RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--27
गतान्क से आगे…………………………………..
बसबस जब मेरी आँखे खुली तो सुबह हो गयी थी."
कुछ देर तक सब लोग चुप बैठे रहे, खास तौर से मेरी कुँवारी ननदे लग रहा था कि उनके तन मन को कोई मथ रहा है. मेने जेठानी जी को देखा. वो हल्के से मुस्करा रही थी. उन्होने ननदो को छेड़ा,
"क्यो सोच के ही गीली हो गयी क्या"
तब तक मेरी एक जेठानी और एक शादी शुदा ननद सामने आ के बैठ गयी और लड़कियो को थोड़ा पीछे हटा दिया.
"चल हट, हम लोग पूछते है. तुम सबो को क्या मालूम पहली रात का हाल, हम लोग तो गुजर चुके है"और फिर मुझसे कहा कि सुनो हाँ नही मे या एक दो शब्द मे बता देने और हमसे शरमाने की कोई बात नही हम लोग भी तो" और मेरी उन मे से जो जेठानी लगती थी, उन्होने बहुत प्यार से, हल्के से पूछा,
"ये बता कि जब उन्होने अंदर पहली बार पुश किया, अंदर पेला. जब तुम्हे कली से फूल बाना तो उनका हाथ कहाँ था. तेरी पतली कमर पे, या तेरे चूतड़ पे या तेरे जोबन पे या तेरी कलाई पे. अभी तुम कह रही थी ना कि चुदि.."
"मेरी मेरी कलाई पे" थूक गटाकते हुए मेने कहा.
"अरे तो ये कहो ना साफ साफ कि तेरी दोनो कलाई पकड़ के हचक से उसने कुँवारी चूत मे एक धक्के मे लंड पेल दिया.इसमे शरमाने की क्या बात. शादी शुदा, सभी लड़किया औरते जानती है कि क्यो होती है." मेरी उन जेठानी के साथ बैठी, उन शादी शुदा ननद ने कहा.
"अरे ऐसे क्यो बोलती हो. इस बेचारी से पूछो कितना दर्द हुआ होगा जब उस की 17 साल की कुँवारी चूत फटी होगी. अरे ये उन मेरी ननदो की तरह थोड़ी है जो मायके से ही सील तुड़वा के आती है और झूठ मूठ के ऐसा चिल्लाति है जैसे चूत मे कभी उंगली भी ना गयी हो, लंड तो दूर." मेरी जेठानी ने बात सम्हाली.
"अरे चीखी तो ये भी थी बहुत कस के, नीचे तक हम लोगो को सुनाई दिया, क्यो है ना अंजलि." और अंजलि ने इतनी कस के सर हिलाया, कि जैसे वो हमारे कमरे के बाहर ही कान लगाए बैठी रही हो.
"झूठ, झूठ मैं चीख सकती ही नही थी. उन्होने अपने होंठो से मेरे होंठो को सील कर दिया था." मैं बोली.
"सिर्फ़ होंठ पे होंठ रखे थे या तुम सर हिला के उन्हे हटा भी तो सकती थी." प्यार से जेठानी बोली " कैसे हटाती, उन्होने मेरे मूह मे अपनी जीभ भी डाल रखी थी." लेकिन जब तक मेने ये बात कही, मुझे अहसास हुआ कि मैं तो सारी बाते बोल गयी. लेकिन अब कर भी क्या सकती थी.
"अरे फिर तो जब फटी होगी, पहली बार घुसा होगा, तो बहुत दर्द हुआ होगा है ना,
सिर्फ़ सूपड़ा घुसा के रोक दिया था कि एक बार मे ही पूरा लंड पेल के चोदा था." ननद ने पूछा.
"हाँ" मेने अब की सम्हाल के जवाब दिया.
"अरे ठीक तो कह रही है ये. इतना बेरहम थोड़ा ही है वो. अच्छा ये बताओ, पहले सीधे तुम्हारी चूत मे लंड ही पेल दिया था या पहले चूत मे उंगली डाल के प्यार से वैसलीन लगाई थी. जो प्यार करता है वो इतना तो ध्यान रखता ही है. एक उंगली डाल के लगाई थी या दो" मेरा सर सहलाते , प्यार से मेरी जेठानी ने पूछा.
"पहले पहले वैसलीन पहले एक उंगली डाल के लगाई थी, फिर दो. खूब देर तक मेरी "
"हा हा बोलो ना, "जेठानी बोली " दो उंगली मेरी चूत मे डाल केफिर मुझे लगा कि मैं क्या बोल गयी, लेकिन जेठानी ने मेरा हौसला बढ़ाया कि यहाँ सिर्फ़ लड़किया और बहुए ही तो है, फिर दरवाजा बंद है, क्या शरमाना. हिम्मत कर के मेने आगे बोला.." मेरी चूत मे डाल के पहले वैसलीन लगाई."
