RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
"अरे तो ये नही कहती कि रात भर गपगाप घोंटति है." ननद ने हंस के कहा.सब लोग हँसने लगे और मैं भी अपनी मुस्कराहट नही रोक पाई.
"अरे तो साफ साफ कहो ना कि रात भर चुदवाति हो. इसमे कौन सी शरम" चमेली भाभी चालू हो गई.
"अरे ये आई ही इसी लिए है, इसकी अम्मा ने भेजा ही है, चुद्वाने के लिए , तो इसमे कौन सी बात है." मेरी मौसीया सास बोली. मैं कहना चाहती थी कि गाजे बाजे के साथ गये थे आप लोग लेने आए थे.ऐसे नही आई मैं, लेकिन चुप रही.
"कैसी ननद हो तुम लोग चुप हो, अरे अपनी भौजी से पूछो तो सही. रात कैसे घचा घच चुदाई हुई. कैसा मज़ा आया लंड घोंटने मे, तुम लोग तो मूस भूडुक हो के बैठी हो. भौजी से रात का हाल चाल तो पूछो." अब दुलारी चालू हो गयी. मैं एक उंगली मे आँचल का पल्लू बार बार लपेट रही थी, और घूँघट मे नीचे देख रही थी.
"अरे देखो बिचारी बहू कितनी शरमा रही है." मेरी एक चाचिया सास बोली.
"अरे सरमा नही रही, रात के बारे मे सोच रही है कि कितना मज़ा आया रात की चुदाई मे. " दुलारी फिर बोली.
"अरे मेरी बहू ऐसी नही है जो शरमाये,अरे जिसने की शरम उसके फूटे करम.ये तो उमर ही है मज़ा करने की, खुल के खेलने खाने की." मेरी सास ने मेरा सर सहलाते हुए प्यार से कहा. फिर मेरी ननदो से बोली, अरे ले जाओ बिचारी को कमरे मे थोड़ा आराम वारम करे. ज़रा नाश्ता वाष्ता कराओ."
मैं ज़रा धीमे धीमे सम्हल के, खड़ी हुई. तो अंजलि ने छेड़ा, " क्यो भाभी बहुत दर्द हो रहा है क्या भैया ने बहुत ज़ोर से."
"अरे, रात भर तुम्हारा भाई चढ़ा रहता है और दिन भर तुम लोग तंग करती हो बेचारी को थोड़ी देर तो आराम करने दो बहू को, जाओ बहू जाओ." मेरी सास ने उन सबको लताड़ा.
जैसे ही मैं कमरे मे पहुँची, आराम तो दूर सब एक साथ वहाँ सिर्फ़ लड़किया और बहुए थी, यानी मेरी ननदे और जेठनिया. इसलिए अब जो थोड़ी बहुत झिझक थी वो भी दूर हो गयी. एक ने मेरा घूँघट सरका के मेरा मूह खोल दिया. जब मेने उसे ठीक करने की कोशिश की तो मेरी एक जेठानी ने झिड़क दिया कि अरे अब तुम्हारी सास यहा कोई नही है आराम से बैठो. एक ननद ने छेड़ा, अरे भाभी उपर वाला मूह खोलने की बात हो रही है नीचे वाला नही. दूसरी बोली, अरी चुप वो मूह तो सिर्फ़ भैया के आगे खुलता है. अंजलि ने जोड़ा, अरे वो तो वैसे ही सारी रात खुला रहता है. सारी ननदे मेरे पीछे पड़ी थी कि मैं 'सब हाल' बताऊ'.
जब उन्होने बहुत तंग किया, तो मुझसे नही रहा गया, तो मेने हल्के से वोला,
"अच्छा बताओ क्या बताऊ" अब तो उन लड़कियो की खुशी का ठिकाना नही रहा, एक बोली.
"भाभी सब कुछ, कल रात क्या हुआ,पहली रात क्या हुआ, भैया ने कैसे" मेरे जुड़वा कजरारे नयन उठे, लजाए, सकूचाए और फिर हल्के से बोले.
"पहली रात, आप लोग हम लोगो को छोड़ के चले गये थे. हम लोगो ने दूध पिया,
पान खाया, थोड़ी देर बात की" कुँवारी ननदो को छोड़िए, सारी औरते कान लगा कर सुन रही थी. मेने धीमे धीमे बोलना जारी रखा,
"थोड़ी देर बात करते रहे और फिर हम लोग थके थे. सो गये. सुबह उठे तो"
मेरी बात पूरी होने के पहले ही सब ननदो ने चिल्ल्लाना शुरू कर दिया, झूठ, झूठ,
झूठ. एक ने तो ये भी बोला कि, दूध पीने के बाद भी ..और फिर पान भी. उसी समय मुझे पता चला कि वो पलंग तोड़ पान था और उसके साथ दूध मे भी 'काफ़ी कुछ पड़ा' था. फिर तो सारी ननदो मे एक मुस्काराकर बोली,
"रात मे जब आप सोने गयी थी तो लाल कामदनी चूड़िया पहन रखी थी और जब नीचे आई तो सादी लाल"
"वोव मेने साड़ी से मैंच करने के लिए चेंज" मेने बहाना बनाया.
"और कल रात भर भाभी आप के कमरे से बिछुए और पायल की झनेकार सुनाई दे रही थी." रजनी ने पूछा.
"वोव असल मे रात भरसोते समय मुझे पाँव चलाने की आदत है."
"तो अगर मैं इसके...बारे मे पूछूंगी तो आप कहेंगी कि भैया को नींद मे हाथ चलाने की आदत है." लो काट ब्लाउस से झाँकते मेरे उरोजो पे 'इनके' नखुनो के निशान की ओर इशारा करके अंजलि ने हँसते हुए पूछा."
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