RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
आज जब उन्होने दूध का ग्लास मेरे मूह से लगाया तो ये जानते हुए भी कि इसमें क्या पड़ा है और इसका मुझ पे क्या असर होने वाला है, मेने उसे गदप कर लिया. वो और शरारती, दूध तो उन्होने पिया ही, रखे रखे उसमे मलाई सी पड़ गयी थी. वो उन्होने दो उंगली मे निकाल के मेरी चूत पे लपेटी और लगे चाटने. और इसके बाद जब वो उपर आए तो मेने जोड़ा पान भी अपने होंठो मे ले के उनके होंठो मे. तभी मेरी निगाह, बगल के टेबल पे पड़े रिमोट पे पड़ी. दोपहर को उन्होने यही रख दिया था, मुझे याद आया. मेने पूछा क्यो चला दू, और वो हंस के बोले एकदम.
वो, उसका लंड लोल्लपोप की तरह चूस रही थी. "साली क्या गपा गॅप चूस रही है." उन के मूह से निकला. फिल्म क्या किसी कपल की हनिमून मे शॉट की गयी फिल्म लग रही थी क्योंकि कॅमरा आंगल बिल्कुल भी नही चेंज हो रहा था. जब उसने मूह से निकाला तो एक बार, मेने उसके मर्द के लंड की ओर देखा और एक बार इनके. इनके आगे उसका कुछ भी नही था तब भी 6*7 इंच का तो रहा ही होगा. उसने जीभ से उसके सुपाडे को चटाना शुरू किया, जिसपे अभी भी पहले की चुदाई का रस लगा हुआ था. चाटते चाटते वो उसके बॉल्स तक पहुँच गयी और उसको भी चाटना शुरू कर दिया. अपने हाथ से वो उसके लंड को साथ साथ दबा रही थी भींच रही थी, यहा मेरा हाथ भी उनके सख़्त हो रहे लंड को दबा रहा था. वो उसको पकड़ के बाथ रूम मे ले गया.
उसकी निगाहे चारो ओर ढूंड रही थी, लेकिन कुछ नहीं दिखा तो केमोड पे ही वो बैठ के उसका कड़ा लंड हवा मे ताने खड़ा अपनी बीबी को उसने इशारा किया. पहले तो वो ना नुकुर करती रही लेकिन फिर आके दोनो टांगे उसके चारो ओर फैला के और उसका लंड सीधे उसकी बुर मे.
देखते देखते दोनो की चुदाई फुल स्पीड मे "ले ले मोटा लंड अपनी फु.. मे ले"
वो बोलता.
"दे दे राजा. चोद कस कस के देखती हू तेरी अम्मा ने कितना दूद्धू पिलाया है" वो भी धक्के का जवाब धक्के से दे के बोलती.
"अरे अम्मा पे जाती है, चल पहले अपना दूध पिला" और ये बोल के वो उसकी चूंची चूसने लगा. "ले ले देख मेरे मम्मो का रस पी तो ननद के मम्मो का रस भूल जाएगा." वो उसका सर पकड़ के बोलती. कुछ देर बाद वो उसके लेके उठा और सीधे शवर स्टॉल मे और नहाते हुए भी उनका काम जारी था खड़े खड़े. तभी उस लड़की की निगाह बाथ टब पे पड़ी और उस ने अपने मर्द के कान मे कुछ कहा. एक दम बोल के उस ने लंड निकाल लिया और उस को झुका के बोला, "चल बन जा कुतिया" वो एक दम झुकी हुई थी.
उसके मोटे चूतड़ हवा मे उठे हुए और मेहंदी लगे हाथो से उसने कस के टब को पकड़ रखा था. उस के मर्द ने टांगे फैलाई और एक बार मे ही आधा पेल दिया. उस की चीख निकल गयी, "अरे यार हौले से क्या मेरी ननद की फुददी समझ रखी है जो चौदह साल की बाली उमर से चुद रही है." मैं समझ रही थी कि ये चीखना सब नखडा है. वो चाहती है कि उस का मर्द खूब कस कस के चोदे, इसलिए उसे छेड़ रही है. और हुआ यही उस की हालत खराब हो गयी थी. उस के लटके हुए मम्मे पकड़ के उसने एक बार मे ही पूरा ठूंस दिया. हालत तो उनकी भी खराब हो रही थी, जिस तरह उनका लंड पत्थर की तरह सख़्त हो गया था और जिस तेज़ी से वैसलीन लगी उंगलियो से वो मेरी चूत मे उंगली कर रहे थे.
"हे चल हम भी करते है ना". वो बोले. "एक दम.. सिर्फ़ देखने मे क्या रखा है."
