kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
08-17-2018, 02:46 PM,
#96
RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--28

गतान्क से आगे…………………………………..

चमेली भाभी ने उसका हाथ खींच के खड़ा कर लिया, नाचने को. मेरी जेठानी ने ढोलक सम्हाली. दुलारी ने गाना शुरू किया लेकिन गाने के पहले बोली, ये गाना भौजी के हाल का है. और फिर गाना शुरू हो गया,

गौने की रात दुख दाई रे अबाहु ना भूले.

बारह बजे सुन सैयाँ की बोलिया,कौनो ननादिया खिड़किया ना खोले,

रात भर पेरैला हरजाई रे, अबहु ने भूले,

( अरे पेरेला की पेलैला, मेरी जेठानी ने छेड़ के पूछा) रह बेदर्दी चोली मोरा मसके, बाला जोबनेवा दबावे दूनो कस के.

मर गयी हे मोरी मैं रे, गौने की रात दुख दाई रे अबहु ने भूले.

लूट लिहाले हमारे नैहर के मालवा, सीने वा पे चढ़के दबावे दोनो गालवा

( अरे भाभी माल लुटवाना ही तो इतने साज संवर के आई थी अब क्या शिकायत, ननदे मेरे पीछे पद गयीं)

काट लहले जैसे नेन खटाई रे, अबहु ने भूले गौने की रात दुख दाई रे अबहु ने भूले.

और गाने के साथ साथ पूरा एक्शन, दोनो ने एक दूसरे की साड़ी साया सब उठा लिया, और फिर रगड़ रगड़ के, पॉज़ बदल बदल के पूरा ट्रिपल एक्स एकस्न था. वो तो बाहर से मेरी सास ने आवाज़ दी तो वो बंद हुआ और दरवाजा खुला. बाहर महारजिन खड़ी थी कि नाश्ता बन गया है. कुछ लोग बाहर गये लेकिन मेरे और जेठानी जी के लिए वही गुड्डी और रजनी ले के आई. हम लोग नाश्ता ख़तम ही कर रहे थे कि मेरे नंदोई अश्वनी,उनकी पत्नी, मझली ननद, और अंजलि आई.

वो बोले क्या खाया पिया जा रहा है अकेले अकेले. मेने उन्हे ओफर किया तो हंस के उन्होने मना कर दिया, कि रात भर की महनेट के बाद तुम्हे ताक़त की ज़्यादा ज़रूरत है. उसके साथ ही फिर हँसी मज़ाक शुरू हो गया. मैं देख रही थी कि कल के बाद रजनी मे एकदम फ़र्क आ गया है और वो उनसे चिपकी हुई है और उनके शुद्ध नोन वेज जोक्स का हम लोगो के साथ मज़ा ले रही है. मज़ाक मज़ाक मे उन्होने मेरी जेठानी से कहा,

"भाभी, आप को मेरे नाम का मतलब मालूम है."

"अरे कितनी बार तो आप बता चुके है" वो बोली.

"अरे साफ साफ कहिए ना कि नये माल को देख के अरे आप की सलहज है, इससे क्या परदा. नाम क्या सीधे 'वही' दिखा दीजिए." ननद ने उकसाया.

"अरे दिखा तो देता लेकिन बच्ची है कही भड़क ना जाए और वैसे भी अभी दिन रात साले का देख रही है."

