RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
फिर उन्होने उसी झटके में अपनी ब्लाउस और ब्रा भी खोल दी ....उफफफफफफफफफफफ्फ़ मैं पागल हो गया था ....अब वो बिल्कुल नंगी , दोनों पैर फैलाए ..उनके पैरों के बीच मैं नंगा ..और मेरे सामने वो नंगी ....उनके चेहरे पर ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं ..एक दम बे-बाक ...
" देख ले ....अच्छे से अपनी दीदी को ...."उनके चेहरे पे शरत भरी मुस्कान थी
मेरी नज़रें दीदी की खूबसूरत जवानी को जैसे पिए जा रही थी ..सुडौल स्तन ..भारी भारी ...एक दम दूधिया रंग और उसके बीच थोड़े थोड़े गुलाबी रंग लिए निपल्स ... घूंदियाँ कड़ी और उठी उठी ...
पेट भारी भारी पर सपाट ..नाभि की गोलाई ऐसी कि उनमें जीभ डाल चाट जाऊं ....भारी भारी सुडौल जंघें ... और जांघों के बीच काले काले बालों को चीरती हुई एक पतली सी फाँक ....दीदी की योनि में भी पानी जैसा रस था .योनि के बालों में मोटी जैसे रस के बूँद चमक रही थी ...जांघों पर भी रस लगा था ..... .मुझ से अब रहा नहीं गया ...मैं उठा और दीदी को हाथों से थामते हुए अपने उपर ले लिया और बूरी तरह चिपका लिया ....किसी नंगी औरत का मेरे नंगे बदन से चिपकना..एक ऐसा अनुुभाव ...बताया जा नहीं सकता .....मैं थोड़ी देर तक उन्हें चिपकाए राहा ..उनके बदन की गर्मी , उनके मांसल शरीर की नर्मी और उनके आँखों की खूबसूरती अपने अंदर लिए जा रहा था....
मैं कुछ कर पता उसके पहले ही दीदी ने अपना कमाल दिखा दिया ..मेरे खड़े लंड पर अपनी गीली सी योनि घिसना शुरू कर दिया ..मेरा पूरा बदन सिहर उठा ...
हे भगवान इस एक दिन में ही क्या से क्या हो गया है..मेरे लिए अपने आप को संभाल पाना मुश्किल हो रहा था ..मेरा लंड उनकी योनि के दबाब से और भी कड़ा होता जा रहा था ...पूरे बदन में सन सनी सी हो रही थी ..दीदी अपने स्तन भी मेरे सीने से लगाए थी ..उनके कड़े कड़े निपल्स मेरे सीने को कुरेद रहे थे .....जिस तरह मुझे मूठ मारते वक़्त लगा था ..अभी बिल्कुल वैसे ही मेरे लंड के अंदर मेरे शरीर से मानो बिजली जैसी कुछ सन सन्नाते हुए जमा होती जा रही थी और मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था ......दीदी भी कराहती जा रही थी .... सिसकियाँ भरे जा रही थी और मेरे लंड को घिसे जा रही थी ......उफफफफफफफफफफ्फ़ डीडीिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई...मैं चिल्ला उठा , उन्हें जाकड़ लिया और अपने आप मेरे लंड ने पिचकारी छ्चोड़ दी ...मेरे चूतड़ उछल रहे थे ..... मैं झटके पे झटका दिए जा रहा था , बार बार डिड़िद्द्द्दडिईईईई डीडीिईईईईईई मेरे मुँह से निकले जा रहा था ..और मैं सुस्त पड़ गया .
"हां हाआँ किशू ....हाआँ मेला बच्चा ..हां हाआँ ......." दीदी प्यार से पूचकारे जा रही थी और उनका घिसना भी जारी था ....और फिर मैने उनके चूतडो के झटकों को अपने लंड पे महसूस किया .....".किशुउऊुुुुुुुुुुउउ....मेला बच्छाआआआअ ...ऊऊऊऊओ ले रे मैं भी गाइिईईईए.."
मैने फिर से अपने लंड पर कुछ गीला सा महसूस किया ....
और दीदी मेरे उपर ढीली हो कर ढेर हो गयीं ....
शायद ये उनका भी पहला अनुभव था ..... दोनों एक दूसरे से चिपके थे .... गर्म साँसें टकरा रही थी ..दीदी और उनका किशू एक हो कर पड़े थे .
मैं तो जैसे किसी स्वप्न लोक में खोया था .......ये सब इतनी जल्दी हो गया ......मुझे विश्वास नही हो रहा था ..... ये सपना है या सच..??? उफफफफ्फ़ दीदी का इस तरह मुझ से लिपटना ..उनके शरीर की गर्मी , उनके मुलायम स्तनों का मेरे सीने पर दाबना ......अभी तक मैं उन्हें अपनी शरीर में अनुभव कर रहा था ...... मैं आँखें बंद किए उस मस्ती भरे आलम का मज़ा ले रहा था .....
थोड़ी देर बाद आँखें खोली .देखा तो दीदी अपने हाथों को सर के पीछे रखे अपने हथेलियों पर सर रखे सीधी लेटी थी , इस तरह के उनकी आर्म्पाइट्स बिलककुल मेरी आँखों के सामने थी .....उनमें बाल उगे थे .......पर अगाल बगल उनकी त्वचा कितनी सफेद थी ...... और पसीने की बूंदे चमक रही थी ....
किसी औरत की आर्म्पाइट भी इतनी कामुक हो सकती है .....मैने अपना मुँह उधर घूमाया .... अपने हाथों से दीदी को सीधे लेते हुए ही जाकड़ लिया , उन्हें अपनी तरफ खींचा और उनके आर्म्पाइट में मुँह लगा उसे चूसने लगा .........जीभ फिराने लगा ...उफफफफ्फ़ क्या स्वाद था दीदी के पसीने का ..
