RE: Kamukta Kahani महँगी चूत सस्ता पानी
मैं बेतहाशा उनकी ओर बढ़ा .... पायल दीदी पेट के बल लेटी थी , सर तकिये पर रखे सूबक सूबक कर रो रहीं थी ...उनका चेहरा मेरी ओर था ..उनके गुलाबी गाल आँसुओं से सराबोर थे ...तकिया गीला था ... आख़िर क्या बात हो गयी ..?? क्या हुआ आज दिन भर में ..??? जिस चेहरे पर हमेशा खिलखिलाहट और मुस्कान छाई रहती ..आज आँसुओं से सराबोर है ..आख़िर क्यों..??? किसी ने कुछ कहा ...?? मेरे मन में हलचल मची थी ...
मैं उनके बगल बैठ गया और पूछा " दीदी क्या हुआ ..आप रो क्यूँ रही हैं ..?? "
मेरी आवाज़ भी रुआंसी थी ...
दीदी ने मेरी तरफ चेहरा किया और उठ कर बैठ गयीं , मुझे अपनी छाती से लगाया ..मुझे भींच लिया और फिर और सूबक सूबक कर रोने लगीं ...
मैं हैरान परेशान था , पर उनकी छाती की गर्मी और स्तनों की नर्मी से बड़ा अच्छा भी लगा ...मैं एक बहुत ही अलग अनुभूति में डूबा था ...उनके साथ चिपके रहने का आनंद , पर उनके रोने से परेशान ... दो बिल्कुल अलग अनुभव थे ...मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ ..दीदी को चूप कराऊँ या फिर उनकी छाती से चिपके इस जन्नत में खोया रहूं ... पायल दीदी के शरीर की सुगंध ..उनके आँसू और पसीने की मिली जुली नमकीन खूशबू , मेरा मुँह उनकी छाती से इस तरेह चिपका था के मेरी नाक उनकी आर्म्पाइट की तरफ था ..उफ़फ्फ़ वहाँ से भी एक अजीब मादक सी खूशबू आ रही थी ....वोई पसीने की ...मैं एक अजीब ही स्तिथि में था ..क्या करूँ क्या ना करूँ ...पायल दीदी आप रोते हुए भी मुझे इतना सूख दे सकती हैं....दीदी दीदी ........मेरा रोम रोम उनके लिए तड़प रहा था ..उन्हें कैसे शांत करूँ ..मैं क्या करूँ ......
मेरी इस उधेड़बून का हल,भी आख़िर दीदी ने ही निकाला ... उन्होने मुझे अपनी छाती से अलग किया ..मेरे चेहरे को अपने नर्म हथेलियों से थाम लिया और मुझे बेतहाशा चूम ने लगीं ... मेरे गालों पर अपने मुलायम होंठों से चुंबनों की वर्षा कर दी .... ये भी मेरे लिए एक नया ही अनुभव था ..... पायल दीदी मुझे चूमे जा रहीं थी पर उनका रोना अब हिचक़ियों में तब्दील हो गया था ... और बीच बीच में मुझ से पूछती
" किशू ..किशू .....मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी ..?? "
मैं फिर परेशानी में आ गया ..आख़िर इन्हें मेरे बिना रहने की क्या ज़रूरत आ पड़ी ..?? मेरे छोटे से मश्तिश्क में हज़ारों सवाल थे ..जिनका जवाब मुझे मिल नहीं रहा था ..और मैं उलझनों में डूबता जाता ..पर दीदी के प्यार और निकट ता से शूकून भी मिल रहा था ....
और तभी मुझे अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया ....
मेरी मामी ने कमरे में कदम रखा और भाई बहेन का प्यार , खास कर दीदी का रोना देख वो बोल उठीं ..
"वाह रे वा पायल रानी..अभी तेरी सिर्फ़ शादी की बात पक्की हुई है और इतना रोना धोना ..अरे जब तेरी विदाई होगी तू क्या करेगी ....बस बस बहुत हो गया ..अब चूप भी कर ..देख बेचारा किशू स्कूल से कब का आ चूका है ...उठ और उसे कुछ खिला ,,बेचारा कब का भूखा है..तुम्हारे रोने से इतना परेशान है....."
