RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--40
गतान्क से आगे…………………………………..
पिक्चर की जल्दी थी. मे उपर कमरे में पहून्च के तैयार होने लगी. थोड़ी ही देर में रीमा, अंजलि और रजनी भी तैयार होके उपर आ गयीं, साथ में संजय. अंजलि ने एक कसा कसा सा टॉप और स्कर्ट पहन रखा था. मुझे उसे देख के कुछ याद आया. संजय से मेने पूछा, हे क्या हुआ मेरी प्यारी ननद के गिफ्ट का. वो बोला, अर्रे मे तो भूल ही गया था, रीमा के पास रखी है. रीमा ने निकाल के दिया एक गिफ्ट पॅक.
रजनी तो पीछे ही पड़ गयी हे खोल के दिखाओ, तो वो बोली, जो गिफ्ट लाया है वो खोले.
संजय तो तैयार ही था, झट से बोला,
खोलने के लिए मे तो हमेशा ही तैयार रहता हूँ, तुम ही नखड़े दिखाती हो.
और जब उसने खोला, दो बहुत ही सेक्सी...ब्रा और पैंटी के लेसी सेट, एक पिंक और दूसरा स्किन कलर का. अंजलि शर्मा गयी लेकिन हम सब उस के पीछे पड़ गये कि आज वो इसे पहन के चले. वो उधर अपनी' गिफ्ट ले के चेंज करने गयी और साथ में ये आए, जल्दी मचाते. देर हो रही है पिक्चर छूट जाएगी. मे बोली हम सब तैयार हैं बस अंजलि आ रही है थोड़ा चेंज करके. वो निकली तो हाफ़ कप पुश अप ब्रा में उसके छोटे छोटे उभार और उभर के सामने आ रहे थे. वो बिना समझे बोले अर्रे क्या चेंज करने गयी थी, यही टॉप स्कर्ट तो पहले भी पहन रखा था. मेने कहा अर्रे न्यू पिंच तो करो. वो बोले, लेकिन नया क्या है. रीमा ने अंजलि को चिढ़ाया, अर्रे बता दे ना जीजू इते प्यार से पूच्छ रहे हैं. चल मे ही बता देती हूँ, चड्धि बनियान, अब करिए ना जीजू न्यू पिंच .
वो बिचारे झेंप गये.
हम लोग आगे उतर रहे थे, वो मे और रीमा. पीछे से उईई की आवाज़ और रजनी की खिल खिलाहट सुनाई पड़ी. मे समझ गयी कि 'न्यू पिंच' हो गया.
नीचे उतरते ही मझली दीदी से सामना हो गया. हम लोगों को देख के वो बुद बुदाने लगीं, पहले नई दुल्हन कितने दिन बाहर नही निकलती थी, लेकिन अब...फिर ज़ोर से जेठानी जी से बोलीं अर्रे चादर वादर ओढ़ा देती नई दुल्हन को, तुम लोगों को तो कुछ नही लेकिन मुहल्ले वाले...दीदी, गुड्डी से बोली, ज़रा शॉल लेते आना. वो तीन चार शॉल ले के आ गयी.
कार में सोनू, गुड्डी रजनी, संजय और अंजलि एक साथ बैठे लेकिन रीमा ज़िद करके हम लोगों के साथ...मे, वो रीमा और मेरी जेठानी. देर हो रही थी इस लिए पहले पिक्चर हॉल में हम लोग घुस गये. ये वो ही था जिसकी अंजलि तारीफ़ कर रही थी. नया था, सॉफ और सिट्टिंग भी बड़ी कंफटेबल और अच्छी.
कोने वाले सीट पे जेठानी जी बैठ गयीं और उनके बगल में मे. मेरे बगल में वो थे और दूसरी ओर रीमा. अंजलि रीमा के साथ बैठी तो संजय भी उसके दूसरी ओर. गुड्डी उसके बगल में और फिर सोनू और रजनी. अंजलि की बात मैं एक दम मान गयी सीट वास्तव में बहुत कंफर्टेबल थी, लेग स्पेस भी और पुश बॅक भी काफ़ी थी.
जब मेरी नींद खुली तो इंटर्वल होने वाला था. इतनी अच्छि, गाढ़ी और लंबी नींद शादी के बाद पहली बार आई थी. बगल की सीट पे मेने देखा तो जेठानी जी की भी नाक बज रही थी. मेने कोहनी से टोक के उन्हे उठाया और मुस्करा के बोली,
दीदी, आप भी... उन्होने अपने को ठीक किया और हंस के बोली,
और क्या तुम सोचती हो सिर्फ़ तुम्ही...अर्रे तुम्हारे जेठ जी कौन से बूढ़े हो गये हैं. इनसे पाँच साल ही तो बड़े हैं. रात में सोने का चैन नही हैं इस घर में.
लगता है फॅमिली ट्रडीशन है... मे भी हंस के धीमे से बोली.
एक दम घर चल के सासू जी से पूछना पड़ेगा. वो बोली.
