RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
"आई लव यू"(24 घंटे लग गये उन्हे ये कहने मे, आलसी) लेकिन अब धीरे धीरे मेरी ज़ुबान भी बोलने लगी थी.
"मी टू"मेने कहा.
एक बार फिर उन्हे चूम के मैं हल्के से बोली,
"मुझे भी कुछ कहना है, "
मेरे अधरो को आज़ाद कर मेरे पलको को चूम के वो बोले, बोलो ना.
"तुम्हारे मेरा मतलब आप"
"उंह उंह, तुम ही बोलो ना, तुम्हारे मूह से तुम सुनना अच्छा लगता है. "उन्हे मुझे कच कचा के चूमने का एक बहाना मिल गया था. जब मेरे होंठ आज़ाद हुए तो मैं फिर उन्हे कस के बाहो मे भर के हिचकिचाती, अदा से बोली,
"मुझे भी दो बाते कहानी है. एक तो ये जो लड़का है ना, "उनकी नाक पकड़ के मैं बोली, "मुझे बहुत बहुत अच्छा लगता है. बहुत बहुत तो पहली बात ये कि आप उसे कभी किसी चीज़ के लिए मना मत करिएगा, ये मेरा बहुत प्यारा सा चोने सा, सोने सोने, ये जो भी मुझेसे कहना चाहे माँगना चाहे, लेना चाहे, करना चाहे,
आंड आइ मीन एनितिंग एनितिंग, आप इसे करने दीजिएगा, मन भर. प्लीज़ प्रॉमिस मी. "
"प्रॉमिस लेकिन डू यू रियली मीन एनितिंग. "वो बोले.
"हाँ, आइ मीन एनितिंग. "मैं भी हंस के बोली. और हाँ एक बात और जो इस लड़के को अच्छा लगता है न वो मुझे भी बहुत अच्छा लगता है. "
"एक बात और मुझे कहानी है, "कस के मुझे अपनी बाहो मे भींच के वो बोले,
"तुम जो चाहे कहो, जैसे कहो जो बात करने को कहो मुझे मंजूर है लेकिन मुझे ये चाहिए, तुम्हारे रसीले होंठ"मेरे होंठो को उंगली से छू के वो बोले. हाँ, ह्ल्के से बोली मैं. "और ये चाहिए तुम्हारे ये मस्त उरोज, "कस के मेरे उभारो को दबा के उन्होने माँगा. हाँ हाँ.. सिसक़ियो के साथ मेने हामी भरी. और तुम्हारे ये "मेरी बुरी तरह गीली हो चुकी योनि को दबोच के वो बोले( अभी भी थोड़ी हिचक उनमे बची थी जो चाह के भी वो नही बोल पा रहे थे, भाभी ने मुझे समझाया था कि कभी कभी लड़की को ही मर्द बनना पड़ता है, शरम दूर करने के लिए).
"हाँ हाँ मुझे मंजूर है बस दो बाते ये मेरे रसीले होंठ, मादक उरोज और मस्त योनि,
मेरी सारी देह, तन मन सब आप ही की है आप के लिए. बस आगे से आप दुबारा मत मांगिएगा, जब चाहे जैसे चाहे, जितनी बार चाहे. हाँ लेकिन अगर आप माँगेंगे तो इजाज़त खुल के मागनी पड़ेगी, ये वो नही चलेगा. ये वो बोलने का काम मेरा है. "
इतने खुला आमंत्रण देने मे मेरी सारी ताक़त और हिम्मत निकल गयी थी, और मैं अधलेति हो गयी, तकिये के सहारे. जो बात, जो आमंत्रण देने मे मेरी ज़ुबान झिझक रही थी, वो इशारा मेरी जाँघो ने खुल कर. अच्छी तरह फैल कर दे दिया.
वो मेरी खुली जाँघो के बीच थे और उनका मोटा कड़ा लिंग मेरे उत्तेजित कांप रहे भागोश्ठो के बीच,
मेरे पत्थर की तरह कड़े जोबन को पकड़ के वो बोले,
"थेल दू.. . "
ना की मुद्रा मे मेने सर हिलाया.
"पेल दू"वो मुस्करा के बोले.
"हाँ"मैं खुश हो के कस के मैं बोली और साथ मे मेने अपने नितंब भी उचका दिए.
