RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
महँगी चूत सस्ता पानी--4
गतान्क से आगे…………………………….
उफफफफ्फ़ उनकी हथेली और उंलगलियों में मानों जादू था .....
..मैं आँखें बंद किए अपने सीने पर उनकी हथेली और उंगलियों के खेल से मस्ती के एक ऐसे लहर में था ..मानों में हवा में उड़ रहा हूँ ....मैं सीधा लेटा था ..पीठ के बल ...दीदी ने अपनी एक टाँग अपनी साड़ी उपर कर मेरे जांघों पर रखा हुआ था ..घूटने से मेरे पॅंट के उपर हल्के हल्के घिस रही थी ..और हथेली और उंलगियों से मेरे सीने पर हाथ घूमा घूमा कर सहलाए जा रही थी ... उनका सर मेरे उपर था इस तरह की हम दोनों का चेहरा आमने सामने था ....
"कैसा लग रहा है .. किशू ..?" उन्होने भर्राई आवाज़ में पूछा
"मत पूछो दीदी ..... में तो मानो स्वर्ग में हूँ ..." मेरी आवाज़ भी भर्राई हुई थी ...
मेरे पॅंट के अंदर उनके घूटने ने हलचल मचा रखी थी .... पॅंट के उपर हल्की हल्की घिसाई से मैं सिहर रहा था ...मेरा लंड मानों पॅंट फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था....
मैं अपनी हथेलिओं से उनके दोनों गालों को सहलाने लगा ...दीदी की भी आँखें बंद हो गयीं थी मस्ती में ,.....
आँखें बंद किए किए ही उन्होने अपनी भर्राई आवाज़ में कहा
"किशू ....??"
"हां दीदी ...."
"तू जानता है मैं ये सब तेरे साथ क्यूँ कर रही हूँ ..???"
"क्यूँ दीदी..?"
"देख किशू मैं चाहती हूँ ना के शादी से पहले अपने आप को भी इस खेल में तैयार कर लूँ ....मैं अपने पति को खुश कर देना चाहती हूँ....इतना के वो मेरे लिए पागल हो जाए ....और दूसरी बात तुझ से जुड़ी है ..."
वो बोलती भी जा रही थी और अपने नंगे घूटने से मेरे लंड की घिसाई और हथेली और उंगलियों से सीने का कुरेदना भी जारी था ....अपने नाख़ून भी हल्के हल्के मेरे सीने पर गढ़ा देती
मैने अपनी उंलगियों से उनके मुलायम होंठों को दबाते हुए कहा
" अरे दीदी मेरे होनेवाले जीजू और आप के बीच मैं कहाँ से आ गया ..???"
उन्होने मुझे अपने सीने से चिपका लिया और अपने स्तन से मेरे सीने को सहलाते हुए कहा
" है ना किशू ..ये सब खेल मैं तुझ पर आजमाऊंगी ..मैने शाम को देखा ना तू हाथ से काम चला रहा है. .....जब मैं तेरे सामने हूँ ....फिर इसकी क्या ज़रूरत ..ले ना किशू ....कर ले जी भर के मुझे प्यार ..तू संतुष्ट रहेगा तभी तो तेरी पढ़ाई भी ठीक से होगी...मैं नहीं चाहती तेरी पढ़ाई में कुछ मेरे कारण प्राब्लम हो ...."
दीदी मुझे चूम रही थी ....कभी होंठों को, कभी गालों को ....और अब उनका हाथ मेरे पॅंट की बटन की तरफ पहूच गया था और उसे उतारने की कोशिश में थी .....
मैं बिल्कुल सन्न था ..पर मैने कुछ नहीं किया ...मैने अपने आप को दीदी के हवाले कर दिया था .....
" दीदी आप कितनी अच्छी हैं ..मैं आप की हर बात मानूँगा, आप जैसा कहेंगी मैं करूँगा ..."
" हां किशू ...." अब तक उन्होने मेरे पॅंट को मेरे घूटनों से नीचे कर दिया था ..और मेरा लंड बिल्कुल आज़ाद ,खूली हवा में सांस लेता हुआ कड़क लहरा रहा था ......
उन्होने अपनी मुलायम हथेली से उसे थाम लिया और अपने गालों से लगाया ....होंठों से मेरे सुपाडे को चूम लिया
"देख तो बेचारा कितना तड़प रहा है..मेला लाजा ..मेला भोलू ....अब इसका भी ख़याल मैं रखूँगी ..तुम्हें हाथ हिलाने का मूड करे ना ..मुझे बोल देना ..अब ये मेरा है ......
उन्होने मेरी पॅंट घूटनों से भी उतार दी , नीचे मैं पूरा नंगा था ......और मेरी जाँघ पर बैठ गयी ..इस तरह के मेरा लंड उनकी जांघों के बीच था और अपनी जांघों से बड़े प्यार से हल्के हल्के दबा रही थी ...उफ़फ्फ़ मेरी जान निकलने वाली थी ...मुझे लगा जैसे मेरे पूरे शरीर से सब कुछ निकलता हुआ मेरे लंड में जमा होता जा रहा है ..अब फूटा तो तब ......मैं सिहर रहा था ....
फिर उन्होने उसी पोज़िशन में बैठे मेरी शर्ट उपर कर दी और उसे भी उतार दिया ...... मैं बस सब कुछ चूप चाप देखे जा रहा था ...अपनी फटी फटी आँखों से ......
मुझे पूरा विश्वास था ना उन पर ....
फिर मेरे दोनों जांघों को अपने पैरों के बीच करती हुई खड़ी हो गयी ...मेरी ओर एक तक बड़े ही शरारती ढंग से फिर जो उन्होने किया ..मेरी तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी ....
एक झटके में ही अपनी साड़ी और पेटिकोट खोल दिया उन्होने .....नीचे से बिल्कुल नँगीं थी .....मैं तो उन्हें देखता ही रहा ..एक दम सन्न था मैं ...मेरे सामने वो पहली औरत थी जिन्हें मैं नंगी देख रहा था ..मेरी आँखें चौंधिया गयीं...फटी की फटी रह गयी ...दीदी के अंदाज़ सच में निराले थे ...
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