RE: non veg story बदलते मौसम
मैंने साबुन लाके दिया ताई शायद साड़ी मेरे सामने उतारने में थोड़ा असहज महसूस कर रही थी ये बात थोड़ी देर में मुझे समझ आयी
मैं- आप आराम से इसे धो लो मैं तब तक खेत का चक्कर लगाके आता हूं
ताई-नहीं पूरा दिन हाड़ तोड़ मेहनत करता है तू थोड़ी देर आराम कर ले मैं धो लेती हु वैसे भी तू मेरा बेटा ही तो है
ताई ने मुस्कुराते हुए कहा ,मैं लेट गया ताई ने साड़ी उतारी,
आज पहली बार मैंने ताईजी को पेटीकोट और ब्लाउज़ में देखा था बस देखता ही रह गया गोरा रंग कसा हुआ ब्लाउज़ और थोड़ा सा फुला हुआ पेट पर मैंने तुरन्त ही नजरे हटा ली
मैंने आँखे बंद कर ली और सोने की कोशिश करने लगा कुछ देर बीती पर नींद न आयी तो मैं उठ बैठा देखा ताई की पीठ मेरी तरफ थी और वो अपने काम में लगी हुई थी पर एक बार फिर मेरी निगाह उनके नितंबो पर जा टिकी
मैंने अपने सर को झटका और सोचा की ये मैं क्या देख रहा हु ऐसे देखना शोभा नहीं देता और मैंने सोचा चलता हूं यहाँ से
मैं- ताईजी मैं जरा दूसरी तरफ होकर आता हूं
ताई ने सर हिलाया और मैं पंप हाउस से उस तरफ आ गया जहाँ बिंदिया काम कर रही थी
मैं- बिंदिया, दीनू ना दिख रहा
बिंदिया- चौधरी साहब के काम से शहर गया है कल तक लौटेगा
मैं- क्या काम
बिंदिया- पता नहीं
मैं- तो रात को अकेली रहेगी तू
बिंदिया- मुझे क्या डर है अकेले में ,सोना ही तो है बस आँख मींची और हुआ सवेरा
मैं- तू कहे तो मैं पंप हाउस पे रुक जाऊ
मैं खुद घर से दूर रहने का बहाना तलाश रहा था क्योंकि रात को ताऊजी फिर क्लेश करते और फिर जी दुखी होता
बिंदिया- देव, तुम्हे मेरी फ़िक्र हुई मैं शुक्रिया करती हूं पर तुम मेरे बारे में इतना मत सोचो मालकिन को मालूम हुआ तो मुझे फिर कड़वी बाते सुनना पड़ेगी
मैं- जब कभी पानी देना होता है रातो में तब भी तो यहाँ रुकता हु न और सच कहूं तो घर पे ताऊजी की वजह से मैं जाना नहीं चाहता
बिंदिया- देव, वैसे तो छोटा मुह बड़ी बात पर मैं नहीं चाहती की तुम यहाँ रुको
मैं- कोई बात नहीं बिंदिया मैं तो ऐसे ही बोल रहा था
फिर सांझ ढलने तक मैंने खेत में काम किया ताईजी घर जा चुकी थी मुझे भी अब घर ही जाना था पर मन नहीं था तो मैं ऐसे ही घूमने निकल गया ,घूमते घूमते मैं नहर के आगे जंगल की तरफ निकल गया
एक जगह बैठ कर मैं ऐसे ही सोच रहा था की मुझे पंप हाउस वाली बात याद आयी पेटीकोट और ब्लाउज़ में ताईजी को ऐसे देखना कुछ रोमांचक सा लग रहा था पर कुछ ग्लानि सी भी हो रही थी की जो मेरा पालन पोषण करती है उसके बारे में ऐसे सोचना
पर बार बार मेरे मन के दरवाजे पर वो द्रश्य ही दस्तक दे रहा था ,हल्का हल्का सा अँधेरा होने लगा था पर मुझे कहा कोई जल्दी थी जब भी अकेला होता तो मैं अपने बारे में सोचता, आगे मेरा क्या होगा जीवन में मुझे क्या करना है,सोचते हुए मैं घास पर लेट गया और कब आँख लग गयी कौन जाने
पर जब नींद टूटी तो चारो तरफ घुप्प अँधेरा था कुछ कुछ जानवरो की आवाजें आ रही थी कुछ देर तो समझ ही न आया की मैं कहा हु पर जल्दी ही दिमाग काबू में आया और मै थोड़ा सा डर भी गया की जंगल में अकेला हु ,अँधेरे की वजह से घडी में टाइम भी न देख सका