"देखो तुम अपने इस नेंदोई से बच नही पओगि, अभी बच भी गयी ना तो होली मे तो ये बिन चोली खोले मानेंगे नही"

मैं चुपचाप मुस्करा रही थी, फिक्क से हंस दी. अश्विन भी खुल के हँसते हुए बोले " अरे हँसी तो फाँसी मैं बता दू नाम का मतलब.." मेरी ननद, उनकी पत्नी बोली,

"मैं ही समझा देती हू अश्व का मतलब घोड़ा..तो तुम्हारे ननदोयि का ये कहना है कि अश्वनी का मतलब हुआ, घोड़े जैसा" जेठानी जी ने कहा उनकी बात पूरी होने के पहले ही मैं ननदोयि जी की हिमायत करती हुई बोली,

"अरे दीदी जी, इसमे बिचारे ननदोयि जी को क्यो दोष देती है. अपनी सासू जी को बोलिए ना. वो कभी अंधेरे मे घुड़साल चली गयी होंगी और किसी घोड़े का "

मेरी बात ख़तम होने के पहले ही हँसी से कमरा गूँज गया. मेने रात का हिसाब बराबर कर दिया था. थोड़ी देर के हँसी मज़ाक के बाद उन्होने मेरा हाथ पकड़ लिया,

देखना कि नाम पे.

"अरे भाभी देखिए, जीजा हाथ पकड़ने के बहाने फिर कही कोहनी तक नही पहुँच जाएँ" अंजलि बोली.

"और फिर कोहनी से सीधे ज़ुबाने तक." ननद ने चिढ़ाया.

"अरे मेरी सलहज ऐसी डरने वाली नही है, और मैं तुम लोगो के फ़ायदे की बात देख रहा हू."

"क्या जीजू हम लोगो का क्या फ़ायदा होगा" अंजलि बोली.

"अरे नेग तो मिलेगा ना, तुम लोगो को बुआ बनाने पर. यही कि तुम लोग कब और कितनी बार बुआ बनोगी."

"तो क्या देखा आपने, अब तक." ननद जी ने पूछा.

"यही की चिड़िया ने चारा तो घोंटना शुरू कर दिया है, और अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है." वो बोले " तो तो क्या 9 महीने मे खुश खबरी" एक और ननद ने बनावटी खुशी से मुझेसे पूछा.

"तो चिड़िया इतना चारा घोंट रही है, तो उसका पेट जल्द ही फूलेगा." अंजलि ने और पालिता लगाया.

"अरे नही यार ये चिड़िया बहुत चालाक है. आज कल ऐसी गोलिया आती है , ये दिन रात चारा घोंटेगी और पेट भी नही फूलेगा.

तो बताइए ना क्या होगा." ननद ने ननदोयि जी से पूछा.

"अरे वो तो पूछे जिसका पेट फूलना है, उसे बताउन्गा."

"कहिए तो पैर छू के पुच्छू" झुकने का नाटक करते हुए मैं हँसते हुए बोली.

"वो ठीक है लेकिन कौन सा पैर छुओगी." एक ननद बोली.

"अरे वो भी कोई पूछने वाली बात है. बीच वाला वही, घोड़े वाला. अरे सिर्फ़ छूने से प्रसाद नहीमिलेगा, उसे ठीक से पकडो, दबाओ, मसलो तब बाबा प्रसन्न होंगें" मेरी मझली ननद बोली.

तब तक वास्तव मे वो हाथ से कोहनी तक पहुँच गये थे, और मेरे चेहरे को देखते हुए बोले,

"मैं देख रहा हू कि तुम अपनी जेठानी के साथ एक बाबा के यहाँ हो. तुम्हारी जेठानी पूछ रही है बाबा, 6 महीने हो गये बताइए क्या होगा. बाबा ने तुम्हारा पेट छुआ,

फिर सीना टटोला और कहा पता नही चल पा रहा . जेठानी जी ने बाबा के सारे पैर छुए,

फिर बाबा ने इनका साया उठाया और ध्यान से अंदर झाँक कर कहा, खुश रहो लड़का होगा. जेठानी ने पूछा, बाबा आप धनी है. आप ने वहाँ क्या देखा. वो बोले, अरे मुझेसे कैसे कोई बच सकता है. वो झाँक रहा था मेने उसकी मूँछे देख ली."

और फिर मेरी ननदो की ओर देख के बोले, इसका मतलब भतीजा होगा, नेग बढ़िया मिलेगा."
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