RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--24
गतान्क से आगे…………………………………..
जब मुझे होश आया तो मैं एक बार फिर पहले की तरह उनकी गोद मे, उनकी एक बाँह ने पीछे से मेरी पीठ पकड़ के सहारा दिया था, मेरी जांघे उसी तरह फैली और उनका सख़्त बेकाबू लिंग उसी तरह मेरी यौन गुफा मे अंदर घुसा. कुछ देर मे मैं फिर उसी तरह, रस भीनी होके उनके धक्को के साथ कमर पकड़ के हल्के हल्के धक्के लगा रही थी. अभी भी मैं थकि सी थी लेकिन मन के आगे तन हर जाता है. तभी हम दोनो की आँखे एक साथ टेबल पे रखी तश्तरी मे , चाँदी के बार्क लगे पान के जोड़ो पे पड़ी. मेरी आँखो मे कल के रात की सारी सीन घूम गयी. उनकी आँखो ने भी इशारा किया और कमर के धक्के ने भी, उकसाया. और पान का एक जोड़ा मेरे होंठो मे आज मैं और ज़्यादा बोल्ड हो गयी थी और ज़्यादा छेड़ रही थी. कभी पान उनके होंठो पे चुला देती, कभी जव वो पास आते तो मैं पीछे झुक के दूर हो जाती और अपने उरोजो को उनके सामने उचका देती. लेकिन मेरे बालमा खिलाड़ी से कौन जीत सकता था. उसने मेरे सर को दोनो हाथो से पकड़ के पान और मेरे होंठ दोनो मुझेसे छीन लिया. फिर तो वो कस कस के मेरे होंठ अपने होंठो मे ले भींचते, चूसते और निचले होंठ को हल्के से काट लेते. उनकी ज़ुबान मेरे मूह के अंदर थी. फ़र्क सिर्फ़ ये था कि अब मैं भी कुछ कुछ रस लेना उनसे सीख गयी थी. अब जब उनके होंठ मेरे होंठो को चूस के हटते तो मेर होंठ भी उन्हे चूम लेते. और मेरे मूह मे घुसी उनकी जीभ जब मेरे मूह मे रस लेते हुए छेड़ छाड़ करती तो अब मेरी ज़ुबान भी हल्के से ही सही,
उनकी जीभ को छू लेती चूम लेती. पहले उन्होने मेरी जीभ को अपने मूह मे ले के चूसना शुरू किया तो देखा देखी मेने भी जब उनकी जीभ अगली बार मेरे मूह मे घुसी, तो मेने भी उसे कस के चूस लिया. कुछ इन चुंबनो का असर कुछ होंठो और पान के रस का असर, थोड़ी ही देर मे मैं पूरी तरह जागृत थी और अब मेरे कमर के धक्के भी. थोड़ी देर के लिए, मेने पीछे की ओर हाथ कर के सहारा लिया तो मुझे एक नया सहारा मिल गया फिर तो मेने कस के उनकी कमर को अपनी टाँगो मे लपेटा और हाथो के सहारे, पूरी ताक़त से उठा के नितंबो को पुश किया तो उनका लिंग सूत सूत कर के मेरी योनि के और अंदर. अब उन्होने भी उसी तरह से हाथ बिस्तर पे कर, कमर के पूरे ज़ोर से. कभी हम दोनो साथ साथ पुश करते और कभी बड़ी बड़ी से एक बार वो धकेलते. मैं बता नही सकती कितना अच्छा लग रहा था, जव उनका वो मोटा चर्म दंड अंदर जाता. चुंबन, आलिंगन सब कुछ छोड़ के बस अंदर बाहर अंदर बाहर. जब मैं धक्का मारने केलिए पीछे झुकती तो मेरे गदराए मस्त किशोर, सत्रह साल के जोबन खूब उचक के , उभर के उनके होंठो से रहा नही गया. फिर तो गचक सेउन्होने मेरे खड़े चूचुक को भर लिया और लगे चुभलाने,चूसने. फिर दूसरे उभार पे उनके हाथ की और वो भी कस कस के मसला जाने लगा.
कुछ देर तक तो उन्होने जम के मेरे निपल्स चूसे और फिर उरोजो के उपरी भाग पे अपने दाँत के निशान, पान के निशान. उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर रखा था और फिर धीरे से वो नीचे की ओर लेट गये मुझे उपर लिए.
अब मैं उपर थी और वो नीचे.
उनका लिंग इस तरह धंसा था मेरे अंदर कि वो कुछ भी करते जैसे उसने मुझे चोदने की कसम खा रखी हो. मेने पढ़ रखा था, फोटो मे देख रखा था, विपाइत रति मेने पूरी कोशिश भी की लेकिन मुझेसे नही हुआ. मुस्करा कर उन्होने मेरी कमर पकड़ी और मुझे इशारे से सीधे होने को कहा और फिर कमर पकड़ के अपनी बाहो की ताक़त से मुझे उपर नीचे.. उपर नीचे करने लगे. कितनी ताक़त थी उनकी बाहो मे और जब मैं उपर नीचे होती उनके मोटे लिंग पे लगता मैं किसी मीठी शूली पे चढ़ रही हू. थोड़ी देर इसी तरह मुझे रस देने के बाद वो रुक गये और मैं उनके उपर झुक गयी.