तब तक इंटर्वल हो गया. मेरी जेठानी ने गुड्डी से बुला के कुछ कहा और हम तीनों लॅडीस टाय्लेट में चल दिए. बाकी लोग भी बाहर निकल रहे थे. मे पहले ही निकल आई तो देखा कि रजनी और सोनू हंस हंस के कोल्ड ड्रिंक लिए हुए कुछ बातें कर रहे थे.
सोनू ने बोला,
लड़कियो को कॉक कोला पसंद होता है और ... उसकी बात काट के वो बोली,
लड़कों को पूसी...आइ मीन पेप्सी...लेकिन मुझे पेप्सी ही पसंद है इस लिए तुम्हारा अंदाज ग़लत है. वो मुस्करा के बोला नही मुझे मालूम है कि तुम्हे पेप्सी ही पसंद होगा इस लिए देख मे तेरे लिए पेप्सी ही लाया हूँ. और बिना उसके पूच्छे उसके सवाल का जवाब देता वो बोला,
इसालिए की पेप्सी के बहाने तुम कहना चाहती हो...प्लीज़ इनसर्ट पेनिस स्लोली इनसाइड.
वो हँसते हुए उसे मारने के लिए बढ़ी तो वो पीछे हट गया.
तब तक गुड्डी और जेठानी जी भी निकल आईं. मेने सोनू से कहा कि हम लोगों के लिए भी कोल्ड ड्रिंक लाए. रजनी ने मुस्करा के पूछा क्यों भाभी, कॉक या पेप्सी...उस के कंधे पे हाथ रख के उसकी मुस्कराती आँखो में झाँक उसका मतलब समझते मे हँसते हुए बोली, मुझे दोनो पसंद हैं.
सोनू गुड्डी को ले के स्टॉल पे चला गया.
अंजलि, संजय को दिखाते हुए एक खूब मोटा सा क्रीम रोल चाट रही थी, और संजय भी जहाँ उसके होंठ लगे थे वहीं पे उसे ले के वहाँ किस करते हुए चाटने लगा.
हॉल में घुसते हुए मेने जेठानी जी से कहा दीदी हल्की सी सर्दी लग रही है वो शॉल ...
एक शॉल मेने गुड्डी को दे दिया, जो उस के साथ सोनू और रजनी ने भी ओढ़ लिया. अंजलि बोली, भाभी एक शॉल मुझे भी. उसे दे के एक शॉल मेने खुद ओढ़ लिया और उन्हे और रीमा को भी ओढ़ा दिया फिर तो पिक्चर शुरू होने के साथ...और अब तो साली की आध भी था. मेरा आँचल ढालाक गया और उन का एक एक हाथ पहले तो मेरे ब्लाउस के उपर से और फिर ..बटन खुलने में देरी कहाँ लगती है...दूसरा हाथ ऑफ कोर्स उनकी साली के हवाले था. बीच में मेने गर्दन उठा के देखा तो संजय भी अंजलि के साथ...और सोनू के तो दोनो हाथो में लड्डू थे.
बीच बीच में मे पिक्चर भी देख लेती थी. डाडा, पिक्चर थी, बिंदिया गोस्वामी की. रे-रन था.
दीदी दुबारा सो गयी थीं शायद आज रात की तैयारी में.
जब हम लौटे तो सभी खूब मस्ती के मूड में थे, खास तौर से रजनी. वो एक बड़ा सा लॉलिपोप लेके शिश्न की तरह मस्ती से चाट रही थी., कभी सोनू को उसे चाटती तो कभी खुद ...पीछे से सोनू को पकड़ के मस्ती में गुन गुना रही थी एक दम मधुरी दीक्षित स्टाइल में... एक दो तीन चार...गिन गिन के.
सब लोग उन दोनों को ही देख रहे थे.
हम लोगों के लौटने के थोड़ी देर बाद ही मांझली ननद जी चली गयीं . उनकी विदाई के बाद उपर अपने कमरे में जाने के पहले किसी काम से मे पिच्छवाड़े की ओर गयी तो...उसी जगह जहाँ सुबह सोनू और गुड्डी की बातें मेने सुनी थीं...हल्की हल्की आवाज़ें आ रहीं थीं. मेने देखा तो गुड्डी नाराज़ लग रही थी और सोनू उसे मनाने में लगा हुआ था. वो गुस्से में बोल रही थी,
जाओ जाओ...उस चिकनी के पास जाओ जिससे चक्कर चला रहे हो...
अर्रे तू भी चक्कर में पड़ गयी...ये तो मेरा मास्टर प्लान था. उस के गाल छू के वो बोला.
चक्कर कौन सा चक्कर ...मे...तुम पक्के बेवफा हो. वो हाथ झटकते बोली.
अर्रे नही मेरी जान...वो तो अभी थोड़ी देर में चली जाएगी. मेरा ये चक्कर है कि सब लोग देखे...ये मानेंगे कि मेरा और रजनी का कोई चक्कर है. देख तू भी चक्कर में पड़ गयी ने. तो हम लोगों पे कोई भी शक नही करेगा, फिर मौका मिलते ही...समझी मेरी जान.
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