RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
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गतान्क से आगे…………………………………..
हालत तो मेरी भी कम खराब नही थी. उनकी जीभ और होंठ मेरी चूत की पुट्तियो को खूब कस के चूस चाट रहे थे और साथ साथ क्लिट को भी. लेकिन अंदर दोनो उंगलिया घुसी थी, पूरी गहराई तक वैसलीन चुपदती. उन्होने वैसलीन की बॉटल मेरी ओर बढ़ा दी.
मेने हाथ बढ़ा के उसे पकड़ लिया.
खूब सारी वैसलीन ले के, मेने उनके खड़े कड़े 'चर्म दंड' पे अच्छी तरह पोत दिया. फिर 'उसे' दोनो हाथो मे ले के, जैसे कोई ग्वालन मथानी मथे, (अब वो मेरी एक मुट्ठी मे समाने लायक नही रह गया था) इतने अच्छा लग रहा था उसे छूना कितना कड़ा कड़ा मेने थोड़ी और वैसलीन ली और सीधे उसकी जड़ से, (उनके भी एक भी बाल नही थे, लगता था जैसे अभी जस्ट शेव किया हो) लेके सीधे उपर तक फिर से लिथड के मलने मसलने लगी. एक दम चमक रहा था वो, वैसलीन लगाने से.
चमड़ी को हटा एक बार फिर से मेने उनके सूपदे को खोल दिया. वो अब और फूल सूज गया था. तीन उंगलियो मे, ढेर सारी वैसलीन निकाल के मेने उनके सूपदे पे अच्छी तरह लिपॅड चुपड दिया. उसके बीच से उसकी 'आँख' अभी भी झाँक रही थी.
शरारत से मेने एक उंगली मे वैसलीन लेके, जैसे कोई तिलक लगाए उस पे लगा दिया.
वो बेकरार हो रहे थे और मैं भी. जितने तकिये कुशन थे सब उन्होने मेरे चुतडो के नीचे लगा दिए और मेरी फैली जाँघो के बीच आ गये. अब उन्होने मेरी टांगे मोडी नही, बल्कि खूब कस के चौड़ी कर दी और अपनी उंगलियो से मेरी पुट्तियो को खोल के सीधे लंड अंदर थेल दिया. मेरा चूतड़ इतना उठा था मुझे साफ साफ दिख रहा था कि कैसे इंच इंच, सूत सूत उनका मोटा लंड मेरी कसी चूत मे घिसट रगड़ के जा रहा था. अबके उन्हे कोई जल्दी नही थी. वो मेरी पतली कमर और मोटे चूतड़ पकड़ के धीरे धीरे थेल रहे थे. कमरे की सारी रोशनी जल रही थी. मैं देख रही थी कैसे सरक सरक केमस्ति से मेरी हालत खराब हो रही थी. एक तिहाई अभी बाहर रहा होगा कि अब उसका घुसना मुश्किल लग रहा था. वो अपनी कमर से पूरी ताक़त सेदर्द के मारे मेरी भी फटी जा रही थी. उनसे नही रहा गया. मेरी दोनो टांगे उनके कंधे पे और मेरी कलाई पकड़ के उन्होने.एक बार फिर मेरी आधी चूड़िया टूट गयी. दर्द के मारे मैं चीख पड़ी. बच्चेदानि पे जैसे ही सूपदे ने कस के ठोकर मारी मस्ती से मेरी हालत खराब हो गयी. घुस तो पूरा गया लेकिन जैसे किसी पतली गर्दन वाली शीशी मे कोई खूब मोटा सा कर्क ठूंस देबास वही हालत मेरी हो रही थी. वो अब मेरी क्लिट पे अपने लंड का बेस हल्के हल्के रगड़ रहे थे और अपने आप मेरी कमर भी साथ साथ.