मैं धक्के तो नही लगा पा रही थी पर अपनी कमर को आगे पीछे कर के मज़ा ले रही थी. फिर मेने उन्हे छेड़ना शुरू किया. अपने लंबे काले बाल झुक के मैं उनके मूह पे बिखेर देती और जब उनका मूह छिप जाता मैं हल्के से उन्हे छू लेती. और फिर मेरे उरोज.. मैं एक दम उनके मूह के पास ले जाती और जब वो चूमने के लिए होंठ बढ़ते,
मैं उन्हे उपर उठा लेती. कभी अपने मस्त जोबन उनकी छाती मे रगड़ देती. जो थरथराहट उनके लिंग मे हो रही थी, लग रह था वो भी किनारे के करीब है और मेरे तो पूरे तन बदन मे तरंगे दौड़ रही थी.
अचानक उन्होने फिर पलटा खाया. अब मैं फिर से नीचे थी. उन्होने मेरे नितंबो केनिचे ढेर सारे कुशन लगाए और अब मुझे लगभग दुहरा कर दिया. मेरे घुटने मेरे स्तनो के पास थे. और उन्होने कस कस के धक्के मारने शुरू किए. मेरे कानो के पास आके उन्होने पूछा, "क्यो रानी मज़ा आ रह है. ""हाँ, राजा हाँ मैं चूतड़ उछाल के बोली. म. ""मज़ा आ रहा है जानम. . दवाने मे( अभी भी झिझकने उनका दामन पूरी तरह नही छोड़ा था). "हाँ राजा हाँ, और कस के और औरब्हुत मज़ा आ रहा है दबवाने मे"हम दोनो मस्ती मे पागल हो गये थे. और पहले मैं किनारे पे पहुँची. मेरी योनि कस कस के उनके लिंग को पकड़ रही थी, दबा रही थी निचोड़ रही थी. फिर वो भी कैसे रुक पाते. एक बार फिर जम के बदिश शुरू हुई. वह झाड़ भी रहे थे फिर भी उनके धक्के नही रुक रहे थे. जब वो वो रुके तो.. सिर्फ़ मेरी योनि ही नही उनका वीर्य मेरी गोरी गोरी जाँघो पे देर तक बहता रहा.
अबकी बार मैं एक दम थक गयी थी. मुझे नही लग रहा था, आज रात मैं दुबारा किसी हालत मे, दुबराबाड़ी देर तक मैं पड़ी रही ऐसेही. उन्होने फिर सहारा देके मुझे बैठने की कोशिश की. बहुत मुश्किल से मैं पलंग के सिरहाने और उनके सहारे, अधलेति बैठी रही. थोड़ी देर तक तो वो भी चुप बैठे रहे, फिर उन्होने कुछ कुछ बाते शुरू की. और उनकी बाते भी.. बस मैं सुनती रही. वो मेरे गेसुओ से खेलते रहे, मेरे चेहरे को देखते. फिर उन्होने प्लेट मे से एक मिठाई उठाई और आधी मुझे खिलाई, बिना किसी छेड़ छाड़ के, इस समय तो वो अगर मेरे पास आने की ज़रा भी कोशिश करते तो मैं शायद झटक देती. थकान के साथ साथ पूरी देह, खास तौर से मेरी जाँघो मे इतना दर्द हो रहा था इतनी देर तक और कस के फैलाया था, इन्होने और छातियो मे भी. आधी मुझे खिला के आधी उन्होने खुद खा ली. इससे भूख और बढ़ गयी. वो प्लेट उठा के बिस्तर पे ही लाए, और फिर हम दोनो ने मिल के पूरी प्लेट भर की मिठाई सफाचट कर दी. और मिठाई भी खूब पौष्टिक काजू की बरफी, पाइस्ट के रोल. मुझे प्यास लगी और वो बिना कहे पानी लाए. मेने पानी पी के उनसे पूछा, हे अब मूह कैसे सॉफ करूँ तो उन्होने अपने होंठ मेरे होंठ रगड़ के दोनो के सॉफ कर दिए. मेने हंस के कहा, हे बदमाशी नही. उन्होने झट से कान छू लिए और मैं हंस पड़ी. पेट मे मिठाई गयी तो थकान भी कुछ कम हुई और दर्द भी. फिर अचानक वो बोले हे गुस्सा मत होना अपनी चीज़ मैं फिर भूल गया. मेने कब से सोचा था कि पहली रात तुम्हे दूँगा लेकिन भूल गया. मैं हंस के बोली, जाओ माफ़ किया आप भी क्या याद करेंगे लेकिन बताइए तो सही क्या चीज़ है.
"बताने की नही दिखाने की है, वो भी यहाँ नही सोफे पे चलो. "वो बोले और मैं लाख ना नुकुर करती हुई उनकी बाहों मे सवार सोफे पे पहुँच गयी. वहाँ राइडिंग टेबल से उन्होने एक बड़ी सी डायरी निकाली. मैं अपनी धुन मे मैं बोली अब तो इतना,
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