RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
दीदी किचन में अंदर आते ही एक बड़ी थाली में अपने और मेरे लिए खाना लगाया और कहा
" चल किशू मेरे रूम में ,,यहाँ माँ और बुआ आते रहेंगे ...बात करने का मज़ा नहीं रहेगा ..."
"हां दीदी चलिए .." मैने तपाक से जवाब दिया ...
अपने रूम में पायल दीदी नीचे बैठ गयीं , रोज की तरह उन्होने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया ...पर आज जब मैं उनकी जांघों पर बैठा ,, मुझे पहली बार आज कुछ अजीब सा लगा ... कुछ हिचकिचाहट सी हुई ... पर दीदी को बूरा ना लगे इस वाज़ेह मैं चुपचाप बैठ गया ..
उनके मुलायम मांसल जांघों में बैठने का एक अजीब ही मज़ा आ रहा था ..इसके पहले मैने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था ..उनकी गोद में बैठना मेरे लिए बहुत ही साधारण बात थी ... पर आज येई एक बहुत अजीब ही अनुभव था... मेरे हिप्स उनकी जाँघ में धँसी थी ...मुझे उनके शरीर की गर्मी , उनके साँसों का स्पर्श महसूस हो रहा था ...उनके शरीर की मादक खूशबू , इन सब से मुझमें एक मस्ती का आलम छा रहा था ...मैं इस स्वर्गिक आनंद में खो सा गया था ..
" अरे बाबा कहाँ खो गया ... खाना तो खा ले किशू ..क्या बात है आज तू इतना खोया खोया सा क्यूँ है ..कुछ बात है तो बोल ना ... शाम को नाश्ते के टाइम भी कुछ ऐसा ही था ....क्या मुझ से अभी भी नाराज़ है..??"
"नहीं दीदी ..आप कभी ऐसा मत सोचना ..मैं आप से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ ... कोई बात नहीं है .. **
" हां लो ....मेरा भी बहुत दिल है तुम से खूल कर बातें करने की ... तू मुझ से कुछ छुपा रहा है....आज तू काफ़ी बदला बदला सा नज़र आ रहा है ... देख किशू मैं तुम्हारी दीदी ही नहीं , दोस्त भी हूँ ....मुझ से कुछ भी मत छुपाना ... चाहे कुछ भी हो मैं कभी बूरा नहीं मानूँगी ...तेरे मन में जो कुछ भी है मुझे बता दे ....
वो बोलती भी जा रहीं थी और मुझे एक कौर खिलाती और दूसरा खूद भी खाती जाती ...
'" हां दीदी ..आप तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं .." मैं भी खाता जा रहा था और उन्हें जवाब भी देता जा रहा था ... "मेरे मन में भी बहुत सारे सवाल हैं दीदी ... जिनका जवाब सिर्फ़ आप ही दे सकती हो ..."
"हां बिल्कुल ठीक समझा रे तू...हम दोस्त भी हैं ....और भी एक बात किशू ...अब तो मैं यहाँ कुछ दिनों की ही मेहमान हूँ, बस जो तुझे बोलना है..करना है ..बोल ले और कर ले ..मन में कुछ भी मत रख ..." और फिर उनके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी .
उनकी इस बात पर "जो करना है कर ले " मैं चौंक उठा ....आख़िर दीदी का मतलब क्या है ..क्या करने को बोल रही हैं ..??
"दीदी ...बोलने की बात तो मैं समझता हूँ..पर करना क्या है..????"
और इस बात पर दीदी ने अपने मस्ती भरे अंदाज़ में जोरदार ठहाका लगाया ...और मुझे चिपकाते हुए कहा
"तू सही में एक दम भोले राजा है रे ..एक दम भोला भाला .."
फिर एक दम से चूप हो गयीं . मेरी ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा और कहा "पर अब उतना भोला नहीं रहा रे तू ...." और फिर से हँसने लगीं ...
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ..आज दीदी को क्या हो गया है...कैसी बातें कर रहीं हैं ...
"हा हा हा ..अरे तू टेन्षन मत ले ..खाना खा ले अभी फिर तेरी सारी टेन्षन मैं दूर कर दूँगी ..." और एक नीवाला बड़े प्यार से मेरे मुँह में डाल दिया ..
तभी खाना खिलाते खिलाते उनकी साड़ी का आँचल नीचे आ गया ..उनका सीना अब उघ्ड़ा था ..उनके स्तनों की गोलाईयो के बीच की घाटी सॉफ सॉफ दिख रही थी .... मेरी नज़र उस पर पड़ी ... उनकी साँसों के साथ उनके स्तन भी उपर नीचे हो रहे थे ... मैं एक टक उधर ही देख रहा था ...
क्रमशः……………………………….
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