फिर क्या था मेरे किशोर जवानी के उभारो को कस के मसलते, कुचलते, उन्होने वो करार धक्के दिए कि मेरी जान निकल गई, मस्ती से. उनका वो मोटा लिंग मेरी योनि मे इतनी तेज़ी से घुसा, मेरी योनि की गीली दीवालो को रगड़ता. थोड़ी देर तक इसी तरह डालने,घुसेड़ने के बाद उन्होने पैंतरा बदला. मेरे जोबन को अभी भी मुक्ति नही मिली,
लेकिन एक हाथ अब मेरे कमर पे था. मेने भी अब उन्हे अपनी बाहों मे भींच रखा था. मेरी दोनो टांगे भी उठ के उन के कमर के चारो ओर. जहाँ से उनका हाथ हटा था वो निपल अब उनके होंठो के बीच था और वो इतने कस कस के चूस रहे थे कि बड़ी देर तक वो इसी तरह थेलते रहे, पेलते रहे. उनका मोटा लिंग घचघाच,
घचघाच मेरी रसीली योनि के अंदर बाहर और वो भी गपगाप गपगाप उसे घोंट रही थी तभी उन्होने मुझे अपनी शक्तिशाली बाहो के सहारे पकड़ के मुझे उपर उठा लिया. और अब मैं उनकी गोद मेबैठी, मेरी जांघे पूरी तरह फैली, टांगे उनके कमर के चारो ओर कस के लिपटी और मेने बाहो मे उन्हे कस के जाकड़ रखा था.
लिंग अंदर योनि मे धंसा हुआ और मेरे कुछ कस कस के उनकी चौड़ी छाती से रगड़ खाते थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही बैठे रहे, फिर उन्होने मेरी कमर पकड़ के हौले हौले अंदर बाहर धक्के लगाने शुरू किए. मुझे लगा जैसे मस्त पुरवाई चल रही और मैं झूले पे बैठी, और वो झोते लगा रहे हो. मेने भी उनका साथ देने की कोशिश की लेकिन ज़ोर ज़ोर से धक्के नही लगा पा रही थी. फिर भी उनकी गोद मे बैठ के,
रति क्रिया का यह अनोखा स्वाद था. योनि के अंदर रगड़ के जिस तरह मोटा लिंग जा रहा था और साथ मे चुंबन, आलिंगन जोबन की रगड़ाई, मसालाई और अब धीरे धीरे मेरे कमर मे भी जोश आ रहा था. बहुत देर तक हम लोग इसी तरह प्यार करते रहे.
लेकिन वो तो नेवल खिलाड़ी थे. तरह तरह से रस लेने वाले उन्होने मुझे हल्के से बिस्तर पे अध लेटा कर दिया, वो उसी तरह बैठे, मेरी जांघे उसी तरह उनके चारो ओर लिपटी और वो सख़्त लिंग मेरी योनि मे धंसा हुआ. अब एक बार फिर उन्होने मुझे, मेरे भागोश्ठो को छेड़ना शुरू कर दिया. मैं सिहर रही थी, सिसक रही थी, कमर उचका रही थी, लेकिन उन्हे तॉजैसे मुझे तड़पाने मे ही मज़ा मिल रहा था. और अचानक उनकी उंगली ने मेरी क्लिट, मेरी भागनासा छू दी और फिर तो मुझे जैसे 440 वॉल्ट का करेंट लग गया हो. मस्ती से मैं सिहर रही थी, अपने नितंब पटक रही थी,
चीख रही थी पर वो उसका मोटा लिंग मुझे और मद होश बना रहा था. और वो, जैसे किसी शरारती बच्चे को कोल बेल का बटन हाथ लग जाए और वो उसे बार बार दबा कर तंग कर रहा हो. उनकी उंगलिया कभी मेरे निपल को फ्लिक करती और फिर आके मेरे क्लिट को छू देती, छेड़ देती, दबा देती. थोड़ी देर मे जब तक उनको इसका अहसास हुआ, मेरी देह पत्ते की तरह कांप रही थी. उन्होने मेरी कमर पकड़ के कस कस के ठेलना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर मे मैं झाड़ रही थी.
वो कुछ देर तक तो रुके रहे लेकिन फिर. उनके होंठो और उंगलियो ने, हल्के हल्के मुझे चूमना सहलाना शुरू किया. वो मस्ती मे बेहोश भी कर सकती थी और होश मे वापस भी ला सकती थी.
क्रमशः……………………….
शादी सुहागरात और हनीमून--23
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