पर वापिस तो जाना था ही तो की हिम्मत और कुछ सोच के खेतों की तरफ हो लिया ,दूर से ही मुझे बिंदिया के कमरे में रौशनी दिख गयी इतनी रात तक जाग रही है ये सोचके कुछ कोतुहल सा हुआ मुझे
मैंने सोचा कही उसे डर तो नहीं लग रहा होगा ,एक काम करता हु उसके कमरे के पास से होकर निकलता हु तो तसल्ली हो जायेगी ,धीरे धीरे पगडण्डी पर चलते हुए मैं उसके कमरे की तरफ बढ़ने लगा ,पर फिर सोचा की इतनी रात को ठीक नहीं
मैं पंप हाउस की तरफ बढ़ गया पर तभी मुझे एक हँसी सुनाई दी तो कान खड़े हो गए यक़ीनन ये बिंदिया की ही आवाज थी पर इतनी रात को ,मैं धीमे कदमो से दरवाजे के पास गया और अपने कान लगा दिए
और जल्दी ही मैं समझ गया की अंदर बिंदिया अकेली तो बिलकुल नहीं है , पर कौन है उसके साथ क्योंकि दीनू तो शहर गया हुआ है, अब ये तो पता करना ही होगा, मैं पीछे की तरफ गया तो देखा खिड़की खुली पड़ी है
मैंने अंदर झाँक के देखा तो बिंदिया की पीठ मेरी तरफ थी और वो, और वो एक दम नंगी थी एक पल उसको ऐसे देख कर मैं चौंक गया पर अभी तो झटका लगना और बाकी था, जैसे ही वो साइड में हुई अंदर मौजूद इंसान को देख कर मेरे होश उड़ गए ,,
मैंने अंदर झाँक के देखा तो बिंदिया की पीठ मेरी तरफ थी और वो, और वो एक दम नंगी थी एक पल उसको ऐसे देख कर मैं चौंक गया पर अभी तो झटका लगना और बाकी था, जैसे ही वो साइड में हुई अंदर मौजूद इंसान को देख कर मेरे होश उड़ गए ,,,,,,,,
ताऊजी और बिंदिया दोनों नंगे थे ताऊ ने बिंदिया को खींच कर अपनी गोदी में बिठा लिया और उसके सुर्ख होंठो का रसपान करने लगे साथ ही अपने दोनों हाथों से उसके नितंबो को भी दबा रहे थे पल भर में ही मेरे दिमाग का चौंकना कम होकर बस अब आँखों के सामने जो हाहाकारी दृश्य चल रहा था उस पर केंद्रित हो गया
दोनों एक दूसरे के बदन को चूम रहे थे सहला रहे थे और फिर ताऊ ने बिंदिया को बिस्तर पर पटक दिया बिंदिया ने अपनी जांघो को फैलाया और ज़िन्दगीइ पहली बार मैंने चूत के दर्शन किये काले काले बालो से ढकी हुई गहरे लाल रंग की ,मेरी आँखे फ़टी की फटी रह गयी
ताऊ ने अपने मुह को उसकी टांगो के बीच घुसा लिया और उसकी चूत को चाटने लगा,मुझे बहुत अजीब लगा कैसे कोई मूतने की जगह पर जीभ चला सकता है पर मेरे भ्र्म को बिंदिया की मस्ती भरी आवाज ने पल भर में तोड़ दिया
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि ताऊ की इस हरकत से उसे बहुत अच्छा लग रहा था और वो बार बार हस्ते मुस्कुराते हुए अपने कूल्हों को ऊपर नीचे कर रही थी, आँखों के सामने चल रहे इस दृश्य को देख कर मेरे कान भी गर्म होने लगे थे बदन तपने लगा था
और मैंने भी अपने लण्ड में सख्ती महसूस की मेरा हाथ अपने आप मेंरे औज़ार पे पहुच गया तभी ताऊ ने बिंदिया को खड़ी किया और खुद लेट गया बिंदिया ने अपनी चूत पर थूक लगाया और ताऊ के लण्ड पर बैठ कर कूदने लगी
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