RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
मैं बोली ठीक है मिल जाएँगें, लेकिन अभी थोड़ा और उपर और फिर तो रजनी और अंजलि ने मिल के पूरा कमर तक उठा दिया. मेने चड्धि ज़रा सी सरकई. जहाँ कस के चड्धि ने जाँघो को दबोच रखा था, वही पे तिल था. (और ये बुआ भतीजी की मिली भगत का नतीजा था, गुड्डी ने खुद ही मुझे बता दिया था.) और अब अंजलि का नंबर था. जैसे ही मेने उसका हाथ पकड़ा, वो बोली, तुम दोनो तो फेल हो गयी, देखना मैं भाभी से 100 रुपये जीत के ही रहूंगी. उसका हाथ मैं बड़े ध्यान से देख रही थी. मेने भी किरो और बेनेहम पढ़ रखा था. ये साफ हो गया कि उपर से तो वो थोड़ी बनाती रहेगी लेकिन अंदर से वो सेक्सी होगी और उसका सम्बंध शादी के पहले ही कयि लड़को से हो जाएगा, लेकिन इसमे किसी का हाथ भी होगा. वो बोली,
क्यो भाभी नही दिखा ना. मेने बन के बोला, मुश्किल लग रहा है. उसका चेहरा चमक गया. कुछ और देख के मैं बोली, पीठ पे, उपर की ओर (ये मेरे आब्जर्वेशन का नतीजा था.) और उसने फ्रॉक थोड़ा नीचे किया, पीठ की ओर. वही था शोल्डर ब्लेड्स केनिचे ब्रा के स्ट्राइप्स के नीचे. देखते देखते छेड़खानी मे गुड्डी ने उसके ब्रा के स्ट्राइप्स खींच दिए. अंजलि बोली, पीठ का तो दिख भी सकता है, एक बार फिर से. और मैं दुबारा हाथ देखने का नाटक करने लगी. थोड़ी देर देख के मैं बोली, है तो लेकिन मैं बताउन्गि नही. बताइए बताइए, रजनी और गुड्डी हल्ला करने लगी. ये बुरा मान जाएगी,
मेने कहा. नही नही मैं बुरा नही मानने वाली, सच तो ये है कि कोई है ही नही और आप हारने के डर से बहाने बना रही है." अंजलि बोली. मेने फिर हाथ उपर उठा के एक दम आँख के पास ले जाके देखा, और फिर मूह बना के अपनी जेठानी से कहा, "ऐसा हाथ और ये तिल का निशान मेने आज तक नही देखा था, सिर्फ़ एक बार किताब मे पढ़ा था.
मुझे विश्वास नही हो रहा है." बताइए ना, रजनी और गुड्डी ने ज़िद की. "अरे कही होगा तो बताएँगी ना भाभी." अंजलि ने कहा. तो ठीक है मेने 100 रुपये और निकाल के जेठानी जी को देते हुए कहा, अगर कही भी होगा तो दिखाना पड़ेगा. अरे डरती थोड़ी हू दिखा दूँगी वो मुस्करा के बोली. मेने कहा कि ये एक दम सेजगह पे है इसलिए मेने बाजी बढ़ा के 200 की कर दी. ये तुम्हारे ठीक वहाँ, गुलाबी पंखुड़ियो के उपर है और पैंटी उतार के दिखाना पड़ेगा. अब वो बेचारी सहमी, लेकिन गुड्डी और रजनी उसके पीछे पड़ गयी कि हमारा तो फ्रॉक और टॉप उठाया था तो मैने भी समझाया कि ज़रा देर मे चेक हो जाएगा, 200 रुपये की बात है. अंत मे वो इस शर्त पे तैयार हुई कि वो दूसरी ओर मूह करके खुद उतारेगी, और खुद ही देखेगी. मैं इस पे भी राज़ी हो गयी.
झुक के उसने पैंटी उतार के रजनी को पकड़ाया और रजनी ने चुपके से मुझे दे दिया.
झट से मेने पार्स मे रख लिया. उधर वो अपने को निहार के बोली,
"कोई तिल विल नही है."
"अरे ठीक से देखो, झुरमुट मे छिपा होगा," मैं बोली और झटके से उसकी फ्रॉक उठा दी.
एक दम साफ सफाचट, चिकनी कसी कुँवारी गुलाबी पुत्तिया, उसने अपनी जांघे भींच ली और जल्दी से फ्रॉक नीचे गिरा दी लेकिन तब तो हमने दरशन कर ही लिया.
मेने जेठानी जी से कहा कि पहली बार मैं ग़लत हुई हू और उन्होने 200 रूपरे अंजलि को दे दिए. मुझे याद था कि जब कुहबार मे 'झलक' देखी थी तो 'घास फूस' थी. मेने उसे छेड़ा,
"हे कल मेरे भाई आ रहे है क्या इसी लिए, उनके स्वागत मे शेव करके चिक्कन मुक्कन कर लिया." वो क्या बोलती, थोड़ी नाराज़ थोड़ी मुस्कराती बैठी रही.
मेने अपने पार्स मे से 500 का एक नोट निकाल के बढ़ा दिया, उसे थाम के, उसकी सवाल भरी निगाहो ने पूछा.
"100 रुपये तुम्हारी पैंटी के. और 200 रुपये मे तुमने पैंटी उतार दी ना तो कल जब मेरे भाई आएँगे तो 200 रुपये पैंटी उतारने के और 200 टाँग उठाने के. एडवांस."
तब तक बाहर से बुलाहट हुई और जेठानी जी और सब जाने लगे. मेने उसका हाथ पकड़ के रोक लिया और समझाया, "हे बुरा मत मानना, ननद भाभी मे तो मज़ाक चलता ही रहता है. और हाँ ये देखो,"पार्स खोल के मेने दिखाया , उसकी दूसरी पैंटी ( वो जो कुहबार के पहले, मेरे भाइयो ने छेड़खानी मे अंधेरे मे उतार ली थी और जब संजय मुझे यहाँ छोड़ के जा रहा था तो उसने मेरे पार्स मे रख दिया था.) " ये तुम्हारी एक और पैंटी जो शायद तुम बारात मे आई थी तो वही छूट गयी थी. लेकिन घबडाओ नही, कल संजय आएगा ने, मैं उससे बोल के तुम्हारे लिए दो खूब सेक्सी पैंटी मँगवा दूँगी." वह मेरा हाथ छुड़ा के बाहर चली गयी.
क्रमशाह……………………………………
शादी सुहागरात और हनीमून--28
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