ह्म्म्म्ममम तो ये बात थी पायल दीदी के रोने के पीछे..उनकी शादी .... पर इस बात ने मुझे और उलझन में डाल दिया ... जितना मुझे मालूम था ...जितना मेरी छोटी सी मासूम जिंदगी ने मुझे बताया था ...शादी की बात से सारी लड़कियाँ खुशी से झूम उठती हैं .... पर यहाँ तो बिल्कुल ही अलग माजरा था ....खुशी से झूमना तो अलग दीदी दुख और दर्द का रोना ले बैठी थीं....
मामी की बातों ने जादू का असर किया .. मेरे भूखे रहने की बात से उनका रोना धोना एक झटके में ही रुक गया ...उन्होने मुझे बड़े प्यार से अलग किया ..अपनी आँचल से अपना चेहरा और आँखें पोन्छि ....और मुझे कहा
" अले ..अले ..मेला बच्चा अभी तक भूखा है ...उफ़फ्फ़ मैं भी कितनी पागल हूँ ..किशू यहीं बैठ ..मैं 5 मिनिट में तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ ...."
इतना कहते हुए वो रसोई की तरफ भागती हुई चली गयीं ..कमरे में मामी और मैं रह गये ....
मैने मामी से पूछा "मामी ..दीदी शादी की बात से क्यूँ रो रही थी..??? शादी की बात से तो सब खुश होते हैं ना..??"
मामी ने झल्लाते हुए कहा " किशू बेटा ..अब मैं क्या जानूं इस पागल के दिमाग़ में क्या है ...... तू ही पूछ ले उस से ...तुम दोनों भाई बहेन की बात तुम ही जानो ......"
और बड़बड़ाती हुई वो भी कमरे से बाहर चली गयीं .
"ठीक है " मैने सोचा " आने दो उनको उन से ही पूछता हूँ.."
और मैं दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए पायल दीदी का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था .......
अब तक दीदी के रोने धोने के मारे मैं अपनी भूख-प्यास भूल चूका था .... वरना स्कूल से घर आते ही मुझे जोरों की भूख लगती थी , जो स्वाभाविक है... और दीदी भी हमेशा तैय्यार रहती थी मेरे पेट की भूख शांत करने को .
मैं हाथ मुँह धो कर आता ..दीदी थाली भर नाश्ता ले आतीं और मैं उनकी गोद में उनके हाथों से नाश्ता करता ..खूब बातें करता .... अपने स्कूल की , उनकी पढ़ी किसी नयी कहानी की ....या फिर फिल्म-मॅगज़ीन से किसी आक्टर आक्ट्रेस की गॉसिप ...मीना कुमारी और मधुबाला उनकी फॅवुरेट थीं ..उन दोनों की एक एक बात उन्हें मालूम रहती ... बड़े मज़े ले ले कर पायल दीदी मुझे उनके नये फिल्मों के बारे बताती ...
उस दिन पहली बार इस रुटीन में रुकावट आई ....
पर अब जब मामला शांत था ..मेरी भूख फिर से जाग उठी .... मैने दरवाजे की तरफ देखा ..दीदी एक हाथ से थाली और दूसरे हाथ से पानी का ग्लास थामे चली आ रही थीं ...
मैने उन की ओर देखा ..पता नहीं क्यों मुझे उस दिन वो कुछ बदली बदली सी नज़र आईं... उनकी चाल में वो पहले वाली अल्हाड़पन, शोखी , मस्ती नहीं थी ..बड़े नपे तुले कदम थे ... और चेहरा भी काफ़ी सीरीयस था ... मुझे समझ नहीं आ रहा था एक ही दिन में ऐसा क्या हो गया ..?? शादी की बात से ऐसा क्या हो गया दीदी को..?? क्या शादी इतनी बूरी चीज़ होती है ...पर बाकी सभी लड़कियाँ तो कितनी खुश होती हैं .....
क्रमशः..............................................
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