RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
मैं समझ नहीं पा रहा था ..एक ही दिन में उन्होने मुझे दो बार सीने से लगाया और हर बार उनका तरीका कितना अलग था .....
"किस उधेड़बून में खो जाता है रे तू..?? चल आज रात को तेरी सारी उलझनें दूर कर दूँगी ...अब जा तू नहा धो और पढ़ाई कर .."
मैं दीदी के साथ रात होनेवाली बातों की कल्पना में खोया अपने रूम के अंदर चला गया.....
मैं कमरे में आने के बाद नाहया , फ्रेश हुआ , कुछ हल्का महसूस किया ..पर मन अभी भी बेचैन सा था ..पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था ...मैने किताब खोली ..पर दिमाग़ में अभी भी दीदी के आज के दो रूप मेरे मश्तिस्क पटल पर बार बार आते जाते ..जैसे किसी फिल्म की सीन बार बार दोहराई जा रही हो..
एक तो उनका वो रोना और मुझे अपने सीने से लगाना.... इस तरह जैसे वो मुझ से अलग नहीं होना चाहती ..मुझे अपने बाहों में भर मुझे हमेशा के लिए अपने साथ कर लेना चाहती हों .ज़रा भी दूर नहीं होने देना चाहती हों .. मुझ से अलग होने का दर्द और तड़प भरा था उस आलिंगन में .
.और दूसरी बार सुरीली धुन गुनगुनाते हुए मुझे अपनी छाती से चिपकाना ..इसमें कितना आनंद था ...मेरे साथ का आनंद .. मेरे साथ का सुख ..मुझे भी कितना अछा लगा ... पर इस दूसरी बार मुझे कुछ और भी महसूस हुआ ..उनके भरे भरे गोलाकार मुलायम स्तनों का दबाब मेरे सीने पर ... इसके पहले आज तक मेरा ध्यान इस तरह के आनंद पर कभी नहीं गायक़ था ..उस दिन क्यूँ ..?? ये महसूस अभी भी मेरे सीने पर था .. मुलायम स्तनों का दबाब , याद करते मेरे पॅंट के अंदर हलचल सी महसूस हुई ...कुछ कडपन महसूस हुआ ..नीचे झाँका तो देखा मेरा पॅंट उभरा हुआ है ...
मैने सामने के बटन खोले ....मेरा लंड खड़ा था ...
हे भगवान ये क्या हो रहा है ... मैने अपने हाथ से उसे शांत करने को थामा और सहलाया ... पर ये तो और भी कड़क हो गया और मुझे अच्छा लगा ... मैं उसे ऐसे ही थामे रहा ..एक दो बार उत्सुकतावश उसकी चॅम्डी उपर नीचे की ..और भी अच्छा महसूस हुआ ...मेरे पूरे शरीर में सिहरन हो उठी ...( मैने अपने स्कूल में कुछ लड़कों को ये बात करते सूना था के चॅम्डी उपर नीचे करने से बड़ा मज़ा आता है ) ..मैने इसे आज़माना चाहा ...
मैने चॅम्डी उपर नीचे करना जारी रखा ..एक असीम आनंद में मैं डूबा था ..दीदी का चेहरा और भरे स्तनों का मेरे सीने पर दबाब याद करते मैं लगातार चॅम्डी उपर नीचे कर रहा था , अचानक मेरा लंड काफ़ी कड़ा हो गया और फिर मुझे ऐसा लगा मानो पूरे शरीर से कुछ वहाँ मेरे लंड के अंदर आ रहा है , कुछ जमा हो रहा है ..मेरे चॅम्डी उपर नीचे करने की गति अपने आप तेज़ हो गयी ..तेज़ और तेज़ और तेज़ और उस के बाद पेशाब वाले छेद से एक दम से गाढ़ा सफेद पानी जैसा पिचकारी छूटने लगा ...मेरा शरीर कांप रहा था ...लंड झटके खा रहा था और थोड़ी देर बाद वो शांत हो कर सिकूड गया ..मुझे काफ़ी राहत महसूस हुआ ..
उस दिन मैने जिंदगी में पहली बार मूठ मारी .
मैं हैरान था अपने में इस बदलाओ को देख ..पायल दीदी के बारे ऐसी सोच ...क्या हो गया है मुझे..??? अगर उनको मालूम हुआ , वो क्या सोचेंगी ..??
मैं आँखें बंद किए कुर्सी पर सर पीछे किए हाँफ रहा था ...
थोड़ी देर बाद मैं नॉर्मल हुआ ..कुर्सी से .उठा अपने रूमाल से लंड को पोन्छा और फर्श पर जो सफेद गाढ़ा पानी गिरा था ..उसे भी सॉफ किया ... मुझे अब तक उस पानी का नाम तक नहीं मालूम था ....
तभी दीदी की आवाज़ आई ...." किशू पढ़ाई ख़त्म हो गयी ..???" और वो अंदर आ गयीं .
मैं अपनी किस्मेत सराह रहा था ..अगर थोड़ी देर पहले आतीं तो मेरी क्या हालत होती..??
"हां दीदी स्कूल की पढ़ाई तो ख़त्म हो गयी .पर अभी आप से बहुत कुछ पढ़ना बाकी है.."
"मुझ से पढ़ाई ....क्या मतलब ..???'
" अरे कुछ नहीं दीदी ..आप ने ही कहा था ना आप मेरी सारी उलझनें दूर करनेवाली हो ..??"
"ओह ..हां ..चल पहले खाना खा लो ..फिर बातें करते हैं .."
उस वक़्त उनके बोलने का लहज़ा बिल्कुल नॉर्मल था.... फिर वोई हँसी..खीखिलाहट और मस्ती ..मैं एक तक उन्हें देख रहा था ...
उफफफफफ्फ़..कितनी अछी लग रहीं थी ..पर उस वक़्त मुझे दीदी कुछ और भी लग रही थी....
"अरे ऐसे टकटकी लगाए क्या देख रहा है ... पहले कभी देखा नहीं है क्या .."
मैने मन ही मन में कहा " देखा तो है पर इस नज़र से नहीं .."
पर दीदी से कहा " नहीं दीदी ..अभी आपकी रोनेवाली सूरत नहीं है ना ... इसलिए आप हँसती हुई कितनी अच्छी लग रहीं हैं.."
दीदी थोड़ी देर मुझे देखती रहीं ...मेरे कंधे पे हाथ रखा .." अब नहीं रोउंगी ..कभी नहीं ... चल अब खाना खा ले " इतना कहते कहते उन्होने मुझे मेरे कंधों से जाकड़ लिया और साथ साथ किचन की तरफ हम जाने लगे ...
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