मैं भी बोली. मन तो मेरा भी बहुत करने लगा था. "तो चल झुक बन जा उसी तरह से."
मालूम तो मुझे था मैं कितनी किताबो मे इस के बारे मे पढ़ चुकी थी लेकिन मेने उन्हे गाइड करने दिया. थोड़ी ही देर मे मैं झुकी हुई दोनो हाथो के बल, हाथ मुड़े हुए, और पैर भी, खूब फैले और मेरे निटम्ब हवा मे. उन्होने मेरी कमर तक पेट के नीचे कुशन लगा दिए थे और हाथो के नीचे भी मुलायम तकिया. पहले तो वो थोड़ी देर मेरे नितंबो को वो सहलाते रहे, मेरे पिछवाड़े वाले हॉल को भी उन्होने प्यार से हल्के से छू दिया. फिर छेड़ते हुए सुपाडे से उसे सहला दिया,
"हे उधर नही." मैं ज़ोर से चीखी.
"क्यो क्या इसे मेरे साल्लो के लिए बचा के रखा है." वो सूपड़ा वही पे रगड़ते बोले.
"तुम्हारे साल्लो के लिए मेरी ननद है ना, देखना कैसे उसे वो ननद सालियो को अपनी साली बनाते है.. प्लीज़ पर इधर नही"
"चलो आज माफ़ कर दिया पर कब तक बचा के रख पओगि इसे." उसे वहाँ से हटा के सीधे चूत पे रगड़ने लगे.
ये बात तो मैं भी जानती थी. बचाने वाली नही है ये. मम्मी ने शादी के पहले ही बता दिया था कुछ आदमी बूब्स मे होते है और कुछ इस में, ये दोनो है.
उन्होने चूत की पुट्तियो को फैला के अपने सूपड़ा सटाया और फिर मेरी पतली कमर पकड़ के, एक करारा धक्का मारा. एक बार मे ही आधा लंड अंदर घुस गया. उसके बाद तो उनकी चाँदी थी. कभी वो मेरी गदराई चूंची पकड़ के मसलते, कभी फूले हुए गुलाबी गाल कचा कचा के काट लेते और साथ साथ मेर उभरे रसीले नितंबो को सहलाते. चार पाँच धक्को के बाद, उन्होने उसे सूपदे तक निकाल के धक्के मारने शुरू कर दिए. और उनके हर धक्के के साथ मेरी करधनि, कमर बंद झनेक उठती कस कस के. लेकिन इस पोज़ मे मेरी चूत थोड़ी सी बंद बंद थी. पूरी ताक़त से पेलते हुए, उनके मूह से निकला, साली निहुर ठीक से. मुझे उनसे ऐसी उम्मीद नही थी कि वो मेने शिकायत भरी निगाह से चेहरा घुमा के उनकी ओर देखा और बोली, 'हे कैसे बोलते है'. मुझे चूम के वो बोले, 'अरे तुम मुझे मेरी बहन के साथ नाम जोड़ के इतना बोल रही थी तो कुछ नही.' मैं समझ गयी ये क्या सुनना चाहते है. मेने बन कर कहा, 'मेने आप को कोई गाली थोड़ी दी'.
"अच्छा, तो जो अंजलि का, मेरी बहनो का नाम लगा के अभी बोल रही थी वो" कस के चूंची मीजते वो बोले. मेने भी अपनी चूत मे कस के उनके लंड को सिकोड के बोला,
"अरे वो बेहन्चोद को बेहन्चोद बोलना कोई गाली थोड़े ही है."
"अच्छा मैं क्या हू ज़रा फिर से तो बोल" ये कहते हुए उन्होने मेरी चूत के अंदर रगड़ते हुए, करारे धक्के के लिए, सूपदे तक बाहर निकाल किया. मैं मज़े से गनगना गयी और बोली, "तुम बहन चोद और अगर अभी तक नही हो (धीरे से बोली मैं लेकिन इस तरह की वो सुन ले).अगर मेने तुमसे तुम्हारी बहन की, अंजलि की फुददी नही चुदवाइ तो कहना.
(अगर ये आप जानने ही चाहते है कि मेरे हब्बी ने अंजलि की ली कि नही तो पढ़े, 'मज़ा लूटा होली मे').
बस मेरा इतना पालिता लगाना काफ़ी था. मेरे चूतड़ पकड़ के उन्होने वो कस कस के धक्के लगाए, मैं चीखती रही, चिल्लती रही पर ये पूरी ताक़त से और साथ साथ बोलते भी जा रहे थे.
"मेरी बहन की चूत के पीछे बाद मे पड़ना साली, आज देख कैसे चोद चोद के तेरी चूत का बुरा हाल करता हू ले ले घोंट गपा गॅप."
क्रमशः……………………………………
|