जैसे कभी इम्तहान मे जब पर्चा बँटे तो सब कुछ भूल जाए लेकिन बाद मे धीरे धीरे याद आने लगे वही हालत मेरी हो रही थी. पहले दिन तो कुछ भी नही याद रहा,
क्या सहेलियो ने बताया, क्या भाभियो ने सिखाया लेकिन अब धीरे धीरे सब कुछ भाभी की ट्रेनिंग, जो मेनुअल मे पढ़ा, देखा, जिम मे एक्सररसाइज़ की आज शाम को ही भाभी ने फोन पे बात करते समय डाँट लगाई थी, शादी के बाद से मेने पी.सी एक्सररसाइज़ करनी बंद कर दी थी. भाभी ने डाँट के कहा था, हर दो तीन घंटे बाद भले ही सब के साथ बैठी हो अपनी चूत धीरे धीरे 20 सेकेंड तक सिकोडो और फिर पूरी ताक़त से 20 सेकेंड तक सिकोड के रखो और फिर हल्के हल्के 20 सेकेंड तक रिलॅक्स करो.. 5 से 10 बार तक और सिकॉड़ते समय ये हमेशा सोचो कि तेरी बुर मे राजीव का लंड है.
जब मेने हंस के कहा कि भाभी अगर वो जब सच मुच मे अंदर हो तो वो बोली. फिर तो छोड़ना मत, ज़रूर करना. ये सोचते सोचते अपने आप मेरी चूत उनके लंड पे सिकुड़ने लगी और कस के भींच दिया. मुझे ये नही पता था इसका इतना ज़ोर दार असर होगा, मस्ती से उनकी हालत खराब हो गयी. वो कस कस के मेरी चूंचिया मसलने लगे, चूमने लगे और फिर उन्होने वो जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी कि बस.. पोज़ बदल बदल के, कभी मेरी दोनो टांगे दुहरा देते,.. कभी उठा देते, कभी एक उनके कंधे पे और दूसरी फैली पिस्टन की तरह लंड धक धक अंदर बाहर.. सतसट सतसट.. मेरी चूंचिया कस के मसल के वो बोले, 'क्यो आ रहा है मज़ा चुद्वाने मे'. 'एक दम' मैं बोली. ले ले मेरा लंड दोनो हाथो से मेरा चूतड़ पकड़ के वो बोले.'देदे ना..'
मेने भी अपनी टांगे उनकी पीठ के पीछे कैंची की तरह फँसा दी और कमर उठाती बोली. ले ले ना
उन्होने मुझे उठा के अपनी गोद मे बैठा लिया था और उनकी धक्का पेल चुदाई चालू थी. एक हाथ से वो मेरे जोबन मसलते और दूसरे से मेरी पीठ पकड़ के कस कस के. और मैं भी उनका साथ दे रही थी. 'कैसा लग रहा है मेरा लंड', उन्होने कस के धक्का लगाते ही पूछा. जवाब मेरी चूत ने दिया.. कस के उनके लंड को भींच के.
'तेरी चूंचिया बड़ी मस्त मस्त है' कस के उन्होने काट के कहा. मेने भी उन्हे उनके सीने मे रगड़ दिया. हे तू भी तो बोल, उनसे नही रहा गया. हल्के से उनके एअर लॉब्स मेने काट लिए. 'हां अच्छा लग रहा है', मैं हल्के से बोली. 'अरे क्या अच्छा लग रहा है, बोल नही तो' वो लंड ऑलमोस्ट बाहर निकाल के बोले और चुदाई रोक दी. उनके कान मे जीभ की नोक से सहलाते हुए मैं धीमे से बोली, 'चुद्वाना मेरे राजा'. फिर क्या था, उन्होने मुझे गोद मे लिए लिए धक्का पेल चुदाई शुरू कर दी. मुझे लगा कि हम दोनो किनारे की ओर बढ़ रहे है लेकिन थोड़ी देर मे उन्होने फिर पलटा.