"देखा मेरा देवर कितना नवल रसिया है सब कुछ मालूम है.और अपनी दुल्हन का कितना ख़याल भी है, ये नही कि दुल्हन देखी और टाँग उठा के पेल दिया, लगे चोद्ने, चाहे वो चिल्लाति रही, चाहे उसे मज़ा मिला हो या ना." वो बोली.
"तुझे मज़ा मिला था या नही जब उसने तेरी बुर मे पेला था." मेरी ननद ने बोला. मैं क्या बोलती चुप रही.
"अरे पहली बार मे तो जब कसी कुँवारी चूत मे लंड जाता है तो लगता ही है. फिर तो इस की उमर भी अभी बड़ी है. पहली बार की बात नही, लेकिन उस के बाद एक बार भी, उस दिन न सही कल सही थोड़ा तो मज़ा आया होगा."
"हॅमेयैया." मेने स्वीकारोक्ति मे सर हिलाया.
"तो खूब मज़े ले ले के चुद्वाया तुमने. कितनी बार टाँग उठा के चोदा उसने"
ननद ने पूछा. मैं चुप रही.
"अरे ये कैसी बाते करती हो. इस तरह की बात किसी नई नेवेली से पूछी जाती है. जेठानी ने उन्हे चुप कराया और मुझेसे पूछा, बस एक बात याद कर कल हम देवर जी को चिढ़ा रहे थे कि उनके माथे मे महावर लगा था. मेरी एक बाजी लग गयी तुम्हारी एक ननद से.
मेने कहा कि मेरा देवर इतना वो नही कि हर बार टांगे कंधे पे ही रख के चोदे.
उसने अलग अलग तरीके से पहले दिन चोदा होगा. तो बस ये बता दो,कि हर बार टाँग कंधे पे ही रख के उसने चोदा या किसी और तरीके से भी चोदा."
"एक बार एक बार उन्होने मेरी टांगे फैला के भी, नीचे तकिया रख के भी" मेने माना.
"लो सुनो, मैं कह रही थी ना की मेरा देवर पक्का रसिया है. उसने दुल्हन को तरह तरह से खुश किया होगा. अच्छा ये बता," अपनी उन ननद से अपनी जीत की घोषणा कर के वो फिर मेरी ओर मुखातिब हुई," सच सच बताना, मुझे लगता है मेरा देवर तेरे इस रसीले जोबन का रसिया है. है हर बार जब वो इसे पाता है तो पहले हल्के से छूता है, सहलाता है, दबाता है तब रगड़ता, मसलता है या"
"पहले दिन तो ऐसे ही लेकिन" मेरी बात काट के मेरी ननद बोली,
"अरे ये क्यो नही कहती साफ साफ कि अब वो इतना मतवाला हो जाता है तेरी चूंचिया देख के कि देखते ही दबोच लेता है, दबा देता है, मसल देता है. कच कचा के काट लेता है. ये तो देख के ही लग रहा है" और ये कह के उन्होने मेरा आँचल मेरे ब्लाउस पर से हटा दिया. मेरे लो काट ब्लाउस से मेर गोलाइयाँ छलक पड़ी और साथ ही मेरे उभारो पे उनके दाँत और नखुनो के निशान सबके सामने थे. उन्होने उस ओर इशारा करते हुए बोलना जारी रखा," अरे ऐसी रसीली चूंचिया होंगी तो वो तो बेसबरा होई जाएगा. चलो तो तुमने ये बताया अपनी पहली चुदाई के बारे मे कि पहले तेरे दूल्हे ने, तेरी कसी कुँवारी बुर मे पहले एक उंगली और फिर दो उंगली डाल के चोदा और वैसलीन लगाई. और फिर जब तुम चुद्वाने के लिए बेचैन होके अपने चूतड़ पटकने लगी तो तुम्हारी टांगे उसने अपने कंधे पे रख के, तुम्हारी दोनो कलाई कस के पकड़ के, तुम्हारे होंठो को अपने होंठ से दबा के तुम्हारे मूह मे जीभ घुसेड के तुम्हारी कच्ची चूत मे अपना मोटा लंड पेल तुम्हे चोद दिया और तुम्हारी चूत फॅट गई. साथ ही पहले तो तुम्हारी चूंचिया वो सहलाता रहा और फिर कस के खूब रगड़ाई मसलाई की. एक बार तुम्हारी तुमने खुद अपनी टांगे फैला के उसे बुला के चुदवाया. है ना," मैं क्या बोलती. फिर तो उन दोनो ने मिल के जैसे पुलिस वाले कबुल वाते है जो जुर्म किया हो और जो ना किया हो वो सबसब कुछ कबूलवा लिया.
लेकिन उससे मेरी रही सही झिझक भी ख़तम हो गई. और उसके साथ तो जैसे 'चुदाई पूराण' चालू हो गया. और ननदे भी क्योकि अंदर सिर्फ़ उनकी भाभीया ही तो थी,
खूब खुल केओर उस के साथ ही एक नया ग्रुप बन गया शादी शुदा और कुँवारीयो का.
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