RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
"उफफफ्फ़ ..दीदी आँसू मत बहाओ प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़....बताता हूँ बाबा बताता हूँ..पर तुम डांटना ....मत "
और मैने अपने हाथो से उनके आँसू पोंछे ..वो अब मुस्कुरा रही थी ..दीदी भी अजीब ही थीं ..पल में तोला पल में रात्ति .....
"दीदी जब से मैने आपकी शादी की बात सूनी है ना ....."
"हां हां बोल ना ....क्या हुआ मेरी शादी की बात से ..??'"
" दीदी आप मुझे ऐसी लग रहीं जैसे अब आप मेरी बहन नहीं हैं .... "
" अरे बाबा मैं तो वोई पायल रहूंगी ना भोले राजा ....फिर तेरी बहन कैसे नहीं हुई .."
" ओह मैं कैसे समझाऊं दीदी ..... मेरा मतलब आप मुझे अब अछी लगने लगी हो ..""
" अरे बाबा तो क्या मैं पहले बूरी थी ....."
" नहीं दीदी ऐसा नहीं .....उफफफ्फ़ मैं कैसे बताऊं .... मुझे समझ नहीं आ रहा .."
" सॉफ बोल ना किशू ..घबडा मत ..मैं बूरा नहीं मानूँगी ....."
" ठीक है तो सुनो ...." मैने भी सोच लिया के अब चाहे जो भी हो देखा जाएगा ..अपने मन की बात बता ही दी जाए .."दीदी आप मुझे ऐसे लगती हैं जैसे मैं आप से प्यार करूँ ..... "और मैं इतना कहते ही बिल्कुल सन्न था के दीदी ने अब थप्पड़ लगा ही दिया ..
" अरे बाबा प्यार तो तू करता ही है अपनी बहन से ..??"
" नहीं दीदी अब बहन वाला प्यार नहीं ......."
और दीदी मेरी इस बात से थोड़ी चौंक पड़ीं ....उनके चेहरे पे एक आश्चर्या का भाव आया ...... आँखें चौड़ी हो गयीं ..
और मैं आँखें बंद किए अपने गाल पर उनके थप्पड़ का इंतेज़ार कर रहा था........
मैं झन्नाटेदार थप्पड़ की सोच में आँखें बंद किए दीदी की हथेली का अपने गाल पर इंतेज़ार कर रहा था ..उनकी हथेली मेरे गाल पर पड़ी तो ज़रूर ..पर ये झन्नाटेदार थप्पड़ नहीं था ..... एक प्यार भारी हल्की सी चपत थी ... मैं फिर से हैरान था दीदी के इस रवैय्ये से ....
मैं एक टक उन्हें देख रहा था ..... उनकी आँखों में मैने वोई देखा ... जो मेरी आँखों में था ...एक भूख ...
हम दोनों एक दूसरे को उसी भूखी निगाहों से देख रहे थे ....किंतु एक झिझक ..एक संकोच .. अभी भी था जो हमें रोके था .... भाई बहन का रिश्ता अभी भी हावी था ..हम इस रिश्ते से भी काफ़ी आगे निकलना चाह रहे थे ..इस रिश्ते को और भी विस्तृत करना चाह रहे थे ..भाई बहन की सीमाओं को लाँघ कर एक औरत और मर्द का रिश्ता ...ऐसा रिश्ता जहाँ कोई बंधन नहीं ... नारी और पुरुष का रिश्ता ....
मैने सॉफ सॉफ देखा दीदी कांप रही थी , उनके हाथ जैसे तड़प रहे थे मुझे थामने को ...मैं बस चूपचप उन्हें बिना पलक झपकाए देखे जा रहा था ....जैसे मैं उन्हें अपनी आँखों में समा लेना चाहता हूँ ...
और तभी एक झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ा मेरे गाल पर ....जिसकी अपेक्षा मुझे पहले थी ..पर अभी इस वक़्त ??....जब मैं कुछ और ही सोच रहा था ..मेरा सारा नशा कफूर हो गया ..ये क्या हो गया..दीदी के भी अंदाज़ निराले ही होते थे .....
" अरे बेवक़ूफ़ .... सिर्फ़ मुझे तकता रहेगा यह कुछ करेगा भी ..?? मैने कहा था ना जो कहना है जो करना है कर ले ..?? तू क्या चाहता है मैं नंगी हो कर तेरे सामने खड़ी हो जाऊं ....???? " दीदी झल्लाते हुए चीख पड़ीं ...
मैं जैसे सोते से जाग उठा ...उनके थप्पड़ ने मेरी झिझक दूर कर दी....उनके थप्पड़ ने भाई बहन के बीच का परदा चीर डाला .....
मैने उन्हें अपनी बाहों में जाकड़ लिया ..अपने से चिपका लिया ...उनकी छाती और मेरा सीना जैसे एक हो गये हों..उनके स्तन मेरे सीने से ऐसे चिपके ...लगा जैसे सपाट हो गये हों ...आआहह मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कुनकुने पानी से भरा गुब्बारा मेरे सीने में फॅट जाएगा ..थोड़ी देर इसी तरह चिपकाए रहा , उनका सर मेरे कंधे पर इस तरह पड़ा था मानो दीदी ने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया हो ... किसी औरत का इस तरह आत्मसमर्पण ..मेरे लिए एक अजीब ही अनुभव था , मेरी समझ में नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है , पर जो हो रहा था अपने आप हो रहा था ..बस होता जा रहा था ..फिर मैने उन्हें अपने सीने से अलग किया ..उनके कंधों को थामे उनका चेहरा अपने सामने कर लिया ...और टूट पड़ा उनके गालों पर ..उनकी गर्दन , उनका सीना चूम रहा था , चाट रहा था ....मुझे तो ये भी नहीं मालूम था प्यार कैसे किया जाता है ...दीदी की सारी अस्त व्यस्त हो गयी थी ..आँचल बिस्तर से नीचे लटक रहा था ...उनकी साँसें तेज़ थीं ..वो हाँफ रही थी .....
हाफते हुए उन्होने दबी ज़ुबान में चीखते हुए कहा " अरे बेवक़ूफ़ दरवाज़ा तो बंद कर ले....."
मैं फ़ौरन उठा , भागते हुए दरवाज़े से पहले झाँका ...कहीं कोई है तो नहीं ..फिर बंद कर दिया ...वापस पलंग की तरफ बढ़ा ...दीदी लेटी थीं ...उनका आँचल अभी भी नीचे लटक रहा था ..बाल अस्त व्यस्त थे ..सारी घुटनों तक उठी हुई थी ...उफ्फ उनकी गोरी गोरी मांसल पिंदलियाँ ... मैं उनकी पिंदलियाँ चूमने लगा ..चाटने लगा ..वो सिहर उठीं ... मुझे अपने उपर लिटा लिया और मुझे अपनी छाती से लगाया बूरी तरह चिपका लिया .और लगीं मेरे होंठ चूसने ..... उफ़फ्फ़ ऐसा लगा जैसे मेरे दोनों होंठ उनके मुँह के अंदर अब गये तब गये ....हम दोनों पागलों की तरह बस चूमे जा रहे थे ....
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