RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
कामुक-कहानियाँ
महँगी चूत सस्ता पानी--3
गतान्क से आगे…………………………….
दीदी की नज़रें मुझ से मिलीं ..उन्होने शायद मेरी नज़र ताड़ ली थीं ..पर बड़ी अजीब बात हुई ..उन्होने कुछ नहीं किया ... आँचल ठीक नहीं किया वैसे ही गिरे रहने दिया .... इसके पहले कभी भी ऐसा होता तो वो आँचल फ़ौरन ठीक कर लेती थी ..पर आज नहीं ..... क्यूँ ..????
मैने चुप चाप बिना कुछ रिक्ट किए अपनी नज़रें हटा ली ....
दीदी मुस्कुरा रहीं थी ...
मैने जानबूझ कर ऐसा दिखाया जैसे मैने कुछ देखा नहीं ,,
खाना ख़त्म हो चूका था ..." और लाऊँ किशू ...?"
"नहीं दीदी......"
और हम दोनों उठ गये .
" देख तू हाथ मुँह हाथ धो ले और सीधा मेरे कमरे में आ जाना ..मैं बस आई .."
मैने फटाफट मुँह हाथ धो कर उनके कमरे में चला गया..
मैं एक अजीब ही उधेड़बून में था ...उस दिन सब कुछ बदला बदला सा था ...दीदी कहती थी मैं बदला बदला नज़र आ रहा हूँ ..और मेरी नज़र में दीदी अब वो दीदी नहीं थी ..एक ही दिन में सब कुछ बदल गया ..आख़िर क्या हुआ ... ???
मैं सोच ही रहा था तब तक दीदी आ गयीं और मेरे बिल्कुल सामने बैठ गयीं ....इतनी करीब की हमारी साँसें एक दूसरे को छू रही थी ...
थोड़ी देर तक वो अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे देखती रही और एक भाव शून्य आवाज़ में मुझ से सीधा सवाल किया..
" तू आज शाम को जब मैं तेरे कमरे में आई उसके पहले क्या कर रहा था ..??''
मैं एक दम से सकते में आ गया ..क्या मेरा मूठ मारना दीदी ने देख लिया ?? मेरे चेहरे पे घबड़ाहट थी ...पर फिर भी काफ़ी कोशिश की घबड़ाहट छुपाने की और जवाब दिया ..
"कुछ भी तो नहीं दीदी ..मैं तो होमवर्क कर रहा था ...."
दीदी को जोरों से हँसी आ गयी मेरे इस जवाब से ..हंसते हुए उन्होने कहा
" हां ये तो सही है तू होम वर्क कर रहा था ..पर तेरे हाथ में कलम की बजाए कुछ और ही था .....है ना ...??"
मेरी तो सिट्टी पिटी गुम थी ..मैं समझ गया मेरी हरकतों का दीदी को पता चल गया है....मैं एक दम से चूप था ..मेरे मुँह से कुछ आवाज़ नहीं निकल रही थी ...मेरी हालत पतली थी ...
मैने हकलाते हुए कहा " दीदी ...वो ..वो ..""
"हा हा हा ..अरे मेरे भोले राजा ..घबडा मत ..मैं समझती हूँ .इस उम्र में ये सभी नॉर्मल लड़कों के साथ होता है ...मुझे तो खुशी हुई के मेरा किशू भी नॉर्मल है .... "
मेरी जान में जान आई , पर दीदी के इस रवैय्ये से फिर मैं हैरान था ... और इसी हैरानी में मैने पूछा
"पर दीदी आप को कैसे मालूम हुआ ??.."
'मैं तेरे कमरे में आ रही थी , पर जैसे ही अंदर पैर रखा ..मैने तेरी हालत देखी ..तू हिल रहा था और कांप रहा था और तेरा हाथ जोरों से उपर नीचे हो रहा था ...मैं समझ गयी ..पर मैने तेरे मज़े में तुझे डिस्टर्ब करना नहीं चाहा ..दबे पावं वापस चली गयी ....और फिर थोड़ी देर बाद आई ..पर भोले राजा कमरा तो कम से कम बंद कर लिया होता ...." और फिर से हँसने लगीं
दीदी की बातों से मैं आश्वस्त हो गया के दीदी भी कुछ कम नहीं ....ये सब उनकी रोमॅंटिक कहानियों की किताबों में डूबे रहने का नतीज़ा था ....
" पर दीदी मैं क्या करता ... मैं काफ़ी परेशान था.... "
"क्या परेशानी थी किशू को ..ज़रा मैं भी तो सूनू..??"
" मैं नहीं बताता .....आप बूरा मान जाओगी .."
" अरे वाह ..?? अगर बूरा मान ना होता तो क्या तेरी हरकत को देख मैं तुम्हें डाँट ती नहीं ..?? मैं तो चाहती हूँ के हम दोनों एक दूसरे से कुछ भी ना छुपाए ..चल बता ना .....डर मत ..प्ल्ज़्ज़ ..."
" दीदी प्ल्ज़्ज़ .....मैं नहीं बता सकता ...... "
" ठीक है मत बता किशू ,,मैं येई समझूंगी तुम मुझे पराया समझते हो .....मैने क्या समझा था .....और क्या हो रहा है....."
और उनकी आँखों से आँसुओं की बड़ी बड़ी बड़ी बूँदें टपकनी शुरू हो गयी....
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