चूतड़ जकड़े रहा और सारा का सारा रस अंदर लेता रहा ..वो पानी
छोड़ती रही..मैं पीता रहा .........जब वो शांत हुईं ..मैने चाट चाट कर पूरी चूत सॉफ कर दी
और उनके पेट पर अपनी तंग रखे उनके बगल लेट गया ....
मेरे गाल उनकी गाल से चिपके थी ,,,और उनकी दूसरी ओर की गाल मैं अपनी उंगलियों से सहला रहा था ...बड़ी मस्ती का आलम था ..दीदी आँखें बंद किए सूस्त पड़ी थी ...
"दीदी...."
"क्या है ...??" उन्होने आँखें बंद किए ही मुझ से कहा ....उनकी आवाज़ बहुत धीमी थी ,,जैसे उनकी मस्ती मेने खलल डाल दी हो....
" दीदी आप का एक एक अंग इतना टेस्टी है ...इतना मजेदार है.....उफ़फ्फ़ मन करता है पूरे का पूरा खा जाऊं.."
" तेरा भी तो किशू ....अभी तेरे शरीर में ज़्यादा बाल नहीं उगे ..इतना चिकना है ....मेरा भी मन करता है किशू उन्हें चाट जाऊं ..."
और इतना कहते ही उन्होने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और अपनी मुट्ठी में भर कर निचोड़ने लगीं ......उफफफफ्फ़ क्या मस्त अंदाज़ था ...मेरा लंड अभी तक सिकूडा था..मुलायम था ..उनकी मुट्ठी में धीरे धीरे कड़क होने लगा ... उनके हाथ हौले हौले उसे दबा रही थी , निचोड़ रही थी .....और जब काफ़ी कड़ा हो गया मेरा लंड ..उसकी चॅम्डी धीरे धीरे उपर नीचे करना शुरू कर दिया ....मैं सिहर रहा था ....
अब उन्होने फिर कमाल दिखाया ....मुझे सीधा लिटा दिया ...मेरी ओर अपनी पीठ कर अपने हाथों को मेरे जांघों और पेट के बीच रखते हुए मेरा लंड अपनी हथेलियों के बीच ले लिया और चॅम्डी उपर नीचे करते करते एक दम से अपने मुँह के अंदर ले लिया , अपने होंठों को गोल करते हुए मेरे लंड के उपर नीचे करने लगी ....ऊऊऊऊऊऊऊऊओ , मेरे शरीर में जैसे गुदगुदी का करेंट जैसा दौड़ गया ...मैं कांप उठा ..फिर कभी जीभ चलाती लंड पर ..कभी लंड के सूपदे पर जीभ फिराती और हथेली से उसकी चॅम्डी भी उपर नीचे करती जाती ..मैं पागल हो उठा था ...
और अपनी कमर से उपर अपने आप को उपर उठा लेता झटके से मस्ती में . बार बार मैं उछल रहा था , उन्हें जाकड़ लिया उनकी पीठ से और पीठ चूमने लगा ....चाटने लगा ..चूचियाँ पीछे से जाकड़ कर दबाना शुरू कर दिया . वो मेरे लंड से खेल रही थी ..मैं उनकी शरीर से ......
दीदी अब मस्ती में मेरे लंड को अपने होंठों से और भी जोरों से दबा ते हुए चूस रही थी ..चाट रही थी ..मेरा लंड उनके मुँह के अंदर ही अंदर कड़ा और कड़ा होता जा रहा था .......
"उफफफफफफफ्फ़ दीदी आप बताती क्यो नहीं आप ने ये सब सीखा कहाँ से ..????"
उन्होने कुछ नहीं कहा ..बस उनका चाटना और चूसना और ज़ोर पकड़ लिया था ......मेरे बाल रहित लंड चूसना उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था
अचानक उन्हे महसूस हुआ के मैं झड़ने के करीब हूँ ..उन्होने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया और अपने हाथों से जोरों से चॅम्डी उपर नीचे करने लगीं .....उपर नीचे ..उपर नीचे ....और मैं बार बार कमर उपर नीचे करता हुआ झड़ने लगा ...पिचकारी दीदी के पेट पर , चूचियों पर ..सारे बदन पर छूट रही थी ..वो बस मेरे बगल बैठीं सारे का सारा गाढ़ा पानी अपने बदन पर पैचकारी से छूट ते हुए देख रहे थीं ..मैने उन्हें पेट से जाकड़ लिया , और फिर उनके कंधों पर सर रख उनसे लिपट ते हुए ढेर हो गया .........
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