RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
ये बोल के उसने उसके गुस्से से लाल गालों पे एक चुम्मि ले ली और हाथ सीधे उसके गदराए गुदाज उभारो पे... कुछ चुम्मि और मसलन का असर और कुछ बातों का...वो मुस्करा के बोली,
तू बड़ा ही चालू है...मान गयी मे. हाथ हटाओ ना...इतने कस कस के पिक्चर हॉल में दबाया था, अभी तक दर्द कर रहा है. वो उसी तरह दबाते सहलाते बोला,
क्या दबाया था, क्या दर्द कर रहा है बोलो न मेरी जान...
ये... उसने खुद सोनू का दूसरा हाथ भी अपनी छाती पे लगाते बोला.
फिर क्या था वो कस कस के उसकी गुदज, रसीली छूनचियाँ मसलने लगा और पूछा,
हे दे ना... और गुड्डी का हाथ पकड़ के अपनी जीन्स में टाइट बुल्ज़ पे लगा के कहा,
हे इसे पकडो ना, बेताब हो रहा है कितना. वो बिना हाथ हटाए बोली,
मेने मना किया है क्या देने को...तुम जब चाहो... और फिर हल्के से ' वहाँ ' दबा के बोली,
तुम भी बेसबरे हो और तुम्हारा ये भी..
मेरी जान तुम चीज़ ही ऐसी हो... कस के भींच के सोनू बोला. मे वहाँ से मुस्कराते हुए उपर अपने कमरे में चल दी ये सोचते हुए, कि सोनू भी...
कमरा बंद करके मेने सारी उतार दी. सिर्फ़ ब्लाउस पेटिकोट में, मे सारी तह कर के पलंग पे रख रही थी और झोके हुए जब मेने अपने उभारो को देखा तो जो पिक्चर हम लोगों ने देखी थी, उस का गाने गुन गुनाने लगी,
हमने माना हम पर साजन जोबनबा भरपूर है, ये तो महिमा..
तब तक पीछे से उन्होने आ के पकड़ लिया. मुझे नही मालूम था कि वो पहले से ही कमरे में हैं और बाथ रूम गये हुए हैं. मे कसमसाती रही पर...उनकी बाँहो से छूटने. कस के मेरे दोनो, चोली से छलक्ते जोबन दबाते वो बोले,
ज़रा हमें भी तो चखाओ इन भरपूर जोबनों का रस... झुकी हुई मे बोली,
क्यों पिक्चर हॉल में दो दो जोबन का रस लूट के मन नही भरा हो तो अंजलि को बुला दूं.'
अर्रे वो तो मे दोनों बहनों का ज़रा कंपेर कर रहा था , पिक्चर हॉल में. वो बोले.
किसका ज़्यादा रसीला लगा... मेने छेड़ा.
दोनों के अलग अलग मज्जे थे. निपल्स खींचते वो बोले.
बड़े डिप्लोमॅटिक हैं वो मुझे पता चल गया. ब्लाउस तो मेरा कब का फर्श पे था, ब्रा भी उन्होने खोल दी और पेटिकोट उठा के सीधे कमर तक... उनकी शर्ट भी नीचे मेरे ब्लाउस के उपर.
जैसे ही उनका उत्तेजित उत्थित लिंग वहाँ लगा,
हे क्या करते हो... चिहुनक के मे बोली. कोई आ जाएगा.
कोई नही आएगा... मेरी गीली पुट्टीओं पे सुपाडा रगड़ते वो बोले.
मेने टाँगे कस के फैला लीं.
वॅसलीन तो हमेशा तकिये के नीचे ही रहती थी.
फिर क्या था, गछगछ गछगछ...दो चार धक्को में लंड अंदर था.
इस तरह से चोद्ने में उन्हे बहुत मज़ा आता था. पूरी ताक़त से वो...कच कचा के मेरी भारी भारी रसीली चून्चिया दबाते हुए पेल रहे थे और मे सिसक रही थी चुद रही थी. कुछ ही देर में उनके धक्कों के ज़ोर से, मे पलंग पे गिर सी गयी. पर उन पे कोई फरक नही था. वो पीछे से उसी रफतार से, कभी मेरी चून्चि मसलते, कभी मस्त चुतड दबा के...पूरा सुपाडे तक लंड बाहर निकाल के, सतसट सतसट...मस्ती से मेरी भी हालत खराब थी. आँखे मुंदी जा रही थीं, जोबन कड़े हो के पत्थर के हो गये थे और चूत भी थराथरा रही थी, लंड को भींच रही थी.
मेरे गोरे भारी चुतड सहलाते सहलाते, उनकी उंगली चुतड के बीच की दरार पे...रगड़ने लगी.
हे ये क्या...वहाँ नही... मे चिहुनकि. जवाब उनकी उंगली ने दिया.
वो सीधे अब ...गांद के छेद पे...हल्के से दबाव के साथ रगड़ने लगी.
मे समझ गयी कि बन्नो आज भले ही तू इसे बचा ले हनिमून में तो ये बिना फाडे छोड़ने वाला नही.
मुझे भी एक नये तरह का मज़ा मिल रहा था. कस के चुतड से उनकी ओर धक्का देते हुए मेने लंड को ज़ोर से भींचा. फिर तो उन्होने कस कस के रगड़ रगड़ के, मुझे उसी तरीके से झुकाए हुए इस तरह चोदा की जल्द ही मे झाड़ गई और फिर मेरे साथ वो भी.
लंड उनका अभी भी सेमी एरेक्ट था, सफेद गाढ़े वीर्य से लिपटा, लथपथ. बुर से निकाल के उन्होने उसे छेड़ते हुए मेरे गांद के छेद पे रगड़ना शुरू कर दिया.
उन्हे हटा के मैं सारी पहन के नीचे की ओर आई. वो कमरे में ही आराम कर रहे थे. दरवाजे के पास से रुक के मे उन्हे चिढ़ाते हुए बोली,
हे अगर पीछे वाले का इतना मन कर रहा हो तो अंजलि को भेजू, बहुत मस्त है उसका पिछवाड़ा.
रीमा को भेज देना, उसके चुतड बहुत सेक्सी हैं, जब चलती है तो देख के खड़ा हो जाता है. वो हंस के बोले.
क्रमशः…………………………….
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