RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
कुछ देर तक मैं वैसी ही पड़ी रही फिर उनका सहारा ले के बाथरूम तक गयी, फ्रेश होने के बाद जब मेने वहाँ डाक्टर भाभी की दी गयी क्रीम वहाँ लगाई, एक दम जादू का असर हुआ. मैं ये तो नही कह सकती कि दर्द एकदम ख़तम हो गया, लेकिन अब कम से कम मैं चल फिर सकती थी. अभी भी 'वहाँ' पे एक तीखी मीठी टीस तो थी ही, जांघे पे भी फट रही थी. बाहर मैं निकली तो वो चाय के साथ इंतजार कर रहे थे. चाय पीते पीते उन्होने पूछा,
"आज तो तुम्हारा गाने का प्रोग्राम होगा. कौन से गाने गओगि. जैसे तुम्हारी भाभी और बहने गा रही थी, कुहबार मे' "धत्त वहाँ बात और थी, मुझे शरम आएगी. वहाँ सासू जी होंगी और सब औरते"
"अरे वाह इसमे शरम की क्या बात है. सास तो तुम्हारी भाभी की भी थी. अरे गाने वैसे ही, खुल के बहुत मज़ा आएगा. सिर्फ़ घर के तो लोग रहेंगे. "मेरे होंठो को चूम के उन्होने कहा, और फिर मुझे चिढ़ाते हुए बोले, "कही ऐसा तो नही है तुम्हे आता न हो, और शरम का बहाने बना रही हो. "
"धत्त, आता तो मुझे ऐसा है कि मेरी सारी ननदो की हालत खराब हो जाय लेकिन मुझे शरम लगती है, उसमे कैसी. कैसी बाते एक दम खुल केक्या कहेंगे लोग कि मैं कैसे बोलती हू. "
"अरे सब बड़ी तारीफ़ करेंगे तेरी, अभी तो सब लोग कहते है कि अँग्रेज़ी स्कूल की पढ़ी है पता नही, इसे शादी वादी के गाने आते भी होंगे कि नही, आज मूह बंद कर दो सबका और फिर गाली का तो नाम ही गाली है. और अब किस बात की शरम"उन्होने फिर उकसाया.
"तो ये कहिए कि आपको अपनी बहनो का हाल खुल के सुनने का मन कर रहा है.
है ना.. "मेने चिढ़ाया.
"तो पक्का, तो फिर जैसे तुम्हारे यहाँ हुए थे वैसे ही सुनना. सारे लोग बहुत तारीफ़ कर रहे थे कि कितनी बाराते की, लेकिन बहुत दिन बाद ऐसी गालिया और गाने सुनने को मिले.
लग रहा था पुराना जमाना लौट आया. "उन्होने फिर चढ़ाया.
तब तक फ़ोन की घंटी बजी. उन्होने जो कल बुक की थी मेच्योर हो गयी थी.
मेने फ़ोन उठाया. मम्मी की आवाज़ थी. इतनी अच्छी लगी. ये बाथरूम चले गये थे.
थोड़ी देर हम लोगो ने बाते की फिर भाभी ने फ़ोन उठाया. पहला सवाल तो वही था, रात मे कितनी बार चुदवाया और आज मेने सॉफ साफ बता दिया. फिर उन्होने रिसेप्षन का और बाकी सब हाल चाल पूछा. मेने उनसे अपनी समस्या बतलाई, की शाम को मुझे गाने गाने है और 'ये' कह रहे है कि मैं खुल के जैसे हम लोगो के यहाँ हुए थे वैसे गाने गाउ. वो चमक के बोली "ये बता, तू अब तक कितनी बार चुदवा चुकी है"
"दस बार"हंस के मैं बोली.
"कितनी देर मेपहली बार से. "मेने कुछ जोड़ा और बोली,
"30 घंटे मे"
"तो मेरी प्यारी छीनाल ननद रानी, 30 घंटे मे ससुराल पहुँच के तुम 10 बार चुदवा चुकी हो. तो तुझे चुदवाने मे नही शरम है, गपगाप अपने पिया का मोटा लंड लेने मे नही शरम है, चूतड़ उछाल उछाल के चुचिया दबवा के बुर मे लंड लेने मे नही शरम है, तो अपनी सास और ननदो के सामने ये बोलने मे कैसी शरम. भूल गयी मेने तुम सब को कैसी जबरदस्त गालिया दी थी. ( मैं कैसे भूल सकती थी. मैं रजनी के उमर की रही होउंगी, लेकिन भाभी ने कुछ भी कसर नही छोड़ी थी, अपनी शादी के अगले ही दिन और जब मेने उन्हे दिखाते हुए कान मे उंगली डाल ली पर उन्होने अपने हाथ से पकड़ के उंगली भी निकाल दी. ). अरे ननद रानी ये सब मौका है, आज अपनी किसी भी ननद को मत छोड़ना और ननदोइ जी का नेम लगा के ज़रूर और अगर तुमने ज़रा भी शराफ़त दिखाई ना तो, जानती हो मैं क्या करूँगी. "मैं चुप रही.
"अभी मैं बोलती हू अपने ननदोयि को अभी पटक पटक के तुम्हारी ऐसी कस के गांद मारे ऐसी कस के गांद मारे कि तुम बिस्तर से उठने लायक ना रहो, "
मैं डर गयी. कल सुबह सुबह दिन दहाड़े 'उन्होने' अपनी सलहज की बात मान के मेरी कैसे कस के "नही भाभी नही मैं एक दम देखना एक दम एक से एक सुनाउन्गि. आख़िर आपकी ननद हू. "
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