RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
अंजलि ने जब कुछ कहा तो मेरी जेठनियो को तो छोड़िए, मेरी शादीशुदा ननदे भिलेकिन वो भी चुप होने वाली कहाँ,उसने मुझे छेड़ते हुए कहा, कि अरे भाभी की तो बुरी.. उसकी बात काट के मेरी एक जेठानी बोली,
"अरे साफ साफ क्यो नही कहती, कि भाभी की बर की बुरी हालत हो गयी, लेकिन ज़रा अपनी बुर की हालत सोच ना. अब तुम्हारी भाभी को तो चुदाई का लाइसेन्स मिल गया, अपने सैया से जब चाहे जितनी बार चाहें, जहा चाहे चुदवाये,
"अरे सिर्फ़ सैयाँ का ही नाम थोड़े उस लाइसेन्स पे लिखा है. सेया तो खाने का मेन कोर्स है साथ मे चटनी और आचार भी तो है, नेंदोई और देवर.." किसी ने जोड़ा और सब लोग हँसने लगे. मेरी उन जेठानी ने बात जारी रखी,
"अरे और क्या, सलहज पे तो नंदोई का पूरा हक है, जिस साले की बेहन ना चोदि, उस की बीबी पे थोड़ा बहुत तो, लेकिन तुम अपनी सोचो. तुम्हारी भाभी की बुर मे तो जब भी खु.जली मचेगी, वो कुछ बहाने बना के उपर कमरे मे और वहाँ उन्हे वो खड़ा तैयार मिलेगा.लेकिन अब ये सब हाल सुन के तुम्हारी बुर तो गीली हो गयी होगी, तो फिर अब बाथ रूम मे जा के उंगली या मोटी कॅंडल."
"अरे आज कल बेगन का भी सीज़न चल रहा है. लंबे मोटे चिकने" और सब लोग हंस पड़े लेकिन अंजलि का साथ देती हुई बहुत सीरियस्ली मैं बोली,
"अरे इन सब चीज़ो की ज़रूरत नही है, मेरी प्यारी ननदो को. आख़िर इनका ख्याल अगर इनकी भाभी नही रखेंगी तो कौन रखेगा. कल चौथी लेके मेरे दोनो भाई आ रहे है, संजय और सोनू जिनसे इसकी पक्की यारी है. अब बस24 घंटे इंतजार कर लो, फिर तो इसमे से किसी चीज़ की ज़रूरत नही पड़ेगी. जितनी बार चाहे उतनी बार,
"सच मे भाभी," उस के चेहरे पे तो 1000 वाट का बल्ब जल गया और सब लोग मुस्कराने लगे.
"और क्या एक दम सच. तुम जितनी बार चाहो, मेरे भाइयो से उतनी बार क़रवाओ ना एक बार भी मना नही करेंगे. किसके साथ कराओगी संजय के साथ या सोनू के साथ या चाहो तो दोनो के साथ." बिचारी की हालत खराब हो गयी, लेकिन उसका साथ देने केलिए दुलारी मैदान मे आ गयी. वो चालू हो गयी,
"..भौजी, अरे अपने भाई की बात छोड़िए. अरे हमारे भैया ने तो चोद चोद के तुम्हारी बुर का हलुवा बना दिया है, टाँग फैला के चल रही हो. मसल मसल के काट काट के तुम्हारी ई चूंचियो की लेकिन हम अपने भाई को क्यो बुरा कहे. तुम्हार ई चीक्कन गोर गोर गालवा देख के मन तो लालचाई जाई, और फिर ये गुलाबी रसीले होंठ.
क्यो खूब चुसवाई हो ना होंठ के रस,और फिर ई जवानी के रस से छलकात, मस्त मस्त चूंची और कसी कसी बुर. खूब चूंची पकड़ के दबाए के चोदवाइ होगी, है ना.
चूतड़ उठा उठा के गपा गॅप लंड घोंटी होगी रात भर.हाल तो मुझे पूरा मालूम है,
लेकिन सब तुम्हारे मूह से सुन-ना चाह रहे है वरना मैं सुनेआ देती कि कैसी चुद्वासि हो तुम और कैसे हचक के चोदा भैया ने तुमको.. अरे लंड घोंटने मे नही सारम - खचाखच चुद्वाने मे नही सारम - तो फिर चुदाई बोलने मे कौन सी शरम लग रही है"
"अरे नेई दुल्हन है थोड़ा तो सरमाएगी ही, मूह से बोलने मे कुछ" मेरी एक जेठानी ने मेरा बचाव किया. लेकिन दुलारी फूल फार्म पे थी. वो चालू रही,
"अरे उही मूह सेक्यो अभी लौंडा चूसी हो की नही चूसी हो तो चूमोगी भी चतोगी भी और चुसोगी भी उसी मूह से तो बोलने मे का शरम. अरे बेचारी ननद पूछ रही है तो बाते दो ना खुल के कैसे कैसे मज़ा आया सैयाँ के संग चुद्वाने मे. अगर एक बार बोल दो ना भाभी तो "
"ठीक है रख दो बिचारी का मन, बोल दो ना" मेरी सारी जेठानियो ने एक साथ कहा और फिर वो गाने लगी,
"सैया के संग रजैईया मे बड़ा मज़ा आए, चू" और मैं भी साथ दे रही थी. लेकिन जैसे ही मेने चुदाया बोला सब की सब शांत हो गयी और सिर्फ़ मेरी आवाज़ मे चुदाया सुनाई दिया. सब औरते एक साथ ज़ोर से हंस के बोली कि अब ये भी शामिल हो गई हम लोगो की गोल मे. और फिर एक जेठानी ने दुलारी से कहा,
"अरे मान लो ई सरमा रही है, तो तुम तो बड़ी बियाहिता ननद हो तुम ही सुनाई दो इस के रात का हाल."