अब मेरी पायल और बिछुए खामोश थे और मेरी चौड़ी नई करधन की धुन सुन रहे थे. मैं उपर थी और वो नीचे. हालाँकि धक्के अभी भी वही लगा रहे थे, नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के, मेरी पतली कमर पकड़ के मुझे अपने लंड पे उपर नीचे कर के कुछ देर मे मैं भी उनका साथ देने लगी. जब वह उचका के लंड बाहर निकाल देते तो मैं अपनी कमर और नितंबो के ज़ोर से धीरे धीरे, तिल तिल उसे अंदर लेती और बहती रोशनी मे उसे सरकते हुए अंदर जाते हुए देखती. जब मेरी चूत पूरा लंड घोंट लेती तो अपने आप उसे भींचने लगती, चूत सिकुड़ने लगती. कुछ ही देर मे मैं न स्रिर्फ उनका साथ दे रही थी बल्कि कस कस के धक्के भी. हालाँकि जल्द ही मैं थक भी रही थी. लंड जब एक दम जड़ तक घुस गया तो मेने उनके दोनो हाथ कस के पकड़ लिए (जैसे वो मेरी कलाइयाँ पकड़ते थे), और लंड को ज़रा भी बाहर निकाले बिना,
थोड़ा उनकी ओर झुक के आगे पीछे करने लगी. सूपड़ा सीधे मेरी बच्चेदानि से रगड़ खा रहा था और लंड का बेस मेरी क्लिट से. मस्ती से हम दोनो की हालत खराब थी.
मेने देखा कि उनकी निगाहे सीधे मेरी झुकी चूंचियो पे है, मुझे शरारत सूझी. मेने अपने किशोर जोबन उनके चेहरे के उपर किए और जैसे ही वो चूमने को बढ़े, उसे दूर हटा लिया. मैं उसे पास ले जाती और जैसे ही लालच के वो पास आते बस मैं हटा लेती. मेरी खड़े निपल्स उनके होंठो से एक इंच दूर रहे होंगे कि मेने पूछा,
"बहुत मन कर रहा है?"
"हां" वो बेताब हो के बोले.
"अच्छा तो मेरा बड़ा है कि अंजलि का" उनके होंठो को किशोर जोबन से चुलके मेने पूछा.
"तुम्हारा बड़ा है." वो बेसबरे हो रहे थे.
"बस एक सवाल और, सही बोलॉगे तो मिलेगा. अंजलि का दबावाने लायक हो गया है कि नही?".
"हा..हा हो गया है."
"ओह पूरा बोलो ना क्या दबावाने लायक हो गया है." मेने चूंची उनकी पहुँच से दूर हटा ली.
"उसकी उसकी छाती सीना जोबन. चूंची"
"अरे पूरा बोलो ना अंजलि की चूंची किस लायक हो गयी है" और मेरी चूत ने कस के उनका लंड भींच दिया. मेरी सत्रह साल की जवान चूंचिया भी अब उनके चेहरे के पास थी.
"उसकी उसकी अंजलि की चूंची दबावाने लायक हो गयी है." वो बोले " अरे तो दबाते क्यो नही उस मस्त माल की चूंची देख तुमसे मेने अपनी ननद की चूंची ने दबावाई तो कहना." ये कह के मेने अपनी चूंची उनके होंठो के बीच कर दी और कस कस के चोदना शुरू कर दिया. लेकिन उन्होने पलट के मुझे नीचे कर दिया और जबरदस्त चोदते हुए बोले,
"अरे पहले अपनी चूंची तो दबवा लो, फिर बाद मे अपनी ननद का इंतज़ाम करना."
"मंजूर है मुझे.. चलो बाद मे ही सही, ये तो मान लिया कि तुम्हारा भी मन करता है उस की चूंचिया दबाने का." फिर तो उन्होने वो कस के धक्के लगाए, मैं थोड़ी ही देर मे झदाने लगी और जब मेरी चूत ने कस के साथ साथ उनके लंड को सिकोड़ना शुरू किया तो साथ मे वो भी.
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