मेरे अचानक इस हमले से दीदी चौंक पड़ीं ..पर फिर चूप चाप उसी तरह हाथ सर के पीछे रखी रही और मुझे अपनी हवस पूरी करने में किसी भी तरह कोई रुकावट नहीं की ..सिर्फ़ इतना कहा
" अरे भोलू राम ज़रा धीरे धीरे जीभ फिरा ...मुझे बहुत गुद गुदि हो रहे है........और ये भी कोई चूसने की जागेह है ..... ??'
"उम्म्म्मम दीदी बहुत अच्छा लग रहा है ..आप का पसीना भी इतना टेस्टी है ..और यहाँ आपकी जागेह कितनी मुलायम है " और मैने अपने दाँतों से वहाँ उनकी आर्म्पाइट पर हल्के से काट लिया ......" मन तो किया के पूरे का पूरा खा जाऊं .....
" अरे .... वहाँ गंदा है किशू ....ठीक है अगर तुम्हें इतना ही पसंद है ..मैं कल से वहाँ के बाल साफ कर दूँगी ..फिर चाटना वहाँ ....अब हट जा ...."
" नहीं दीदी ..कल की कल देखी जाएगी अभी तो चाटने दो ना प्ल्ज़्ज़ ..अभी तो दूसरी तरफ वाली तो बाकी है....."
और मैं झट उनके दूसरी तरफ उठ कर चला गया , और फिर लेट कर वहाँ मुँह लगा दिया
" तू भी ना किशू ......ठीक है बाबा कर ले मन मानी ...." और अपने हाथ और भी उपर कर लिए ..उनकी आर्म्पाइट अब और भी खूल गये थे
मैने आर्म्पाइट चाट ते हुए पूछा , "पर दीदी ..एक बात बताइए ज़रा ..आप को इतनी सब बातें मालूम कैसे हुई ..??"
दीदी हँसने लगी ......"तू आम खा ना ...पेड़ गिन ने से क्या मतलब ..?? "
"दीदी बताइए ना .... आप ही ने कहा था ना हमें एक दूसरे से कुछ छुपाना नहीं चाहिए ..????"
और अब मेरा मुँह उनकी आर्म्पाइट में था , और एक हाथ जो उनके सीने पर था ..जाने कब उपर आ गया उनके स्तनों पर ....उनके स्तनों के स्पर्श का आज पहला मौका था ..इतना सॉफ्ट और साथ में कुछ भरा भरा भी .....मैने उसे हल्के से दबाया ....उफफफफफफफ्फ़ मेरे हाथ में जैसे कोई स्पंज जिसमें गर्मी हो....नर्मी हो ..एक अजीब सी मस्ती मेरी हाथेलि में थी ...दीदी की मुँह से " अया ......" निकल गयी .....उनकी आँखें बंद हो गयी ....
" ओओओओओह्ह्ह्ह दीदी आप के स्तन ........मन करता है इन्हें भी खा जाऊं ........"
मेरी बातों पर दीदी जोरों से हंस पड़ीं .... कहाँ तो इतना रोमॅंटिक मूड था मेरा ......और दीदी हंस रही थीं ..सारा मूड किर कीरा हो गया ....
"क्या दीदी ...आप भी ना ..क्या मेरा आप के स्तनों को सहलाना अच्छा नहीं लगा ...???"
" अरे नहीं नहीं ..बहुत अच्छा लग रहा है ...सही में ..और ज़ोर से दबाओ ना ......उफफफफफ्फ़ ..तू बहुत अच्छे से दबा रहा है ..."
"फिर आप हँसी क्यूँ.."" मैने और जोरों से उनके स्तन दबाते हुए कहा .....
"उईईईईईईईईईईईईईईईईईई,,माअं , अरे इतने ज़ोर से नहीं रे......मैं हँसी तुम्हारी बातों से .......अरे किताबी शब्दों को ऐसे समय मत बोला कर ..... एक दम चालू वर्ड्स यूज़ कर ..तुम ने इसे ,( अपने स्तनों को अपने हाथों से पकड़ उन्न्होने मेरे सामने कर दिया )..... स्तन कहा ..मज़ा नहीं आता यार ..इसे चूची बोल ..क्या बोलेगा इसे अब ..???"
" चू- -ची ......" मैने धीरे से कहा ..पहली बार ऐसे शब्द मेरे मुँह से इतने फ़र्राटे से नहीं निकल पा रहे थे
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"हाआँ अब ठीक है ..पर ज़रा गला खोल के बोल , ले मेरी चूचियाँ चूस ..आर्म्पाइट्स बहुत चूस लिया ....."
और एक चूची मेरे मुँह में ठूंस दी उन्होने ......."जैसे आम चूस्ता है ना ..बस वैसे ही चूस" ......
मैं एक अग्यकारी शिष्या की तरह झट छापड़ छापड़ उनकी चूची चूस रहा था .......जीभ नीचे और होंठ उपर लगाए ..मानो उसका सारा रस अंदर ले लूँ ..उन्होने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपनी दूसरी चूची पर रख दिया ...
" ले इसे दबा ....एक को चूस और दूसरे को दबा ....हां हां रे........उउफफफफफफफफफ्फ़ ..बड़ी जल्दी सीख लिया रे तू ..बड़ा होशियार है ......आआआआआआआ ......उईईईईईईई हां बस ऐसे ही ....मज़ा आ रहा है रे ........"
"आआप जैसी गुरु हों तो सीखना ही पड़ता है ना दीदी ...." और मैं फिर से लग गया अपने काम में ....
क्रमशः……………………
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