"सुनती हू. अरे गा के सुनाउन्गि ज़रा ढोलक तो उठा दो, " और गुड्डी ने उनको ढोलक पकड़ा दी. और उन्होने गाना शुरू कर दिया,
भिंसारे चिरिया के बोली अरे भिंसारे चिरैया के बोली,
अरे हमारे भैया ने भाभी की चोली खोली,
अरे चोली खोल के चूंची टटोली और फिर दुलारी ने गाने गाने मे सब कुछ, कैसे 'उन्होने' मेरी चोली खोल के कस के चूंचिया दबाई, कैसे मेरी कसी चूत मे पहले उंगली की फिर टांगे उठा के कैसे खचाखच चोदा, खूब देर तक सुनाती रही. जब उसने गाना ख़तम किया तो ग़लती से गुड्डी के मूह से निकल गया, कि तुम तो हमारी बुआ के पीछे ही पड़ गयी. बस क्या दुलारी अब उसके पीछे,
"अरे बुआ की भतीजी की चूत मारू, अरे अपनी बुआ के गाल तो देखो जैसे माल पुआ. खूब कचकच काटने लायक है और कटवाती भी है. अरे बुआ बुआ करती हो तुम्हारी बुआ को तुम्हारी कुछ फिकर नेई. जब एक बुआ थी तुम्हारी तो इतने फूफा थे कि गिनेती नही (मेरी जेठानी की ओर इशारा कर के वो बोली) और अब ये आ गयी है. इनका तो हाल तुमने सुन ही लिया कि जब से आई है, दिन रात खाली चुदवाय रही है, और तुम्हारी वो बुआ वो तो वो भी तुम्हारे फूफा के या क्या पता कही तुम्हारे पापा ने भी मौका देख के हाथ साफ कर लिया हो. कही बुआ ने सोचा कि ये भतीजी भी कब की चौदह पार कर के चुद्वाने लायक हो गयी है, इसकी चुचिया गदराने लगी है. अपना तो लंड घोंटने मे, ज़रा इसके लिए भी लंड का इंतज़ाम करे. मेने तो कल समझाया था ना, शादी बियाह का घर है, इतने लड़के मर्द है पटा लो किसी को. अरे कुछ दिन मे तो लौट जाओगी तो किस को क्या पता चलेगा कीबुआ के भरोसे रहोगी तो."
रजनी ने बात काट के बताया कि कल मेने गुड्डी का मेक अप भी किया था और होंठ पे लिपस्टिक भी.."
"अरे नीचे वाले होंठ पे भी तो लिपस्टिक पौडर लगाया करो, जो 'खड़ा' (वर्टिकल) होंठ है उसकी भूख का भी तो इंतज़ाम करो, खाली उपर वाले पड़े ( हरिजोटल) होंठ का सिंगार करती हो. ज़रा एक बार अपने खड़े होंठ की झाँकी तो दिखाय दो बन्नो" ये कह के दुलारी ने झटके से उसकी फ्रॉक उपर उठा दी. और उसकी पूरी जांघे दिख गयी.
गनीमत था कि उसने एक सफेद चड्धि पहन रखी थी. दुलारी का हाथ वहाँ भी पहुँच गया और उसको चिढ़ाते हुए बोली,
"अरे इस बुल बुल को ऐसे पिंजरे मे बंद किए रहोगी तो चारा वारा कैसे गटकेगी. ज़रा इसको हवा तो खिलाओ" और वो शायद और भी तंग करती, लेकिन चमेली भाभी बीच मे आ गयी. उन्होने दुलारी का हाथ पकड़ के कहा,
"तुम सबका हाल तो पूछ रही हो, लेकिन गौने के बाद महीने भर हुआ, आया अपना हाल तो सुनाया नही कि गौने की रात सैया ने क्या क्या किया. कैसे दो महीने चुदवाया, ज़रा नाच के तो दिखा हिम्मत हो तो." सेर को सवा सेर मिल गया था.
क्रमशः……………………………………
शादी सुहागरात और हनीमून--27
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